अंटार्कटिका में ‘हरित आवरण’ वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय (Green Patches in Antarctica, worrying scientists)
एक नए अध्ययन के अनुसार, बढ़ते तापमान के कारण पिछले कुछ दशकों में दक्षिण अमेरिका की ओर अंटार्कटिका प्रायद्वीप में उत्तरी क्षेत्र में स्थित वनस्पति आवरण में 10 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है।
अध्ययन के बारे में
यह अध्ययन ‘नेचर जियोसाइंस’ में प्रकाशित किया गया है।
यह अध्ययन एक्सेटर विश्वविद्यालय, हर्टफोर्डशायर और ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वेक्षण द्वारा संचालित किया गया है।
अध्ययन मुख्य रूप से अंटार्कटिका प्रायद्वीप पर केंद्रित था, जो अंटार्कटिका के बाकी हिस्सों की तुलना में तेजी से गर्म हो रहा क्षेत्र है।
मुख्य बिंदु
अंटार्कटिका में तापमान वृद्धि: अंटार्कटिका वैश्विक औसत (प्रति दशक 0.22-0.32 डिग्री सेल्सियस) से दोगुनी गति से गर्म हो रहा है।
अंटार्कटिका प्रायद्वीप वैश्विक औसत से पाँच गुना तेजी से गर्म हो रहा है, जो अब वर्ष 1950 की तुलना में 3 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म है।
हीट वेव की आवृत्ति में रिकॉर्ड वृद्धि देखी गईं:
जुलाई 2024: तापमान सामान्य से 10°C अधिक।
मार्च 2022: पूर्वी अंटार्कटिका क्षेत्र में हीटवेव के कारण तापमान सामान्य से 39°C अधिक रहा।
वनस्पति विस्तार
बढ़ते तापमान के कारण अंटार्कटिका प्रायद्वीप में वनस्पति आवरण 35 वर्षों में 14 गुना बढ़ गया है।
वर्ष 1986 में वनस्पतियाँ (ज्यादातर काई एवं लाइकेन) 1 वर्ग किलोमीटर से भी कम क्षेत्र में फैली हुई थीं, जो अब वर्ष 2021 में लगभग 12 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई हैं।
वर्ष 2016-2021 के बीच वनस्पति आवरण के विस्तार की दर में 30% से अधिक की वृद्धि हुई है।
गर्म समुद्र, नम परिस्थितियों में योगदान दे सकते हैं, जिससे पौधों की वृद्धि को बढ़ावा मिलता है।
वैश्विक जलवायु परिवर्तन प्रभाव (Global Climate Change Impact):
अंटार्कटिका में हरित आवरण का संबंध मानवजनित जलवायु परिवर्तन से है, जो दर्शाता है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की कोई भौगोलिक सीमा नहीं है।
समुद्री बर्फ की सीमा: वर्ष2024 में समुद्री बर्फ की दूसरी सबसे छोटी सीमा दर्ज की गई, जिसने समुद्र को गर्म करने में योगदान दिया।
हरित आवरण में वृद्धि के परिणाम
आक्रामक प्रजातियों का खतरा: काई, मिट्टी का निर्माण करती है, जो आक्रामक प्रजातियों को आकर्षित कर सकती है, जिससे देशज वनस्पतियों एवं जीवों को खतरा उत्पन्न हो सकता है।
एल्बिडो प्रभाव (Albedo effect): पौधों के बढ़ते आवरण से सतह गहरे रंग की हो जाती है, जिससे सूर्य के प्रकाश का परावर्तन कम हो जाता है, जिससे तापमान और बढ़ सकता है।
बर्फ के द्रव्यमान में हानि: अंटार्कटिका में हाल के दशकों में पहले से ही 280% अधिक बर्फ का द्रव्यमान कम हो रहा है, जिससे वैश्विक समुद्र का स्तर बढ़ रहा है।
भविष्य के निहितार्थ: जैसे-जैसे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन बढ़ेगा, तापमान वृद्धि की प्रवृत्ति जारी रहने की संभावना है, जिससे अंटार्कटिका में अधिक वनस्पतियाँ बढ़ेंगी तथा पर्यावरणीय परिवर्तन होंगे।
अंटार्कटिका के बारे में
पाँचवाँ सबसे बड़ा महाद्वीप, जो यूरोप से लगभग 40% बड़ा है।
इसकी औसत ऊँचाई समुद्र तल से 7,200 फीट (2,200 मीटर) है।
इसे अक्सर ‘जमा हुआ महाद्वीप’ या ‘श्वेत महाद्वीप’ के रूप में जाना जाता है।
दुनिया की एकमात्र ज्ञात ‘लावा झीलों’ का क्षेत्र है।
पेंगुइन का आवास, विशेष रूप से एडेली पेंगुइन (Adelie Penguins)।
यहाँ पृथ्वी पर सबसे अधिक औसत वायु गति है।
अंटार्कटिका का बर्फ का आवरण, दुनिया का सबसे बड़ा एकल बर्फ आवरण है।
अंटार्कटिका में वसंत विषुव से शरद विषुव तक सूर्य उदय नहीं होता है और गर्मियों के महीनों में अंटार्कटिका में अस्त नहीं होता है।
अंटार्कटिका परिध्रुवीय धारा (Antarctic Circumpolar Current- ACC) दुनिया की सबसे बड़ी पवन-चालित धारा है और अटलांटिक, प्रशांत और हिंद महासागरों को जोड़ने वाली एकमात्र धारा है।
भारत का अंटार्कटिक कार्यक्रम
दक्षिण गंगोत्री: भारत का पहला अंटार्कटिक अनुसंधान बेस वर्ष 1983 में बनाया गया और वर्ष 1989 में बंद कर दिया गया।
मैत्री: भारत का दूसरा अंटार्कटिक अनुसंधान बेस वर्ष 1989 में बनाया गया।
मैत्री II: पुराने बुनियादी ढाँचे के कारण मैत्री की जगह एक नया स्टेशन बनाया जा रहा है। जनवरी 2029 में इसके पूरा होने की उम्मीद है।
भारती: भारत का तीसरा अंटार्कटिक अनुसंधान स्टेशन वर्ष 2012 में बनाया गया।
राष्ट्रीय अंटार्कटिक एवं महासागर अनुसंधान केंद्र (National Centre for Antarctic and Ocean Research- NCPOR) के तहत एक वैज्ञानिक अनुसंधान और अन्वेषण कार्यक्रम वर्ष 1981 में अंटार्कटिका में भारत के पहले अभियान के साथ शुरू हुआ।
NCPOR की स्थापना वर्ष 1998 में हुई थी।
विश्व डाक दिवस 2024 (World Post Day 2024)
संचार, व्यापार और विकास में डाक प्रणाली की भूमिका को मान्यता देने के लिए प्रत्येक वर्ष 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस (World Post Day) मनाया जाता है।
मुख्य बिंदु
यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU) की 150वीं वर्षगाँठ: इस वर्ष विश्व डाक दिवस के रूप में UPU की स्थापना के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं।
UPU की स्थापना वर्ष 1874 में एक एकीकृत अंतरराष्ट्रीय डाक प्रणाली बनाने के लिए की गई थी, जिससे वैश्विक डाक विनिमय अधिक कुशल हो सके।
इतिहास
विश्व डाक दिवस: डाक सेवाओं के महत्त्व पर जोर देने के लिए वर्ष 1969 में टोक्यो में UPU कांग्रेस में इसकी घोषणा की गई।
वर्ष 2024 का थीम: ‘राष्ट्रों में संचार को सक्षम बनाने और लोगों को सशक्त बनाने के 150 वर्ष।’ (150 years of enabling communication and empowering peoples across nations)
डाक सेवाओं का महत्त्व
संचार: दुनिया भर के लोगों को जोड़ने के लिए आवश्यक।
व्यापार: वस्तुओं एवं सेवाओं के आदान-प्रदान को सुगम बनाता है।
विकास: आर्थिक विकास एवं सामाजिक प्रगति का समर्थन करता है।
ई-कॉमर्स: ऑनलाइन शॉपिंग एवं डिलीवरी में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
वित्तीय समावेशन: दूरस्थ क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं तक पहुँच प्रदान करता है।
RBI ने UPI 123 और UPI Lite पर लेनदेन की सीमा बढ़ाई
हाल ही में एकीकृत भुगतान इंटरफेस (Unified Payments Interface- UPI) को व्यापक रूप से अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने UPI 123 और UPI Lite पर लेनदेन की सीमा में वृद्धि की घोषणा की।
UPI Lite के बारे में
UPI Lite एक ‘ऑन-डिवाइस वॉलेट’ है।
उपयोगकर्ताओं को पहले अपने बैंक खाते से ऐप के वॉलेट में धनराशि जमा करनी होगी।
उपयोगकर्ता इंटरनेट के बिना वास्तविक समय में भुगतान कर सकते हैं।
उपयोगकर्ताओं को UPI पिन दर्ज किए बिना कम मूल्य के लेनदेन करने की अनुमति देता है।
पहला चरण: UPI लाइट लगभग ऑफलाइन मोड में लेनदेन की प्रक्रिया करेगा, डेबिट (भुगतान) इंटरनेट कनेक्शन के बिना किया जा सकता है और खाते में क्रेडिट ऑनलाइन किया जाएगा।
प्रारंभिक सीमा: ₹500 प्रति लेनदेन, वॉलेट सीमा ₹2,000 है।
नई सीमाएँ:
प्रति लेनदेन: ₹1,000।
वॉलेट सीमा: ₹5,000।
UPI 123 भुगतान के बारे में
UPI 123 भुगतान, गैर-स्मार्ट फोन/फीचर फोन उपयोगकर्ताओं के लिए विकसित समाधानों का एक समूह है, जो इंटरनेट कनेक्टिविटी के बिना UPI का उपयोग करते हैं।
फीचर, फोन उपयोगकर्ताओं को UPI का उपयोग करने में सक्षम बनाने के लिए मार्च 2022 में शुरू किया गया।
यह 12 भाषाओं में उपलब्ध है।
प्रौद्योगिकी विकल्पों में IVR नंबर, ऐप कार्यक्षमता, मिस्ड-कॉल और निकटता ध्वनि आधारित भुगतान शामिल हैं।
लेनदेन सीमाएँ
प्रारंभिक लेनदेन सीमा: प्रति लेनदेन ₹5,000।
नई लेनदेन सीमा: व्यापक उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए इसे बढ़ाकर ₹10,000 कर दिया गया है।
RBI की नई पहल
RTGS और NEFT के लिए लाभार्थी खाता नाम खोजना
UPI और IMPS के समान, यह सुविधा धन प्रेषकों को धन हस्तांतरण से पहले खाता संख्या और शाखा का IFSC कोड डालकर लाभार्थी का नाम सत्यापित करने की अनुमति देगी।
इसका उद्देश्य ग्राहकों का विश्वास बढ़ाना, गलत क्रेडिट को कम करना और धोखाधड़ी को रोकना है।
महत्त्व
डिजिटल भुगतान अपनाने को प्रोत्साहित करता है, विशेषतौर पर फीचर, फोन उपयोगकर्ताओं और छोटे-मूल्य के लेनदेन के लिए।
खाता नाम सत्यापन की अनुमति देकर फंड ट्रांसफर में विश्वास एवं सटीकता को बढ़ाता है।
भारत के डिजिटल भुगतान बुनियादी ढाँचे और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देता है।
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