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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal October 03, 2024 05:37 241 0

दादा साहब फाल्के पुरस्कार (Dadasaheb Phalke Award)

अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को वर्ष 2024 के प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए नामित किया गया है।

पुरस्कार के बारे में 

  • देश का सर्वोच्च फिल्म सम्मान: दादा साहब फाल्के पुरस्कार भारत का सर्वोच्च फिल्म पुरस्कार है।
  • स्थापना: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले फिल्म समारोह निदेशालय (Directorate of Film Festivals) ने भारतीय सिनेमा की हस्तियों को सम्मानित करने के लिए वर्ष 1969 में इस पुरस्कार की स्थापना की थी।
  • पुरस्कार की प्रस्तुति: यह पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रतिवर्ष दिया जाता है।
  • पुरस्कार के घटक: पुरस्कार में एक स्वर्ण कमल, 10 लाख रुपये का नकद पुरस्कार, एक प्रमाण-पत्र, एक सिल्क रोल और एक शॉल शामिल है।
  • चयन समिति: विजेता का चयन भारतीय फिल्म उद्योग की प्रतिष्ठित हस्तियों की एक समिति द्वारा किया जाता है।
  • क्षेत्रीय सिनेमा को मान्यता: दादा साहब फाल्के पुरस्कार हिंदी और क्षेत्रीय सिनेमा दोनों में योगदान के लिए दिया जाता है, जिसमें तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, मराठी और बंगाली फिल्म उद्योग शामिल हैं।
  • प्रथम प्राप्तकर्ता: इस पुरस्कार की पहली प्राप्तकर्ता देविका रानी थीं, जिन्हें ‘भारतीय सिनेमा की पहली महिला’ के रूप में मान्यता दी गई थी।
    • देविका रानी ने वर्ष 1934 में पहली भारतीय पब्लिक लिमिटेड फिल्म कंपनी, बॉम्बे टॉकीज की स्थापना की थी।

दादा साहब फाल्के के बारे में

  • दादा साहब फाल्के ने भारत की पहली पूर्ण-लंबाई वाली मूक फीचर फिल्म, राजा हरिश्चंद्र (1913) का निर्देशन किया।
    • उन्हें भारतीय सिनेमा का जनक माना जाता है।
    • वह एक भारतीय निर्माता, निर्देशक और पटकथा लेखक थे।

ऑपरेशन चक्र-III

हाल ही में केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने 32 स्थानों पर प्रौद्योगिकी-संचालित अपराध नेटवर्क पर बड़ी कार्रवाई करते हुए पुणे, हैदराबाद और विशाखापत्तनम से 26 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया।

ऑपरेशन चक्र-III

  • यह ऑपरेशन संगठित साइबर-सक्षम वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए एक व्यापक पहल का भाग है, जो एक बढ़ता हुआ वैश्विक खतरा बन गया है।
  • यह CBI द्वारा FBI (US) और इंटरपोल जैसी अंतरराष्ट्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सहयोग से की गई एक ऐतिहासिक पहल है।
  • उद्देश्य: संगठित साइबर-सक्षम वित्तीय अपराध नेटवर्क का मुकाबला करना और उन्हें नष्ट करना।
  • यह महत्त्वपूर्ण जानकारी और संसाधनों को साझा करने के लिए इंटरपोल चैनलों के माध्यम से वैश्विक रूप से समन्वित प्रतिक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • यह ऑपरेशन वित्तीय लाभ के लिए तकनीकी खामियों का लाभ उठाने वाले अंतरराष्ट्रीय अपराध नेटवर्क को बाधित करने हेतु सहयोग और खुफिया जानकारी साझा करने पर जोर देता है।

iDEX और QuNu लैब 

(iDEX and QuNu Lab)

हाल ही में भारतीय सेना ने QuNu लैब के साथ ‘क्वांटम कुंजी वितरण’ (Quantum Key Distribution) और नवाचार के लिए रक्षा उत्कृष्टता (Innovations for Defence Excellence-iDEX) पहल के तहत अपने आठवें खरीद अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।

  • यह अनुबंध, सुरक्षित संचार को बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया है, जो पारंपरिक एल्गोरिथम आधारित एन्क्रिप्शन प्रणालियों का स्थान लेगा, जिससे डेटा सुरक्षा में वृद्धि होगी तथा जनशक्ति की आवश्यकता कम होगी।

iDEX 

  • अप्रैल 2018 में डिफेंस एक्सपो इंडिया के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च किया गया।
  • उद्देश्य: भारत के रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों में नवाचार और तकनीकी विकास को बढ़ावा देना।
  • यह अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी समाधान विकसित करने के लिए अनुदान और सहायता प्रदान करके स्टार्टअप, MSME, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों, शिक्षाविदों और व्यक्तिगत नवप्रवर्तकों को शामिल करता है।

iDEX का महत्त्व

  • आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत स्वदेशी रक्षा नवाचार को बढ़ावा देने के लिए iDEX महत्त्वपूर्ण है।
  • यह स्टार्टअप्स और नवप्रवर्तकों को रक्षा आवश्यकताओं से जोड़ता है, तथा भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा भविष्य में अपनाए जाने के लिए तीव्र तकनीकी प्रगति सुनिश्चित करता है।

QuNu लैब प्राइवेट लिमिटेड 

  • इसकी स्थापना वर्ष 2016 में IIT-मद्रास में एक इनक्यूबेटर के माध्यम से की गई थी और यह बंगलूरू में स्थित है, QuNu लैब क्वांटम क्रिप्टोग्राफी में अग्रणी है।
  • यह वैश्विक स्तर पर वित्तीय क्षेत्र, दूरसंचार, उद्यमों, रक्षा और सरकारों के लिए क्वांटम-सुरक्षित डेटा एन्क्रिप्शन, सुरक्षित कुंजी निर्माण और वितरण समाधान प्रदान करता है।
  • QuNu लैब वर्तमान समस्याओं और भविष्य के साइबर खतरों से परिसंपत्तियों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करता है।

काजिंद-2024 (KAZIND-2024)

भारत-कजाखस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास काजिंद-2024 का 8वाँ संस्करण 30 सितंबर से 13 अक्टूबर, 2024 तक सूर्या विदेशी प्रशिक्षण नोड, औली, उत्तराखंड में आयोजित किया जाएगा।

काजिंद (KAZIND) अभ्यास

  • प्रारंभ: काजिंद वर्ष 2016 से भारत और कजाखस्तान के बीच प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला एक संयुक्त सैन्य अभ्यास है। इसका अंतिम संस्करण कजाखस्तान के ओटार में आयोजित किया गया था।
  • भारत का प्रतिनिधित्व भारतीय सेना की कुमाऊँ रेजिमेंट की एक बटालियन द्वारा किया जाएगा, जबकि कजाखस्तान का प्रतिनिधित्व थल सेना और एयरबोर्न असॉल्ट ट्रूपर्स के सैनिकों द्वारा किया जाएगा।
  • लक्ष्य: संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के तहत आतंकवाद विरोधी अभियान चलाना, जिसमें अर्द्ध-शहरी और पहाड़ी इलाकों में अभियान पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • उद्देश्य: यह दोनों पक्षों को संयुक्त अभियान चलाने की रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में सक्षम बनाएगा, जिससे दोनों सेनाओं के बीच अंतर-संचालन, और सौहार्द को बढ़ावा मिलेगा।

मारबर्ग वायरल रोग

मारबर्ग वायरस के प्रकोप के कारण रवांडा में छह लोगों की मृत्यु हो गई है।

मारबर्ग वायरल रोग 

  • परिवार: मारबर्ग फिलोवायरस परिवार से संबंधित एक वायरस है, जिसमें इबोला वायरस भी शामिल है।
  • पहला मामला: मारबर्ग वायरस की पहली बार पहचान वर्ष 1967 में जर्मन शहर मारबर्ग में एक प्रयोगशाला में हुई थी, जहाँ कुछ कर्मचारी युगांडा से लाए गए संक्रमित ग्रीन मंकी के संपर्क में आ गए थे।
  • एंडेमिक: इस बीमारी का मुख्य क्षेत्र उप-सहारा अफ्रीका है, जहाँ विषाणु भूमध्यरेखीय अफ्रीका के शुष्क वनों में स्थानिक है।
    • सभी दर्ज मारबर्ग वायरल रोग प्रकोप अफ्रीका में उत्पन्न हुए हैं।
  • लक्षण: यह इबोला के समान अत्यधिक संक्रामक रक्तस्रावी बुखार के साथ-साथ रक्तस्राव और अंग विफलता आदि का कारण बनता है।
  • वाहक एजेंट: अफ्रीकी फल चमगादड़; अफ्रीकी हरे बंदर।
  • संचरण: वायरस चमगादड़ों से प्राइमेट्स और मनुष्यों में फैल सकता है। मनुष्यों के भीतर यह संक्रमित व्यक्तियों के रक्त या अन्य शारीरिक तरल पदार्थों के सीधे संपर्क के माध्यम से फैल सकता है।
  • मृत्यु दर: पुष्टि किए गए मामलों में मृत्यु दर 24 प्रतिशत से 88 प्रतिशत तक रही है।
  • उपचार: वर्तमान में, मारबर्ग वायरल रोग के लिए कोई टीका या एंटीवायरल उपचार उपलब्ध नहीं है।

काउंसिल ऑफ यूरोप राइट्स पुरस्कार 2024

यूरोपीय परिषद ने वेनेजुएला की राजनीतिज्ञ और मानवाधिकार रक्षक मारिया कोरिना मचाडो को लोकतंत्र के लिए उनकी लड़ाई के लिए वर्ष 2024 का वैक्लेव हवेल मानवाधिकार पुरस्कार प्रदान किया है।

  • वह यह पुरस्कार जीतने वाली वह पहली लैटिन अमेरिकी बनी हैं।
  • उपविजेता: अजरबैजानी मानवाधिकार रक्षक और कार्यकर्ता आकिफ गुरबानोव और जॉर्जियाई नारीवादी कार्यकर्ता और मानवाधिकार वकील बाबुत्सा पटारिया उपविजेता रहे।

काउंसिल ऑफ यूरोप राइट्स पुरस्कार 2024

  • इस पुरस्कार का नाम दिवंगत चेक नाटककार और साम्यवादी-पूर्व राष्ट्रपति वाक्लाव हावेल के नाम पर रखा गया है।
  • यह 60,000 यूरो का वार्षिक पुरस्कार है, जो यूरोप और अन्य स्थानों पर मानवाधिकारों की रक्षा के लिए नागरिक समाज द्वारा किए गए ‘उत्कृष्ट’ कार्यों को सम्मानित करता है।
  • स्थापना: इसका प्रारंभ वर्ष 2013 में यूरोपीय परिषद की संसदीय सभा, वैक्लेव हैवेल लाइब्रेरी और चार्टा 77 फाउंडेशन द्वारा किया गया था।
  • वर्ष 2023 के विजेता: तुर्की के परोपकारी और नागरिक समाज कार्यकर्ता उस्मान कवाला।

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