आसान पहुँच: दर्शकों को किसी भी समय और कहीं से भी सामग्री देखने की स्वतंत्रता है।
लोकतंत्रीकरण: सोशल मीडिया से कई व्यक्ति मनोरंजन उद्योग में अवसर पा रहे हैं, जो पहले स्थापित फिल्म सितारों व उनकी पीढ़ियों तक ही सीमित था।
लघु उद्योग को बढ़ावा: OTT प्लेटफ़ॉर्म कम बजट वाले क्षेत्रीय सिनेमा का समर्थन करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय पहुँच: दर्शक मनी हाइस्ट और पैरासाइट जैसी नई और उच्च-गुणवत्ता वाली अंतर्राष्ट्रीय सामग्री तक पहुँच प्राप्त कर सकते हैं।
क्षमता : OTT प्लेटफ़ॉर्म मनोरंजन का एक किफ़ायती तरीका प्रदान करने की क्षमता रखते हैं।
भाषा संबंधी बाधाओं का प्रबंधन : कई प्लेटफ़ॉर्म कई भाषाओं में सामग्री प्रदान करते हैं, जिसमें सार्थक मलयालम कहानियाँ और तमिल फ़िल्में शामिल हैं जो विभिन्न शैलियों का पता लगाती हैं।
विनियमन की आवश्यकता:
तेजी से उभरता क्षेत्र : 2022 के अंत तक, भारत का OTT उपयोगकर्ता आधार 20% बढ़कर 424 मिलियन हो गया, जो 2021 में 353 मिलियन था।
अश्लीलता को बढ़ावा : कुछ सामग्री अश्लीलता और अनुचित भाषा को बढ़ावा देती है।
सेंसरशिप की कमी: अवयस्कबच्चे ऐसी सामग्री के संपर्क में आते हैं जो उनकी उम्र के लिए उपयुक्त नहीं हो सकती है।
सामाजिक सद्भाव के लिए खतरा: सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील सामग्री देश में सामाजिक सद्भाव को बाधित कर सकती है, जिससे बच्चों के संदर्भ में, हानिकारक सामग्री और हिंसा तक पहुँचने की चिंता बढ़ जाती है।
सुधार हेतु महत्वपूर्ण कदम:
डिजिटल मीडिया आचार संहिता: यह संहिता ओटीटी प्लेटफॉर्म को विनियमित करने के लिए पेश की गई है।
सामग्री का स्व-वर्गीकरण: इससे संबंधित सामग्री को यू, यू/ए 7+, यू/ए 13+ आदि श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें यू/ए 13+ या उससे अधिक के लिए अभिभावकीय लॉक और ए-रेटेड सामग्री के लिए आयु सत्यापन शामिल है। (U, U/A 7+, U/A 13+, etc., with parental locks for U/A 13+ or higher and age verification for A-rated content)
मानदंडों का पालन करना अनिवार्य : प्रकाशकों को भारतीय प्रेस परिषद द्वारा निर्धारित पत्रकारिता आचरण के मानदंडों का पालन करना आवश्यक है।
मौजूदा चुनौतियाँ :
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता : गैर-अनुपालन और अधिकार क्षेत्र के मुद्दों के कारण इसे, खासकर भारत के बाहर स्थित ओटीटी प्लेटफार्मों के मामले में, अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि सरकार गैर-अनुपालन का हवाला देती है, जबकि ओटीटी प्लेटफार्मों का तर्क है कि सरकारी हस्तक्षेप उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित करता है।
आगे की राह :
डेटा सुरक्षा कानून : उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता और व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए एक समयबद्ध कानून लागू किया जाना चाहिए।
स्थानीय भाषा विवरण : स्थानीय भाषाओं में आयु रेटिंग और सामग्री का विस्तृत विवरण प्रदान किया जाना चाहिए।
एकल डैशबोर्ड : नियम, सामग्री कोड, सलाह और शिकायत विवरण प्रकाशित करने के लिए एक केंद्रीकृत प्लेटफ़ॉर्म बनाया जाना चाहिए।
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