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हड़प्पा सभ्यता: अन्वेषण और रहस्यों की एक शताब्दी

Lokesh Pal September 21, 2024 03:13 12 0

संदर्भ 

20 सितंबर, 1924 को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) के तत्कालीन महानिदेशक जॉन मार्शल ने ‘द इलस्ट्रेटेड लंदन न्यूज’ में एक लेख के माध्यम से ‘सिंधु घाटी सभ्यता’ (Indus Valley Civilisation) की खोज की घोषणा की। 

खोज के बारे में 

  • यह 100 वर्ष पुरानी घोषणा, हड़प्पा और मोहनजोदड़ो स्थलों पर महत्त्वपूर्ण अन्वेषणों के बाद आई थी।
    • यह दक्षिण एशियाई इतिहास के अध्ययन में एक महत्त्वपूर्ण क्षण था।
  • हड़प्पा सभ्यता लगभग 2,500 ईसा पूर्व (कांस्य युग) में दक्षिण एशिया के पश्चिमी भाग, समकालीन पाकिस्तान और पश्चिमी भारत में विकसित हुई।
  • यह अपने उन्नत शहरी नियोजन, धातुकर्म, चीनी मिट्टी, जल प्रबंधन और अज्ञात लिपि के कारण विद्वानों के लिए कौतूहल का विषय बनी हुई है।

प्रमुख स्थल एवं खोजें

  • हड़प्पा (पाकिस्तान) की खुदाई सर्वप्रथम वर्ष 1921-22 में दया राम साहनी के नेतृत्व में की गई थी।
  • मोहनजोदड़ो की खोज वर्ष 1922 में राखल दास बनर्जी ने की थी।
  • दोनों पुरातत्त्वविदों ने मुहरों, मृदा के बर्तनों और धातु की कलाकृतियों का उत्खनन किया, जिससे जान मार्शल को एक ऐसी सभ्यता की पहचान हुई जो एक विस्तृत क्षेत्र तक फैली हुई थी, जिसमें अब भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के क्षेत्र भी शामिल हैं।
  • लगभग 2,000 ज्ञात स्थलों के साथ, सभ्यता के प्रमुख केंद्रों में हड़प्पा, मोहनजोदडो, गँवरीवाला, राखीगढ़ी (भारत), सुरकोटदा (भारत), लोथल (भारत) और धोलावीरा (भारत) शामिल हैं।
  • भौगोलिक विस्तार
    • सबसे पश्चिमी: सुत्कागेंडोर (बलूचिस्तान, पाकिस्तान में) 
    • सबसे पूर्वी: आलमगीरपुर (पश्चिमी उत्तर प्रदेश) 
    • सबसे उत्तरी: मांडू (जम्मू) 
    • सबसे दक्षिणी: दैमाबाद (अहमदनगर, महाराष्ट्र)

हड़प्पा की उपलब्धियाँ

  • शहरी नियोजन: ग्रिड पैटर्न सड़कें, जलाशय, जल निकासी प्रणालियाँ और मानकीकृत ईंट निर्माण।
  • शिल्पकला: कांस्य और ताँबे की कलाकृतियाँ, मोती, शिलालेखों के साथ मुहरें और जटिल टेराकोटा उत्पाद। 
  • उन्नत सभ्यता: मानकीकृत बाँट और माप, लिपि का प्रयोग, तथा पश्चिम एशिया के साथ समुद्री संपर्क।

हड़प्पा स्थल

स्थान

महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ एवं निष्कर्ष

सुत्कागेंडोर पाकिस्तान-ईरान सीमा
  • तटीय स्थल
  • मेसोपोटामिया और ओमान के साथ व्यापार के साक्ष्य
  • संभवतः मकरान तट पर एक व्यापारिक चौकी
चहुंदडो सिंध, पाकिस्तान
  • मनके निर्माण, शैल-कार्य और धातु शिल्प के लिए जाना जाता है।
  • कोई किलेबंद दीवारें नहीं, जो यह दर्शाता है कि यह एक औद्योगिक केंद्र था।
कालीबंगा राजस्थान, भारत
  • जुते हुए खेतों का प्रारंभिक उपयोग।
  • अग्नि वेदिकाएँ, अनुष्ठान प्रथाओं के साक्ष्य।
  • ईंटों से बनी नालियाँ।
लोथल गुजरात, भारत
  • समुद्री व्यापार के लिए डॉकयार्ड।
  • मोती उद्योग, चावल की खेती और टेराकोटा मूर्तियों के साक्ष्य।
धोलावीरा गुजरात, भारत
  • परिष्कृत जल संरक्षण प्रणाली
  • विभिन्न क्षेत्रों के साथ बड़े शहर का बसावट
  • सिंधु लिपि वाला साइनबोर्ड।
राखीगढ़ी हरियाणा, भारत 
  • सबसे बड़े हड़प्पा स्थलों में से एक।
  • नियोजित बस्तियों के साक्ष्य
  • कब्र में सामान के साथ शव को दफनाने के साक्ष्य।
मोहन जोदड़ो सिंध, पाकिस्तान
  • महान स्नानागार, अन्नागार
  • उन्नत जल निकासी प्रणाली
  • सुनियोजित सड़कों और घरों वाला बड़ा शहरी केंद्र।
हड़प्पा पंजाब, पाकिस्तान
  • अन्न भंडार
  • शहरी नियोजन के साक्ष्य
  • शवाधान प्रथाओं के साथ कब्रिस्तान
  • उन्नत धातु विज्ञान।

चुनौतियाँ और निरंतर रहस्य

  • अज्ञात लिपि: हड़प्पा लिपि एक रहस्य बनी हुई है।
  • पतन के कारण: हड़प्पा सभ्यता के पतन के पीछे के कारण स्पष्ट नहीं हैं।
  • पूर्व-आर्य उत्पत्ति: विद्वानों ने सभ्यता की पूर्व-आर्य उत्पत्ति को समझने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • प्रारंभिक संस्कृतियों से संबंध: हड़प्पा सभ्यता का मेहरगढ़ जैसी प्रारंभिक संस्कृतियों से संबंधों का पता लगाया जा रहा है।

सिंधु घाटी सभ्यता का पतन

  • कोई सहमति नहीं: सिंधु घाटी सभ्यता के पतन पर बहस जारी है, किंतु कोई स्पष्ट सिद्धांत नहीं है।
  • पर्यावरण परिवर्तन: धीरे-धीरे जलवायु परिवर्तन के कारण अधिक जनसंख्या और संसाधनों के दोहन के कारण कृषि का पतन हो सकता है।
  • अचानक पर्यावरणीय घटनाएँ: विवर्तनिक गतिविधियों के कारण बाढ़, सूखी नदियाँ (जैसे सरस्वती) या अन्य प्राकृतिक आपदाएँ हो सकती हैं।
  • मानवीय हस्तक्षेप: पहाड़ी जनजातियों या इंडो-आर्यों के आक्रमणों ने संभवतः व्यापार को बाधित किया और शहरों को आर्थिक रूप से कमजोर किया।
  • महामारी सिद्धांत: कुछ लोग सुझाव देते हैं कि महामारी या इसी तरह की आपदा ने इसके पतन में योगदान दिया।

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