हाल के दिनों में सुदूर दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र के आकाश में सामान्य से कहीं अधिक तीव्र ऑरोरा बोरेलिस (Aurora Borealis) प्रकाशीय घटना हो रही है।
संबंधित तथ्य
असामान्य रूप से शक्तिशाली सौर तूफान के कारण उत्पन्न यह चमकदार प्रकाशीय घटना, वर्ष 2024 में पृथ्वी पर आने वाले सौर तूफानों की शृंखला का हिस्सा है।
इन्हें जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, न्यू इंग्लैंड और यहाँ तक कि न्यूयॉर्क शहर और न्यू मेक्सिको के कुछ हिस्सों में भी देखा गया।
ऐसा ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ (Coronal Mass Ejections- CME) से उत्पन्न प्रभावी भू-चुंबकीय सौर तूफानों के कारण होता है।
ऑरोरा परिघटना (Aurora Phenomenon):
ऑरोरा प्राकृतिक रूप से प्रकाश का प्रदर्शन हैं, जो पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों में घटित होते हैं।
इन्हें उत्तरी गोलार्द्ध में ऑरोरा बोरियालिस(उत्तरी रोशनी) और दक्षिणी गोलार्द्ध में ऑरोरा ऑस्ट्रेलिस(दक्षिणी रोशनी) के नाम से जाना जाता है।
इनका निर्माण तब होता है, जब सौर पवन से आवेशित कण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ संपर्क करते हैं, जो पृथ्वी के चारों ओर एक सुरक्षात्मक चुंबकीय क्षेत्र के रूप में कार्य करता है।
ये कण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में फँस जाते हैं और ध्रुवीय क्षेत्रों की ओर चले जाते हैं, जहाँ वे वायुमंडल में परमाणुओं एवं अणुओं से टकराते हैं, जिससे प्रकाश के रूप में ऊर्जा निकलती है।
इससे ऑरोरा में दिखाई देने वाले जीवंत रंग उत्पन्न होते हैं, जो हरे एवं लाल (ऑक्सीजन) से लेकर नीले और बैंगनी (नाइट्रोजन) तक हो सकते है।
सौर तूफान और 11 वर्षीय सौर चक्र
ऑरोरा में हालिया वृद्धि 11-वर्षीय सौर चक्र से जुड़ी हुई है, जिसके दौरान सूर्य की गतिविधियाँ बढ़ती एवं घटती हैं।
इस समय सूर्य इस चक्र के शिखर के निकट पहुँच रहा है, जिसे सोलर मैक्सिमम (Solar Maximum) के रूप में जाना जाता है, जहाँ सोलर फ्लेयर्स और सोलर तूफान अधिक बार आते हैं।
मई 2024 में, सूर्य ने लगभग दो दशकों में अपनी सबसे बड़े सोलर फ्लेयर्स का उत्सर्जन किया और तब से, पृथ्वी ने कई महत्त्वपूर्ण सौर तूफानों का अनुभव किया है।
ये भू-चुंबकीय तूफान संभवतः जारी रहेंगे, क्योंकि ‘सोलर मैक्सिमम’ वर्ष 2026 तक कम होने की उम्मीद नहीं है।
भू-चुंबकीय तूफान (Geomagnetic Storm) क्या है?
भू-चुंबकीय तूफान सौर गतिविधि के कारण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में विक्षोभ हैं।
सूर्य के भीतर, परमाणु संलयन लगातार भारी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करता है।
इस ऊर्जा का कुछ भाग सूर्य के प्रकाश, विकिरण (सोलर फ्लेयर्स) और आवेशित कणों के रूप में उत्सर्जित होता है।
सौर वायु: सूर्य भी आवेशित कणों की एक सतत् धारा उत्सर्जित करता है जिसे ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ (CME) कहा जाता है।
कभी-कभी, यह ऊर्जा के बड़े विस्फोट उत्सर्जित करता है, जिन्हें CME के रूप में जाना जाता है, जो आवेशित प्लाज्मा के बादलों को अंतरिक्ष में भेजते हैं।
जब ये विस्फोट पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराते हैं, तो वे भू-चुंबकीय तूफान उत्पन्न कर सकते हैं।
पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र: एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है, हानिकारक सौर विकिरण और आवेशित कणों को विक्षेपित करता है।
भारी भू-चुंबकीय तूफान का संभावित प्रभाव
विद्युत ग्रिड के लिए गंभीर जोखिम: सौर तूफान विद्युत लाइनों में विद्युत धारा उत्पन्न कर सकते हैं, ट्रांसफार्मरों पर अधिक भार डाल सकते हैं और ब्लैकआउट का कारण बन सकते हैं।
जैसा कि वर्ष 1989 में क्यूबेक में हुआ था।
संचार उपग्रहों पर प्रभाव: यह पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले उपग्रहों को नुकसान पहुँचाता है, विशेष रूप से उच्च, भू-समकालिक कक्षाओं में स्थित उपग्रहों को।
विमानन: भू-चुंबकीय तूफानों के कारण रेडियो संचार तथा GPS बाधित होता है, विशेष रूप से ध्रुवीय क्षेत्रों के पास की उड़ानों के लिए, जहाँ तूफान का प्रभाव अधिक होता है।
अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खतरा: वर्तमान में अंतरिक्ष यात्रियों को तत्काल कोई खतरा नहीं है, क्योंकि वे पृथ्वी की निचली कक्षा में अपेक्षाकृत पृथ्वी के निकट रहते हैं।
इससे अंतरिक्ष भ्रमण के दौरान संचयी विकिरण जोखिम के संबंध में चिंता उत्पन्न होगी।
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