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‘नॉन-काइनेटिक वारफेयर’ से निपटने के लिए सशस्त्र बलों की तैयारी

Lokesh Pal October 22, 2024 04:57 62 0

संदर्भ 

रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने इस वर्ष विचार-विमर्श के लिए 17 विषयों का चयन किया है, जिनमें से एक विषय ‘नॉन-काइनेटिक’ या हाइब्रिड युद्ध से निपटने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों की तैयारी पर केंद्रित है।

संबंधित तथ्य

  • हाइब्रिड युद्ध की तैयारी: पैनल हाइब्रिड युद्ध का मुकाबला करने के लिए सशस्त्र बलों की क्षमता का अध्ययन करेगा, जिसमें पारंपरिक सैन्य तरीकों (काइनेटिक) और साइबर हमलों (नॉन-काइनेटिक) जैसी आधुनिक रणनीति दोनों का संयोजन होता है।
  • समीक्षा के लिए अन्य विषय
    • रणनीतिक तैयारी
      • समिति सीमा सुरक्षा और वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control-LAC) पर चीन के साथ गतिरोध सहित भारत के सशस्त्र बलों की रणनीतिक तैयारियों का आकलन करेगी।
    • स्वदेशी रक्षा उत्पादन
      • पैनल विदेशी आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सैन्य उपकरणों के स्वदेशी उत्पादन में प्रगति की समीक्षा करेगा।
    • पूर्व सैनिक कल्याण
      • पूर्व सैनिकों के लिए पुनर्वास, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य कल्याणकारी उपायों से संबंधित नीतियों पर भी चर्चा की जाएगी, साथ ही शहीद सैनिकों के परिवारों के लिए नीतियों का आकलन भी किया जाएगा।

नॉन-काइनेटिक’ वारफेयर के बारे में

  • ‘नॉन-काइनेटिक’ वारफेयर शारीरिक लड़ाई या पारंपरिक हथियारों पर निर्भर हुए बिना सैन्य लक्ष्यों को प्राप्त करने पर केंद्रित है। इसके बजाय, यह आधुनिक, गैर-भौतिक तरीकों का उपयोग करता है।
  • ‘नॉन-काइनेटिक’ वारफेयर में पारंपरिक युद्ध से परे तरीके शामिल हैं, जैसे- इलेक्ट्रॉनिक, साइबर और सूचना युद्ध।
  • इसमें विद्युत ग्रिड एवं अस्पतालों जैसे बुनियादी ढाँचे पर हमले शामिल हो सकते हैं, बिना शारीरिक लड़ाई के महत्त्वपूर्ण प्रणालियों को बाधित करना।
  • ‘नॉन-काइनेटिक’ वारफेयर की मुख्य विशेषताएँ
    • साइबर हमले
      • इसमें किसी देश के डिजिटल बुनियादी ढाँचे, जैसे कि विद्युत ग्रिड, वित्तीय प्रणाली या संचार नेटवर्क को निशाना बनाकर सामान्य परिचालन को बाधित करना शामिल है।
    • सूचना संबंधी युद्ध
      • जनमत को प्रभावित करने या संस्थाओं में विश्वास को कम करने के लिए सूचना में हेरफेर करना, गलत सूचना फैलाना या मीडिया को नियंत्रित करना।
    • मनोवैज्ञानिक ऑपरेशन
      • दुश्मन का मनोबल कमजोर करने, भय उत्पन्न करने या सैनिकों अथवा नागरिकों के बीच भ्रम फैलाने के लिए मनोवैज्ञानिक रणनीति का उपयोग करना।
    • आर्थिक प्रतिबंध
      • किसी देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने तथा प्रत्यक्ष संघर्ष के बिना राजनीतिक या सैन्य रियायतें देने के लिए उस पर वित्तीय और व्यापार प्रतिबंध लगाना।

‘नॉन-काइनेटिक’ वारफेयर बनाम ‘काइनेटिक’ वारफेयर (Non-Kinetic Warfare vs Kinetic Warfare)

विशेषता

‘नॉन-काइनेटिक’ वारफेयर (Non-Kinetic Warfare)

‘काइनेटिक’ वारफेयर 

(Kinetic Warfare)

परिभाषा युद्ध जिसमें सामरिक या सामरिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए शारीरिक बल के अलावा अन्य तरीकों का प्रयोग किया जाता है। युद्ध जिसमें शत्रु को क्षति या नुकसान पहुँचाने के लिए शारीरिक बल का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण आर्थिक प्रतिबंध, साइबर हमले, दुष्प्रचार, कूटनीतिक दबाव, सूचना युद्ध सैन्य हमला, तोपखाने की बमबारी, नौसैनिक नाकाबंदी, मिसाइल हमले
प्राथमिक लक्ष्य प्रत्यक्ष शारीरिक टकराव के बिना किसी विरोधी की क्षमताओं को कमजोर करना। दुश्मन की सेना या बुनियादी ढाँचे को प्रत्यक्ष शारीरिक क्षति पहुँचाना।
लाभ गतिज युद्ध की तुलना में यह अधिक लागत प्रभावी और कम जोखिमपूर्ण हो सकता है; व्यापक विनाश किए बिना विशिष्ट कमजोरियों को लक्षित कर सकता है। तत्काल और ठोस परिणाम उत्पन्न कर सकता है; दुश्मन को आत्मसमर्पण करने या बातचीत करने के लिए मजबूर कर सकता है।
नुकसान वांछित परिणाम प्राप्त करना दीर्घकालिक एवं कठिन हो सकता है; दृढ़ प्रतिद्वंदियों के विरुद्ध यह प्रभावी नहीं हो सकता। इससे भारी जनहानि और विनाश हो सकता है; संघर्ष बढ़ सकता है और नए शत्रु उत्पन्न हो सकते हैं।

आधुनिक संघर्षों में ‘नॉन-काइनेटिक’ वारफेयर का महत्त्व

  • प्रत्यक्ष युद्ध के बिना लक्ष्य प्राप्ति
    • ‘नॉन-काइनेटिक’ वारफेयर शारीरिक टकराव या पारंपरिक हथियारों की आवश्यकता के बिना सैन्य लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है।
  • लागत प्रभावी दृष्टिकोण
    • यह पारंपरिक युद्ध की तुलना में अक्सर अधिक किफायती होता है, क्योंकि यह साइबर हमलों एवं सूचना नियंत्रण जैसी रणनीतियों पर निर्भर करता है, जिसके लिए कम संसाधनों की आवश्यकता होती है।
  • मानवीय क्षति में कमी लाना
    • चूँकि इसमें कोई प्रत्यक्ष शारीरिक संघर्ष नहीं होता, इसलिए इस पद्धति से नागरिकों को नुकसान पहुँचने तथा बुनियादी ढाँचे को नष्ट होने का जोखिम न्यूनतम हो जाता है।
  • वैश्विक प्रभाव
    • ‘नॉन-काइनेटिक’ वारफेयर रणनीति को विश्व में कहीं से भी क्रियान्वित किया जा सकता है, जिससे राष्ट्र विश्व भर में लक्ष्यों को प्रभावित या बाधित कर सकते हैं।

‘नॉन-काइनेटिक’ वारफेयर की तैयारी में भारतीय सशस्त्र बलों के सामने आने वाली चुनौतियाँ

  • तीव्र तकनीकी परिवर्तन
    • तकनीक तेजी से बदल रही है, जिससे दुश्मन साइबर और इलेक्ट्रॉनिक हमलों जैसे नए तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे सशस्त्र बलों के लिए सामंजस्य बिठाना मुश्किल हो रहा है।
  • साइबर सुरक्षा जोखिम
    • विद्युत ग्रिड और संचार नेटवर्क जैसी महत्त्वपूर्ण प्रणालियों को साइबर हमलों से बचाना है।
      • ये हमले बिना किसी शारीरिक लड़ाई के भी किसी देश को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
  • सूचना युद्ध
    • झूठी सूचना और दुष्प्रचार लोगों की सोच को बदल सकते हैं तथा देश में समस्याएँ उत्पन्न कर सकते हैं।
      • इन झूठी सूचनाओं को रोकना एवं जानकारी को स्पष्ट रखना चुनौतीपूर्ण है।
  • आर्थिक और कूटनीतिक चुनौतियाँ
    • ‘नॉन-काइनेटिक’ वारफेयर में आर्थिक प्रतिबंध और राजनयिक संबंधों को खत्म करना जैसी चीजें शामिल हो सकती हैं, जो किसी देश की शक्ति और अर्थव्यवस्था को कमजोर कर सकती हैं।
  • गैर-सैन्य समूहों के साथ कार्य करना
    • ‘नॉन-काइनेटिक’ वारफेयर में अक्सर गैर-सैन्य संगठनों, जैसे सरकारी एजेंसियों और निजी व्यवसायों के साथ सहयोग की आवश्यकता होती है, जिससे टीमवर्क आवश्यक हो जाता है।

  • नैतिक विचार
    • आर्थिक प्रतिबंध: ये प्रतिबंध सरकार पर दबाव डालते हैं और आम जनता के लिए गरीबी तथा पीड़ा का कारण बन सकते हैं।
    • जवाबदेही: ‘नॉन-काइनेटिक’ वारफेयर किसी विशिष्ट अभिकर्ता की पहचान करना और उसे जिम्मेदार ठहराना मुश्किल बना सकता है, जो जवाबदेही एवं न्याय प्रणाली को जटिल बना सकता है।
    • गलत सूचना: जोड़-तोड़ करने वालों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली गलत सूचना और प्रचार लोगों में डर की भावना उत्पन्न कर सकता है और समाज को अस्थिर कर सकता है।

संभावित समाधान

  • प्रौद्योगिकी में निवेश
    • सशस्त्र बलों को संभावित खतरों से आगे रहने के लिए नई प्रौद्योगिकी पर धन खर्च करते रहना चाहिए तथा साइबर सुरक्षा में सुधार करना चाहिए।
  • नियमित प्रशिक्षण
    • सैन्य कर्मियों को साइबर और सूचना युद्ध के बारे में प्रशिक्षित करने के लिए उनके कौशल में सुधार हेतु नियमित प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाने चाहिए।
  • जन जागरूकता अभियान
    • झूठी सूचना और साइबर खतरों के बारे में लोगों को शिक्षित करने से एक मजबूत और अधिक जागरूक समाज बनाने में मदद मिल सकती है।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग
    • साइबर सुरक्षा और सूचना संबंधी युद्ध पर अन्य देशों के साथ सहयोग करने से इन मुद्दों से निपटने के लिए खुफिया जानकारी एवं संसाधनों को साझा करने में मदद मिल सकती है।
  • मजबूत नीतियाँ एवं कानून
    • ‘नॉन-काइनेटिक’ वारफेयर संबंधी खतरों से निपटने के लिए स्पष्ट नीतियाँ और कानून बनाने से सशस्त्र बलों को प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने तथा संगठित रहने में मदद मिल सकती है।

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