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वायदा और विकल्प (F&0) निवेशक

Lokesh Pal September 25, 2024 12:22 117 0

संदर्भ

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के अनुसार, वित्त वर्ष 2022- 2024 के दौरान एक करोड़ से अधिक वायदा और विकल्प (F&0) व्यापारियों को F&0 में 21.81 लाख करोड़ का नुकसान हुआ।

वायदा और विकल्प ट्रेडिंग (Futures and Options Trading) के बारे में

  • F&O वित्तीय डेरिवेटिव हैं, जो किसी अंतर्निहित परिसंपत्ति (जैसे- स्टॉक, सूचकांक, कमोडिटी या मुद्रा) से अपना मूल्य प्राप्त करते हैं।
  • वे दो पक्षों के बीच अनुबंध हैं, जहाँ वे भविष्य की तिथि पर पूर्व निर्धारित मूल्य पर अंतर्निहित परिसंपत्ति को खरीदने या बेचने के लिए सहमत होते हैं।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) 

  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड का गठन 12 अप्रैल, 1988 को भारत सरकार के एक प्रस्ताव के माध्यम से एक गैर-सांविधिक निकाय के रूप में किया गया था।
  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड की स्थापना वर्ष 1992 में एक सांविधिक निकाय के रूप में की गई थी और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 (1992 का 15) के प्रावधान 30 जनवरी, 1992 को लागू हुए।
  • यह भारत के प्रतिभूति बाजार की देखरेख के लिए जिम्मेदार नियामक निकाय है।
  • इसकी प्राथमिक भूमिका निवेशकों के हितों की रक्षा करना, बाजार की अखंडता बनाए रखना और कुशल संसाधन आवंटन को सुविधाजनक बनाना है।
  • सेबी स्टॉक एक्सचेंजों, ब्रोकरों, म्यूचुअल फंडों और सूचीबद्ध कंपनियों सहित विभिन्न बाजार सहभागियों को विनियमित करता है तथा यह सुनिश्चित करता है कि वे निष्पक्ष और पारदर्शी प्रथाओं का पालन करें।

डेरिवेटिव्स (Derivatives) क्या हैं?

  • सेबी के अनुसार, डेरिवेटिव वित्तीय अनुबंध हैं, जो निवेशकों को भविष्य की तारीख पर किसी परिसंपत्ति को खरीदने या बेचने की अनुमति देते हैं।
  • वे ट्रेडिंग का एक लीवरेज्ड रूप हैं, जिसका अर्थ है कि निवेशक एक छोटी राशि का भुगतान करके बड़ी मात्रा में परिसंपत्तियाँ खरीद सकते हैं।
  • आम डेरिवेटिव में वायदा अनुबंध, फॉरवर्ड, विकल्प और स्वैप शामिल हैं।
  • डेरिवेटिव का कारोबार एक्सचेंज या काउंटर पर किया जा सकता है।
  • भारत में, सेबी डेरिवेटिव बाजार को नियंत्रित करता है।
  • डेरिवेटिव का इस्तेमाल हेजिंग (Hedging) या सट्टेबाजी के लिए किया जा सकता है।

डेरिवेटिव के प्रकार

  • वायदा अनुबंध (Futures Contract): यह भविष्य की किसी तिथि पर पूर्व निर्धारित मूल्य पर अंतर्निहित परिसंपत्ति को खरीदने या बेचने का समझौता है।
  • दोनों पक्षों के लिए सहमत तिथि पर अनुबंध को पूरा करना अनिवार्य है।
    • वे उच्च जोखिम के अधीन हैं और असीमित लाभ या हानि प्राप्त कर सकते हैं।
    • यह अनिवार्य होने के कारण कम लचीला है।
    • अंतर्निहित परिसंपत्तियों में भौतिक वस्तुएँ एवं वित्तीय साधन (स्टॉक, मुद्राएँ और बॉण्ड आदि) शामिल हैं।
  • विकल्प अनुबंध (Options Contract): खरीदार को पूर्व निर्धारित मूल्य पर अंतर्निहित परिसंपत्ति को खरीदने (कॉल ऑप्शन) या बेचने (पुट ऑप्शन) का अधिकार प्रदान करता है, न कि दायित्व।
    • इनमें सीमित जोखिम होता है और असीमित लाभ या हानि हो सकती है।
    • अधिक लचीले होते हैं क्योंकि खरीदार निष्पादन न करने का विकल्प चुन सकता है।

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