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‘ग्रीनवाशिंग और भ्रामक पर्यावरणीय दावों की रोकथाम और विनियमन’ 2024 दिशा-निर्देश

Lokesh Pal October 17, 2024 03:35 76 0

संदर्भ

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (Central Consumer Protection Authority) ने ‘ग्रीनवाशिंग और भ्रामक पर्यावरणीय दावों की रोकथाम और विनियमन’ 2024 (‘Prevention and Regulation of Greenwashing and Misleading Environmental Claims’ 2024) के लिए दिशानिर्देश जारी किए।

  • यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत भ्रामक विज्ञापनों और भ्रामक विज्ञापनों के समर्थन की रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश, 2022 को आगे बढ़ाते हुए जारी किया गया।

संबंधित तथ्य

  • केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामलों को विनियमित करने के लिए अपने अधिदेश का प्रयोग किया है, जो जनता एवं उपभोक्ताओं के हितों के लिए हानिकारक हैं।
  • दिशा-निर्देश निर्माताओं, सेवा प्रदाताओं या व्यापारियों द्वारा किए गए सभी पर्यावरणीय दावों पर लागू होंगे, जिनके सामान, उत्पाद या सेवाएँ किसी विज्ञापन का विषय हैं।
  • यह किसी विज्ञापन एजेंसी पर भी लागू होगा, जिसकी सेवा ऐसे सामान, उत्पाद या सेवाओं के विज्ञापन के लिए उपलब्ध है।

CCPA  द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की मुख्य विशेषताएँ

  • स्पष्ट परिभाषाएँ: दिशा-निर्देश ग्रीनवाशिंग और पर्यावरण संबंधी दावों से संबंधित शब्दों की स्पष्ट परिभाषाएँ प्रदान करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि व्यवसाय और उपभोक्ता दोनों को एक समान समझ हो।
  • पारदर्शिता की आवश्यकताएँ: निर्माताओं और सेवा प्रदाताओं को ऐसे दावों का समर्थन करने के लिए उपयोग की जाने वाली कार्यप्रणाली और डेटा पर विस्तृत जानकारी प्रदान करके विश्वसनीय साक्ष्य के साथ अपने पर्यावरण संबंधी दावों को प्रमाणित करना आवश्यक है।
  • भ्रामक शब्दों का निषेध: उचित प्रमाण के बिना ‘पर्यावरण के अनुकूल’, ‘हरित’ और ‘टिकाऊ या सतत्’ जैसे अस्पष्ट या भ्रामक शब्दों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की माँग की गई है।
  • पर्याप्त प्रकटीकरण: कंपनियों को महत्त्वपूर्ण जानकारी का स्पष्ट और सुलभ प्रकटीकरण प्रदान करना आवश्यक है।
    • दावों में संदर्भित पहलू जैसे माल, विनिर्माण प्रक्रिया, पैकेजिंग आदि का उल्लेख होना चाहिए तथा उन्हें विश्वसनीय प्रमाणीकरण या विश्वसनीय वैज्ञानिक साक्ष्य द्वारा समर्थित होना चाहिए।

ग्रीनवाशिंग (Greenwashing) क्या है?

  • ग्रीनवाशिंग का मतलब है ऐसी कंपनियाँ, संगठन या देश जो पर्यावरण अथवा जलवायु के अनुकूल होने के बारे में संदिग्ध या अपुष्ट दावे करते हैं।
  • इन निराधार दावों का इस्तेमाल उपभोक्ताओं को यह विश्वास दिलाने के लिए किया जाता है कि किसी कंपनी के उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल हैं।
    • उदाहरण के लिए वर्ष 2015 के वोक्सवैगन स्कैंडल (Volkswagen Scandal) में, कंपनी ने अपने ‘हरित’ डीजल वाहनों के उत्सर्जन परीक्षणों में धोखाधड़ी की थी।
  • भ्रामक दावे: कंपनियाँ और सरकारें अक्सर अपनी पर्यावरण-अनुकूल पहलों के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर या भ्रामक बातें कहती हैं।

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA)

  • स्थापना: CCPA की स्थापना जुलाई 2020 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत की गई थी।
  • उद्देश्य: अनुचित व्यापार प्रथाओं और झूठे एवं भ्रामक विज्ञापनों पर नकेल कसकर उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करना, जो जनता और उपभोक्ताओं के हितों के लिए हानिकारक हैं।
  • नोडल मंत्रालय: उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय (भारत सरकार)।
  • संरचना: मुख्य आयुक्त, अध्यक्ष के रूप में और दो अन्य आयुक्त सदस्य।
    • इनमें से एक वस्तु से संबंधित मामलों को देखता है, जबकि दूसरा सेवाओं से संबंधित मामलों को देखता है।
  • शक्तियाँ: अनुचित व्यापार प्रथाओं से उत्पन्न उपभोक्ता हानि को रोकने के लिए आवश्यक होने पर हस्तक्षेप करना तथा सामूहिक कार्रवाई आरंभ करना।
    • यह स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई कर सकता है, उत्पादों को वापस मँगा सकता है, वस्तुओं/सेवाओं की कीमत की प्रतिपूर्ति का आदेश दे सकता है, लाइसेंस रद्द कर सकता है।
    • अनुचित और उपभोक्ताओं के हितों के प्रतिकूल व्यवहारों को बंद करने के आदेश पारित कर सकता है और झूठे या भ्रामक विज्ञापनों के मामलों में दंड लगा सकता है।
  • निगरानी शाखा: महानिदेशक की अध्यक्षता में, जो उपभोक्ता कानून के उल्लंघन की जाँच या अन्वेषण कर सकता है।

  • कॉरपोरेट आरोप: शेल (Shell), बीपी (BP) और कोका-कोला (Coca-Cola) जैसी बड़ी कंपनियों पर ग्रीनवाशिंग के आरोप लगे हैं।
  • बढ़ता दबाव: जलवायु परिवर्तन के बारे में बढ़ती जागरूकता के कारण कॉरपोरेट और सरकारों पर पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने का दबाव बढ़ गया है।
    •  कई लोगों के पास कानूनी प्रतिबद्धताएँ और लक्ष्य हैं, जिन्हें पूरा करना है।
  • शामिल देश: राष्ट्र अपने वन कार्बन अवशोषण क्षमता या नए कार्बन विनियमनों के प्रभाव को बढ़ा-चढ़ाकर बताकर भी ग्रीनवाश कर सकते हैं। 
  • कार्बन ट्रेडिंग जाँच: कार्बन ट्रेडिंग और कार्बन ऑफसेट तंत्र, जैसे कि हवाई यात्रा को वृक्षारोपण द्वारा ऑफसेट करना, अक्सर उनकी वैज्ञानिक वैधता पर सवाल उठाए जाते हैं और इससे ग्रीनवाशिंग को बढ़ावा मिल सकता है।
  • संयुक्त राष्ट्र का रुख: संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने ग्रीनवाशिंग पर ‘जीरो टॉलरेंस’ का आह्वान किया तथा नेट जीरो लक्ष्य वाले निगमों या क्षेत्रों जैसी गैर-राज्य संस्थाओं द्वारा भ्रामक प्रथाओं पर अंकुश लगाने के लिए एक विशेषज्ञ समूह की स्थापना की।
  • ग्रीनवाशिंग के प्रकार: कभी-कभी कंपनियाँ वास्तव में अपने पर्यावरणीय प्रभाव को बढ़ा-चढ़ाकर बताती हैं, लेकिन जानबूझकर की गई भ्रामक प्रथाएँ अधिक गंभीर होती हैं।

अन्य संबंधित शब्द

  • ब्लूवाशिंग (Bluewashing): जब कंपनियाँ या संगठन, वास्तव में कोई महत्त्वपूर्ण या प्रभावशाली परिवर्तन किए बिना, अक्सर संयुक्त राष्ट्र (UN) जैसे संगठनों के साथ जुड़कर, सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर जोर देते हैं।
    • यह नैतिक या सामाजिक रूप से जिम्मेदार दिखने के लिए भ्रामक दावों का एक रूप है।
  • पिंकवाशिंग (Pinkwashing): जब कंपनियाँ प्रगतिशील दिखने के लिए स्वयं को LGBTQ+ अधिकारों का समर्थक बताती हैं, जबकि LGBTQ+ समुदाय के समर्थन के लिए वास्तविक या सार्थक कार्रवाई नहीं करती हैं।
    • इसमें LGBTQ+ के हितों की वास्तविक वकालत किए बिना लाभ के लिए गौरव प्रतीकों का उपयोग करना शामिल हो सकता है।
  • पर्पलवाशिंग (Purplewashing): पिंकवाशिंग के समान, लेकिन विशेष रूप से उन कंपनियों को संदर्भित करता है, जो खुद को लैंगिक समानता या नारीवाद के चैंपियन के रूप में प्रचारित करती हैं, अक्सर महिला उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए, जबकि वे अपने संगठनों या प्रथाओं के भीतर लैंगिक मुद्दों को संबोधित या सुधार नहीं करती हैं। 
  • ब्राउनवाशिंग (Brownwashing): जब कंपनियाँ नस्लीय न्याय या विविधता का समर्थन करने का दावा करती हैं, विशेषकर ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ जैसे आंदोलनों के बाद, समावेशिता या नस्लीय समानता के संदर्भ में वास्तविक परिवर्तनों को लागू किए बिना।

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