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भारत, पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरिडोर पर अपना समझौता नवीनीकृत किया

Lokesh Pal October 24, 2024 03:09 43 0

संदर्भ 

भारत और पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरिडोर समझौते को अगले पाँच वर्षों के लिए नवीनीकृत किया है, जिससे पाकिस्तान में करतारपुर साहिब गुरुद्वारा तक तीर्थयात्रियों की निर्बाध पहुँच सुनिश्चित हो सके।

संबंधित तथ्य

  • 24 अक्टूबर, 2019 को हस्ताक्षरित समझौता भारत से पाकिस्तान के नारोवाल में गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर तक करतारपुर साहिब कॉरिडोर के माध्यम से तीर्थयात्राओं को सुविधाजनक बनाने के लिए स्थापित किया गया था। 

  • यह कॉरिडोर वर्ष 2029 तक चालू रहेगा, जिससे तीर्थयात्री अपनी धार्मिक यात्राएँ जारी रख सकेंगे। 
  • भारतीय विदेश मंत्री ने सिख तीर्थयात्रियों की पवित्र स्थलों तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।

करतारपुर कॉरिडोर के बारे में

  • यह पाकिस्तान स्थित दरबार साहिब गुरुद्वारा को भारत के पंजाब स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे से जोड़ता है।
    • करतारपुर गुरुद्वारा सीमा पार लगभग 4 किलोमीटर दूर एक पवित्र तीर्थस्थल है, जहाँ गुरु नानक देव ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष बिताए थे। 
    • पटियाला के महाराजा ने 1920 के दशक के बीच गुरुद्वारा के निर्माण के लिए धन दान किया था।
  • धार्मिक स्थलों की यात्रा पर प्रोटोकॉल: भारत और पाकिस्तान के बीच तीर्थयात्राएँ धार्मिक स्थलों की यात्रा पर वर्ष 1974 के प्रोटोकॉल द्वारा शासित होती हैं, जिसमें पाकिस्तान और भारत में स्थित उन धार्मिक स्थलों की सूची शामिल है, जो दूसरे देश के आगंतुकों के लिए खुल रहे हैं तथा जिनके लिए वीजा की आवश्यकता होती है।
  • करतारपुर कॉरिडोर, भारत से पाकिस्तान के अंदर स्थित धार्मिक स्थल तक वीजा-मुक्त पहुँच प्रदान करता है।
    • भारतीय तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान में प्रवेश के लिए केवल परमिट की आवश्यकता होती है।
  • यह रावी नदी पर स्थित है, जो सिंधु प्रणाली की नदियों में से एक है।
  • स्मरणोत्सव: इसे 12 नवंबर, 2019 को गुरु नानक देव की 550वीं जयंती मनाने के लिए बनाया गया था।

गुरुनानक देव 

  • जन्म: 1469 ईसवी ननकाना साहिब, पंजाब, पाकिस्तान।
  • निधन: करतारपुर, पाकिस्तान में।

शिक्षाएँ और विश्वास: सिख धर्म के संस्थापक और दस सिख गुरुओं में से प्रथम।

  • भक्ति संत: भक्ति के ‘निर्गुण’ रूप (निराकार ईश्वर की भक्ति) की वकालत की।
  • ‘एक ओंकार’ का संदेश: एक ईश्वर में विश्वास, जो प्रत्येक जगह मौजूद है। (“ईश्वर एक है”)।
  • अनुष्ठानों की अस्वीकृति: बलिदान, अनुष्ठान स्नान, मूर्ति पूजा और तपस्या को अस्वीकार किया। हिंदुओं और मुसलमानों दोनों के धार्मिक ग्रंथों को अस्वीकार किया।
  • समानता: जाति, धर्म या लिंग की परवाह किए बिना सभी के लिए समानता को बढ़ावा दिया।
  • जाति व्यवस्था: जाति व्यवस्था और सामाजिक पदानुक्रम का कड़ा विरोध किया।

धार्मिक परंपराएँ

  • संगत: सामूहिक उपासना (संगत) की अवधारणा की स्थापना की, जिसने सामुदायिक सेटिंग में सामूहिक प्रार्थना और पाठ को प्रोत्साहित किया।
  • लंगर: लंगर की परंपरा की शुरुआत की, जो सामाजिक समानता को बढ़ावा देने वाली सामुदायिक रसोई है, जहाँ लोग स्थिति की परवाह किए बिना भोजन साझा करते हैं।
  • उत्तराधिकार: गुरु अंगद देव को अपना उत्तराधिकारी चुना, ताकि उनकी शिक्षाओं की निरंतरता सुनिश्चित हो सके।
  • गुरु अर्जन देव (पाँचवें गुरु) ने गुरु नानक के भजनों को आदि ग्रंथ साहिब में संकलित किया, जो आज सिख धर्म का प्रमुख पवित्र ग्रंथ है।

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