100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

दुष्कर्म के संदर्भ में लैंगिक न्याय

Lokesh Pal October 03, 2024 03:00 20 0

संदर्भ

कोलकाता के आर. जी. कर मेडिकल अस्पताल में एक मेडिकल इंटर्न के साथ दुष्कर्म और हत्या की हालिया घटना ने भारत में महिलाओं की अनिश्चित जीवन स्थितियों एवं लैंगिक न्याय के लिए उनके कभी न समाप्त होने वाले संघर्ष पर पुनः प्रकाश डाला है।

दुष्कर्म के बारे में

  • विधिक परिभाषा: भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 375 के तहत दुष्कर्म को कानूनी रूप से परिभाषित किया गया है, जब किसी पुरुष द्वारा किसी महिला के साथ निम्नलिखित परिस्थितियों में से किसी में भी यौन संबंध बनाया जाता है:-
    • उसकी इच्छा और सहमति के विरुद्ध।
    • जब सहमति प्राप्त कर ली गई हो, लेकिन यह मृत्यु के भय के बहाने नहीं होनी चाहिए
    • जब सहमति विवाह के बहाने धोखे से प्राप्त की गई हो।
    • जब सहमति किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा दी जाती है, जो मानसिक रूप से अस्वस्थ है या नशे में है अथवा सहमति देने की प्रकृति को समझने में असमर्थ है।
    • जब लड़की 16 वर्ष से कम उम्र की हो, तो उसकी सहमति से या उसके बिना।
  • व्यापकता: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) डेटा के अनुसार,
    • दुष्कर्म: भारत में अपराध, 2021 की वार्षिक रिपोर्ट में दुष्कर्म के 31,677 मामले दर्ज किए गए, जो वर्ष 2020 के 28,046 मामलों से अधिक है।
      • इनमें से 10 प्रतिशत मामले नाबालिगों के साथ दुष्कर्म के थे।

    • वर्ष 2022 में भारत में औसतन प्रतिदिन 90 मामले दर्ज किए गए।
    • दोषसिद्धि दर: वर्ष 2018-2022 तक यह 27%-28% के बीच रही।

भारत में दुष्कर्म कानून में ऐतिहासिक फैसले एवं बदलाव

  • तुकाराम बनाम महाराष्ट्र राज्य (मथुरा मामला) वर्ष 1983: एक युवा आदिवासी लड़की के साथ दुष्कर्म के कारण बलात्कार संबंधी कानूनों में पहला संशोधन किया गया, जिसमें दुष्कर्म की सामान्य स्थिति के लिए न्यूनतम अनिवार्य दंड 7 वर्ष और गंभीर स्थिति के लिए 10 वर्ष निर्धारित किया गया।
  • विशाखा बनाम राजस्थान राज्य (भँवरी देवी सामूहिक दुष्कर्म मामला): भँवरी देवी द्वारा बाल विवाह को रोकने को लेकर पाँच लोगों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। वर्ष 1997 में विशाखा दिशा-निर्देश तैयार किए गए और वर्ष 2013 में ‘कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, संरक्षण और निवारण) अधिनियम’ के रूप में लागू किए गए।
  • यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012: इसने 18 वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों, चाहे वे लड़के हों या लड़कियाँ, के यौन उत्पीड़न को अपने दायरे में रखा। इसमें रिपोर्टिंग, जाँच, साक्ष्य की रिकॉर्डिंग और सुनवाई के लिए बच्चों के अनुकूल प्रक्रियाएँ शामिल की गईं।
    • अपराध की रिपोर्ट न करना तथा यहाँ तक ​​कि नाबालिगों के साथ सहमति से यौन संबंध बनाना भी अपराध माना गया।
  • निर्भया केस वर्ष 2013: दुष्कर्म की परिभाषा में बदलाव के साथ बलात्कार कानून को व्यापक बनाया गया तथा न्यूनतम सजा को बढ़ाकर 20 वर्ष कारावास तथा चरम परिस्थितियों में मृत्युदंड कर दिया गया।
  • दीपक बनाम राज्य (दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) मामले में सत्र न्यायालय के न्यायाधीशों ने निर्णय दिया कि सेक्स वर्कर होने का मतलब यौन संबंध के लिए सहमति स्वीकार करना नहीं है। सेक्स वर्कर के पास अभी भी ऐसे कार्यों के लिए अनुमति माँगने का अधिकार है।

दुष्कर्म: महिलाओं के विरुद्ध हिंसा का एक साधन

  • हिंसात्मक अपराध: दुष्कर्म को व्यापक रूप से स्वतंत्र, आधुनिक सोच तथा जीवन शैली वाली महिलाओं को नियंत्रित करने या असहमत महिलाओं को सहमत करने के लिए कार्रवाई के एक स्वीकृत तरीके के रूप में देखा जाता है, क्योंकि यौन हमला शत्रुता, शक्ति और नियंत्रण से प्रेरित होता है।
    • उदाहरण: वर्ष 2012 के निर्भया मामले में, आरोपी ने पीड़िता को सबक सिखाने के लिए अपराध करने की बात स्वीकार की थी, क्योंकि वह असहमत थी।
  • पवित्रता की धारणा: अधिकतर समाजों में महिलाओं की यौन पवित्रता को परिवार के सम्मान के साथ जोड़ा जाता हैं और उनकी ओर से इस संबंध में कोई भी विचलन उन्हें दंड के लिए उत्तरदायी ठहराता है।
    • उदाहरण: खाप पंचायत द्वारा महिलाओं के सामाजिक आदेश का उल्लंघन करने पर प्रतिकार स्वरूप दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म का आदेश दिया जाता है।
  • महिलाओं के प्रति पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण: सभी समाजों तथा धर्मों में पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण में महिलाओं की प्राथमिक भूमिका को बच्चे पैदा करना माना जाता है। इस प्रकार, पुरुष यौन अधिकारों की पूर्ति करना उसका उद्देश्य बन जाता है।
  • दमनकारी लैंगिक एवं जाति पदानुक्रम को सुदृढ़ करना: सामान्य रूप से महिलाएँ और विशेष रूप से निम्न जाति की महिलाएँ दुष्कर्म एवं यौन उत्पीड़न के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं क्योंकि उन्हें पहले से ही कमतर करके आँका जाता है। ऐसे अपराध दमनकारी लैंगिक एवं जाति पदानुक्रम को सुदृढ़ करने का एक साधन भी हैं।
    • उदाहरण: वर्ष 1992 के भंवरी देवी सामूहिक दुष्कर्म मामले में, ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों को इस आधार पर बरी कर दिया कि एक उच्च जाति के व्यक्ति ने निचली जाति की महिला को नहीं छुआ होगा।
  • दुष्कर्म से संबंधित मिथक: ‘नहीं’ का मतलब ‘हाँ’ होता है; एक महिला कभी ‘हाँ’ नहीं कहती; महिलाओं को बलपूर्वक ले जाना पसंद होता है, आदि इसप्रकार के सभी मिथक जन संस्कृति में फैले हुए हैं जो महिलाओं को अपनी पसंद और नापसंद  का प्रयोग करने की स्वतंत्रता से वंचित करते हैं।
  • परिवार में लैंगिक असमानता: एक पारिवारिक संरचना जहाँ महिलाओं (माँ, बहन, बेटी) के विरुद्ध हिंसा स्वीकार्य है, अक्सर एक घरेलू हिंसक वातावरण का परिणाम होता है, जहाँ यही महिला विरोधी विचारधारा अगली पीढ़ी को भी प्रदान की जाती है।
  • तर्कहीन दृष्टिकोण: नाबालिगों, वृद्ध महिलाओं, विकृत मनःस्थिति वाली महिलाओं के साथ दुष्कर्म करना, सेक्स के प्रति विकृत जुनून या विकृत मानसिकता के अलावा और कुछ नहीं है।
  • प्रौद्योगिकी समर्थित: मोबाइल फोन तथा इंटरनेट का बढ़ता दायरा और घरों एवं स्कूलों में यौन शिक्षा की कमी के कारण नाबालिग गुप्त रूप से अश्लील सामग्री के संपर्क में आते हैं।
    • उदाहरण: वर्ष 2021 में बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में 11 वर्ष से कम उम्र के तीन लड़कों पर तीन वर्ष की बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया।

लैंगिक न्याय

  • लैंगिक न्याय, जीवन के सभी क्षेत्रों में सभी लोगों के लिए समानता एवं समता का सिद्धांत है। यह एक अंतरविषयक दृष्टिकोण है, जो सबसे अधिक भेदभाव एवं उत्पीड़ित लोगों की आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • लैंगिक न्याय की अवधारणा में ट्रांसजेंडर और नॉनबाइनरी लोग भी शामिल होते हैं।
  • लैंगिक न्याय को बढ़ावा देने वाला संवैधानिक प्रावधान 
    • अनुच्छेद-14 (समानता का अधिकार)
    • अनुच्छेद-15(1) (भेदभाव के विरुद्ध अधिकार)
    • अनुच्छेद-16 (सार्वजनिक रोजगार के मामलों में सभी नागरिकों के लिए समान अवसर का अधिकार)
    • अनुच्छेद-21 (जीवन का अधिकार) 
    • अनुच्छेद-23 (मानव तस्करी, बेगार और अन्य प्रकार के जबरन श्रम पर रोक लगाता है) 
    • अनुच्छेद-42 (न्यायसंगत और मानवीय कार्य स्थितियाँ एवं मातृत्व राहत प्रदान करने की राज्य की जिम्मेदारी)।

लैंगिक न्याय के सिद्धांत यौन अपराधों से कैसे निपट सकते हैं?

  • समान अधिकार: सभी को समान अधिकार प्राप्त होने चाहिए तथा घर, कार्यस्थल एवं व्यापक समुदायों में हिंसा, दुर्व्यवहार और असमान व्यवहार के रूप में प्रकट होने वाले भेदभाव से मुक्त होना चाहिए।
    • सभी को अपने लैंगिक अधिकारों के बारे में पूर्ण जानकारी होनी चाहिए तथा स्कूलों एवं कॉलेजों में लैंगिक आधारित पाठ्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए।
  • समान पहुँच: सभी को सीखने, धन अर्जित करने और नेतृत्व करने के लिए संसाधनों और अवसरों तक समान पहुँच होनी चाहिए, जिससे कार्यस्थल पर सुरक्षित स्थान प्राप्त होंगे।
    • विशाखा गाइडलाइन्स का सख्ती से पालन करना तथा कुछ महिला-विशिष्ट पहलों को भी अपनाना, जैसे मासिक धर्म अवकाश, कार्यस्थल पर अलग विश्राम कक्ष आदि।
  • प्रतिनिधित्व: महिलाओं को उनकी जनसंख्या के अनुसार समान प्रतिनिधित्व मिलने से उनके जीवन और पूरे समाज को प्रभावित करने वाली नीतियों, संरचनाओं तथा निर्णयों को आकार देने में मदद मिलेगी। पुलिस बल में महिलाओं की संख्या केवल 11 प्रतिशत है।
    • उदाहरण: जेंडर बजट; जेंडर पुलिसिंग; ट्रांसजेंडर कानून आदि।
  • सुरक्षा: सभी को शारीरिक स्वायत्तता और सुरक्षा का अधिकार होना चाहिए, जिसमें जेंडर पुलिसिंग, स्ट्रीट लाइटिंग, महिलाओं तथा ट्रांसजेंडरों के विरुद्ध अपराधों के लिए वन स्टॉप सेंटर जैसे कदम उठाए जाने चाहिए ताकि उन्हें सुरक्षित महसूस कराया जा सके। कार्यस्थलों पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जानी चाहिए।
  • लैंगिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: यौन अपराध लैंगिक-तटस्थ होते हैं तथा सभी को प्रभावित करते हैं, इसलिए सभी को अपने लैंगिक दृष्टिकोण को किसी भी तरीके से व्यक्त करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
  • जवाबदेही: यौन तथा लैंगिक आधारित हिंसा के लिए जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए तथा ऐसे मामलों की सक्रिय, संवेदनशील और त्वरित पुलिस कार्यवाही एवं सुनवाई होनी चाहिए।

आगे की राह 

  • RESPECT फ्रेमवर्क को अपनाना:RESPECT वुमेन’ का तात्पर्य है- रिलेशनशिप स्किल को मजबूत करना, महिलाओं का सशक्तीकरण, सेवाएँ सुनिश्चित करना, गरीबी कम करना, सक्षम वातावरण (स्कूल, कार्य स्थल, सार्वजनिक स्थान) का निर्माण, बाल एवं किशोर दुर्व्यवहार को रोकना और दृष्टिकोण, विश्वास एवं मानदंडों में बदलाव आदि।
  • लैंगिक संवेदनशीलता को बढ़ावा देना: महिलाओं एवं यौन हिंसा के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण को चुनौती देने एवं बदलने के लिए व्यापक लैंगिक संवेदनशीलता कार्यक्रम आयोजित करना।
    • उदाहरण: सामुदायिक स्तर पर व्यापक लैंगिक संवेदीकरण को शामिल करने के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे राष्ट्रीय अभियानों का विस्तार किया जाना चाहिए।
  • पीड़ित सहायता सेवाओं का विस्तार: दुष्कर्म पीड़ितों के लिए कानूनी सहायता, परामर्श और पुनर्वास सहित व्यापक सहायता सेवाओं की स्थापना करना।
    • उदाहरण: सरकार देश भर में पीड़ितों को समग्र सहायता प्रदान करने के लिए वन स्टॉप सेंटरों के दायरे का विस्तार कर सकती है।
  • अनिवार्य यौन शिक्षा का कार्यान्वयन: प्रारंभिक आयु से ही सम्मान तथा सहमति की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए स्कूल पाठ्यक्रम में व्यापक यौन शिक्षा को शामिल करना।
    • उदाहरण: राज्य युवाओं को लैंगिक समानता तथा यौन अधिकारों के बारे में शिक्षित करने के लिए किशोर शिक्षा कार्यक्रम (AEP) को अधिक व्यापक रूप से लागू कर सकते हैं।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.