100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

श्वेत क्रांति 2.0

Lokesh Pal September 21, 2024 02:54 20 0

संदर्भ

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने नई सरकार के गठन के पहले 100 दिनों के अंतर्गत सहकारिता मंत्रालय द्वारा शुरू की गई 3 नई पहलों का शुभारंभ किया है। ये नई तीन पहलें हैं:- 

  • ‘श्वेत क्रांति 2.0’ की शुरुआत।
  • ‘सहकारी समितियों के बीच सहयोग’ के लिए मानक संचालन प्रक्रिया का शुभारंभ।
  • 2 लाख नई बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (MPACS), डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों के गठन तथा सुदृढ़ीकरण के लिए ‘मार्गदर्शिका’ भी लॉन्च की गई है।

श्वेत क्रांति 2.0 के बारे में 

  • यह कार्यक्रम चार प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है- 
    • महिला किसानों को सशक्त बनाना। 
    • स्थानीय दूध उत्पादन को बढ़ाना। 
    • डेयरी बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना। 
    • डेयरी निर्यात को बढ़ावा देना।
  • महिला सशक्तीकरण: महिला डेयरी किसानों को सशक्त बनाना तथा उन्हें औपचारिक रोजगार के दायरे में शामिल करके कुपोषण के विरुद्ध लड़ाई को मजबूत करना, क्योंकि धन उनके बैंक खातों में जमा किया जाएगा।
  • स्थानीय दूध उत्पादन में वृद्धि: इसका उद्देश्य सहकारी समितियों द्वारा खरीद को वर्तमान 660 लाख लीटर प्रतिदिन से बढ़ाकर 1,000 लाख लीटर करना है।
  • डेयरी बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना
    • 67,930 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) के कंप्यूटरीकरण के लिए मानक संचालन प्रक्रिया जारी करना।
    • 1,00,000 नई एवं मौजूदा जिला सहकारी समितियों, बहुउद्देशीय जिला सहकारी समितियों तथा बहुउद्देशीय  PACS को आवश्यक बुनियादी ढाँचे के साथ स्थापित या मजबूत करना ताकि वे सीधे किसानों से दूध खरीद सकें।
  • डेयरी निर्यात को बढ़ावा देना: भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक वैश्विक दूध आपूर्ति का एक-तिहाई हिस्सा हासिल करना है, जो वर्तमान में विश्व के दुग्ध उत्पादन का लगभग एक-चौथाई हिस्सा है।
    • भारत का डेयरी निर्यात वर्ष 2024 से वर्ष 2032 तक 13% की दर से बढ़ने की उम्मीद है।

‘सहकारी समितियों के बीच सहयोग’ पहल

  • ‘सहकारी समितियों के बीच सहयोग’ पहल, जिसे गुजरात के दो जिलों अर्थात् पंचमहल तथा बनासकाँठा में सफलतापूर्वक संचालित किया गया था, अब देशव्यापी विस्तार किया जाएगा।
  • इस कार्यक्रम के लिए एक जिले को एक इकाई के रूप में विकसित किया जाएगा।
  • विशेषताएँ
    • वित्तीय समावेशन: यह कार्यक्रम रुपे-किसान क्रेडिट कार्ड (RuPay-Kisan Credit Cards) के माध्यम से डेयरी किसानों को ब्याज मुक्त नकद ऋण प्रदान करेगा तथा किसानों तक बैंकिंग सेवाएँ पहुँचाने के लिए माइक्रो-ATM वितरित करेगा।
    • महिला समावेशन: प्राथमिक सहकारी समिति और दुग्ध उत्पादक समिति की महिलाओं को डेबिट एवं क्रेडिट कार्ड प्रदान किए जाएँगे, जिससे वे आर्थिक रूप से सशक्त बन सकेंगी।
    • सहकारी डेटाबेस 
      • सहकारिता मंत्रालय ने पंचायत, तहसील, जिला और राज्य स्तर पर सहकारी डाटाबेस जिला/राज्य सहकारी रजिस्टर तथा जिला सहकारी बैंक शाखाओं में उपलब्ध करा दिया है।
      • इस कदम से जिले में सहकारी समितियों की कुल संख्या, उनके प्रकार, उनके लेखा-परीक्षण कार्य आदि का पता लगाया जा सकेगा।

‘मार्गदर्शिका’ (Margdarshika)

  • सहकारिता मंत्रालय ने 1,00,000 नई तथा मौजूदा जिला सहकारी समितियों, बहुउद्देशीय जिला सहकारी समितियों और बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (MPACS) को मजबूत करने की योजना बनाई है, जिन्हें आवश्यक बुनियादी ढाँचे के साथ दुग्ध उत्पादन केंद्रों से जोड़ा जाएगा।
  • वित्तपोषण: राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) 1,000 M-PACS को 40,000 रुपये प्रति M-PACS प्रदान करके इस पहल का वित्तपोषण करेगा।
  • PACS नेटवर्क को मजबूत करना:  PACS को कृषि, डेयरी, मत्स्यपालन, गोदाम, सस्ते अनाज की दुकान, सस्ती दवा की दुकान, पेट्रोल पंप, LPG सिलेंडर, जल वितरण आदि के लिए अल्पकालिक ऋण देने जैसी व्यवहार्य संस्थाएँ बनाने के लिए 25 विभिन्न प्रकार के कार्यों से जोड़ा गया है।

भारत का डेयरी क्षेत्र 

  • डेयरी क्षेत्र कृषि की एक शाखा है, जो दूध उत्पादन के लिए डेयरी पशुओं, मुख्य रूप से गायों के प्रजनन, पालन और उपयोग में शामिल है और दूध को विभिन्न डेयरी उत्पादों, जैसे मक्खन, पनीर, आइसक्रीम और दही में संसाधित किया जाता है। डेयरी क्षेत्र में शामिल हैं:-
    • डेयरी फार्म: ये डेयरी फार्म दुग्ध उत्पादन करते हैं।
    • डेयरी प्लांट: ये प्लांट दुग्ध डेयरी उत्पादों में संसाधित करते हैं।
  • डेयरी सबसे बड़ी कृषि कमोडिटी है, जो राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5% का योगदान देती है।
  • उत्पादन: उत्पादन के मामले में भारत पहले स्थान पर है और विश्व में सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है, जो वैश्विक दूध उत्पादन में 25% का योगदान देता है।
    • वृद्धि: भारत के दुग्ध उत्पादन में वर्ष 2014-15 और वर्ष 2022-23 के दौरान 58% की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि पिछले दशक में CAGR 6% से अधिक रहा है।
  • भारत की शीर्ष उपभोग वाली वस्तु: वर्ष 2022-23 के लिए नवीनतम घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (HCES) के अनुसार, ग्रामीण तथा शहरी दोनों क्षेत्रों में दुग्ध भारत की शीर्ष खाद्य व्यय वस्तु के रूप में उभरा है।
  • सबसे बड़े दूध उत्पादक राज्य: राजस्थान (15.05%), उत्तर प्रदेश (14.93%), मध्य प्रदेश (8.6%), गुजरात (7.56%) तथा आंध्र प्रदेश (6.97%), जो मिलकर देश के कुल दूध उत्पादन में 53.11% का योगदान करते हैं।
  • निर्यात: भारत ने वर्ष 2023-24 के दौरान लगभग 272.64 मिलियन डॉलर मूल्य के 63,738.47 मीट्रिक टन डेयरी उत्पादों का निर्यात किया।
    • शीर्ष आयातक देश: संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, अमेरिका, सिंगापुर तथा  भूटान। 
  • दूध प्रसंस्करण क्षमता: भारत की दूध प्रसंस्करण क्षमता लगभग 126 मिलियन लीटर प्रतिदिन है, जो विश्व में सर्वाधिक है तथा भारत अपने कुल दूध उत्पादन का 22% प्रसंस्करण करता है।

डेयरी क्षेत्र का महत्त्व

  • ग्रामीण आय का स्रोत: डेयरी संभवतः एकमात्र कृषि उत्पाद है, जिसका लगभग 70-80 प्रतिशत अंतिम बाजार मूल्य, किसानों के साथ साझा किया जाता है, जो भारत में ग्रामीण घरेलू आय का लगभग एक-तिहाई है।
  • बहुमुखी आयाम: डेयरी उत्पाद उपभोक्ताओं की व्यापक आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं, जिनमें प्रोटीन और स्वास्थ्यवर्द्धक खाद्य पदार्थों से लेकर दही तथा आइसक्रीम जैसे स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ शामिल हैं।
  • विविध विकास लक्ष्यों की प्राप्ति: डेयरी क्षेत्र ने किसानों की आजीविका में सुधार, रोजगार सृजन, कृषि औद्योगीकरण तथा व्यावसायीकरण को समर्थन और प्रोत्साहन, तथा आम जनता के लिए पोषण में वृद्धि जैसे विकास लक्ष्यों को काफी कुशलतापूर्वक प्राप्त किया है।
  • जोखिम में विविधता: भारत में कई छोटे किसान मिश्रित कृषि करते हैं, जिसमें कृषि के साथ-साथ डेयरी फार्मिंग भी शामिल है, जिससे उन्हें आय का एक अतिरिक्त स्रोत मिलता है।
  • महिला सशक्तीकरण: महिला श्रमिक कुल कार्यबल 7.7 मिलियन का 69 प्रतिशत योगदान देते हैं, जो विशेष रूप से गाय तथा भैंस पालन में लगे हुए हैं, जिनमें से 93 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, जो देश में कुल महिला कार्यबल का 5.72 प्रतिशत है।

चुनौतियाँ 

  • चारे की लागत में वृद्धि: चारे, पशु आहार और कच्चे माल/घटकों की लागत में काफी वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप डेयरियों को किसानों को दिए जाने वाले खरीद मूल्यों में वृद्धि करनी पड़ रही है, तथा बदले में इसका लाभ उपभोक्ताओं को देना पड़ रहा है।
  • क्षेत्रीय एवं विकेंद्रित उद्योग: भारत में डेयरी क्षेत्र की आपूर्ति शृंखला अत्यधिक विकेंद्रित है, जिसके कारण विविध आपूर्ति आधार के भीतर गुणवत्ता एवं मात्रा को बनाए रखना आवश्यक हो जाता है।
  • उत्पादकता संबंधी मुद्दे: भारत में मवेशियों की औसत वार्षिक दूध उपज वैश्विक औसत का केवल 50% है तथा भारत अपने उत्पादित दूध का केवल 22% ही प्रसंस्कृत करता है।

  • पर्यावरणीय मुद्दे: डेयरी क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील है क्योंकि पर्यावरणीय हस्तक्षेप पशुओं के प्रजनन एवं उत्पादक प्रदर्शन को प्रभावित करने के लिए तैयार हैं, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिरता प्रभावित हो रही है।
    • मेथेन के एक महत्त्वपूर्ण स्रोत के रूप में यह ग्लोबल वार्मिंग में भी महत्त्वपूर्ण योगदानकर्ता है।
  • विपणन और मूल्य निर्धारण: डेयरी उद्योग को विपणन के संबंध में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें विस्तृत विपणन चैनल, खराब बुनियादी ढाँचे का विकास और वसा आधारित मूल्य निर्धारण से संबंधित समस्याएँ शामिल हैं।
  • रोग का प्रकोप: डेयरी क्षेत्र में खुरपका एवं मुँहपका रोग, ब्लैक क्वार्टर संक्रमण तथा इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों के फैलने का खतरा रहता है।
  • सुरक्षा और गुणवत्ता संबंधी मुद्दे: भारत को दूषित जल, दूध में मिलावट, कीटनाशकों, माइकोटॉक्सिन, भारी धातुओं और पशु चिकित्सा दवाओं के उपयोग के कारण गुणवत्ता संबंधी मुद्दों का सामना करना पड़ता है, इसलिए संदूषण और खराब होने से बचाने के लिए दूध की उचित हैंडलिंग, भंडारण और प्रसंस्करण तकनीक आवश्यक हैं।

सरकारी पहल 

  • डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि (DIDF): इस योजना का उद्देश्य डेयरी अवसंरचना में मूल्य संवर्द्धन सहित दूध प्रसंस्करण और शीतलन संयंत्रों को उन्नत करना है। सभी पात्र संस्थाओं को ऋण घटक पर 2.5% ब्याज सब्सिडी मिलेगी।
  • पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (AHIDF): इस योजना का उद्देश्य दूध और मांस प्रसंस्करण क्षमता और उत्पाद विविधता को बढ़ावा देना, किसानों की मूल्य प्राप्ति में वृद्धि करना, निर्यात को प्रोत्साहित करना और पशुधन उद्योग के निर्यात योगदान को बढ़ाना है।
  • राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD): इसे दूध और डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार लाने तथा संगठित खरीद, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्द्धन और विपणन में भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है।
  • राष्ट्रीय गोकुल मिशन: इसका उद्देश्य गोजातीय आबादी में आनुवंशिक सुधार के साथ-साथ स्वदेशी गोजातीय नस्लों के सृजन और संरक्षण का प्रयास करना है।
  • पशुपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड: इसका उद्देश्य पशुपालक तथा मत्स्यपालक किसानों को उनकी कार्यशील पूँजी आवश्यकताओं के लिए लचीली तथा सरलीकृत प्रक्रियाओं के साथ एकल खिड़की के तहत पर्याप्त और समय पर ऋण सहायता प्रदान करना है।

आगे की राह

  • दूध प्रसंस्करण अवसंरचना का निर्माण: दूध प्रसंस्करण अवसंरचना का निर्माण तीव्र गति से किए जाने की आवश्यकता है, क्योंकि भारत वर्ष 2050 तक 270 मीट्रिक टन दूध उत्पादन तक पहुँच जाएगा।
    • दूध को कई उच्च मूल्य-वर्द्धित उत्पादों जैसे पनीर, मक्खन, पाउडर आदि में प्रसंस्कृत किया जा सकता है, जिससे इस क्षेत्र में 10 बिलियन डॉलर तक के भारी निवेश के अवसर उत्पन्न होंगे।
  • नई प्रजनन तकनीकें अपनाना: प्रति पशु दूध उत्पादन को बढ़ाने की आवश्यकता है, जिसका एक तरीका आनुवंशिक सुधार और नई प्रजनन तकनीकों में निवेश करना है।
    • उदाहरण: सेक्स-सॉर्टेड सीमेन तकनीक में केवल मादा प्रजाति के जन्म लेने की 90% से अधिक संभावना होती है, जबकि पारंपरिक सीमेन में यह संभावना 50:50 होती है।
  • पशुओं के आहार में सुधार: किसानों द्वारा उच्च उपज वाली प्रोटीन युक्त हरी घास की खेती करने तथा महंगे मिश्रित पशु आहार एवं तेल-आहार सांद्रणों पर निर्भरता कम करने के लिए पशुओं की आहार लागत को भी कम करने की आवश्यकता है।
  • नई प्रौद्योगिकियाँ: बल्क मिल्क कूलर्स (BMC), इमर्शन कूलर्स और उन्नत दूध परीक्षण किट जैसी प्रौद्योगिकियों में निवेश।
    • ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी, RFID टैग, IoT तथा सेंसर-सक्षम वाहनों और पैकिंग प्रणालियों में निवेश योग्य अवसर।

श्वेत क्रांति के बारे में

  • यह तीन दशकों में तीन चरणों में शुरू किया गया एक सहकारी दूध आंदोलन है, जिसका संचालन सामाजिक उद्यमियों, राजनीतिक नेताओं और लाखों दुग्ध उत्पादक किसानों द्वारा किया जा रहा है।
  • कब शुरू हुआ: ऑपरेशन फ्लड वर्ष 1970 में भारत में ‘श्वेत क्रांति’ को गति देने के लिए शुरू हुआ।

  • नेतृत्व: डॉ. वर्गीस कुरियन ने गुजरात के आनंद जिले में दुनिया के सबसे बड़े डेयरी विकास कार्यक्रम का नेतृत्व किया।
  • उद्देश्य: भारत को दूध उत्पादन में वैश्विक रूप से अग्रणी राष्ट्र बनाना।
  • चरण
    • चरण I (वर्ष 1970 से वर्ष 1980): 1.5 मिलियन कृषक परिवारों ने 10 राज्यों से आपूर्ति शुरू की, ग्रामीण खरीद 1960 के दशक में 0.46 मिलियन लीटर प्रतिदिन से बढ़कर 2.2 मिलियन लीटर प्रतिदिन हो गई।
    • चरण II (वर्ष 1981 तथा वर्ष 1985): 43,000 गाँवों के 4.25 मिलियन उत्पादक इसमें शामिल हुए। इस समय तक लगभग 136 दुग्ध क्लस्टर सक्रिय थे, जो 290 शहरी बाजारों में बिक्री कर रहे थे।
    • तीसरा चरण 1990 के दशक के मध्य तक जारी रहा: आंदोलन में किसान परिवारों की संख्या बढ़कर 10 मिलियन हो गई। इस चरण में पशु चिकित्सा देखभाल और बेहतर प्रजनन प्रथाओं पर जोर दिया गया।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.