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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal October 17, 2024 03:30 89 0

मेचाजिला (Mechazilla)

स्पेसएक्स (SpaceX) ने ‘मेचाजिला’ (Mechazilla) नामक एक अभिनव संरचना का उपयोग करके अपने स्टारशिप रॉकेट (Starship Rocket) को उतारकर अंतरिक्ष अन्वेषण में एक महत्त्वपूर्ण सफलता हासिल की है।

मेचाजिला क्या है?

  • मेचाजिला टेक्सास के स्टारबेस में स्पेसएक्स की 400 फीट लंबी रॉकेट की लैंडिंग कराने वाली संरचना का उपनाम है।
  • इसकी दो विशाल यांत्रिक शाखाएँ हैं, जिन्हें ‘चॉपस्टिक्स’ (Chopsticks) कहा जाता है, जो सुपर हेवी बूस्टर (Super Heavy Booster) को पृथ्वी पर लौटते समय हवा में ही नियंत्रित करने के लिए डिजाइन की गई हैं। 
  • इसका उद्देश्य रॉकेट रिकवरी को अधिक कुशल एवं पुन: प्रयोज्य बनाकर परिवर्तनकारी बदलाव लाना है।

मेचाजिला कैसे कार्य करता है?

  • लॉन्च एवं आरोहण: सुपर हैवी बूस्टर के साथ स्टारशिप रॉकेट लॉन्च होता है।
  • बूस्टर पृथक्करण (Booster Separation): एक निश्चित ऊँचाई तक पहुँचने के बाद, बूस्टर ऊपरी चरण से पृथक हो जाता है।
  • नियंत्रित अवरोहण (Controlled Descent): बूस्टर पृथ्वी पर वापस उतरने के लिए थ्रस्टर्स (Thrusters) का उपयोग करता है।
  • बूस्टर को नियंत्रित करना: मेचाजिला की शाखाएँ नियंत्रित लैंडिंग के लिए बूस्टर को हवा में ही नियंत्रित करती हैं।

मेचाजिला का महत्त्व 

  • पुन: प्रयोज्यता: बूस्टर पर टूट-फूट को कम करता है, जिससे भविष्य में लॉन्च के लिए त्वरित नवीनीकरण की अनुमति मिलती है।
  • लागत में कमी: तेजी से बदलाव के समय को सक्षम बनाता है, जिससे अंतरिक्ष मिशनों की कुल लागत कम हो जाती है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: पारंपरिक समुद्री लैंडिंग की तुलना में बूस्टर को कम नुकसान, पर्यावरणीय नुकसान को कम करना।

भविष्य के निहितार्थ

  • बार-बार अधिक अंतरिक्ष मिशन को प्रोत्साहन देना: मेचाजिला रॉकेटों के तेजी से पुन: उपयोग की अनुमति देगा, जिससे प्रक्षेपण की आवृत्ति बढ़ जाएगी।
  • लागत-प्रभावी अंतरिक्ष अन्वेषण: लागत कम करके, स्पेसएक्स अंतरिक्ष अन्वेषण को और अधिक सुलभ बना सकता है।
  • अंतरग्रहीय मिशन: एलन मस्क के अंतरग्रहीय यात्रा के दृष्टिकोण का समर्थन करता है, जिसमें मंगल एवं चंद्रमा के भविष्य के मिशन भी शामिल हैं।

प्रधानमंत्री प्रारंभिक कॅरियर अनुसंधान अनुदान (Prime Minister Early Career Research Grant- PMECRG)

तथा

उच्च प्रभाव वाले क्षेत्रों में उन्नति के लिए मिशन-इलेक्ट्रिक वाहन (MAHA-EV) मिशन

हाल ही में नव संचालित अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (Anusandhan National Research Foundation- ANRF) ने अपनी पहली दो पहलों [प्रधानमंत्री प्रारंभिक कॅरियर अनुसंधान अनुदान (PMECRG) एवं उच्च प्रभाव वाले क्षेत्रों में उन्नति के लिए मिशन- इलेक्ट्रिक वाहन (MAHA- EV)] मिशन के शुभारंभ की घोषणा की है।

प्रधानमंत्री प्रारंभिक कॅरियर अनुसंधान अनुदान (PMECRG)

  • उद्देश्य: भारत की वैज्ञानिक उत्कृष्टता एवं नवाचार में योगदान देने के लिए प्रारंभिक कॅरियर शोधकर्ताओं का समर्थन करना।
  • मुख्य फोकस
    • युवा शोधकर्ताओं को नवीन, उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान में संलग्न होने के लिए प्रोत्साहित करता है।
    • ज्ञान की सीमाओं का विस्तार करता है एवं तकनीकी प्रगति को आगे बढ़ाता है।
    • एक जीवंत, अनुसंधान संचालित पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के ANRF के लक्ष्य के अनुरूप है।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य भारत को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (S&T) में एक वैश्विक हितधारक के रूप में स्थापित करना है, शुरुआती शोधकर्ताओं को अभूतपूर्व खोजों में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करना है।
  • पहल का महत्त्व 

प्रधानमंत्री प्रारंभिक कॅरियर अनुसंधान अनुदान (PMECRG): शुरुआती कॅरियर शोधकर्ताओं को सशक्त बनाकर, भारत की अनुसंधान क्षमता एवं तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देकर नवाचार में वृद्धि करता है।

उच्च प्रभाव वाले क्षेत्रों में उन्नति के लिए मिशन – इलेक्ट्रिक वाहन (MAHA-EV) मिशन

  • उद्देश्य: भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के लिए एक मजबूत अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना, घरेलू नवाचार को बढ़ावा देना तथा आयात निर्भरता को कम करना।
  • मुख्य फोकस क्षेत्र
    • ट्रॉपिकल EV  बैटरी एवं बैटरी सेल
    • पॉवर इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनें एंड ड्राइव (PEMD)
    • इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर।
  • मिशन के लक्ष्य
    • EV घटकों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भर भारत का समर्थन करता है।
    • महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक चुनौतियों से निपटने के लिए संस्थानों में सहयोग को प्रोत्साहित करता है।
    • इसका उद्देश्य भारत को EV घटक विकास के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
  • पहल का महत्त्व 
    • MAHA-EV मिशन: भारत को EV क्षेत्र में एक वैश्विक हितधारक के रूप में स्थापित करना, स्थिरता लक्ष्यों के साथ संरेखित करना एवं हरित भविष्य के लिए इलेक्ट्रिक गतिशीलता को बढ़ावा देना।

नील नदी बेसिन कोओपरेटिव फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (Nile River Basin Cooperative Framework Agreement) 

हाल ही में क्षेत्रीय साझेदारी ने मिस्र के विरोध के बावजूद नील नदी समझौते की पुष्टि की, जिसका लक्ष्य सभी के लिए समान जल उपयोग एवं स्थिरता  सुनिश्चित करना है।

सहकारी फ्रेमवर्क समझौते (Cooperative Framework Agreement- CFA) के बारे में

  • छह अपस्ट्रीम देशों द्वारा अनुसमर्थन के बाद CAF 13 अक्टूबर, 2024 को लागू हुआ।
  • इसका उद्देश्य सभी तटवर्ती देशों के बीच नील नदी के जल संसाधनों का समान उपयोग करना है।
  • पुराने औपनिवेशिक युग के समझौतों (वर्ष 1929 और वर्ष 1959) को प्रतिस्थापित करना है, जो मिस्र एवं सूडान का भारी समर्थन करते थे।
  • अनुसमर्थित: इथियोपिया, युगांडा, रवांडा, बुरुंडी, तंजानिया। दक्षिण सूडान के हालिया अनुसमर्थन के कारण समझौता लागू हुआ।
  • विरोध: मिस्र एवं सूडान, जिन्हें संदेह है कि इससे नील नदी के जल में उनका हिस्सा कम हो जाएगा।
  • नील नदी बेसिन आयोग (Nile River Basin Commission- NRBC) में परिवर्तन: CAF का लक्ष्य नील नदी के संसाधनों को सामूहिक रूप से प्रबंधित करने के लिए नील बेसिन पहल (Nile Basin Initiative- NBI) की जगह नील नदी बेसिन आयोग (Nile River Basin Commission- NRBC) की स्थापना करना है।

ऐतिहासिक समझौते

  • वर्ष 1929 का समझौता: मिस्र एवं ब्रिटेन (सूडान की ओर से) द्वारा हस्ताक्षरित, मिस्र को अपस्ट्रीम जल परियोजनाओं पर वीटो करने का अधिकार दिया गया।
  • वर्ष 1959 का समझौता: मिस्र एवं सूडान के बीच, नील नदी के जल का 75% भाग मिस्र को आवंटित किया गया, 25% सूडान को छोड़ दिया गया। इन समझौतों में अपस्ट्रीम देशों को शामिल नहीं किया गया।

नील नदी के बारे में

  • नील नदी दुनिया की सबसे लंबी नदी है एवं अफ्रीका महाद्वीप में जल का एक प्रमुख स्रोत है। 
  • नील नदी को ‘अफ्रीकी नदियों का जनक’ कहा जाता है।
  • नील नदी का निर्माण तीन प्रमुख धाराओं से होता है: ब्लू नील (Blue Nile), अटबारा (Atbara) एवं व्हाइट नील (White Nile)
  • अपवाह मार्ग: लगभग 6,695 किलोमीटर (4,160 मील) लंबा। 
  • बेसिन: इसमें मिस्र, सूडान, इथियोपिया, युगांडा, केन्या, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, रवांडा, बुरुंडी, तंजानिया एवं दक्षिण सूडान सहित 11 अफ्रीकी देशों के हिस्से शामिल हैं। 
  • सहायक नदियाँ: दो मुख्य सहायक नदियाँ: व्हाइट नील (White Nile) एवं ब्लू नील (Blue Nile)। 
    • व्हाइट नील, विक्टोरिया झील से निकलती है एवं युगांडा तथा दक्षिण सूडान से होकर बहती है। 
    • ब्लू नील इथियोपिया में ताना झील से निकलती है एवं दक्षिण-पूर्व से सूडान में बहती है। 
    • दोनों नदियाँ सूडान की राजधानी खार्तूम में मिलती हैं। 
    • डेल्टा: जब यह भूमध्य सागर में गिरती है तो एक धनुषाकार डेल्टा (त्रिकोणीय या पंखे के आकार का) बनता है।

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