हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुजरात के गांधीनगर में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर लोथल के विकास को मंजूरी दी है।
परियोजना के बारे में
परियोजना: गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर का विकास करना।
उद्देश्य: भारत की 4,500 वर्ष पुरानी समुद्री विरासत को प्रदर्शित करना, जिससे यह विश्व का सबसे बड़ा समुद्री परिसर बन सके।
नोडल प्राधिकरण: बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय।
प्रमुख विशेषताएँ
चरण 1A: वर्तमान में 60% से अधिक प्रगति के साथ कार्यान्वयन जारी है, वर्ष 2025 तक इसका पूर्ण होने की उम्मीद है।
चरण 1B: इसमें एक लाइटहाउस संग्रहालय का निर्माण शामिल है, जो विश्व का सबसे ऊँचा संग्रहालय होने की संभावना है।
इसमें आठ गैलरी होंगी, जिनमें शामिल हैं:
भारतीय नौसेना और तटरक्षक गैलरी (INS निशंक, सी हैरियर विमान (Sea Harrier Aircraft) और UH3 हेलीकॉप्टर जैसी बाहरी नौसेना कलाकृतियों के साथ)।
एक खुली जलीय गैलरी और एक जेटी वॉकवे के साथ लोथल टाउनशिप की प्रतिकृति।
लाइटहाउस संग्रहालय के लिए धनराशि लाइटहाउस एवं लाइटशिप महानिदेशालय से प्राप्त होगी।
चरण 2
तटीय राज्य मंडपों का विकास संबंधित तटीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा किया जाएगा।
लोथल के बारे में
खोज: वर्ष 1954 में एस. आर. राव, भारतीय पुरातत्त्वविद् द्वारा।
स्थान: सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे दक्षिणी स्थल एवं एकमात्र बंदरगाह शहर।
यह मंदिर खंभात की खाड़ी के पास साबरमती की सहायक भोगवा नदी के किनारे स्थित है।
व्युत्पत्ति: गुजराती शब्द “लोथ” (मृत) और “थल” (टीला) से व्युत्पन्न, जिसका अर्थ है ‘मृतकों का टीला।’
व्यापार: मोतियों, रत्नों और आभूषणों के व्यापार का संपन्न केंद्र, जिसका निर्यात पश्चिम एशिया और अफ्रीका तक किया जाता है।
इस बंदरगाह ने मेसोपोटामिया, मिस्र और अन्य क्षेत्रों के साथ समुद्री व्यापार को सुविधाजनक बनाया।
प्रमुख विशेषताएँ
ज्वारीय बंदरगाह
विश्व का सबसे पुराना ज्ञात कृत्रिम डाकयार्ड।
शहर को साबरमती नदी के प्राचीन मार्ग से जोड़ा गया।
वास्तुकला
दो भागों में विभाजित
गढ़ी (ऊपरी शहर)
निचला शहर।
सील
लोथल में सिंधु घाटी सभ्यता स्थलों में से तीसरी सबसे बड़ी संख्या में मुहरें हैं।
चित्रित जानवर: छोटे सींग वाले बैल, पहाड़ी बकरियाँ, बाघ, हाथी बैल जैसे मिश्रित जानवर।
मिट्टी के बर्तन: दैनिक गतिविधियों के लिए उपयोग किए जाने वाले लाल मिट्टी के बर्तन।
टेराकोटा कला
आधुनिक समय के शतरंज के मोहरों से मिलते-जुलते गेममैन (Gamesmen)।
पहियों और शीर्षयुक्त जानवरों की आकृतियाँ (खिलौनों के रूप में प्रयोग की जाती हैं)।
सिंधु घाटी सभ्यता के महत्त्वपूर्ण स्थल
हड़प्पा (वर्तमान पाकिस्तान में): वृहद अन्न भंडार, लिंगम् और योनि का प्रतीक चिह्न, देवी की आकृति, लकड़ी के मोर्टार में गेहूँ और जौ, पासा, ताँबे का तराजू और दर्पण।
धोलावीरा (गुजरात): विशाल जल भंडार, अद्वितीय जल प्रबंधन प्रणाली, स्टेडियम, बाँध और तटबंध, विज्ञापन बोर्ड जैसे 10 बड़े आकार के चिह्नों से युक्त शिलालेख।
रोपड़ (पंजाब): मानव के साथ अंडाकार गड्ढे में दफनाए गए कुत्ते।
मोहनजोदड़ो (वर्तमान पाकिस्तान): कांस्य नर्तकी की मूर्ति, दाढ़ी वाले पुजारी की मूर्ति, वृहद स्नानागार, वृहद अन्नभंडार।
बालाथल और कालीबंगन (राजस्थान): चूड़ी निर्माण कारखाना, खिलौने वाली गाड़ियाँ ऊँट की हड्डियाँ, ईंटें, गढ़ी और निचला शहर।
हरियाणा में बनावली: खिलौने वाला हल, जौ के दाने, अंडाकार आकार की बस्ती, रेडियल सड़कों वाला एकमात्र शहर।
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