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परिसंचरण प्रवास: वैश्विक कौशल की कमी का समाधान

Lokesh Pal October 07, 2024 02:47 84 0

संदर्भ

महाराष्ट्र से हाईस्कूल का प्रमाण-पत्र लेकर 997 युवाओं का इजरायल में 1.37 लाख रुपये मासिक वेतन पर नौकरी के लिए पलायन, परिसंचरण प्रवास (Circular Migration) का उदाहरण है, जिसके परिणामस्वरूप इजरायल एवं भारत दोनों को कौशल लाभ हुआ।

भारत के भीतर परिसंचरण प्रवास

  • ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच: भारत में आंतरिक प्रवास मुख्यतः परिसंचरणीय प्रकृति के रूप में है, जिसमें व्यक्ति रोजगार के अवसरों की तलाश में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के बीच प्रवास करते रहते हैं।
    • उदाहरण: निर्माण क्षेत्र में विशेषकर ग्रामीण पुरुषों के लिए रोजगार में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।

परिसंचरण प्रवास (Circular Migration) के बारे में

  • परिभाषा: परिसंचरण प्रवास, प्रवास का एक दोहरावपूर्ण रूप है, जिसमें लोग रोजगार की उपलब्धता के अनुसार एक स्थान (गंतव्य देश) से दूसरे स्थान (मूल देश) तक जाते हैं तथा वापस (मूल देश) आते हैं।
    • यह प्रवासन अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार या ग्रामीण तथा शहरी स्थानीय लोगों के बीच हो सकता है।
    • यह मुख्यतः निम्न आय वर्ग के लोगों में पाई जाने वाली घटना है, जो मौसमी रोजगार की तलाश में दूसरे देश, शहर, स्थान आदि में प्रवास करते हैं।

  • परिसंचरण प्रवास के लिए मानदंड [फिलिप फार्ग्यूज (Philippe Fargues)]
    • गंतव्य देश में अस्थायी निवास।
    • गंतव्य देश में एक से अधिक बार प्रवेश की संभावना।
    • निवास के दौरान मूल एवं गंतव्य देशों के बीच आवागमन की स्वतंत्रता।
    • गंतव्य देश में रहने का कानूनी अधिकार।
    • प्रवासियों के अधिकारों की सुरक्षा।
    • गंतव्य देश में अस्थायी श्रम की माँग।
  • संचलन आवृत्ति: यूरोप टास्क फोर्स के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक आयोग द्वारा परिसंचरण प्रवास को मापने पर रिपोर्ट के अनुसार, एक व्यक्ति को दो देशों के बीच कम-से-कम दो लूप पूरा करने के बाद एक परिसंचरण प्रवासी माना जाता है। 
    • उदाहरण के  लिए A स्थान से B स्थान तक जाना, वापस A स्थान पर आना, फिर A स्थान से B स्थान तक जाना। 

परिसंचरण प्रवास के लाभ 

  • भारत में वैश्विक कौशल की कमी एवं गरीबी उन्मूलन को संबोधित करने के एक तरीके के रूप में परिसंचरण प्रवास: विभिन्न देशों के मध्य श्रम गतिशीलता समझौतों (Labour Mobility Agreements) द्वारा परिसंचरण प्रवास की सुविधा जो प्रवासी श्रमिकों की मजदूरी एवं सामाजिक सुरक्षा की रक्षा करती है।
    • ये समझौते यह भी सुनिश्चित करते हैं कि प्रवासी श्रमिकों को अपने देश लौटने की गारंटी मिले, जिससे एक स्थायी प्रवासन पैटर्न को बढ़ावा मिले।
  • कौशल संवर्द्धन: भेजने वाले तथा प्राप्त करने वाले दोनों देशों के लिए कौशल संवर्द्धन में सहायक होता है।
  • त्रिपक्षीय-जीत परिदृश्य (Triple-Win Scenario): परिसंचरण प्रवास से मेजबान देशों को श्रमिकों की कमी को पूरा करने, मूल देशों को कुशल श्रमिकों को बनाए रखने तथा प्रवासियों को उन्नत कौशल एवं मजदूरी के माध्यम से लाभ मिलता है।
  • प्रेषण: परिसंचरण प्रवासी, स्थायी प्रवासियों की तुलना में अपने मूल देश में अधिक धन वापस भेजते हैं, जिससे उनके परिवारों तथा स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होता है, और पारिवारिक गरीबी उन्मूलन में योगदान मिलता है।
    • उदाहरण: संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कुवैत, कतर एवं ओमान में मैनुअल श्रमिक भारत को भेजे जाने वाले कुल धन का 40 प्रतिशत योगदान करते हैं।
    • विश्व बैंक के अनुसार, भारत को वर्ष 2023 में 120 बिलियन अमेरिकी डॉलर का धन प्रेषण प्राप्त हुआ।
  • प्रशासनिक दृष्टिकोण: परिसंचरण प्रवास से गंतव्य देशों की सरकारों को जनसंख्या में स्थायी रूप से बदलाव किए बिना श्रम आवश्यकताओं का प्रबंधन करने की अनुमति मिलती है, क्योंकि प्रवासियों के घर लौटने की उम्मीद होती है। 
  • सार्वजनिक स्वीकृति: यह धारणा कि प्रवासी अपने गृह देशों में वापस लौटेंगे, मेजबान देशों में चिंताओं को कम कर सकती है।

परिसंचरण प्रवास की लागत

  • प्रतिभा पलायन: अपने देश से कुशल श्रमिकों का किस दूसरे देश में प्रवास कर जाना, मूल देश के मानव संसाधन तथा विकास को प्रभावित करता है।
  • सीमित कौशल उपयोग: प्रवासी विदेशों में अकुशल नौकरियों में कार्य कर सकते हैं, जिससे उन्हें अपने देश के विकास में योगदान देने वाला बहुत कम अनुभव प्राप्त होता है।
  • परिवारों पर सामाजिक प्रभाव: अस्थायी अलगाव से परिवार में विघटन हो सकता है, विशेषकर उन बच्चों के लिए जो माता-पिता के विदेश में कार्य करने के दौरान अकेले रह जाते हैं।
  • कामगारों की भर्ती में शोषण: कामगारों की भर्ती में धोखाधड़ी एवं शोषण शामिल हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप मेजबान देश में जबरन श्रम एवं बेगारी जैसी स्थिति उत्पन्न होती है।
    • उदाहरण: कुवैत में एक इमारत में लगी आग में करीब 45 भारतीयों तथा फिलीपींस के 3 नागरिकों की मौत हो गई। यह घटना खाड़ी देशों में विदेशी कामगारों के रहने वाली एक इमारत में हुई।
    • कतर में फीफा विश्व कप की तैयारियों के दौरान  भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका के 6,500 प्रवासी श्रमिकों की मौत हो गई थी।
  • लैंगिक मुद्दे: पारंपरिक लैंगिक भूमिकाएँ परिसंचरण प्रवास में महिलाओं की भागीदारी को सीमित करती हैं।
  • स्वास्थ्य जोखिम: एकांतवास और खराब जीवन शैली के कारण प्रवासियों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिससे उनके घरेलू समुदायों में बीमारियाँ फैलने की संभावना रहती है।
  • भाषा संबंधी बाधाएँ: भाषा का अंतर, संचार एवं समझ में बाधा उत्पन्न कर सकता है, जिससे प्रवासी श्रमिकों के लिए नए कार्य वातावरण के अनुकूल होना और नियोक्ता की अपेक्षाओं को पूरा करना मुश्किल हो जाता है।
    • इससे अक्सर बिचौलियों तथा दलालों पर निर्भरता बढ़ जाती है, जिसके परिणामस्वरूप उनका अक्सर शोषण होता है।
      • उदाहरण: UAE में कफाला प्रणाली (Kafala system), जो नियोक्ताओं को अप्रवासी मजदूरों, विशेष रूप से कम वेतन वाली नौकरियों में कार्य करने वालों को सुरक्षा संबंधी कई अधिकार देती है।
  • कौशल-मिलान आवश्यकताएँ: परिसंचरण प्रवासन के लिए सरकार-से-सरकार समझौतों के लिए भारतीय श्रमिकों तथा प्राप्त करने वाले देशों की माँगों के बीच सटीक कौशल मिलान की आवश्यकता होती है, जिससे चयन प्रक्रिया जटिल हो जाती है।

वैश्विक कार्यबल की कमी और भारत के लिए अवसर

  • सीमा नियंत्रण: सख्त आप्रवासन और श्रम नियंत्रण के कारण दुनिया भर में कार्यबल की महत्त्वपूर्ण कमी हो गई है।
    • कई देश विदेशी श्रम पर नियम कड़े कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप उपलब्ध श्रमिकों की संख्या कम होती जा रही है।
  • विकसित देशों में वृद्ध होती आबादी: पश्चिमी यूरोप, जापान जैसे विकसित देशों में वृद्ध होती आबादी भारत के लिए महत्त्वपूर्ण अवसर उत्पन्न करती है।
  • महत्त्वपूर्ण कौशल की कमी: कुछ विकसित देशों को कुशल पेशेवरों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है, विशेष रूप से क्वांटम कंप्यूटिंग, बुनियादी ढाँचे के विकास तथा स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में, जो उनके आर्थिक विकास के लिए काफी चुनौतियाँ प्रस्तुत कर रहे हैं।

परिसंचरण प्रवास के माध्यम से वैश्विक कौशल अंतर को दूर करने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम 

  • श्रम गतिशीलता साझेदारी समझौता: भारत ने जर्मनी, जापान, इटली और इजरायल जैसे देशों के साथ श्रम गतिशीलता समझौतों (Labour Mobility Agreements) पर हस्ताक्षर किए हैं।
    • इससे भारतीय कामगारों को भारत लौटने से पहले एक निश्चित अवधि, आमतौर पर लगभग पाँच वर्ष, तक विदेश में कार्य करने का अवसर मिलेगा।
  • कौशल विकास एवं प्रशिक्षण: राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) ने महाराष्ट्र इंस्टिट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मेशन (MITRA) के सहयोग से भारत के कुशल युवाओं को विदेशों में उच्च वेतन वाली नौकरी तक पहुँच बनाने में सक्षम बनाने के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएँ (SOPs) विकसित की हैं।
  • रिकग्नीशन ऑफ प्रायर लर्निंग (RPL): राष्ट्रीय कौशल विकास निगम इजरायल जैसे साझेदार देशों द्वारा अपेक्षित विशिष्ट कौशल वाले युवाओं की पहचान करता है तथा रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए बूस्टर प्रशिक्षण हेतु ‘रिकग्नीशन ऑफ प्रायर लर्निंग’ (RPL) पाठ्यक्रम प्रदान करता है।
  • आजीविका संवर्द्धन के लिए कौशल अधिग्रहण और ज्ञान जागरूकता/संकल्प (Skills Acquisition and Knowledge Awareness for Livelihood- SANKALP) और औद्योगिक मूल्य संवर्द्धन के लिए कौशल सुदृढ़ीकरण (Skills Strengthening for Industrial Value Enhancement-STRIVE): संकल्प (SANKALP) कार्यक्रम जिला-स्तरीय कौशल पारिस्थितिकी तंत्र पर केंद्रित है तथा STRIVE परियोजना का लक्ष्य ITI के प्रदर्शन में सुधार करना अन्य महत्त्वपूर्ण कौशल संबंधी पहलों को बढ़ावा देना हैं।
  • तेजस (TEJAS) पहल: अमीरात नौकरियों एवं कौशल के लिए प्रशिक्षण (Training for Emirates Jobs and Skills) अर्थात् तेजस (TEJAS) एक कौशल भारत परियोजना है, जिसे दुबई एक्सपो, 2020 में शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य भारतीयों के लिए कौशल प्रदान करना, प्रमाणित करना और विदेशों में रोजगार की सुविधा प्रदान करना है तथा कार्यबल को UAE की बाजार माँगों के साथ संरेखित करना है।

  • माइग्रेशन एंड मोबिलिटी पार्टनरशिप एग्रीमेंट (MMPA) दो या दो से अधिक देशों के बीच एक औपचारिक व्यवस्था है, जो लोगों की कानूनी तथा व्यवस्थित आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए तैयार की गई है।
  • MMPA की प्रकृति व्यापक है तथा इसमें लघु प्रवास वीजा, छात्रों, शोधकर्ताओं, आर्थिक कारणों से पेशेवरों की गतिशीलता तथा अनियमित प्रवासन एवं मानव तस्करी की रोकथाम जैसे व्यापक प्रकार के आवागमन को शामिल किया गया है।
  • भारत ने ऑस्ट्रिया (जनवरी 2023), फ्राँस, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, फिनलैंड आदि के साथ कानूनी प्रवास और गतिशीलता की सुविधा के लिए कई देशों के साथ MMPA पर हस्ताक्षर किए हैं।

वैश्विक कौशल की कमी के बीच भारत के लिए अवसरों को बढ़ाने संबंधी सिफारिशें 

  • अंतरराष्ट्रीय आवागमन को सुविधाजनक बनाना: छात्रों, पेशेवरों और कुशल श्रमिकों के लिए वीजा आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाना ताकि आवागमन आसान हो सके।
  • योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता: शैक्षिक तथा व्यावसायिक योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता के लिए अन्य देशों के साथ समझौते करना।
  • वापसी प्रवास को प्रोत्साहित करना: अंतरराष्ट्रीय अनुभव प्राप्त करने के बाद कुशल श्रमिकों को भारत लौटने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना, जैसे कि कर लाभ या व्यवसाय शुरू करने के लिए अनुदान।
  • पुनः एकीकरण कार्यक्रम: वापस लौटने वाले प्रवासियों को स्थानीय अर्थव्यवस्था तथा समाज में पुनः एकीकृत करने में सहायता के लिए कार्यक्रम विकसित करना।
  • मोबिलिटी पार्टनरशिप का विस्तार करना: कौशल की कमी का सामना कर रहे देशों के साथ अधिक माइग्रेशन एंड मोबिलिटी पार्टनरशिप एग्रीमेंट (Migration and Mobility Partnership Agreement- MMPA)  पर वार्ता करना।

निष्कर्ष 

भारत कुशल श्रम के लिए वैश्विक केंद्र बनने के लिए परिसंचरण प्रवास का लाभ उठा सकता है तथा वापस लौटने वाले प्रवासियों के अनुभवों से लाभ उठाकर अपने कार्यबल को बढ़ा सकता है तथा वैश्विक आर्थिक विकास को गति दे सकता है।

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