नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) गठबंधन के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को श्रीलंका का 10वाँ राष्ट्रपति चुना गया है।
संबंधित तथ्य
अनुरा कुमारा दिसानायके श्रीलंका के पहले मार्क्सवादी राजनीतिक प्रमुख बने है।
वह जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) तथा नेशनल पीपुल्स पावर पार्टी के नेता हैं।
संवैधानिक पद: वह पहली बार वर्ष 2001 में संसद के लिए चुने गए एवं तब से वह संसद सदस्य बने हुए हैं।
भारत के लिए चुनौतियाँ
तमिल मुद्दा: दिसानायके श्रीलंकाई संविधान के 13वें संशोधन के कार्यान्वयन के पक्ष में नहीं हैं, जो श्री लंका के तमिल अल्पसंख्यकों को शक्तियाँ प्रदान करता है।
नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ने ‘लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम’(LTTE) तथा श्रीलंकाई सेना के बीच गृहयुद्ध के दौरान किए गए कथित युद्ध अपराधों की किसी भी जाँच का भी विरोध किया था।
भारत विरोधी रुख: जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) पार्टी भारत विरोधी और चीन समर्थक रुख के लिए जानी जाती है। इस पार्टी के संस्थापक नेता स्वर्गीय रोहाना विजेवीरा ने 1980 के दशक में ‘भारतीय विस्तारवाद’ का मुद्दा श्रीलंकाई था।
भारतीय परियोजनाएँ: राष्ट्रपति दिसानायके का श्रीलंकाई संप्रभुता पर ध्यान देना संभवतः विभिन्न विदेशी परियोजनाओं के संदर्भ में पुनः सहभागिता को बढ़ावा देगा।
राष्ट्रपति ने चुनाव जीतने पर श्रीलंका में गौतम अडानी की 450 मेगावाट की पवन ऊर्जा परियोजना को रद्द करने का वादा किया तथा समझौते को ‘भ्रष्ट’ तथा श्रीलंका के हितों के विरुद्ध बताया।
बहिष्कारवादी विचारधारा: जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) पार्टी की विचारधारा तमिलों तथा मुसलमानों जैसे अल्पसंख्यकों को लगभग सभी क्षेत्रों से बहिष्कृत करने पर आधारित है।
उदाहरण: दिसानायके वर्ष 1987 के भारत विरोधी प्रदर्शनों में सक्रिय भागीदार थे, उन्होंने भारत-श्रीलंका समझौते का विरोध किया, जो अब तक एकमात्र ऐसा दस्तावेज है, जिस पर शांति वार्ता हुई है।
भारत के पड़ोस में राजनीतिक प्रतिकूलताएँ: भारत अपने पड़ोस में शत्रुतापूर्ण राजनीतिक वातावरण का अनुभव कर रहा है, नेपाल और श्रीलंका में कम्युनिस्ट/मार्क्सवादी सरकारें, मालदीव और पाकिस्तान में चीन समर्थक शासन और बांग्लादेश एवं म्यांमार में व्यापक राजनीतिक अस्थिरता भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल रही है।
भारत के लिए अवसर
संबंधों को पुनर्परिभाषित किया जाना चाहिए: भारत ने संकटग्रस्त श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था को 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की सहायता प्रदान की है और वर्ष 2022 के श्रीलंका के आर्थिक संकट के दौरान श्रीलंका के ऋण पुनर्गठन प्रयासों का समर्थन किया है, जिसके परिणामस्वरूप दोनों देशों के राजनीतिक संबंध मजबूत हुए थे, भारत वर्तमान परिप्रेक्ष्य को देख कर श्रीलंका के साथ संबंधों को बढ़ावा दे सकता है।
गौरतलब है कि दिसानायके ने एक साक्षात्कार में वर्ष 2022 के आर्थिक संकट से निपटने में भारत की भूमिका की सराहना की थी।
भारत की सुरक्षा चिंता: दिसानायके ने एक प्रमुख नीतिगत रुख के रूप में यह सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया कि श्रीलंका के समुद्र, स्थल और हवाई क्षेत्र को उन तरीकों से उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी जो भारत और क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डालते हैं।
उदाहरण: पिछली श्रीलंकाई सरकार ने हंबनटोटा बंदरगाह को एक चीनी कंपनी को पट्टे पर दे दिया।
विकास संबंधी प्रयासों में भारत का समर्थन: निर्वाचित राष्ट्रपति द्वारा चीन की ऋणजाल कूटनीति पर निर्भर हुए बिना श्रीलंका के आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करने से भारत को श्रीलंका के आर्थिक विकास प्रयासों में समर्थन देने के लिए पर्याप्त अवसर मिलेंगे।
उदाहरण: श्रीलंका का लगभग 22 प्रतिशत ऋण द्विपक्षीय ऋणदाताओं पर बकाया था, जिसमें चीन और जापान का हिस्सा 10-10 प्रतिशत तथा भारत का हिस्सा सिर्फ 2 प्रतिशत था।
संतुलित विदेश नीति अपनाना: दिसानायके द्वारा संतुलित विदेश नीति संबंधी दृष्टिकोण अपनाने की उम्मीद हैं, जिसमें श्रीलंका के राष्ट्रीय हितों की पूर्ति के लिए गुटनिरपेक्षता और प्रमुख शक्तियों से समान दूरी बनाए रखने पर जोर दिया जाता है। इससे भारत को अपने लिए कुछ विवादास्पद चीनी निवेश हासिल करने में मदद मिल सकती है।
सभी राजनीतिक पहलुओं को शामिल करना: फरवरी 2024 में भारत में दिसानायके (श्रीलंकाई संसद सदस्य के रूप में) के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार तथा विदेश मंत्री की एक बैठक हुई जिसे भारत द्वारा मालदीव और बांग्लादेश में अपने अप्रभावी कूटनीतिक प्रयासों से सीख लेने के तौर पर देखा गया।
तमिलों को आश्वासन: दिसानायके ने प्रांतीय परिषदों के लिए चुनाव कराने का वादा किया है, जिसका JVP ने कभी विरोध किया था, यह आश्वासन श्रीलंकाई तमिलों के हित के लिए महत्त्वपूर्ण होगा।
डेयरी क्षेत्र में सहायता: नए राष्ट्रपति ने श्रीलंका के डेयरी क्षेत्र के विकास के लिए भारत के अमूल मॉडल की सराहना की। भारत इस क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता प्रदान करके श्रीलंका के डेयरी क्षेत्र में सहभागी बन सकता है।
उदाहरण: डेयरी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए भारत के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ तथा श्रीलंका की कारगिल्स (Cargills) के बीच एक संयुक्त उद्यम समझौते पर पिछले वर्ष हस्ताक्षर किए गए थे।
भारत-श्रीलंका संबंध
ऐतिहासिक संबंध: श्रीलंका को भारत का सभ्यतागत समान क्षेत्र माना जाता है क्योंकि प्राचीन काल से ही दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, धार्मिक, व्यापारिक और व्यक्तिगत संबंध रहे हैं।
दोनों देशों की साझी विरासत रामायण की कहानियों तथा बौद्ध धर्म के ग्रंथों में परिलक्षित होती है।
व्यापार: भारत, श्रीलंका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, तथा विश्व के साथ श्रीलंका के कुल व्यापार में इसकी हिस्सेदारी 16 प्रतिशत है।
यह अमेरिका तथा ब्रिटेन के बाद श्रीलंका का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य भी है।
श्रीलंका के 60% से अधिक निर्यात को भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौते का लाभ मिलता है।
पर्यटन: देश में आने वाले कुल पर्यटकों में भारतीय पर्यटकों की हिस्सेदारी 17% है, जो सबसे अधिक है।
भारत सरकार ने वर्ष 2015 में श्रीलंकाई पर्यटकों के लिए ई-पर्यटक वीजा (eTV) योजना औपचारिक रूप से शुरूआत की थी।
भारत और श्रीलंका ने वर्ष 2016 में एक ओपन स्काई समझौता किया, जिसके तहत श्रीलंकाई एयरलाइंस को भारत के लिए असीमित संख्या में उड़ानें संचालित करने की अनुमति दी गई।
भारतीय सहायता एवं मदद
भारतीय आवास परियोजना: यह श्रीलंका में भारत सरकार की प्रमुख अनुदान परियोजना है, जिसमें युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में 50,000 घर बनाने तथा बागान क्षेत्रों में एस्टेट श्रमिकों के लिए प्रारंभिक प्रतिबद्धता है।
कोलंबो पोर्ट पर ‘ईस्ट कंटेनर टर्मिनल’ का विकास।
उत्तरी प्रांत में कांकेसंथुराई पोर्ट के नवीनीकरण की लागत का वित्तपोषण।
नवीकरणीय ऊर्जा: भारत द्वारा जाफना प्रायद्वीप के तीन द्वीपों में 11 मिलियन डॉलर के अनुदान के साथ एक ‘हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली’ का निर्माण किया जाना है।
भारत, श्रीलंकाई छात्रों को सालाना लगभग 710 छात्रवृत्ति स्लॉट प्रदान करता है।
‘भारत में अध्ययन’ कार्यक्रम (‘Study in India’ Program): भारतीय संस्थान विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रमों में तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करते हैं और इसमें आयुर्वेद, योग और बौद्ध अध्ययन जैसे विशिष्ट विषयों के कार्यक्रम शामिल हैं।
क्षेत्रीय सहयोग: भारत और श्रीलंका दोनों दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC), बिम्सटेक (BIMSTEC) और दक्षिण एशिया में हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) के सदस्य हैं।
रक्षा सहयोग: भारत तथा श्रीलंका संयुक्त सैन्य (मित्र शक्ति) और नौसेना अभ्यास (SLINEX) आयोजित करते हैं।
भारत के लिए श्रीलंका का महत्त्व
भू-राजनीतिक स्थिति: श्रीलंका हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण स्थान पर स्थित है, जो भारत के दक्षिणी क्षेत्र के अत्यंत निकट है। इसकी निकटता इसे सुरक्षा एवं क्षेत्रीय स्थिरता के मामले में भारत के लिए एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी बनाती है।
समुद्री सुरक्षा: हिंद महासागर में श्रीलंका की स्थिति और पाक जलडमरूमध्य तथा मन्नार की खाड़ी जैसे महत्त्वपूर्ण समुद्री अवरोध बिंदुओं की उपस्थिति भारत के समुद्री सुरक्षा हितों को बनाए रखने में इसे महत्त्वपूर्ण बनाती है।
सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक संबंध: भारत तथा श्रीलंका के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध हैं। ये संबंध राजनयिक संबंधों और जन संपर्क के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करते हैं।
ऊर्जा सुरक्षा: श्रीलंका का स्थान इसे भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बनाता है, क्योंकि यह क्षेत्रीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए एक संभावित भागीदार है, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा एवं उर्जा कनेक्टिविटी शामिल हैं।
क्षेत्रीय प्रभाव: भारत और श्रीलंका दोनों दक्षिण एशिया में हो रहे राजनीतिक उतार-चढ़ाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनका सहयोग एवं समन्वय क्षेत्रीय मामलों को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है और व्यापक दक्षिण एशियाई क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता में योगदान दे सकता है।
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