केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर बुनियादी ढाँचे में सुधार के लिए हमसफर नीति (Humsafar Policy) शुरू की।
हमसफर नीति (Humsafar Policy) के बारे में
उद्देश्य: भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रा अनुभव को सुगम बनाना।
नोडल मंत्रालय: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (भारत सरकार)।
हमसफर नीति की मुख्य विशेषताएँ
स्वच्छता सुविधाएँ: यात्रियों की सुविधा के लिए नियमित अंतराल पर स्वच्छ एवं सुव्यवस्थित शौचालय स्थापित किए जाएँगे।
शिशु देखभाल कक्ष: छोटे बच्चों वाले परिवारों के लिए शिशु देखभाल संबंधी आवश्यक वस्तुओं से सुसज्जित विशेष कमरे उपलब्ध होंगे।
पहुँच: यह सुनिश्चित करने के लिए व्हीलचेयर प्रावधान किए जाएँगे कि राजमार्ग दिव्यांग यात्रियों के लिए सुलभ हों।
EV चार्जिंग स्टेशन: पर्यावरण-अनुकूल यात्रा का समर्थन करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन (EV) चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएँगे।
पार्किंग सुविधाएँ: यातायात के सुचारू प्रवाह के लिए ईंधन स्टेशनों एवं विश्राम स्थलों पर पर्याप्त पार्किंग स्थान उपलब्ध कराए जाएँगे।
ईंधन स्टेशन: पेट्रोल, डीजल एवं अन्य आवश्यक सेवाओं तक आसान पहुँच सुनिश्चित करने के लिए राजमार्गों के किनारे अधिक ईंधन स्टेशन स्थापित किए जाएँगे।
रेस्तराँ एवं फूड कोर्ट: यात्री नियमित अंतराल पर स्थापित रेस्तराँ एवं फूड कोर्ट में गुणवत्तापूर्ण भोजन का आनंद ले सकते हैं।
ड्राइवरों के लिए शयनगृह: लंबी यात्रा के दौरान आराम की आवश्यकता वाले ट्रक ड्राइवरों एवं यात्रियों के लिए ईंधन स्टेशनों पर अल्पकालिक आवास प्रदान किए जाएँगे।
नीति के लाभ
स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: यह नीति पेट्रोल पंपों, रेस्तराँ एवं विश्राम स्थलों पर रोजगार के अवसर उत्पन्न करेगी, जिससे स्थानीय व्यवसायों को लाभ होगा।
उन्नत सुरक्षा: विश्राम क्षेत्रों एवं स्वच्छ सुविधाओं की पेशकश करके, यह नीति वाहन चालक की थकान को कम करने में सहायता करेगी, जिससे राजमार्गों पर सुरक्षित यात्रा में योगदान मिलता है।
सतत् यात्रा: EV चार्जिंग स्टेशनों का समावेश भारत के पर्यावरण-अनुकूल परिवहन में परिवर्तन का समर्थन करता है।
भारत ने हानले, लद्दाख में ‘मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरिमेंट’ (Major Atmospheric Cherenkov Experiment-MACE) वेधशाला के उद्घाटन के साथ खगोल भौतिकी में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है।
‘मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरिमेंट’ (MACE) के बारे में
MACE दुनिया का सबसे ऊँचा इमेजिंग चेरेनकोव टेलिस्कोप है।
यह गामा किरणों एवं कॉस्मिक किरणों जैसे उच्च ऊर्जा कणों द्वारा उत्पादित चेरेनकोव विकिरण का पता लगाने की सुविधा प्रदान करता है।
वैज्ञानिक लक्ष्य: दूरबीन उच्च-ऊर्जा गामा किरणों का अध्ययन करेगी, जो ब्रह्मांड में सबसे ऊर्जावान घटनाओं में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करेगी।
स्वदेशी विकास: MACE का निर्माण भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (Bhabha Atomic Research Centre- BARC) द्वारा ECIL एवं अन्य भारतीय उद्योग भागीदारों के समर्थन से किया गया था, जो भारत की तकनीकी क्षमताओं को प्रदर्शित करता है।
सामुदायिक जुड़ाव: परियोजना सामुदायिक भागीदारी एवं लद्दाख के सामाजिक-आर्थिक विकास पर जोर देती है।
भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा: MACE का उद्देश्य युवा वैज्ञानिकों एवं खगोलविदों को खगोल भौतिकी में नई सीमाओं का पता लगाने के लिए प्रेरित करना है।
MACE का महत्त्व
वैज्ञानिक सफलताएँ: MACE ब्रह्मांड में सबसे ऊर्जावान घटनाओं, जैसे सुपरनोवा, ब्लैक होल एवं गामा-रे विस्फोट को समझने के वैश्विक प्रयासों में योगदान देगा।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग: इस परियोजना का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना, वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय में भारत की स्थिति को मजबूत करना है।
तकनीकी उन्नति: MACE खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी के क्षेत्र में भारत की तकनीकी क्षमताओं को प्रदर्शित करता है।
मालाबार अभ्यास
पूर्वी नौसेना कमान के तत्त्वावधान में मालाबार (MALABAR), 2024 का उद्घाटन समारोह 09 अक्टूबर, 2024 को विशाखापत्तनम में भारतीय नौसैनिक जहाज सतपुड़ा पर आयोजित किया गया।
मालाबार अभ्यास के बारे में
मालाबार भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया एवं जापान के बीच एक चतुर्भुज नौसैनिक अभ्यास है।
इसे वर्ष 1992 में भारत एवं अमेरिका के बीच एक द्विपक्षीय अभ्यास के रूप में शुरू किया गया था, जिसने बाद में जापान (वर्ष 2015) तथा ऑस्ट्रेलिया (वर्ष 2020) के शामिल होने के साथ एक महत्त्वपूर्ण समुद्री जुड़ाव के रूप में और अधिक लोकप्रियता हासिल की।
यह अभ्यास भारत-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा, अंतरसंचालनीयता एवं सहयोग को बढ़ाने पर केंद्रित है।
यह अभ्यास भारत सरकार के ‘क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं विकास’ (Security & Growth for All in the Region- SAGAR) के दृष्टिकोण के अनुरूप है तथा समान विचारधारा वाले देशों के साथ भारत की बढ़ती भागीदारी को दर्शाता है।
‘क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं विकास’ (Security and Growth for All in the Region- SAGAR) के बारे में
SAGAR हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सहयोग के लिए भारत का विदेश नीति सिद्धांत है।
इस शब्द का इस्तेमाल पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2015 में पोर्ट लुईस में किया था।
सागर (SAGAR) के लक्ष्य हैं:-
सहयोग बढ़ाएँ: पड़ोसी देशों के साथ संबंध मजबूत करना, विशेषकर हिंद महासागर क्षेत्र में।
विकास को बढ़ावा देना: सतत् विकास एवं आर्थिक विकास का समर्थन करना।
समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना: राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना एवं समुद्री सुरक्षा तथा संरक्षा सुनिश्चित करना।
आपसी विश्वास बनाए रखना: विश्वास एवं खुलेपन का माहौल बनाए रखना।
मुद्दों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करना: क्षेत्रीय चिंताओं को दूर करना एवं समुद्री मुद्दों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करना।
अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करना: हिंद महासागर क्षेत्र के सभी देशों द्वारा अंतरराष्ट्रीय समुद्री नियमों एवं मानदंडों का पालन सुनिश्चित करना।
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