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पूँजीवादी मॉडल और उसका विकास

Lokesh Pal October 21, 2024 05:30 47 0

संदर्भ :

हाल ही में दूरदर्शी तथा प्रसिद्ध कारोबारी ‘रतन टाटा’ के निधन पर भारत और विश्व भर से श्रद्धांजलि दी गई। उनकी विरासत ने भारत में पूँजीवाद के भविष्य और व्यापार में नैतिक नेतृत्व के महत्त्व पर नए सिरे से विचार-विमर्श को जन्म दिया।

टाटा समूह की ऐतिहासिक विरासत

रतन टाटा के प्रति हाल ही में प्रदर्शित वैश्विक प्रेम कोई नई बात नहीं है; टाटा समूह ने लगभग एक शताब्दी से जनता की प्रशंसा अर्जित की है, जो पारंपरिक पूँजीवाद की संभावित कमियों को दर्शाता है।

  • वर्ष 1904: जमशेदजी टाटा की मृत्यु के बाद, उन्हें “सर्व सम हितम्” (सभी की बेहतरी) में निहित समृद्ध भारत के उनके दृष्टिकोण के लिए व्यापक रूप से प्रशंसा मिली।
  • वर्ष 1932: दोराबजी टाटा को उनके निधन के बाद परोपकार और सामाजिक कल्याण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए सराहना मिली।
  • वर्ष 1993: जे. आर. डी. टाटा की मृत्यु ने उन्हें व्यापक सम्मान दिलाया, उन्हें एक दूरदर्शी नेता के रूप में याद किया गया, जिन्होंने नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं का समर्थन किया।

पूँजीवाद क्या है?

  • पूँजीवाद एक आर्थिक प्रणाली है, जिसमें निजी व्यक्ति या व्यवसाय वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन तथा वितरण के साधनों के मालिक होते हैं एवं उन पर नियंत्रण रखते हैं।
  • यह प्रतिस्पर्द्धा लाभ अधिकरण और न्यूनतम सरकारी हस्तक्षेप से विकसित होती है, जिससे बाजार की ताकतों को कीमतें और संसाधन आवंटन निर्धारित करने की अनुमति मिलती है।
  • पूँजीवाद के मॉडल :
    • शेयरधारक प्रधानता मॉडल (यू.एस.): मिल्टन फ्राइडमैन और शिकागो स्कूल द्वारा संचालित अमेरिकी मॉडल, शेयरधारक रिटर्न को अधिकतम करने पर केंद्रित है।
      • वर्ष 1919 के ‘डॉज बनाम फोर्ड मामले’ ने कानूनी तौर पर इस बात को पुख्ता किया, कि व्यवसायों को शेयरधारकों के लिए मुनाफे को प्राथमिकता देनी चाहिए। 
      • यह सिद्धांत अमेरिकी कॉर्पोरेट कानून का एक प्रमुख आधार बन गया है।
    • हितधारक मॉडल : अमेरिकी मॉडल के विपरीत, भारत में हिंदुस्तान लीवर और टाटा समूह जैसी कंपनियों ने सभी हितधारकों – कर्मचारियों, ग्राहकों और व्यापक समुदाय, के हितों पर विचार करते हुए अधिक समावेशी दृष्टिकोण अपनाया है।
      • उदाहरण के लिए, जब टाटा स्टील ने ब्रिटेन में अपने संयंत्र बंद किए, तो उसने प्रभावित श्रमिकों को तत्काल रोज़गार के अवसर प्रदान करते हुए ‘स्पॉट पैकेज’ प्रदान किए, जिससे हितधारकों के कल्याण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता प्रदर्शित हुई।

भारत के लिए अल्फ्रेड मार्शल का विजन

अल्फ्रेड मार्शल, एक अग्रणी अर्थशास्त्री, ने भारत के दूरदर्शी नेतृत्व की आवश्यकता पर बल दिया। उनका मानना ​​था कि भारत को राष्ट्र की प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए “श्री टाटा (जमशेदजी) जैसे कई लोगों की आवश्यकता है।”

  • जापान से सीख : उन्होंने तकनीकी और औद्योगिक प्रणालियों पर जापान के कार्यों की प्रशंसा की, इसे एक ऐसे मॉडल के रूप में देखा जिसका भारत अधिक औद्योगिक रूप से सक्षम समाज बनाने के लिए अनुकरण कर सकता है।
  • राजनीतिक विमर्श की आलोचना : उन्होंने तर्क दिया कि राजनीतिक विमर्श को वैचारिक चर्चाओं पर औद्योगीकरण तथा आर्थिक विकास जैसी मूर्त प्रगति को प्राथमिकता देनी चाहिए।
  • नैतिक व्यावसायिक दृष्टि : टाटा समूह का आदर्श वाक्य, “सर्व सम हितम” (सभी का भला), जैसा कि जे.आर.डी. टाटा द्वारा व्यक्त किया गया है, समग्र कल्याण और नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं की दृष्टि को समाहित करता है। यह मार्शल के उस नेतृत्व के विश्वास के अनुरूप है, जो न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है बल्कि समग्र रूप से समाज के हित को भी बढ़ावा देता है।

टाटा समूह से शिक्षा

  • महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व : रतन टाटा और टाटा समूह ने नानी पालकीवाला, दरबारी सेठ और रूसी मोदी जैसे भविष्य के व्यक्तित्व को तैयार करने और उनका मार्गदर्शन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 
    • इस नेतृत्व के माध्यम से, टाटा समूह ने अपने मूल्यों और दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए आने वाली पीढ़ियों को सशक्त बनाया है।
  • मेंटरशिप और सहयोग : इस दृष्टिकोण ने विविध दृष्टिकोणों और विशेषज्ञता को पोषित किया, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि नेतृत्वकर्ता मजबूत और दूरदर्शी थे।
    • टाटा की तरह, “जापानी पूँजीवाद के जनक” के रूप में जाने जाने वाले ईइची शिबुसावा ने होंडा जैसे नेताओं को प्रेरित किया, जिन्होंने जापान के आर्थिक उत्थान में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
  • नैतिक मूल्य तथा तत्त्व
    • जीवित तत्त्व (Living Elements) : ये स्वस्थ संगठन के आवश्यक घटक हैं जैसे संस्कृति, कर्मचारी कल्याण, स्थिरता और अनुकूलनशीलता। ये तत्त्व किसी कंपनी की जीवन शक्ति और लचीलापन बढ़ाते हैं।
    • शाश्वत मूल्य (Perpetuity Value) : यह किसी कंपनी द्वारा निरंतर लाभ कमाने की क्षमता के माध्यम से उत्पन्न दीर्घकालिक मूल्य को संदर्भित करता है। यह उसके जीवित तत्त्वों के स्वास्थ्य से निकटता से जुड़ा हुआ है।
    • उद्यम मूल्य पर प्रभाव (Impact on Enterprise Value) : स्वस्थ कंपनियाँ अपने उद्यम मूल्य का लगभग 70% शाश्वत मूल्य से प्राप्त करती हैं, जो निरंतर सफलता के लिए जीवित तत्त्वों को पोषित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
      • जिन कंपनियों ने इन पहलुओं को प्राथमिकता दी, जैसे कि एशियन पेंट्स ने अपनी अनुकूलनशीलता और आईटीसी ने विविधीकरण के साथ, वे विकसित हुई। 
      • इसके विपरीत, नोकिया जैसी फर्में शाश्वत मूल्य की कमी के कारण विफल रहीं।

हालाँकि भारत ने ऐसे कुछ ही लोगों को देखा है, अब अधिक-से-अधिक लोगों को नैतिक आचरण और सामाजिक उत्तरदायित्व अपनाने, सतत विकास और उत्तरदायी औद्योगिक परिदृश्य को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करने तथा प्रेरित करने की आवश्यकता है।

भारतीय परंपरा में व्यवसाय या शासन का उल्लेख 

  • प्राचीन ग्रंथ : महाभारत में भीष्म की शिक्षाएँ “सर्व सम हितम्” (सभी का भला) को लक्ष्यित करती हैं, जबकि मिथिला के जनक ने सभी के लिए समृद्धि और उत्थान पर जोर दिया।
  • भारतीय धर्मग्रंथ : “लोक: समस्त सुखिनो भवन्तु” (सभी प्राणी सुखी हों) जैसे वाक्यांश सामूहिक कल्याण पर सांस्कृतिक बल को उजागर करते हैं।
  • चाणक्य का अर्थशास्त्र : ‘योगक्षेम’ की अवधारणा को बढ़ावा देता है, जो कल्याण और समृद्धि पर केंद्रित है।
  • राजराज चोल और महेंद्रवर्मा पल्लव जैसे शासक परोपकार और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते थे।
  • स्वामी विवेकानंद ने वर्ष 1893 में अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान, व्यवसायियों के लिए चार सूत्री योजना प्रस्तावित की :
    • स्वयं के प्रति जागरूक रहें |
    • अपने संसाधनों की रक्षा करें |
    • स्वयं से पहले दूसरों की सेवा करें |
    • करुणायुक्त कार्य करें |

निष्कर्ष 

भारत एक ऐसा नीतिगत ढाँचा तैयार करके करुणामय पूँजीवाद को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभा सकता है, जो करुणामय प्रथाओं और सुदृढ़ व्यावसायिक उद्देश्यों दोनों को प्रोत्साहित करता है तथा यह सुनिश्चित करता है कि कंपनियाँ समाज में सकारात्मक योगदान करते हुए विकसित हो सकें।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न 

भारत में पूँजीवाद के सकारात्मक तथा नकारात्मक पक्षों को स्पष्ट कीजिए | बताइए कि पूँजीवादी व्यवसाय में नैतिकता का क्या महत्त्व है ?

(10 अंक, 150 शब्द) 

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