एक छोटा क्षुद्रग्रह 29 सितंबर से 25 नवंबर, 2024 तक कुछ समय के लिए पृथ्वी की परिक्रमा करेगा।
2024 PT5 क्या है?
यह एक छोटा क्षुद्रग्रह है, जो अस्थायी रूप से पृथ्वी की परिक्रमा करता है।
इसे मिनी-मून के नाम से जाना जाता है। वे क्षुद्रग्रह, जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण अपना मार्ग बदलते हैं एवं अस्थायी रूप से पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं, उन्हें ‘मिनी-मून’ कहा जाता है।
मुख्य विवरण
7 अगस्त, 2024 को एस्टेरॉइड टेरेस्ट्रियल-इम्पैक्ट लास्ट अलर्ट सिस्टम (Asteroid Terrestrial-Impact Last Alert System- ATLAS) द्वारा पता लगाया गया।
उत्पत्ति: संभवतः अर्जुना एस्टेरॉइड बेल्ट (Arjuna Asteroid Belt) से उत्पन्न हुई है।
इस बेल्ट में अंतरिक्ष चट्टानें हैं, जो पृथ्वी के निकट सूर्य की परिक्रमा करती हैं।
भविष्य में वापसी: जनवरी 2025 एवं वर्ष 2055 में इसके पुनः वापस आने की उम्मीद है।
2024 PT5 के अवलोकन का महत्त्व
पृथ्वी के निकट क्षुद्रग्रहों के व्यवहार एवं पथ पर बहुमूल्य डेटा प्रदान करता है।
पृथ्वी के साथ भविष्य में होने वाले टकराव एवं संभावित प्रभावों की भविष्यवाणी करने में सहायता करेगा।
क्षुद्रग्रह के बारे में
क्षुद्रग्रह छोटी, चट्टानी या धातु की वस्तुएँ हैं, जो सूर्य की परिक्रमा करती हैं।
वे खगोलीय ग्रह या धूमकेतु नहीं हैं।
प्रकार
C-प्रकार (कार्बोनेशियस): अधिकतर कार्बन से निर्मित होता है।
M-प्रकार (धात्विक): अधिकतर धातु से निर्मित होता है।
S-प्रकार (सिलिकेशियस): अधिकतर सिलिकेट खनिजों से निर्मित होता है।
आकार: क्षुद्रग्रह आकार में भिन्न होते हैं। वे छोटे, मलबे जैसे टुकड़े या सीरीस (Ceres) जैसे बड़े पिंड हो सकते हैं।
क्षुद्रग्रह वर्गीकरण
अस्थायी कैप्चर: यदि वे पूर्ण कक्षा पूरी नहीं करते हैं तो उन्हें ‘अस्थायी रूप से कैप्चर किए गए फ्लाईबीज’ (Temporarily Captured Flybys) के रूप में संदर्भित किया जाता है।
अस्थायी ऑर्बिटर: पूर्ण कक्षा पूरी करने वाले क्षुद्रग्रहों को ‘अस्थायी रूप से कैप्चर किए गए ऑर्बिटर’ (Temporarily Captured Orbiters) कहा जाता है।
बायो-राइड योजना
(Bio-RIDE scheme)
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक योजना ‘बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट’ (Bio-RIDE) को मंजूरी दी है।
बायो-राइड योजना (जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान नवाचार एवं उद्यमिता विकास) के विषय में
उद्देश्य: अनुसंधान में तेजी लाना,उत्पाद विकास को बढ़ाना एवं अकादमिक अनुसंधान तथा औद्योगिक अनुप्रयोगों के बीच अंतर को पाटना।
नोडल मंत्रालय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (भारत सरकार)।
उद्देश्य
जैव विनिर्माण एवं जैव प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेता के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करना।
वर्ष 2030 तक भारत को 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर की जैव अर्थव्यवस्था बनाना।
बायो-राइड योजना के घटक
जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं विकास (R&D)
ध्यान केंद्रित करना
मानव संसाधन विकास पर।
जैव सूचना विज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी सुविधाओं पर।
उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना पर।
औद्योगिक एवं उद्यमिता विकास (I&ED)
ध्यान केंद्रित करना
सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) कार्यक्रम
बायो-क्लस्टरों एवं जैव-प्रौद्योगिकी पार्कों का विकास
बायोमैन्युफैक्चरिंग एवं बायोफाउंड्री
नया घटक पर्यावरण के लिए जीवन शैली (LiFE) पहल के अनुरूप है।
उद्देश्य: सतत् जैव-विनिर्माण के माध्यम से चक्रीय जैव-अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना।
प्रमुख क्षेत्र
स्वदेशी जैव विनिर्माण समाधान
स्वास्थ्य सेवा, कृषि उत्पादकता, जैव-अर्थव्यवस्था विकास
कौशल विकास एवं उद्यमशीलता
फंडिंग एवं अवधि
परिव्यय: 15वें वित्त आयोग की अवधि (वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26) के दौरान ₹ 9,197 करोड़।
योजना का कार्यान्वयन होगा
जैव-उद्यमिता को बढ़ावा देना: स्टार्टअप के लिए सीड फंडिंग, इनक्यूबेशन, मेंटरशिप।
एडवांस इनोवेशन: सिंथेटिक बायोलॉजी, बायोफार्मास्यूटिकल्स, बायोएनर्जी एवं बायोप्लास्टिक्स में अनुसंधान एवं विकास के लिए अनुदान तथा प्रोत्साहन।
उद्योग-अकादमिक सहयोग को सुगम बनाना: जैव-आधारित उत्पादों के व्यावसायीकरण में तेजी लाने के लिए सामंजस्य स्थापित करना।
सतत् जैव-विनिर्माण को प्रोत्साहित करना: भारत के हरित लक्ष्यों के अनुरूप पर्यावरणीय रूप से सतत् प्रथाओं को बढ़ावा देना।
जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मानव संसाधन का पोषण: जैव प्रौद्योगिकी में छात्रों, शोधकर्ताओं एवं वैज्ञानिकों के लिए क्षमता निर्माण तथा कौशल।
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