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Lokesh Pal October 17, 2024 05:15 67 0
शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन के लिए भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की हाल की इस्लामाबाद यात्रा ने भविष्य के संबंधों के बारे में अनेक मुद्दों को चिन्हित किया है। इसमें विशेष रूप से भारत-अफगानिस्तान के मध्य की डूरंड रेखा पर चल रहे तनाव को रेखांकित किया है ।
पाकिस्तान के पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्रों, विशेषकर अफगानिस्तान और ईरान के साथ डूरंड रेखा पर भू-राजनीतिक अस्थिरता का भारत के साथ उसके संबंधों सहित आंतरिक और क्षेत्रीय गतिशीलता पर दूरगामी प्रभाव पड़ रहा है।
इसके अलावा, पाकिस्तान के पश्चिमी मोर्चे पर अशांति ने इसकी राजनीतिक स्थिरता को कमजोर कर दिया है, जिससे भारत के साथ सार्थक रूप से जुड़ने की इसकी क्षमता कम हो गई है। ये आंतरिक दबाव भारत के प्रति रावलपिंडी के रुख को और अधिक कठोर बनाते हैं, आंतरिक विखंडन के खतरे के कारण नई दिल्ली को कोई भी बड़ी कूटनीतिक रियायत देने से हतोत्साहित कर सकते हैं ।
मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न :प्रश्न : डूरंड रेखा का मुद्दा अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत के संबंधों को किस प्रकार से जटिल बनाता है? इस सीमा विवाद के ऐतिहासिक और वर्तमान महत्त्व का मूल्यांकन करें। (10 अंक, 150 शब्द) |
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