भारत सरकार ने 18 सितंबर से घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर अप्रत्याशित विंडफॉल टैक्स को घटाकर ‘शून्य‘ प्रति टन कर दिया है।
विंडफॉल टैक्स के बारे में
विंडफॉल टैक्स एक उच्च कर है, जो सरकार द्वारा विशिष्ट उद्योगों पर तब लगाया जाता है, जब उन्हें अप्रत्याशित और औसत से अधिक लाभ प्राप्त होता है।
उदाहरण के लिए 1980 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका की तेल कंपनियों पर विंडफॉल टैक्स लगाया गया था। वर्ष 1979 में तेल संकट के कारण तेल की कीमतों में अचानक वृद्धि हुई, जिसके कारण बाद में इस क्षेत्र की कंपनियों को अप्रत्याशित (विंडफॉल) लाभ हुआ।
उद्देश्य: अधिकाधिक सामाजिक कल्याण के लिए धन जुटाने हेतु अतिरिक्त लाभ को एक क्षेत्र में पुनर्वितरित करना।
भारत में विंडफॉल टैक्स की शुरुआत: घरेलू बाजार में ऊर्जा उत्पादों की कमी को दूर करने के लिए, भारत सरकार ने 1 जुलाई, 2022 को गैसोलीन और डीजल के निर्यात पर एक विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क जोड़ा, जिसे विंडफॉल टैक्स के रूप में जाना जाता है।
करम पर्व
(Karam Parv)
हाल ही में झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, असम और ओडिशा में जनजातीय आबादी ने फसल उत्सव कर्मा या करम पर्व मनाया।
करम पर्व के बारे में: करम (बोलचाल की भाषा में कर्मा) एक फसल उत्सव है, जो करम-देवता (करम-भगवान/ईश्वर) की पूजा के लिए समर्पित है।
त्योहार की उत्पत्ति: उराँव/कुरुख लोग अपनी सांस्कृतिक परंपराओं को कृषि चक्र से जोड़ते हैं तथा शरद ऋतु की वर्षा के दौरान अपने खेतों को जल देने के बाद करमा को अनाज (धान/अनाज) के त्योहार के रूप में मनाते हैं।
करम वृक्ष/कदम वृक्ष का प्रतीक: करम वृक्ष इस त्योहार का मुख्य आकर्षण है। इसे पारंपरिक रूप से करम देवता या करमसनी के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
कदम वृक्ष [नियोलामार्किया कैडाम्बा (Neolamarckia Cadamba)] एक सदाबहार, उष्णकटिबंधीय वृक्ष है, जो दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया का मूल निवासी है।
कर्मा त्योहार मनाने वाले समुदाय: यह त्योहार मुंडा, हो, उराँव, बैगा, खारिया और संथाल लोगों के बीच लोकप्रिय है।
पेजर
(Pager)
लेबनान में पेजर के फटने से कम-से-कम नौ लोगों की मौत हो गई।
पेजर
पेजर एक छोटा, पोर्टेबल उपकरण है, जिसका उपयोग छोटे संदेश या अलर्ट संदेश प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
यह रेडियो फ्रीक्वेंसी नेटवर्क पर संचालित होता है।
पेजर का कार्य: पेजर रेडियो आवृत्ति नेटवर्क पर प्रसारित वायरलेस सिग्नल प्राप्त करके कार्य करते हैं।
संदेश भेजना: फोन या कंप्यूटर के माध्यम से पेजर को एक संदेश भेजा जाता है, फिर पेजिंग नेटवर्क के बेस स्टेशन के माध्यम से रिले किया जाता है।
रेडियो सिग्नल ट्रांसमिशन: पेजिंग प्रणाली तब एक रेडियो सिग्नल प्रसारित करता है, जो संदेश को पेजर के विशिष्ट पहचान कोड पर ले जाता है। यह सिग्नल समर्पित रेडियो आवृत्तियों पर प्रसारित होता है।
पेजर को सिग्नल प्राप्त होना: पेजर विशिष्ट आवृत्ति पर सिग्नल सुनता है और जब वह अपने कोड को पहचान लेता है, तो वह प्रेषित संदेश या फोन नंबर को रिसीव कर लेता है।
चेतावनी: संदेश प्राप्त होने पर पेजर उपयोगकर्ता को चेतावनी देता है और संदेश प्रदर्शित होता है।
ग्रीन क्लाइमेट फंड (Green Climate Fund-GCF)
ग्रीन क्लाइमेट फंड (GCF) के प्रमुख उन कमजोर देशों की सहायता के लिए कार्य कर रहे हैं, जिन्हें अभी तक इस प्रमुख जलवायु वित्त स्रोत से कोई धनराशि नहीं मिली है।
संबंधित तथ्य
GCF ने 19 जलवायु-संवेदनशील देशों की पहचान की है, जिन्हें संगठन से बहुत कम या कोई धनराशि नहीं मिली है।
इन देशों में अल्जीरिया, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, चाड, इराक, लेबनान, मोजाम्बिक, पापुआ न्यू गिनी, दक्षिण सूडान और सोमालिया शामिल हैं।
ग्रीन क्लाइमेट फंड (GFC) के बारे में
स्थापना: इसकी स्थापना वर्ष 2010 में कैनकुन में आयोजित COP 16 में की गई थी।
मुख्यालय: सोंगडो (Songdo), इंचियोन, दक्षिण कोरिया।
यह एक प्रमुख जलवायु वित्त संगठन है।
इसकी स्थापना जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के फ्रेमवर्क के तहत की गई थी।
यह निधि उन जरूरतमंद समाजों पर ध्यान केंद्रित करती है, जो जलवायु परिवर्तन से अत्यधिक प्रभावित होते हैं, जैसे कि सबसे कम विकसित देश (LDC), छोटे द्वीप विकासशील राष्ट्र (SIDS), और अफ्रीकी राष्ट्र।
यह निधि निम्नलिखित देशों की सहायता करती है:-
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना।
तूफान, सूखा, गर्मी और बढ़ते समुद्र के स्तर जैसे जलवायु परिवर्तन प्रभावों के अनुकूलन हेतु।
GCF के लक्ष्य
सबसे कमजोर देशों के लिए एक प्रमुख भागीदार के रूप में संगठन की भूमिका को बढ़ाना।
सुनिश्चित करना कि धन का उपयोग प्रभावी ढंग से वहाँ किया जाए, जहाँ इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।
डेमचोक (Demchok) और देपसांग (Depsang)
विदेश मंत्री ने दावा किया कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के बीच 75% सैनिकों की वापसी पूरी हो गई है।
डेमचोक और देपसांग टकराव के बारे में
स्थान: डेमचोक और देपसांग दोनों पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अवस्थित हैं।
मुद्दा: ये क्षेत्र भारत और चीन के बीच तनाव का स्रोत हैं।
सैन्य गतिरोध: दोनों क्षेत्रों में लंबे समय से सैन्य गतिरोध बना हुआ है।
अनसुलझे मुद्दे: इन क्षेत्रों में विवादों का कोई समाधान नहीं हुआ है।
सीमा से वापसी की स्थिति
चीन ने यह भी स्वीकार किया कि दोनों पक्षों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में चार स्थानों से अपने सैनिकों के पीछे हटाने का कार्य पूरा कर लिया है।
वर्तमान तथ्य
आंशिक वापसी: भारत और चीन ने सात टकराव बिंदुओं में से पाँच से पारस्परिक रूप से सहमति व्यक्त की है।
गलवान घाटी (जून 2020 की झड़प के बाद)
पैंगोंग त्सो के उत्तरी और दक्षिणी तट (फरवरी 2021)
गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स में पेट्रोलिंग पॉइंट 17 (अगस्त 2021)
PP15 (सितंबर 2022)।
लंबित मुद्दे: दो टकराव बिंदु, डेमचोक और देपसांग, अभी भी अनसुलझे हैं।
प्रगति का अभाव: पिछले दो वर्षों में इन दो बिंदुओं के समाधान में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है।
चुनौतियाँ और चिंताएँ
बुनियादी ढाँचे का निर्माण: भारत और चीन दोनों ही अपने बुनियादी ढाँचे में भारी सुधार कर रहे हैं और 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहे हैं।
तनाव कम करने में कठिनाइयाँ: दोनों पक्षों द्वारा बड़े पैमाने पर सैनिकों और उपकरणों की तैनाती के कारण गतिरोध शुरू होने से पहले की स्थिति में वापस लौटना कठिन हो गया है।
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