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भारतीय खाद्यान्न सुरक्षा : समतापूर्ण कृषि-खाद्य प्रणालियाँ

Lokesh Pal October 16, 2024 05:45 72 0

संदर्भ:

प्रत्येक वर्ष 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2024 के लिए इसकी थीम,  “बेहतर जीवन के लिए खाद्य पदार्थों का अधिकार” विषय पर केंद्रित है, जो सभी के लिए सुरक्षित, पौष्टिक और किफायती भोजन तक पहुंच पर जोर देता है।

भारत में खाद्य सुरक्षा संबंधी मुद्दे

  • खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार वर्तमान समय में देश के लगभग 733 मिलियन लोग भूख से जूझ रहे हैं, जो कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता को दर्शाता है।
  • भारत वैश्विक भूख सूचकांक (2024) में 127 देशों में 105वें स्थान पर है। 2013 का राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) 800 मिलियन से अधिक नागरिकों का प्रतिनिधित्व करता है, जो सरकारी खाद्य सहायता पर महत्वपूर्ण निर्भरता को दर्शाता है।

खाद्य सुरक्षा हेतु महत्वपूर्ण पहल/प्रयास : 

  • वर्ष 2013 का राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) खाद्य सुरक्षा की दिशा में एक आधारभूत पहल है, जो 800 मिलियन से अधिक नागरिकों को खाद्य अधिकार प्रदान करता है।
  • हरित क्रांति ने भारत को खाद्य-कमी वाले देश से खाद्य-अतिरिक्त देश में बदल दिया है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद जैसे संस्थानों से कृषि अनुसंधान में प्रभावी नीतियों और प्रगति का समर्थन प्राप्त है।
  • फोर्टिफाइड चावल का वितरण: हाल की पहलों में जुलाई 2024 से दिसंबर 2028 तक पोषण बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अनुमोदित फोर्टिफाइड चावल का वितरण शामिल है।
  • एफएओ, आईएफएडी और डब्ल्यूएफपी भारत सरकार के साथ मिलकर भोजन के अधिकार को बनाए रखने के लिए साझेदारी कर रहे हैं, जो भूख और कुपोषण से मुक्त स्वस्थ, उत्पादक जीवन के लिए आवश्यक है।

भारतीय कृषि क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ

  • छोटे किसानों की चुनौतियाँ : भारत के 93.09 मिलियन कृषि परिवारों में से लगभग 82% छोटे और सीमांत किसान हैं, जो उत्पादकता चुनौतियों और ग्रामीण आजीविका के मुद्दों का सामना कर रहे हैं।
  • प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण : भूजल का अत्यधिक उपयोग और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता मिट्टी के स्वास्थ्य को खराब करती है। जल प्रबंधन और मिट्टी की प्रथाओं में सुधार गुणवत्ता व आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
  • विखंडित भूमि जोत : छोटे भूमि जोत आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने में बाधा डालते हैं, जिससे उत्पादकता कम होती है। अतः उपयुक्त तकनीक तक पहुँच व एकीकृत जोत प्रणाली आवश्यक है।
  • बाजार पहुँच : कई छोटे किसान बुनियादी ढाँचे और आपूर्ति श्रृंखला की अक्षमताओं के कारण बाजार तक पहुँच के लिए संघर्ष करते हैं। बाजार लिंक बढ़ाने से आय में वृद्धि हो सकती है और खाद्य अपशिष्ट कम हो सकता है।
  • ग्रामीण गरीबी और असमानता : छोटे और सीमांत किसानों के लिए वित्तीय सेवा पहुँच, प्रौद्योगिकी और आधुनिक सिंचाई के संसाधनों तक पँहुच स्थापित करना एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है अतः कृषि उत्पादकता और आजीविका में सुधार करना महत्वपूर्ण है।
  • जलवायु परिवर्तन जोखिम : जलवायु परिवर्तन से अनियमित मौसम पैटर्न जैसे जोखिम पैदा होते हैं। जल संरक्षण और मिट्टी की बहाली जैसी संधारणीय प्रथाओं को लागू करने से किसानों की समस्याओं का समाधान हो सकता है और कृषि क्षेत्र में लचीलापन बढ़ सकता है।

आगे की राह :

  • छोटे किसानों का सशक्तिकरण : खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण समृद्धि सुनिश्चित करने वाली एक स्थायी कृषि प्रणाली बनाने के लिए कमज़ोर समुदायों को शिक्षा, तकनीक, वित्तीय सहायता और संसाधन प्रदान करना
  • सभी के लिए भोजन का अधिकार : भोजन का अधिकार कृषि से परे है, जो इस बात पर ज़ोर देता है कि सुरक्षित, पौष्टिक और किफ़ायती भोजन तक पहुँच सभी के लिए एक मूलभूत मानव अधिकार है, जिसमें गैर-कृषि परिवार भी शामिल हैं।
  • लचीली खाद्य प्रणाली : गैर-कृषि परिवारों के लिए भोजन की उपलब्धता एक लचीली खाद्य प्रणाली पर निर्भर करती है। खाद्य असमानता को दूर करना और पौष्टिक भोजन तक पहुँच सुनिश्चित करना, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में, आवश्यक है।
  • सामाजिक सुरक्षा जाल: कीमतों को स्थिर करने और कमज़ोर आबादी का समर्थन करने के लिए मज़बूत सुरक्षा जाल और बाज़ार हस्तक्षेप महत्वपूर्ण हैं।
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस): भारत ने कृषि और गैर-कृषि दोनों परिवारों के लिए भोजन की पहुँच सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। असमानताओं को दूर करने और कृषि प्रगति से सभी को लाभ पहुँचाने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है।
  • सामूहिक ज़िम्मेदारी: खाद्य पहुँच में न्यायसंगत और टिकाऊ कृषि खाद्य प्रणाली का निर्माण शामिल है। एफएओ, आईएफएडी, डब्ल्यूएफपी और भारत सरकार के बीच सहयोग खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने की हमारी साझा जिम्मेदारी को उजागर करता है।

निष्कर्ष 

वर्तमान कृषि पद्धतियाँ टिकाऊ नहीं हैं, इसलिए इनमें सुधार की आवश्यकता है। टिकाऊ तरीकों को अपनाना, छोटे किसानों को सशक्त बनाना और समान खाद्य पहुँच सुनिश्चित करना दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा और पर्यावरणीय स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न: विश्लेषण करें कि भारत के खाद्यान्न की कमी वाले देश से खाद्यान्न अधिशेष वाले देश में परिवर्तन ने खाद्य सुरक्षा के दृष्टिकोण को कैसे प्रभावित किया है। सभी नागरिकों के लिए पौष्टिक भोजन तक समान पहुँच सुनिश्चित करने में बनी चुनौतियों पर चर्चा करें और ग्रामीण और शहरी दोनों संदर्भों में इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए रणनीतियाँ सुझाएँ।

(15अंक, 250 शब्द)

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