हाल ही में यूक्लिड स्पेस टेलिस्कोप (Euclid Space Telescope) द्वारा एक मोजेक (Mosaic) जारी किया गया था।
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) का यूक्लिड मिशन
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) का यूक्लिड मिशन एक अंतरिक्ष दूरबीन है, जिसे डार्क ब्रह्मांड की संरचना एवं विकास का पता लगाने के लिए निर्धारित किया गया है।
यूक्लिड मिशन 1 जुलाई, 2023 को केप कैनावेरल (Cape Canaveral), फ्लोरिडा से लॉन्च किया गया।
यूक्लिड मिशन के लक्ष्यों में शामिल हैं:
ब्रह्मांड की बड़े पैमाने की संरचना का 3D मानचित्र तैयार करना।
10 अरब प्रकाश वर्ष दूर तक अरबों आकाशगंगाओं का अवलोकन करना।
ब्रह्मांड का विस्तार कैसे हुआ इसकी खोज करना।
डार्क मैटर, डार्क एनर्जी एवं गुरुत्वाकर्षण की भूमिका के बारे में और अधिक जानकारी इकठ्ठा करना।
गंतव्य: यूक्लिड मिशन पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी. दूर सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन पॉइंट 2 (L2) की यात्रा करेगा।
महत्त्वपूर्ण अवधारणाएँ
डार्क मैटर: एक रहस्यमय पदार्थ, जो ब्रह्मांड का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बनाता है।
हालाँकि इसमें गुरुत्वाकर्षण प्रभाव है, यह प्रकाश या विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम के किसी भी हिस्से के साथ संपर्क नहीं करता है, जिससे यह अदृश्य हो जाता है।
डार्क एनर्जी: ऊर्जा का एक काल्पनिक रूप माना जाता है कि यह पूरे अंतरिक्ष में व्याप्त है, जिससे ब्रह्मांड का त्वरित विस्तार होता है।
यूक्लिड के बारे में
वह एक प्राचीन यूनानी गणितज्ञ थे, जो एक भूगोलवेत्ता एवं तर्कशास्त्री के रूप में प्रसिद्ध थे।
उन्हें ‘ज्यामिति का जनक’ माना जाता है, उन्हें मुख्य रूप से एलिमेंट्स ट्रीटीज (Elements Treatise) के लिए जाना जाता है, जिसने ज्यामिति की नींव रखी, जो 19वीं शताब्दी की शुरुआत तक इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रचलित रही।
लैग्रेंजियन बिंदु (Lagrangian Point) के बारे में
लैग्रेंजियन बिंदु अंतरिक्ष में स्थित वे स्थान हैं, जहाँ पृथ्वी एवं सूर्य जैसे दो बड़े परिक्रमा करने वाले पिंडों के बीच गुरुत्वाकर्षण बलसंतुलन क्षेत्र का निर्माण होता है, जिससे एक छोटी वस्तु को न्यूनतम ईंधन उपयोग के साथ अपनी स्थिति बनाए रखने की अनुमति मिलती है।
पाँच लैग्रेंजियन बिंदु (L1, L2, L3, L4, L5) हैं।
L1: सूर्य का निर्बाध दृश्य प्रस्तुत करता है, जो इसे सौर अवलोकनों के लिए आदर्श बनाता है। यह SOHO अंतरिक्ष दूरबीन(सूर्य का अध्ययन करने के लिए NASA एवं ESA का संयुक्त मिशन) एवं भारत के आदित्य L1 मिशन के लिए निर्धारित है।
L2: खगोल विज्ञान के लिए आदर्श, क्योंकि यहाँ स्थित अंतरिक्ष यान पृथ्वी के साथ संचार कर सकता है, सौर ऊर्जा का उपयोग कर सकता है एवं गहरे अंतरिक्ष का स्पष्ट दृश्य देख सकता है। इस बिंदु का जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप तथा यूक्लिड टेलिस्कोप दोनों द्वारा अवलोकन किया जा सकता है।
L3: सूर्य के पीछे स्थित है एवं संचार चुनौतियों के कारण कम उपयोगी है।
L4 एवं L5: ये बिंदु स्थिर हैं। इन बिंदुओं की परिक्रमा करने वाली वस्तुओं को ट्रोजन्स (Trojans) कहा जाता है, क्योंकि वहाँ तीन बड़े क्षुद्रग्रह [अगेम्नोन (Agamemnon), अकिलिस (Achilles) तथा हेक्टर (Hector)] पाए गए।
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