100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

लद्दाख : विशेष राज्य का दर्जा या छठी अनुसूची के तहत संरक्षण

Lokesh Pal October 03, 2024 05:15 325 0

संदर्भ: 

  • प्रसिद्ध शिक्षाविद व जलवायु कार्यकर्त्ता सोनम वांगचुक ने लद्दाख औद्योगिकीकरण और अत्यधिक पर्यटन से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के खिलाफ लंबे समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वे भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत लद्दाख के संरक्षण पर बल दे रहे हैं। 
  • हाल ही में, उन्हें केंद्र सरकार को याचिका देने के लिए प्रदर्शनकारियों के एक समूह का नेतृत्व करते समय दिल्ली सीमा पर हिरासत में लिया गया । अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में भी स्थानीय सुरक्षा के लिए इसी तरह की मांगें सामने आई हैं।

भारत में असममित संघवाद

  • असममित संघवाद भारतीय संविधान की एक विशेषता है, जहाँ कुछ राज्यों और क्षेत्रों को दूसरों की तुलना में अधिक स्वायत्तता प्राप्त होती है। 

इसके विपरीत, अमेरिका या ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में सममित संघीय प्रणाली है , जहाँ सभी राज्यों को समान शक्तियाँ और स्वायत्तता प्राप्त है।

  • भारत में, कुछ राज्यों और क्षेत्रों, विशेषकर पूर्वोत्तर में, संविधान के तहत विशेष प्रावधान किए गए हैं जो उन्हें स्वयं शासन करने के लिए अधिक स्वायत्तता प्रदान करते हैं।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि :

  • ब्रिटिश शासनकाल से पहले :ब्रिटिश शासनकाल से पहले, आदिवासी आबादी को पहले के मुस्लिम शासकों द्वारा पूरी तरह से अधीन नहीं किया गया था। इन शासकों ने आदिवासी जन-जीवन और वन संपदा में हस्तक्षेप करने से परहेज किया, जिसमें उनके प्रथागत कानून और जीवन शैली भी शामिल थी।
  • ब्रिटिश काल के दौरान :अंग्रेजों के आगमन से पूर्व , आदिवासी अपने जंगलों और पैतृक भूमि के निर्विवाद स्वामी थे । हालाँकि, अंग्रेजों ने भारत के उन सभी प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करना चाहा, जिसे वे लाभदायक मानते थे।
    • इसे सुविधाजनक बनाने के लिए, अंग्रेजों ने कुछ वन कानून और नीतियां लागू की, जिससे आदिवासी जीवन शैली पर गंभीर प्रभाव पड़ा ।
    • इन कानूनों के माध्यम से आदिवासियों की वन भूमि पर पारंपरिक अधिकारों की अनदेखी की गई, उनके आवागमन पर प्रतिबंध लगाया गया तथा उनके अपने वनों तक पहुँच को दंडनीय बना दिया गया ।
      • आदिवासियों के लिए जंगल उनकी जीवनरेखा थे और ब्रिटिश प्रतिबंधों ने उनसे वह सब कुछ छीन लिया  था जिसकी उन्हें अत्यधिक आवश्यकता थी।
    • इस असंतोष के कारण कई आदिवासी विद्रोह हुए, जैसे कोल विद्रोह (1831-32), संथाल विद्रोह (1855), मुंडा विद्रोह (1899-1900) और बस्तर विद्रोह (1911) ।
  • स्वतंत्रता के पूर्व का काल :बार-बार होने वाले आदिवासी विद्रोहों के जवाब में, अंग्रेजों ने अंततः आदिवासियों के प्रति अलगाव की नीति अपनाई। इसके परिणामस्वरूप भारत सरकार अधिनियम, 1935 के तहत ‘बहिष्कृत’ और ‘आंशिक रूप से बहिष्कृत’ क्षेत्रों का निर्माण हुआ।
    • बहिष्कृत क्षेत्र : मुख्यतः पूर्वोत्तर के पहाड़ी क्षेत्र, जहाँ कानून बनाने की शक्ति गवर्नर के पास थी और ब्रिटिश कानून लागू नहीं होते थे।
    • आंशिक रूप से बहिष्कृत क्षेत्र : वर्तमान बिहार, बंगाल, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के जनजातीय क्षेत्र, लेकिन गवर्नर द्वारा तय किए गए संशोधनों या अपवादों के साथ, जहाँ केंद्रीय और प्रांतीय कानून लागू होते थे।
  • स्वतंत्रता के पश्चात :भारतीय संविधान की पांचवीं और छठी अनुसूचियां  भारत सरकार अधिनियम, 1935 से ‘आंशिक रूप से बहिष्कृत’ और ‘बहिष्कृत’ क्षेत्रों के प्रावधानों के आधार पर तैयार की गई हैं।
    • पांचवीं अनुसूची : यह जनजातीय क्षेत्रों को स्वायत्तता प्रदान करती है, लेकिन छठी अनुसूची की तुलना में कम शक्तियाँ प्रदान करती है।
    • छठी अनुसूची : यह विशेष रूप से पूर्वोत्तर के आदिवासी क्षेत्रों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करती है, जिससे उन्हें अधिक स्वशासन और विधायी शक्तियां प्राप्त होती हैं।

भारतीय संविधान की पाँचवीं और छठी अनुसूचियों के प्रावधान :

पाँचवीं अनुसूची :

  • परिभाषा :भारतीय संविधान की पाँचवीं अनुसूची आधिकारिक तौर पर ‘अनुसूचित क्षेत्रों’ के रूप में नामित क्षेत्रों पर लागू होती है ।
  • इन क्षेत्रों की घोषणा भारत के राष्ट्रपति द्वारा कुछ विशिष्ट मानदंडों के आधार पर की जाती है।
  • विशिष्ट मानदंड :
    • महत्त्वपूर्ण जनजातीय आबादी। 
    • क्षेत्र की सघनता। 
    • प्रशासनिक इकाई के रूप में व्यवहार्यता (जैसे, जिला या ब्लॉक)। 
    • आर्थिक पिछड़ापन। 
  • वर्तमान स्थिति :वर्तमान में भारत में 10 राज्यों को अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया गया है।
  • जनजाति सलाहकार परिषद (टीएसी)
    • संरचना :
      • इसमें अधिकतम 20 सदस्य हो सकते हैं।
      • तीन-चौथाई सदस्य राज्य के आदिवासी विधायक हो सकते हैं।
    • भूमिका और जिम्मेदारियाँ :
      • इन राज्यों में अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के कल्याण और उन्नति से संबंधित मामलों पर सलाह प्रदान करना ।
  • राज्यपाल की भूमिका :राज्यपाल , केंद्र सरकार के अनुमोदन से, अनुसूचित क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण प्राधिकार रखता है 
    • भूमिका और जिम्मेदारियाँ :
      • निम्नलिखित विषयों से संबंधित विनियम बनाना:
        • अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के बीच भूमि का आवंटन और हस्तांतरण करना।
        • जनजातीय हितों की रक्षा के लिए इन क्षेत्रों में साहूकारों की गतिविधियों का विनियमन करना ।
  • संसदीय कानूनों की प्रयोज्यता : संसदया राज्य विधानमंडल  द्वारा पारित कानून स्वचालित रूप से अनुसूचित क्षेत्रों पर लागू नहीं होते हैं।
    • राज्यपाल की प्रमुख शक्तियाँ :
      • यह निर्देश देना कि क्या कोई विशेष कानून इन क्षेत्रों में संपूर्ण रूप से, संशोधनों के साथ लागू होता है, या बिल्कुल भी लागू नहीं होता है।

छठी अनुसूची : 

  • परिभाषा :भारतीय संविधान की छठी अनुसूची असम, मेघालय, मिजोरम  और त्रिपुरा  में आधिकारिक तौर पर ‘आदिवासी क्षेत्रों’ के रूप में नामित क्षेत्रों पर लागू होती है ।
  • वर्तमान में इन चार राज्यों में 10 ऐसे आदिवासी क्षेत्र हैं ।
  • स्वायत्त जिला परिषदें (ADCs) : इन आदिवासी क्षेत्रों के लिए स्वायत्त जिला परिषदें (ADCs) स्थापित की जाती हैं। स्वायत्त जिला परिषद में 30 सदस्य होते हैं , जिनमें से अधिकतम चार सदस्य राज्य के राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाते हैं और शेष 26 सदस्य जनता द्वारा चुने जाते हैं ।
  • स्वायत्त जिला परिषद की शक्तियाँ : स्वायत्त जिला परिषद के पास निम्नलिखित मामलों पर कानून बनाने की शक्ति है:
    • भूमि उपयोग और प्रबंधन। 
    • स्थानान्तरित खेती को विनियमित करना। 
    • संपत्ति का उत्तराधिकार। 
    • विवाह और तलाक। 
    • सामाजिक रीति-रिवाज। 
  • कानून का कार्यान्वयन : ये कानून राज्यपालसे अनुमोदन के बाद ही प्रभावी होते हैं ।
    • इसके अतिरिक्त, राज्य विधानमंडल के कानून इन जनजातीय क्षेत्रों में स्वचालित रूप से लागू नहीं होते,  जब तक कि स्वायत्त जिला परिषद द्वारा उन्हें विस्तारित न कर दिया जाए।
      • उदाहरण के लिए, असम सरकार द्वारा पारित अधिनियम  गारो , खासी या जैंतिया क्षेत्रों पर तब तक लागू नहीं होगा जब तक कि संबंधित स्वायत्त जिला परिषद द्वारा अनुमोदित न हो।
  • स्वायत्त जिला परिषद  की प्रशासनिक और न्यायिक शक्तियाँ :
    • जिले के भीतर प्राथमिक विद्यालय, औषधालय, सड़क और जलमार्ग स्थापित करना और उनका प्रबंधन करना ।
    • भूमि राजस्व का आकलन और संग्रहण करना तथा व्यवसायों, व्यापार आदि पर कर लगाना।
    • खनिजों के निष्कर्षण के लिए लाइसेंस या पट्टे प्रदान करना ।
    • उन मामलों की सुनवाई के लिए ग्राम और जिला परिषद न्यायालयों का गठन करना, जहाँ दोनों पक्ष जिले के अनुसूचित जनजातियों से संबंधित हो। 

नोट : छठी अनुसूची के अंतर्गत जनजातीय क्षेत्रों को स्वायत्त जिला परिषदों (ADCs) के माध्यम से अधिक स्वायत्तता प्राप्त है, जिनके पास पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत अनुसूचित क्षेत्रों की तुलना में अधिक कार्यकारी, विधायी, न्यायिक और वित्तीय शक्तियां हैं।

पूर्वोत्तर राज्यों के लिए अन्य विशेष प्रावधान :

  • पाँचवीं और छठी अनुसूची के अलावा, कई पूर्वोत्तर राज्यों को भारतीय संविधान के भाग XXIके तहत विशेष प्रावधान प्राप्त हैं। इनका विवरण निम्नलिखित अनुच्छेदों में दिया गया है:
    • अनुच्छेद 371 ए : नागालैंड
    • अनुच्छेद 371 बी : असम
    • अनुच्छेद 371 सी : मणिपुर
    • अनुच्छेद 371 एफ : सिक्किम
    • अनुच्छेद 371 जी : मिजोरम
    • अनुच्छेद 371 एच : अरुणाचल प्रदेश
  • विभिन्न अनुच्छेदों के माध्यम से ये प्रावधान विभिन्न सुरक्षा और जिम्मेदारियाँ प्रदान करते हैं, जैसे:
  • नागालैंड और मिजोरम में स्थानीय प्रथागत कानूनों और प्रथाओं का संरक्षण ।
  • असम में ‘आदिवासी क्षेत्रों’ और मणिपुर में ‘पहाड़ी क्षेत्रों’के विधायकों की समितियों का गठन ।
  • सिक्किमऔर अरुणाचल प्रदेश के राज्यपालों की, विशेषकर  विकास संबंधी कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के संबंध में, विशेष जिम्मेदारियाँ।

महत्वपूर्ण सुझाव :

  • संविधान में निहित प्रावधानों के बावजूद, पांचवीं और छठी अनुसूची के क्षेत्रों के लिए स्वायत्तता के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए और अधिक सुधारों की आवश्यकता है ।
  • व्यवहार में स्वायत्तता : पाँचवीं और छठी अनुसूची के अंतर्गत क्षेत्रों को दी गई स्वायत्तता अक्सर व्यवहार में कम और कागजों पर अधिक होती है।
    • अनुसूचित क्षेत्रों में राज्यपाल द्वारा बनाए गए नियमों को केंद्र सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होती है, जबकि जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त जिला परिषदों (ADC) द्वारा पारित कानूनों को राज्यपाल की मंजूरी की आवश्यकता होती है।
    • केंद्र, राज्य और स्वायत्त जिला परिषद के बीच राजनीतिक मतभेद के कारण कानूनों के क्रियान्वयन में देरी या अक्रियान्वित होने की सम्भावना बनी रहती है, जिस पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है ।
    • वास्तविक स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए, दोनों अनुसूचियों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश स्थापित किए जाने चाहिए और उनका पालन किया जाना चाहिए।
  • अनुसूचित क्षेत्रों को अधिसूचित करना  : भारत में पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत आने वाले 10 राज्यों तथा अन्य राज्यों मेंअनेक अनुसूचित जनजाति (एसटी) बस्तियां ‘अनुसूचित क्षेत्रों’ के रूप में अधिसूचित नहीं हैं।
    • परिणामस्वरूप, इन क्षेत्रों को संवैधानिक अधिकारों और सुरक्षा से वंचित किया जा रहा है जिनके वे हकदार हैं।
    • समुचित जांच के बाद इन क्षेत्रों को ‘अनुसूचित क्षेत्रों’ के रूप में अधिसूचित करने के लिए एक गहन समीक्षा प्रक्रिया आवश्यक है ।
  • 125वाँ संविधान संशोधन विधेयक (2019) : 125वाँ संविधान संशोधन विधेयक, जो वर्तमान में राज्यसभा में लंबित है, 10 मौजूदा स्वायत्त जिला परिषदों को अधिक वित्तीय, कार्यकारी और प्रशासनिक शक्तियां प्रदान करने का प्रयास करता है।
    • केंद्र सरकार ने विधेयक के पारित होने में देरी करने वाले मुद्दों को हल करने के लिए गृह राज्य मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति बनाई है । सभी हितधारकों को संतुष्ट करने के लिए इस प्रक्रिया में तेज़ी लानी चाहिए, और स्वायत्त जिला परिषद को अधिक संसाधन और अधिकार देकर सशक्त बनाना चाहिए।
  • छठी अनुसूची में शामिल करने की माँग : हाल के वर्षों में, अरुणाचल प्रदेश विधानसभाऔर मणिपुर पहाड़ी क्षेत्र समिति ने अपने-अपने ‘पहाड़ी क्षेत्रों’ को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग करते हुए प्रस्ताव पारित किए हैं।
    • इसी प्रकार, लंबे समय से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को भी छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग बढ़ रही है ।
    • इन मांगों की शीघ्र जाँच की आवश्यकता है और इन क्षेत्रों में आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए उचित निर्णय लिए जाने अनिवार्य हैं ।
    • भ्रम से बचने के लिए यह निर्धारित करने के लिए एक साझा नीति तैयार की जा सकती है कि किन क्षेत्रों को पांचवीं या छठी अनुसूची के अंतर्गत शामिल किया जाना चाहिए।
  • वन अधिकार अधिनियम (2006) वन अधिकार अधिनियम 2006 उन आदिवासियों और अन्य वनवासियों के अधिकारों को मान्यता देता है जो पीढ़ियों से जंगलों में रह रहे हैं, उन्हें वन भूमि और उसकी उपज पर अधिकार प्रदान करते हैं, जिसमें चार हेक्टेयर तक भूमि के आवंटन का प्रावधान है।
  • वन में रहने वाले समुदायों की सुरक्षा की गारंटी के लिए पांचवीं और छठी अनुसूची क्षेत्रों सहित पूरे देश में इन अधिकारों का कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाना चाहिए

निष्कर्ष :

  • लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग स्वदेशी अधिकारों की रक्षा और आदिवासी क्षेत्रों को वास्तविक स्वायत्तता प्रदान करने की व्यापक आवश्यकता को दर्शाती है। आदिवासी संस्कृति की सुरक्षा और सतत विकास सुनिश्चित करने के संवैधानिक प्रावधानों को बनाए रखने के लिए समय पर सुधार और स्पष्ट दिशा-निर्देश आवश्यक हैं।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न :

प्रश्न : पांचवीं और छठी अनुसूची के प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए कौन से सुधार आवश्यक हैं? ये सुधार आदिवासी सशक्तीकरण को कैसे बढ़ा सकते हैं? 

(10 अंक, 150 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.