100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

डिजिटल साक्षरता : बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखना एक चुनौती

Lokesh Pal September 20, 2024 05:15 7 0

संदर्भ :

हाल ही में, ऑस्ट्रेलिया में इस बात पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि 16 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल करने से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए या नहीं, ख़ास तौर पर महामारी के बाद, जिसमें बच्चों की ऑनलाइन गतिविधि में काफ़ी वृद्धि देखी गई। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ने बच्चों को हानिकारक कंटेंट के संपर्क में आने, जैसे कि बहुत कम उम्र में अनुचित सामग्री, साइबरबुलिंग, दुर्व्यवहार और धमकियों के बारे में गंभीर चिंताएँ पैदा की हैं। इसके अलावा, 2025 में ऑस्ट्रेलिया के संघीय चुनाव के नज़दीक आने के साथ, सरकार पर टेक प्लेटफ़ॉर्म को जवाबदेह ठहराने और युवा उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा के लिए मज़बूत ऑनलाइन सुरक्षा उपायों को लागू करने का दबाव बढ़ रहा है।

बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर पूर्ण प्रतिबंध से जुड़े विभिन्न आयाम

  • प्रवर्तन संबंधी जटिलता : बच्चों को सोशल मीडिया से प्रतिबंधित करने का विचार जितना आसान है, करना उतना ही मुश्किल है, खासकर डिजिटल परिदृश्य में जहां पूर्ण प्रवर्तन लगभग असंभव है। बच्चों ने प्रतिबंधों को दरकिनार करने के तरीके खोजने में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है।
  •  “सिंड्रेला कानून” : इसका एक उल्लेखनीय उदाहरण दक्षिण कोरिया का “सिंड्रेला कानून” है, जिसका उद्देश्य मध्यरात्रि से सुबह 6 बजे के बीच गेमिंग को सीमित करना था। हालांकि, बच्चे गेमिंग प्लेटफार्मों तक पहुंच जारी रखने के लिए अलग या नकली पहचान का उपयोग करके इस कानून का उलँघन कर देते हैं।
  • माता-पिता के बीच डिजिटल साक्षरता का अभाव: सोशल मीडिया तक बच्चों की पहुँच के विनियमन के संबंध में भारत सहित दुनिया को डिजिटल साक्षरता जैसी अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों के लिए सत्यापन को योग्य माता-पिता की सहमति के लिए अनिवार्य बनाता है। हालाँकि, इस आवश्यकता को लागू करना देश भर में डिजिटल साक्षरता के निम्न स्तर के कारण जटिल है।
  • एक अध्ययन के मुताबिक 2021 तक, केवल 40% भारतीय ही फ़ाइलों की प्रतिलिपि बनाने या उन्हें स्थानांतरित करने जैसे बुनियादी डिजिटल कार्य करने के लिए सक्षम थे। एक सर्वेक्षण से पता चला है कि टियर 2 और टियर 3 शहरों में, 80% बच्चे अपने माता-पिता को ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर नेविगेट करने में सहायता करते हैं, जो वयस्कों की अपने तकनीक-प्रेमी बच्चों पर निर्भरता को उजागर करता है।
  • साझा डिवाइस: साझा डिवाइस के उपयोग की व्यापकता निगरानी प्रयासों को जटिल बनाती है। कई माता-पिता या परिवार के अन्य सदस्य अपने फोन बच्चों के साथ साझा करते हैं, जिससे व्यक्तिगत ऑनलाइन गतिविधियों को ट्रैक करना और सुरक्षित इंटरनेट उपयोग सुनिश्चित करना मुश्किल हो जाता है।
  • शिक्षा प्रणाली की भूमिका: यद्यपि डिजिटल साक्षरता की ओर सरकार का ध्यान बढ़ रहा है परंतु साइबर ऑनलाइन सुरक्षा सिखाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, छात्रों को शारीरिक सुरक्षा के बारे में शिक्षित किया जाता है, जैसे कि अच्छे स्पर्श और बुरे स्पर्श को पहचानना। 
  • अतः इसी तरह छात्रों को यह भी सीखना चाहिए कि डिजिटल दुनिया में स्वयं को कैसे सुरक्षित रखें और ऑनलाइन स्पेस को कैसे सुरक्षित तरीके से नेविगेट करें। यह उन्हें जोखिमों का प्रबंधन करने और ऑनलाइन सूचित निर्णय लेने में सशक्त बना सकता है।
  • हालाँकि, वर्तमान में बच्चों को पढ़ाई, शोध कार्य और होमवर्क पूरा करने के लिए इंटरनेट का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे डिजिटल साक्षरता भविष्य की नौकरी के विकास के लिए एक आवश्यक कौशल बन जाती है। 
  • इसलिए, डिजिटल उपकरणों तक पहुँच को प्रतिबंधित करने के बजाय, छात्रों को डिजिटल क्षेत्र में सुरक्षित रूप से संलग्न होने के लिए ज्ञान और उपकरणों से लैस करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
  • हालाँकि, वर्तमान में भारत के शिक्षा पाठ्यक्रम में व्यापक डिजिटल सुरक्षा शिक्षा का अभाव है। इस कमी को दूर करने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बच्चे न केवल तकनीक का उपयोग करने में कुशल हों, बल्कि तेजी से जटिल होते ऑनलाइन वातावरण में स्वयं को सुरक्षित रखने में भी सक्षम हों।
  • ‘शेयरेंटिंग’ (‘Sharenting’) की बढ़ती चिंता: माता-पिता की डिजिटल आदतें उनके बच्चों के ऑनलाइन व्यवहार को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती हैं। वर्तमान समय की एक बढ़ती हुई चिंता ‘शेयरेंटिंग’  (‘Sharenting’) है। इसका तात्पर्य यह है कि माता-पिता द्वारा संभावित दीर्घकालिक परिणामों पर विचार किए बिना अपने बच्चों के बारे में व्यक्तिगत विवरण, चित्र या डेटा ऑनलाइन साझा करने की प्रथा। यह बच्चों की गोपनीयता को खतरे में डाल सकता है, खासकर जब वे वयस्क या उचित-अनुचित की पहचान योग्य हो जाते हैं।
  • हाल ही में, असम पुलिस ने अभिभावकों को अपने बच्चों की जानकारी सोशल मीडिया पर अधिक साझा करने के प्रति आगाह किया है। जो बच्चों के प्रति अधिक जागरूकता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है।
  • बच्चों को प्रभावित करने वाले विपणन और विनियमन: अक्सर सोशल मीडिया पर बच्चों को प्रभावित करने वाले विपणन और विनियमन प्रथाओं की संख्या में वृद्धि ने उनके शोषण और युवा व्यक्तियों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में चिंताएँ बढ़ा दी हैं। इस संबंध में, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (2023) ने कुछ महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश पेश किए हैं, जिसके अनुसार बच्चों को ऑडियो-विज़ुअल सामग्री में भाग लेने से पहले संबंधित उत्पादकों पर जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होगी।
  • फ्रांस का सर्वोत्तम अभ्यास: फ्रांस ने सोशल मीडिया पर बच्चों को प्रभावित करने से संबंधित मामलों में अधिक कठोर उपायों को लागू किया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि बाल प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा अर्जित कोई भी आय माता-पिता को तब तक उपलब्ध न हो, जब तक कि बच्चा 16 वर्ष का न हो जाए। ऐसे नियम भारत के लिए एक मूल्यवान मॉडल के रूप में काम कर सकते हैं, जो युवाओं तथा अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करते हैं और विपणन और मीडिया में उनकी भागीदारी की नैतिक चिंताओं को रेखांकित करते हैं।
  • तकनीकी प्लेटफार्मों की जिम्मेदारियां: तकनीकी प्लेटफार्मों के लिए नियमों के अनुपालन से आगे बढ़कर सक्रिय रूप से ऐसे वातावरण का निर्माण करने की तत्काल आवश्यकता है जो बच्चों के लिए सुरक्षित और अनुकूल हो।
  • आयु सत्यापन: आयु सत्यापन तकनीक प्लेटफ़ॉर्म को बच्चे की आयु के आधार पर अलग-अलग डिफ़ॉल्ट सेटिंग सेट करने की अनुमति देकर सुरक्षा में सुधार किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, लगभग 12 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए उनके अनुरूप विशिष्ट सेटिंग हो सकती हैं। हालाँकि, आयु सत्यापन के लिए आधार कार्ड जैसे पहचान दस्तावेजों का उपयोग करने के बारे में गोपनीयता संबंधी चिंताएँ बढ़ रही हैं। 
  • इन उपायों के लिए अक्सर प्लेटफ़ॉर्म को अतिरिक्त उपयोगकर्ता डेटा एकत्र करने की आवश्यकता होती है। कई लोग, विशेष रूप से जो अशिक्षित हैं या जिनके पास पहचान पत्र नहीं हैं, उन्हें इन प्रणालियों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने में कठिनाई हो सकती है। इससे यह सवाल उठता है कि बच्चों की गोपनीयता और पहुँच संबंधी ज़रूरतों का सम्मान करते हुए उन्हें ऑनलाइन कैसे सुरक्षित रखा जाए।
  • यूनाइटेड किंगडम का आयु-उपयुक्त डिज़ाइन कोड (2020) : यूनाइटेड किंगडम का आयु-उपयुक्त डिज़ाइन कोड (2020) एक आशाजनक मॉडल प्रस्तुत करता है। इसके कार्यान्वयन के बाद से, मेटा, गूगल, टिकटॉक और स्नैपचैट जैसे प्रमुख प्लेटफ़ॉर्मस् ने बाल सुरक्षा और गोपनीयता से संबंधित सेटिंग्स में 128 बदलाव किए हैं, जिससे युवा उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षा में सुधार हुआ है। इसी तरह की पहल अन्य देशों में बच्चों के लिए ऑनलाइन सुरक्षा को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकती है।

नोट: हालांकि अब तक के परिदृश्य में, बच्चों और सोशल मीडिया के बारे में ज़्यादातर चर्चा संभावित नुकसानों पर केंद्रित है। अतः हमें डिजिटल जुड़ाव के लाभों को नज़रअंदाज़ नहीं करना ज़रूरी है। शोध बताते हैं कि जब माता-पिता सक्रिय रूप से अपने बच्चों का समर्थन करते हैं और उन्हें डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के लाभों को अधिकतम करने में मदद करते हैं, तो इससे संभावित जोखिम कम भी हो सकते हैं। इस प्रकार एक संतुलित मीडिया दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है जो बच्चों के ऑनलाइन अनुभवों के खतरों और लाभों दोनों को संतुलित करने योग्य हो।

निष्कर्ष 

सोशल मीडिया पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने पर निर्भर रहने के बजाय, जो अक्सर लागू भी नहीं होते हैं और जिनके अनपेक्षित नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। कुछ महत्वपूर्ण नीतिगत दृष्टिकोणों को सुरक्षित, अधिक पारदर्शी डिजिटल वातावरण बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसमें हानिकारक सामग्री के संपर्क को कम करने के लिए प्लेटफ़ॉर्म सेटिंग को समायोजित करना शामिल हो सकता है, जिससे ऐसी सामग्री तक बच्चों की पहुंच सीमित या कम सुलभ हो सके। टेक कंपनियों को न केवल डिज़ाइन में बदलाव लागू करने चाहिए, बल्कि इन संशोधनों और बच्चों के ऑनलाइन व्यवहार पर उनके प्रभाव की रिपोर्ट भी देनी चाहिए। अतः नियोक्ताओं की प्राथमिकता ऐसे डिजिटल स्पेस को डिज़ाइन करना होना चाहिए जो बच्चों के लिए सुरक्षित और आकर्षक दोनों हों, जिससे वे बिना किसी जोखिम के ऑनलाइन दुनिया से सीख सकें। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकारों, टेक कंपनियों, शिक्षकों और अभिभावकों के बीच सहयोग की आवश्यकता है। साथ मिलकर, वे एक सुरक्षित डिजिटल भविष्य को बढ़ावा दे सकते हैं जो स्वस्थ ऑनलाइन अन्वेषण को बढ़ावा देते हुए बच्चों की सुरक्षा कर सकता है।

 

प्रश्न: डिजिटल युग में बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षा प्रदान करना तथा सूचना तक उनकी पहुँच सुनिश्चित करना जटिल चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है। भारत के नीतिगत ढाँचे तथा सामाजिक-आर्थिक वास्तविकताओं के विशेष संदर्भ में, इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए विश्व स्तर पर अपनाए गए विभिन्न तरीकों की आलोचनात्मक जाँच करें। 

(15 अंक, 250 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.