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आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) – वार्षिक रिपोर्ट

Lokesh Pal September 25, 2024 12:19 245 0

संदर्भ

जुलाई 2023-जून 2024 के दौरान किए गए आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labour Force Survey) के आधार पर NSSO द्वारा सातवीं वार्षिक रिपोर्ट (Seventh Annual Report) प्रकाशित की जा रही है। 

प्रमुख रोजगार और बेरोजगारी संकेतकों का वैचारिक ढाँचा

  • श्रम बल भागीदारी दर (Labour Force Participation Rate- LFPR) को जनसंख्या में श्रम बल (अर्थात् कार्य करने वाले, कार्य की तलाश करने वाले या कार्य के लिए उपलब्ध) में शामिल व्यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया जाता है। 
  • श्रमिक जनसंख्या अनुपात (Worker Population Ratio-WPR): जनसंख्या में नियोजित व्यक्तियों का प्रतिशत।
  • बेरोजगारी दर (UR): श्रम बल में बेरोजगार व्यक्तियों का प्रतिशत।
  • गतिविधि स्थिति: निर्दिष्ट संदर्भ अवधि के दौरान व्यक्ति द्वारा की गई गतिविधियों के आधार पर निर्धारित की जाती है।
  • सामान्य गतिविधि स्थिति: पिछले 365 दिनों में किसी व्यक्ति की गतिविधि स्थिति जिसमें ps और ss दोनों शामिल हैं।
    • प्रमुख गतिविधि स्थिति (Principal activity status- ps): वह गतिविधि स्थिति जिस पर किसी व्यक्ति ने सर्वेक्षण की तिथि से पहले 365 दिनों के दौरान अपेक्षाकृत लंबा समय (प्रमुख समय मानदंड) बिताया, उसे व्यक्ति की सामान्य प्रमुख गतिविधि स्थिति माना जाता था।
    • सहायक आर्थिक गतिविधि स्थिति (Subsidiary economic activity status- ss): गतिविधि स्थिति जिसमें कोई व्यक्ति अपनी सामान्य प्रमुख स्थिति के अलावा, सर्वेक्षण की तिथि से पहले 365 दिनों की संदर्भ अवधि के लिए 30 दिनों या उससे अधिक समय के लिए कुछ आर्थिक गतिविधि करता है।
  • वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (Current Weekly Status- CWS): सर्वेक्षण की तिथि से पहले पिछले 7 दिनों की संदर्भ अवधि के आधार पर निर्धारित गतिविधि स्थिति।

PLFS वार्षिक रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • सामान्य स्थिति में प्रमुख श्रम बाजार संकेतकों का अनुमान (ps+ss)

1. 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए श्रम बल भागीदारी दर (Labour Force Participation Rate- LFPR) में बढ़ती प्रवृत्ति

  • ग्रामीण क्षेत्र: वर्ष 2017-18 में 50.7% से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 63.7% हो गया।
  • शहरी क्षेत्र: 47.6% से बढ़कर 52.0% हो गया।
  • पुरुष: वर्ष 2017-18 में 75.8% से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 78.8% हो गया।
  • महिलाएँ: 23.3% से बढ़कर 41.7% हो गई।

2. 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (Worker Population Ratio- WPR) में बढ़ती प्रवृत्ति

  • ग्रामीण क्षेत्र: वर्ष 2017-18 में 48.1% से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 62.1% हो गया।
  • शहरी क्षेत्र: 43.9% से बढ़कर 49.4% हो गया।
  • पुरुष: वर्ष 2017-18 में 71.2% से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 76.3% हो गया।
  • महिला: 22.0% से बढ़कर 40.3% हो गया।

3. 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी दर (UR) में कमी की प्रवृत्ति

  • ग्रामीण क्षेत्र: वर्ष 2017-18 में 5.3% से घटकर वर्ष 2023-24 में 2.5% हो गया।
  • शहरी क्षेत्र: 7.7% से घटकर 5.1% हो गया।
  • पुरुष: वर्ष 2017-18 में 6.1% से घटकर वर्ष 2023-24 में 3.2% हो गया।
  • महिला: 5.6% से घटकर 3.2% हो गया।

आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labour Force Survey) क्या है?

  • भारत में रोजगार और बेरोजगारी की स्थिति को मापने के लिए सांख्यिकी तथा कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के तहत NSO द्वारा सर्वेक्षण किया जाता है।
  • NSO ने अप्रैल 2017 में रोजगार और बेरोजगारी सर्वेक्षण (EUS) की जगह PLFS शुरू किया था।

PLFS का उद्देश्य

  • प्रमुख रोजगार एवं बेरोजगारी संकेतकों (जैसे श्रमिक जनसंख्या अनुपात, श्रम बल भागीदारी दर, बेरोजगारी दर) का अनुमान लगाने के लिए:-
    • अल्पकालिक शहरी फोकस: वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (Current Weekly Status- CWS) का उपयोग करके प्रत्येक तीन महीने में शहरी क्षेत्रों के लिए प्रमुख रोजगार एवं बेरोजगारी संकेतकों का अनुमान लगाना।
    • वार्षिक ग्रामीण और शहरी मूल्यांकन: सामान्य स्थिति और CWS दोनों का उपयोग करके, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लिए सालाना रोजगार एवं बेरोजगारी संकेतकों का अनुमान लगाना।

केंद्र सरकार ने बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए कई रोजगार सृजन योजनाएँ शुरू की हैं:

रोजगार पहल

मंत्रालय

विवरण

प्रधानमंत्री रोजगार योजना (Prime Minister Rozgar Yojana- PMRY) श्रम एवं रोजगार मंत्रालय शिक्षित बेरोजगार व्यक्तियों (18-35 वर्ष) को स्वरोजगार उद्यम स्थापित करने में सहायता प्रदान करना।
आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (Atmanirbhar Bharat Rozgar Yojana- ABRY) श्रम एवं रोजगार मंत्रालय कोविड-19 महामारी के दौरान सामाजिक सुरक्षा लाभ और रोजगार के नुकसान की बहाली के साथ-साथ नए रोजगार के सृजन के लिए नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज 3.0 के साथ लॉन्च किया गया।
प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (Pradhan Mantri Rojgar Protsahan Yojana- PMRPY) श्रम एवं रोजगार मंत्रालय नए रोजगार सृजन के लिए नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने हेतु इसे 1.4.2016 से प्रारंभ किया गया। 
राष्ट्रीय कॅरियर सेवा (National Career Service – NCS) श्रम एवं रोजगार मंत्रालय कौशल विकास पाठ्यक्रम, प्रशिक्षुता, इंटर्नशिप, कॅरियर परामर्श और रोजगार सेवाओं पर जानकारी प्रदान करता है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act- MGNREGA) ग्रामीण विकास मंत्रालय मनरेगा का उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक वित्तीय वर्ष में कम-से-कम 100 दिनों का गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करना है, जिनके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक काम करने के लिए स्वेच्छा से काम करते हैं।
स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (Swaran Jayanti Sahari Rozgar Yojna- SJSRY) आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले व्यक्तियों को स्वरोजगार के लिए ऋण उपलब्ध कराता है।
ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) अधिनियम, 2018 श्रम एवं रोजगार मंत्रालय यह विधेयक केंद्र सरकार को ग्रेच्युटी सीमा बढ़ाने तथा मातृत्व अवकाश लाभ बढ़ाने के लिए लचीलापन प्रदान करता है।
पीएम- स्वनिधि योजना आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय शहरी क्षेत्रों में रेहड़ी-पटरी वालों को बिना किसी जमानत के कार्यशील पूँजी ऋण प्रदान करने के लिए 01 जून, 2020 को इसकी शुरुआत की गई, ताकि वे अपने व्यवसायों को फिर से शुरू कर सकें, जो कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन के कारण प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए थे।

वर्ष 2024 के बजट में रोजगार के लिए प्रावधान

  • विनिर्माण सहित सभी क्षेत्रों में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए, वर्ष 2024 के बजट में तीन रोजगार-लिंक्ड प्रोत्साहन (ELI) योजनाएँ शुरू की गई हैं। 
  • ये योजनाएँ EPF नामांकन के आधार पर नियोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों को दो वर्ष की अवधि के लिए सब्सिडी प्रदान करती हैं।
  • प्रस्तावित उपायों से विभिन्न क्षेत्रों के अधिक कर्मचारियों को EPF कवरेज प्रदान करने में भी मदद मिलेगी।
  • ELI योजना का उद्देश्य है:-
    • कार्यबल में नए प्रवेशकों को प्रोत्साहित करते हुए पहली बार कार्य करने वाले कर्मचारियों को पहचानना एवं लाभान्वित करना।
    • विभिन्न क्षेत्रों में नए रोजगार के अवसर उत्पन्न करना।
    • अतिरिक्त रोजगार के अवसर उत्पन्न करने के लिए नियोक्ताओं को सहायता प्रदान करना।

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