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क्वाड लीडर्स समिट

Lokesh Pal September 24, 2024 05:15 143 0

संदर्भ

भारतीय प्रधानमंत्री ने चौथी क्वाड लीडर्स समिट में भाग लिया, जो 21 सितंबर, 2024 को विलमिंगटन, डेलावेयर (संयुक्त राज्य अमेरिका) में आयोजित किया गया था।

  • भारतीय प्रधानमंत्री क्वाड शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, प्रधानमंत्री अल्बानेसे (ऑस्ट्रेलिया) तथा प्रधानमंत्री किशिदा (जापान) के साथ शामिल हुए।

शिखर सम्मेलन के मुख्य बिंदु

  • वर्ष 2025 शिखर सम्मेलन: भारत, वर्ष 2025 में क्वाड लीडर्स समिट की मेजबानी करेगा तथा संयुक्त राज्य अमेरिका वर्ष 2025 क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक की मेजबानी करेगा।
  • क्वाड विलमिंगटन घोषणा (QUAD Wilmington Declaration)
    • सभी नेताओं ने अपने संयुक्त वक्तव्य में इस समूह की प्रकृति को ‘अच्छाई के लिए एक शक्ति’ के रूप में संदर्भित किया तथा संकेत दिया गया कि यह अब हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए वास्तविक, सकारात्मक एवं स्थायी प्रभाव डालने के लिए पहले से कहीं अधिक रणनीतिक रूप से संरेखित है।
      • शांति एवं सुरक्षा: समूह वैश्विक सुरक्षा और समृद्धि के एक अनिवार्य घटक के रूप में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने की गारंटी देता है।
      • क्वाड किसी भी अस्थिरकारी या एकतरफा कार्रवाई का विरोध करता है, जो बल या दबाव द्वारा यथास्थिति को बदलने का प्रयास करती है।
      • हाल ही में हुए समूह ने क्षेत्र में अवैध मिसाइल प्रक्षेपणों की निंदा की तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आक्रामकता पर गंभीर चिंता व्यक्त की।
    • क्वाड कॉकस (Quad Caucus): अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों ने द्विदलीय, द्विसदनीय कांग्रेस क्वाड कॉकस के गठन की घोषणा की है, क्योंकि क्वाड देशों ने अंतर-संसदीय आदान-प्रदान को गहन करने के लिए अपनी-अपनी विधायिकाओं के साथ कार्य करने का फैसला किया है।
  • विस्तार: क्वाड नेटवर्किंग का विस्तार होगा और इसमें पहली बार वाणिज्य और उद्योग मंत्रियों की बैठक भी शामिल होगी।
  • क्वाड स्वास्थ्य सुरक्षा साझेदारी के तहत पहल
    • क्वाड कैंसर मूनशॉट (Quad Cancer Moonshot): यह इंडो-पैसिफिक में कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या को कम करने के लिए सार्वजनिक एवं निजी संसाधनों का उपयोग करने का एक सामूहिक प्रयास है, जिसमें सर्वाइकल कैंसर पर प्रारंभिक ध्यान दिया जाएगा।
    • महामारी की तैयारी: क्वाड ने कम तथा मध्यम आय वाले देशों में वैक्सीन निर्माण का विस्तार करने सहित सुरक्षित, प्रभावी, गुणवत्ता-आश्वासन वाले टीकों तक समान पहुँच को बढ़ावा देने के लिए अपने प्रयासों को समन्वित करने की योजना बनाई है।
      • भारत महामारी की तैयारियों पर एक कार्यशाला आयोजित करेगा और आपातकालीन सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रियाओं की रूपरेखा तैयार करने वाला एक श्वेत-पत्र जारी करेगा।
      • ऑस्ट्रेलिया रोग प्रकोपों ​​के प्रत्युत्तर में तैनात किए जाने वाले सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के पूल को बढ़ाएगा, जिसका पहला प्रशिक्षण सत्र ऑस्ट्रेलिया के डार्विन (Darwin) में शुरू होने वाला है।
      • संक्रामक रोग के खतरों को रोकने, पता लगाने और उनका जवाब देने की क्षमता को मजबूत करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के 14 देशों के साथ साझेदारी करने के लिए $84.5 मिलियन से अधिक का योगदान दे रहा है।
  • समुद्री सुरक्षा
    • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्रशिक्षण के लिए समुद्री पहल-मैत्री (Maritime Initiative for Training in the Indo-Pacific- MAITRI): इसकी घोषणा हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साझेदारों को हिंद-प्रशांत समुद्री क्षेत्र जागरूकता भागीदारी (IPMDA) के माध्यम से उपलब्ध कराए गए उपकरणों का अधिकतम लाभ उठाने, अपने जल क्षेत्रों की निगरानी एवं सुरक्षा करने के लिए की गई है।
      • भारत वर्ष 2025 में उद्घाटन MAITRI कार्यशाला की मेजबानी करेगा।
  • इंडो-पैसिफिक लॉजिस्टिक्स नेटवर्क: इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं के लिए नागरिक प्रतिक्रिया का समर्थन करने के लिए साझा एयरलिफ्ट क्षमता को आगे बढ़ाने और सामूहिक रसद क्षमताओं का लाभ उठाने के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की गई है।
  • वर्ष 2025 में ‘क्वाड-एट-सी शिप ऑब्जर्वर मिशन’ (Quad-at-Sea Ship Observer Mission): 4 देशों के तटरक्षक बल इंटरऑपरेबिलिटी में सुधार के लिए इंडो-पैसिफिक में वर्ष 2025 में अपना पहला ‘क्वाड-एट-सी शिप ऑब्जर्वर मिशन’ शुरू करने की योजना बना रहे हैं।
  • भविष्य की साझेदारी के क्वाड बंदरगाह: पहला क्षेत्रीय बंदरगाह और परिवहन सम्मेलन भारत द्वारा वर्ष 2025 में मुंबई में आयोजित किया जाएगा तथा इसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सतत् एवं लचीले बंदरगाह बुनियादी ढाँचे के विकास का समर्थन करने के लिए क्वाड की विशेषज्ञता का उपयोग करना है।
  • जलवायु एवं स्वच्छ ऊर्जा
    • सौर परियोजनाएँ: भारत ने फिजी, काॅमोराॅस, मेडागास्कर और सेशेल्स में नई सौर परियोजनाओं में लगभग 2 मिलियन डॉलर का निवेश करने का संकल्प लिया है।
    • क्वाड स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति शृंखला विविधीकरण कार्यक्रम (Quad Clean Energy Supply Chains Diversification Program): यह कार्यक्रम उन परियोजनाओं का समर्थन करेगा जो सौर पैनल, हाइड्रोजन इलेक्ट्रोलाइजर और बैटरी आपूर्ति शृंखलाओं का विकास और विविधता लाएँगे।

  • AI तथा प्रौद्योगिकी: संयुक्त राज्य अमेरिका प्रशिक्षण परियोजनाओं के लिए भारतीय संस्थानों के साथ साझेदारी करके एशिया ओपन आरएएन अकादमी (Asia Open RAN Academy- AORA) के वैश्विक विस्तार का समर्थन करने के लिए 7 मिलियन डॉलर से अधिक का निवेश करने की योजना बना रहा है।

क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग (QUAD) के बारे में

  • क्वाड ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक कूटनीतिक और अनौपचारिक साझेदारी है जो एक खुले, स्थिर और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो समावेशी एवं लचीला है।
    • QUAD साझेदार नियमित रूप से लीडर्स समिट, विदेश मंत्रियों, QUAD शेरपाओं, वरिष्ठ अधिकारियों एवं विशेषज्ञों के माध्यम से जुड़ते हैं।
  • उत्पत्ति: इसकी उत्पत्ति दिसंबर 2004 के हिंद महासागर सुनामी के जवाब में आपदा राहत प्रयासों पर 4 देशों के बीच सहयोग से हुई है।
    • वर्ष 2007: जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने QUAD के रूप में गठबंधन को औपचारिक रूप दिया।
    • वर्ष 2017: QUAD को पुनर्विकसित किया गया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया गया ताकि इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता का मुकाबला किया जा सके। पिछले कुछ वर्षों में क्वाड ने कई कार्य समूहों का गठन किया है।
    • वर्ष 2020: ऑस्ट्रेलिया त्रिपक्षीय भारत-अमेरिका-जापान मालाबार नौसैनिक अभ्यास में शामिल हुआ, जो वर्ष 2017 के बाद से QUAD का पहला आधिकारिक समूह था तथा एक दशक से अधिक समय में चार देशों के बीच पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास था।
    • वर्ष 2021: वर्चुअल लीडर्स समिट में समूह के दृष्टिकोण एवं उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए ‘द स्पिरिट ऑफ द क्वाड’ शीर्षक से एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया।
      • पहली व्यक्तिगत बैठक वर्ष 2021  के अंत में वाशिंगटन डीसी में आयोजित की गई थी।
  • संगठन की अनौपचारिक प्रकृति
    • शासी निकायों का अभाव: QUAD में यूरोपीय संघ या संयुक्त राष्ट्र की तरह कोई सचिवालय अथवा कोई स्थायी निर्णय लेने वाली संस्था नहीं है।  इसके बजाय यह मौजूदा समझौतों के विस्तार पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • उद्देश्य: समूह मुख्य रूप से समुद्री सुरक्षा, नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था, नौवहन की स्वतंत्रता तथा उदार व्यापार प्रणाली पर ध्यान केंद्रित करता है। गठबंधन का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के लिए वैकल्पिक ऋण वित्तपोषण की पेशकश करना भी है।
  • क्वाड+ (QUAD+): QUAD समूह का विस्तार ‘QUAD प्लस फ्रेमवर्क’ के माध्यम से भी हो सकता है, जिसमें दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड और वियतनाम जैसे देश शामिल हो सकते हैं।

महत्त्व 

  • संचार के समुद्री मार्गों को सुरक्षित करना: सामरिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति के बीच, संसाधन संपन्न हिंद-प्रशांत में महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने के लिए QUAD एक नई रणनीति के रूप में उभरा है।
  • चीन को नियंत्रित करना: QUAD रणनीतिक रूप से चीन के आर्थिक और सैन्य दबाव का मुकाबला कर सकता है क्योंकि भारत अपनी सीमा या नौसैनिक मोर्चे पर चीनी आक्रामकता की स्थिति में अन्य QUAD देशों का समर्थन ले सकता है और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक अन्वेषण भी कर सकता है।
  • बहुपक्षीय जुड़ाव: हाल ही में भारत ने गुटनिरपेक्षता से लेकर बहु-संरेखण की रणनीति अपनाई है, जो सभी प्रकार की पहलों पर बहुपक्षीय रूप से कार्य करने का अवसर प्रदान करती है, जो एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बनाने में मदद कर सकती है।
  • हिंद-प्रशांत में उपस्थिति बनाना: QUAD देशों के साथ जुड़ाव के माध्यम से भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र के राजनीतिक परिदृश्य में अपनी व्यापारिक संभावनाओं, सुरक्षा भूमिका, समग्र वैश्विक स्थिति का विस्तार करते हुए पैठ बना सकता है।

चुनौतियाँ

  • QUAD पार्टनर के रूप में भारत की उपयुक्तता एवं विश्वसनीयता: रूस के साथ भारत के मजबूत संबंध और रणनीतिक स्वायत्तता का हवाला देते हुए डेटा साझा करने में संकोच ने समूह में भारत की उपयुक्तता पर चिंता जताई है।
  • चीन का खतरा: चीन द्वारा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और नियम आधारित व्यवस्था का उल्लंघन करने के प्रयासों के मद्देनजर क्वाड के गठन का आधार अभी भी कमजोर है क्योंकि सभी देशों के विपरीत विचारधारा वाले अन्य देशों के साथ अच्छे व्यापारिक संबंध हैं, जो संघर्ष को बढ़ने नहीं देते हैं।
  • संस्थागतकरण का अभाव: QUAD एक अनौपचारिक गठबंधन है, जिसने अपनी विभिन्न पहलों को साकार करने में कुछ प्रक्रियात्मक कठिनाइयों का सामना किया है, इसलिए एक प्रभावी कार्य समूह या समूह का औपचारीकरण अगला कदम होना चाहिए।
  • समुद्री प्रभुत्व: QUAD का मुख्य ध्यान इंडो-पैसिफिक में समुद्री सुरक्षा बनाए रखना है, जो अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के सुरक्षा उद्देश्यों के साथ संरेखित है, लेकिन भारत की सुरक्षा चिंताओं के साथ पूरी तरह से संरेखित नहीं है, जो चीन के साथ भूमि सीमा विवाद वाला एकमात्र देश है।
  • सामूहिक प्रगति का अभाव: क्वाड (QUAD) में प्रभावी कार्यान्वयन तंत्र का अभाव है क्योंकि यह साझा हितों एवं सुरक्षा चिंताओं के साथ एक मुद्दा-विशिष्ट साझेदारी है, लेकिन कभी-कभी व्यक्तिगत देशों के राष्ट्रीय हितों और प्राथमिकताओं को QUAD के दृष्टिकोण पर प्राथमिकता मिल जाती है, जिसके परिणामस्वरूप निष्पादन प्रयास खराब होते हैं। उदाहरण: भारत-रूस संबंध
  • रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखना: जापान और ऑस्ट्रेलिया के विपरीत, भारत अमेरिका का सहयोगी नहीं है और अक्सर अन्य क्वाड सदस्यों से महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर अलग रुख अपनाकर अपनी रणनीतिक स्वायत्तता पर जोर देता है, जिससे यह एक अलग समूह बन जाता है।
  • क्वाड के भीतर अलग-अलग रणनीतिक फोकस: भारत का रणनीतिक फोकस अपने क्वाड भागीदारों से अलग है। जबकि अमेरिका एवं उसके सहयोगी पूर्वी एशिया और पश्चिमी प्रशांत को प्राथमिकता देते हैं, भारत की चुनौतियाँ दक्षिण एशिया और हिंद महासागर में हैं, जहाँ उसे क्वाड सदस्यों से सीमित समर्थन के साथ चीन-पाकिस्तान के खतरे का सामना करना पड़ता है।

आगे की राह 

  • शासी संरचना को औपचारिक रूप देना: क्वाड को एक शासी निकाय की स्थापना करनी चाहिए, जिसमें एक अध्यक्ष और सचिवालय शामिल हो, जो कार्यान्वयन प्रक्रिया का मार्गदर्शन करने के लिए कुछ कानूनी ढाँचे से संबद्ध हो और क्वाड की तदर्थ और लचीली प्रकृति को बनाए रखते हुए सदस्य देशों को प्रगति के लिए जवाबदेह बनाए।
  • विस्तार को सीमित करना: क्वाड देशों को अपनी विशिष्ट क्षमता के आधार पर परियोजनाओं के पैमाने और दायरे को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि तर्कसंगत तरीके से धन एवं संसाधनों का आवंटन किया जा सके।
  • विश्वसनीयता में सुधार: क्वाड देशों को सख्त सूचना-साझाकरण प्रोटोकॉल अपनाकर सूचना और खुफिया जानकारी साझा करने पर सहयोग करने की आवश्यकता है, ताकि एक-दूसरे की क्षमता को बढ़ाया जा सके और एक-दूसरे पर विश्वास  बनाए रखा जा सके।

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