विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को कोर फंडिंग देने वाला छठा सबसे बड़ा वैश्विक योगदानकर्ता भारत वर्ष 2025 से 2028 तक WHO के मुख्य कार्यक्रम के लिए 300 मिलियन डॉलर से अधिक का योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO)
संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी, अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार।
स्थापित: वर्ष1948।
मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड।
सदस्यता: 194 सदस्य देश।
विश्व स्वास्थ्य सभा (World Health Assembly- WHA): WHO की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था।
इसमें सभी सदस्य राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
WHA की नियुक्तियाँ: प्रत्येक पाँच वर्ष में महानिदेशक एवं प्रस्तावित बजट सहित WHO की नीति तथा वित्त के मामलों पर वोट करता है।
सचिवालय: WHA द्वारा अनुमोदित नीतियों एवं कार्यक्रमों को पूर्ण करने के लिए जिम्मेदार।
क्षेत्रीय कार्यालय: छह क्षेत्रीय कार्यालय।
अफ्रीका, अमेरिका, दक्षिण-पूर्व एशिया, यूरोप, पूर्वी भूमध्यसागरीय एवं पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र।
बैठकें: नीतियाँ निर्धारित करने, बजट को मंजूरी देने एवं महानिदेशक का चुनाव करने के लिए प्रतिवर्ष बैठक होती है।
फंडिंग तंत्र: दो मुख्य स्रोत:
मूल्यांकित योगदान: संगठन का सदस्य बनने के लिए देशों द्वारा दिया जाने वाला अंशदान।
स्वैच्छिक योगदान: सदस्य राज्यों से (उनके मूल्यांकित अंशदान के अतिरिक्त) या संयुक्त राष्ट्र संगठनों, अंतर-सरकारी संगठनों, परोपकारी फाउंडेशनों, निजी क्षेत्र आदि जैसे अन्य भागीदारों से।
अप्रैल 2022 एवं अप्रैल 2023 के बीच: मूल्यांकित योगदान कुल $956.9 मिलियन (आज तक कुल राजस्व का 12.1 प्रतिशत) था।
स्वैच्छिक योगदान कुल $6.92 बिलियन (आज तक कुल राजस्व का 87.5 प्रतिशत), एवं ‘अन्य राजस्व’ कुल $28.1 मिलियन (0.4 प्रतिशत) था।
फतह 2
ईरान ने इजरायल के साथ चल रहे संघर्ष में फतह-2 जैसी हाइपरसोनिक मिसाइलों का इस्तेमाल किया।
फतह 2 की मुख्य विशेषताएँ
यह हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV) वॉरहेड से लैस है, जो मिसाइल को मैक 5 एवं 20 के बीच की गति से चलने तथा ग्लाइड करने की अनुमति देता है।
फतह-2 की मारक क्षमता 1,500 किमी. है, जो अपने पूर्ववर्ती फतह-I से थोड़ी ही अधिक है।
यह मिसाइल पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर भी गति कर सकती है।
इसकी वायुगतिकीय नियंत्रण सतहें, वायुमंडल के भीतर संचालन की अनुमति देती हैं।
इसरो का तीसरा लॉन्च पैड
श्रीहरिकोटा में तीसरे लॉन्च पैड के प्रस्ताव को राष्ट्रीय अंतरिक्ष आयोग से मंजूरी मिल गई है।
नए लॉन्च पैड की आवश्यकता
न्यू जेनरेशन लॉन्च व्हीकल (NGLV) को समायोजित करने के लिए आवश्यक।
लॉन्च पैड में पारंपरिक ऊर्ध्वाधर लॉन्च के विपरीत, क्षैतिज एकीकरण एवं झुकाव की सुविधा होगी।
वर्तमान में, दूसरा लॉन्च पैड ही GSLV एवं LVM-3 जैसे बड़े लॉन्च व्हीकल को सँभालने में सक्षम है, लेकिन अगर यह निष्क्रिय हो जाए तो कोई बैकअप नहीं है।
पहला लॉन्च पैड प्रारंभ में PSLV के लिए डिजाइन किया गया था एवं यह क्रायोजेनिक चरणों हेतु उपयोगी नहीं है, जिससे नए लॉन्च व्हीकल के लिए इसका उपयोग सीमित हो गया है।
NGLV को भविष्य की माँगों को पूरा करने के लिए विकसित किया जा रहा है, जिसका लक्ष्य LVM-3 के साथ वर्तमान 9.2 टन की तुलना में 20 टन के पेलोड को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में लॉन्च करना है।
शैक्षणिक स्वतंत्रता सूचकांक
भारत का शैक्षणिक स्वतंत्रता स्कोर वर्ष 2013 में 0.6 अंक से गिरकर वर्ष 2023 में 0.2 अंक हो गया, जो 1940 के दशक के मध्य के बाद से इसका सबसे कम स्कोर है।
शैक्षणिक स्वतंत्रता सूचकांक
अकादमिक स्वतंत्रता सूचकांक स्कॉलर्स एट रिस्क (SAR) अकादमिक स्वतंत्रता निगरानी परियोजना की ‘फ्री टू थिंक 2024’ रिपोर्ट का भाग है।
SAR वैश्विक स्तर पर 665 विश्वविद्यालयों का एक नेटवर्क है, जिसमें कोलंबिया विश्वविद्यालय, ड्यूक विश्वविद्यालय एवं न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय शामिल हैं।
भारत के बारे में मुख्य निष्कर्ष
सूचकांक के अनुसार, भारत अब शैक्षणिक स्वतंत्रता के मामले में ‘पूर्ण रूप से प्रतिबंधित’ श्रेणी में है।
विश्वविद्यालयों द्वारा छात्र विरोध प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाए गए हैं:
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University- JNU) ने शैक्षणिक भवनों के पास विरोध प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया।
दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय (South Asian University- SAU) ने परिसर में छात्रों के विरोध प्रदर्शन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया।
केंद्र सरकार उच्च शिक्षा पर नियंत्रण को लेकर राज्य सरकारों के साथ विवादों में भी शामिल है।
उदाहरण: केरल में, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को विश्वविद्यालयों के चांसलर पद से हटाने के लिए एक विधायी संशोधन पर राज्य के साथ टकराव हुआ।
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