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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal October 23, 2024 02:41 67 0

राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (National Crisis Management Committee)

राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (National Crisis Management Committee- NCMC) ने बंगाल की खाड़ी में आने वाले ‘चक्रवात दाना’ से निपटने की तैयारियों की समीक्षा के लिए बैठक की।

राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (National Crisis Management Committee- NCMC):

  • इसका गठन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत किया गया था, जो आपदा प्रबंधन के एक संगठित एवं कुशल ढाँचे के प्रति भारत के दृष्टिकोण का स्पष्ट प्रतिबिंब था।
  • उद्देश्य: एक सुव्यवस्थित एवं एकीकृत दृष्टिकोण के साथ आपदाओं के प्रभावों को कम करना, प्रतिक्रियाओं का समन्वय करना तथा आपदाओं से शीघ्र उबरने को सुनिश्चित करना।
  • NCMC राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करती है एवं आपदा प्रबंधन पर उच्च-स्तरीय निर्णय लेने के लिए सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (Cabinet Committee on Security- CCS) के साथ कार्य करती है।

राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (NCMC) की भूमिका

  • NCMC प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन में तैयारी उपायों का आकलन, राहत प्रयासों का समन्वय तथा राज्य सरकारों को रसद और वित्तीय सहायता प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • यह सुनिश्चित करता है कि क्षति को कम करने तथा जीवन की हानि को न्यूनतम करने के लिए सभी आवश्यक निवारक और सक्रिय कदम उठाए जाएँ।

संघटन

  • NCMC की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करते हैं एवं इसमें विभिन्न मंत्रालयों, विभागों तथा विशिष्ट आपदा प्रबंधन कार्यों के लिए जिम्मेदार एजेंसियों के सचिव शामिल होते हैं।

गैलाथिया बे बंदरगाह (Galathea Bay Port)

कामराजार बंदरगाह को देश का 12वाँ प्रमुख बंदरगाह नामित किए जाने के एक चौथाई सदी बाद, बंगाल की खाड़ी में ग्रेट निकोबार द्वीप में गैलाथिया खाड़ी (Galathea Bay) में मेगा इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट (International Container Transshipment Port- ICTP) को 13वें प्रमुख बंदरगाह के रूप में अधिसूचित किया गया है।

गैलाथिया बे इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट (ICTP) परियोजना 

  • स्थान: ग्रेट निकोबार द्वीप, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह।
  • उद्देश्य: एक मेगा इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट (ICTP) का विकास।
  • स्थिति: भारत के 13वें प्रमुख बंदरगाह के रूप में अधिसूचित।
  • मॉडल: केंद्रीय वित्त पोषण पात्रता के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnership- PPP)।
  • लागत: अनुमानित ₹41,000 करोड़ (चरण 1: ₹18,000 करोड़)।
  • क्षमता: पहले चरण में वर्ष 2028 तक 4 मिलियन TEUs (20 फुट समतुल्य इकाइयाँ) की हैंडलिंग क्षमता होगी।
    • अंतिम चरण: वर्ष 2058 तक 16 मिलियन TEUs की हैंडलिंग क्षमता।

सामरिक महत्त्व

  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मार्गों से निकटता
    • मलक्का जलडमरूमध्य से 40 समुद्री मील की दूरी पर अवस्थित है, जो वार्षिक वैश्विक समुद्री व्यापार का लगभग 35% पूर्ण करता है।
    • सिंगापुर, क्लैंग (Klang) एवं कोलंबो जैसे प्रमुख ट्रांसशिपमेंट केंद्रों के पास, पूर्व-पश्चिम अंतरराष्ट्रीय व्यापार मार्ग पर अवस्थित है।
  • भू-राजनीतिक प्रासंगिकता
    • हिंद-प्रशांत भू-राजनीतिक क्षेत्र में एक प्रमुख परियोजना।
    • इसका उद्देश्य पूर्वी तट पर स्थित भारतीय बंदरगाहों, बांग्लादेश और म्यांमार से ट्रांसशिपमेंट कार्गो को प्राप्त करना है, जिससे विदेशी बंदरगाहों पर निर्भरता कम हो सके।
  • प्राकृतिक लाभ
    • गहरा जल क्षेत्र: 20 मीटर का प्राकृतिक प्रवाह, जो इसे बड़े कंटेनर जहाजों के  रखरखाव में सक्षम बनाता है।
    • ट्रांसशिपमेंट हब: वर्तमान में विदेशी बंदरगाहों (जैसे- कोलंबो, सिंगापुर) को भुगतान किए जाने वाले ट्रांसशिपमेंट शुल्क को कम करके भारतीय बंदरगाहों को वार्षिक रूप से 200-220 मिलियन डॉलर की बचत होगी।

यूरोपियन स्काई शील्ड इनिशिएटिव (European Sky Shield Initiative)

हाल ही में स्विट्जरलैंड ने यूरोपियन स्काई शील्ड इनिशिएटिव (European Sky Shield Initiative- ESSI) पर हस्ताक्षर किए हैं।

यूरोपियन स्काई शील्ड इनिशिएटिव (ESSI) 

  • उद्देश्य: पूरे यूरोप में एक एकीकृत वायु एवं मिसाइल रक्षा प्रणाली।
  • आरंभकर्ता: अगस्त, 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद जर्मनी द्वारा नेतृत्व किया गया।
  • उद्देश्य
    • यूरोपीय देशों को एक साथ रक्षा प्रणालियाँ खरीदने, एक साथ प्रशिक्षण देने एवं खरीद परियोजनाओं का समन्वय करने में सक्षम बनाना, विशेष रूप से स्थल-आधारित वायु रक्षा के क्षेत्र में।
    • छोटी एवं लंबी दूरी की वायु रक्षा सहयोग के लिए भविष्य की संभावनाओं के साथ मध्यम दूरी की वायु रक्षा पर ध्यान केंद्रित करना।

स्विट्जरलैंड एवं ऑस्ट्रिया का ESSI शामिल होना

  • स्विट्जरलैंड
    • हस्ताक्षरित: अक्टूबर 2024 में शामिल हुआ।
    • तटस्थता संबंधी चिंताएँ: स्विट्जरलैंड की तटस्थता की स्थिति के कारण घरेलू स्तर पर विवाद बना हुआ है।
  • ऑस्ट्रिया
    • हस्ताक्षरित: जुलाई 2024 में ESSI में शामिल हुए।
    • लाभ: ऑस्ट्रिया को वर्ष 2025 तक पूर्ण हवाई क्षेत्र कवरेज के साथ वर्ष 2024 तक छोटी एवं मध्यम दूरी की मिसाइलों से संरक्षित किया जाएगा।

ESSI सदस्य देश

  • प्रारंभिक सदस्य (अक्टूबर 2022)
    • 14 नाटो सदस्य: बेल्जियम, बुल्गारिया, चेक गणराज्य, एस्टोनिया, जर्मनी, हंगरी, लातविया, लिथुआनिया, नीदरलैंड, नॉर्वे, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, रोमानिया एवं यूनाइटेड किंगडम।
    • फ़िनलैंड (नॉर्डिक देश)।
  • वर्तमान सदस्य (अक्टूबर 2024): 22 सदस्य, 
    • ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, लातविया, लिथुआनिया, नीदरलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, तुर्किये एवं यूनाइटेड किंगडम।

यार्स अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें (Yars Intercontinental Ballistic Missiles)

हाल ही में रूस, मास्को के उत्तर-पश्चिम में एक क्षेत्र में यार्स अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (Yars Intercontinental Ballistic Missiles) से युक्त एक यूनिट की युद्ध तैयारी का परीक्षण कर रहा है।

यार्स मिसाइल

  • रूसी निर्मित मोबाइल परमाणु अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) जिसे ट्रक वाहन पर लगाया जा सकता है या साइलो में तैनात किया जा सकता है। 
  • इसकी लंबाई 22.5 मीटर एवं व्यास 2 मीटर होने का अनुमान है।
  • इसमें तीन चरण वाला ठोस प्रणोदक होता है।
  • कुल प्रक्षेपण वजन: 49,000 किलोग्राम।
  • न्यूनतम सीमा- 2,000 किमी. एवं अधिकतम सीमा 10,500 किमी.।
  • वारहेड क्षमता
    • एकाधिक स्वतंत्र रूप से लक्षित रीएंट्री वाहन (Multiple Independently Targetable Reentry Vehicles- MIRVs)
    • यह 10 थर्मोन्यूक्लियर हथियार ले जा सकता है, प्रत्येक की क्षमता 300 किलोटन है।
  • प्रक्षेपपथ प्रणाली: जड़त्वीय एवं GLONASS (रूसी उपग्रह नेविगेशन प्रणाली)
  • लॉन्च प्लेटफॉर्म: साइलो में तैनात किया जा सकता है या मोबाइल ट्रक वाहन पर लगाया जा सकता है।
  • रक्षात्मक क्षमताएँ
    • सक्रिय एवं निष्क्रिय डिकॉय (Decoys) से युक्त, जो इसे आधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणालियों के प्रति अधिक प्रतिरोधी बनाता है।

बैलिस्टिक मिसाइल

  • बैलिस्टिक मिसाइलें ऐसे हथियार हैं जो किसी लक्ष्य तक हथियार पहुँचाने के लिए प्रक्षेप्य गति का उपयोग करती हैं। 
  • वे थोड़े समय के लिए रॉकेट द्वारा संचालित होती हैं, एवं फिर अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए एक अशक्त, धनुषाकार प्रक्षेप पथ का अनुसरण करते हैं।

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