भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) ने एकीकृत महासागर ऊर्जा एटलस (Integrated Ocean Energy Atlas) विकसित किया है।
एकीकृत महासागर ऊर्जा एटलस के बारे में
इसेपृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) द्वारा लॉन्च किया गया है।
यह विश्व का पहला एटलस है, जो भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में ब्लू एनर्जी संसाधनों का संयुक्त और व्यक्तिगत मूल्यांकन प्रदान करता है।
यह ज्वारीय तरंगों, धाराओं और अन्य ब्लू रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स से दैनिक, मासिक और वार्षिक ऊर्जा क्षमता की पहचान करता है।
इसमें मछली पकड़ने वाले क्षेत्र, शिपिंग लाइनें, चक्रवात-प्रवण क्षेत्र, पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र और बंदरगाह शामिल हैं।
यह एटलस उद्योगों, नीति निर्माताओं और शोधकर्ताओं को योजना बनाने और निर्णय लेने में मदद करेगा।
इससे उपलब्ध ऊर्जा संभावित स्थलों को समझने में भी मदद मिलेगी।
ब्लू रिन्यूएबल सोर्स के बारे में
ब्लू रिन्यूएबल सोर्स प्राकृतिक समुद्री स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा को संदर्भित करते हैं, जिनमें शामिल हैं:
समुद्री लहरें
ज्वार
धाराएँ
ऑस्मोटिक शक्ति (Osmotic Power) (ताजे जल और समुद्री जल के बीच लवण की सांद्रता में अंतर से निर्मित)
ब्लू रिन्यूएबल सोर्स की क्षमता
ऊर्जा क्षमता: महासागरों और समुद्रों में प्रचुर मात्रा में ऊर्जा होती है, जो उन्हें नवीकरणीय ऊर्जा का एक आशाजनक स्रोत बनाती है।
भारत की क्षमता: शोध से पता चलता है कि भारत अपने समुद्र तट और द्वीप क्षेत्रों से 9.2 लाख TWh तक ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है।
अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ)
वर्ष 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (UNCLOS) द्वारा परिभाषित EEZ, किसी देश के समुद्र तट से 200 समुद्री मील (370 किलोमीटर) तक फैला हुआ क्षेत्र है।
यह किसी देश को समुद्री संसाधनों के अन्वेषण और उपयोग के लिए विशेष अधिकार देता है।
उपयोग: इसमें पवन और जल से ऊर्जा उत्पन्न करना तथा तेल एवं प्राकृतिक गैस निष्कर्षण शामिल है।
अपवर्जन: इसमें 200 समुद्री मील से आगे प्रादेशिक समुद्र या महाद्वीपीय शेल्फ शामिल नहीं है, लेकिन इसमें सन्निहित क्षेत्र शामिल है।
तटीय राज्य के अधिकार
संसाधन प्रबंधन: देश सजीव और निर्जीव दोनों प्रकार के संसाधनों का अन्वेषण, उपयोग और प्रबंधन कर सकता है।
संरचनाएँ: कृत्रिम द्वीप और अन्य संरचनाओं का निर्माण एवं उपयोग करने की अनुमति है।
अनुसंधान: इसक्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान कर सकते हैं।
पर्यावरण संरक्षण: समुद्री पर्यावरण की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए जिम्मेदार।
मुख्य अंतर
प्रादेशिक समुद्र बनाम अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ)
प्रादेशिक सागर: प्रादेशिक समुद्र में तटीय देश का संप्रभुता और न्यायाधिकार क्षेत्र होता है।
अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ): यह क्षेत्र केवल समुद्र सतह के नीचे के संसाधनों के उपयोग के लिए विशेष अधिकार प्रदान करता है।
EEZ में सतही जल को अभी भी अंतरराष्ट्रीय जल माना जाता है।
नौवहन की स्वतंत्रता
EEZ नियम: यद्यपि किसी देश को अपने EEZ में विशेष अधिकार प्राप्त होते हैं, लेकिन उसे अन्य देशों को इन जल क्षेत्रों में स्वतंत्र रूप से आवागमन की अनुमति देनी चाहिए।
भारत का अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ)
18वाँ सबसे बड़ा EEZ: भारत का EEZ 2,305,143 वर्ग किमी. (890,021 वर्ग मील) में विस्तृत है।
इसमें शामिल हैं: लक्षद्वीप सागर में लक्षद्वीप द्वीपसमूह तथा बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर में अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह।
सीमाएँ: पश्चिम में पाकिस्तान, दक्षिण में मालदीव और श्रीलंका, तथा पूर्व में बांग्लादेश, म्याँमार, थाईलैंड, मलेशिया और इंडोनेशिया।
अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) का महत्त्व
संसाधनों तक पहुँच: तेल, गैस, खनिज और वाणिज्यिक मछली पकड़ने के संसाधनों पर नियंत्रण प्रदान करता है।
सामरिक लाभ: नौवहन की स्वतंत्रता, अंतरराष्ट्रीय व्यापार और राष्ट्रीय सुरक्षा में वृद्धि करता है।
दोहन क्षमता: भारत प्रति वर्ष संभावित 3.92 मिलियन टन समुद्री मत्स्य संसाधनों में से 3.2 मिलियन टन का उपयोग करता है।
कानूनी ढाँचा
वर्ष 1976 का अधिनियम: भारत ने “प्रादेशिक जल, महाद्वीपीय शेल्फ, अनन्य आर्थिक क्षेत्र और अन्य समुद्री क्षेत्र अधिनियम, 1976” में अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) को परिभाषित किया।
UNCLOS अनुसमर्थन: भारत ने जून 1997 में समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCLOS) का अनुसमर्थन किया।
मत्स्यपालन नियम: ‘भारत के समुद्री क्षेत्र (विदेशी जहाजों द्वारा मछली पकड़ने का विनियमन) अधिनियम, 1981’ [Maritime Zones of India (Regulation of fishing by foreign vessels) Act, 1981] बिना लाइसेंस के विदेशी क्षेत्र में मत्स्याखेट पर प्रतिबंध लगाता है और भारतीय क्षेत्र मछली पकड़ने की गतिविधियों को नियंत्रित करता है।
संरक्षण और प्रबंधन
भारतीय तटरक्षक बल: तट की सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अंडमान और निकोबार कमान: भारतीय सेना की अपतटीय कमान अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है।
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