जन्म एवं प्रारंभिक जीवन: 31 अक्टूबर 1875 को नडियाद, गुजरात में जन्म।
प्रमुख पद: स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री एवं उपप्रधानमंत्री, राष्ट्रीय एकता में उनके योगदान के लिए याद किए जाते हैं।
विचारधारा: समृद्ध भारत (श्रेष्ठ भारत) बनाने के लिए अखंड भारत (एक भारत) की वकालत की। उनका दृष्टिकोण आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने वाली आत्मनिर्भर भारत पहल में प्रतिध्वनित होता है।
विरासत: भारत की स्वतंत्रता, एकता एवं शासन ढाँचे में सरदार वल्लभभाई पटेल के योगदान ने उन्हें ‘भारत के लौह पुरुष’ की उपाधि दी।
सरदार वल्लभ भाई पटेल का योगदान
स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान
खेड़ा सत्याग्रह (वर्ष 1918): पटेल ने अन्यायपूर्ण ब्रिटिश करों के खिलाफ किसानों के लिए लड़ाई लड़ी एवं उनके मुद्दों को राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में एकीकृत किया।
बारदोली सत्याग्रह (वर्ष 1928): अन्यायपूर्ण भूमि राजस्व वृद्धि का विरोध करने में उनके नेतृत्व के कारण बारदोली की महिलाओं ने उन्हें ‘सरदार’ (नेता) की उपाधि प्रदान की।
सामाजिक सुधारों की वकालत: शराबबंदी, अस्पृश्यता, जातिगत भेदभाव के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्य किया एवं गुजरात तथा उसके बाहर महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा दिया।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नेतृत्व: वर्ष1931 में कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने कराची सत्र का नेतृत्व किया, गांधी-इरविन समझौते का समर्थन किया एवं मौलिक अधिकारों एवं आर्थिक नीति पर प्रस्ताव पारित किया।
भारत छोड़ो आंदोलन (वर्ष 1942): उनके नेतृत्व ने भारत छोड़ो आंदोलन के लिए जनता को संगठित किया, जिससे भारत की स्वतंत्रता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता प्रदर्शित हुई।
स्वतंत्रता के बाद का योगदान
रियासतों का एकीकरण (1947-1950): पटेल की उल्लेखनीय उपलब्धि 560 से अधिक रियासतों का भारतीय संघ में एकीकरण था, जिससे संभावित विखंडन को रोका जा सका।
भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की स्थापना: मजबूत प्रशासन के महत्त्व को पहचानते हुए, पटेल ने IAS की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, उन्होंने इसे भारत के शासन के लिए आवश्यक “स्टील फ्रेम” के रूप में संदर्भित किया।
शरणार्थी पुनर्वास: विभाजन के बाद, पटेल ने पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के पुनर्वास के प्रयासों का नेतृत्व किया, जिससे विभाजन से विस्थापित लोगों के लिए राहत एवं स्थिरता सुनिश्चित हुई।
पुलिस एवं न्यायपालिका में सुधार: भारत के पहले गृह मंत्री के रूप में, पटेल ने एक मजबूत प्रशासनिक ढांचे की नींव रखते हुए पुलिस एवं न्यायिक प्रणालियों में सुधार किया।
एकीकृत भारत का गठन: रियासतों को एकीकृत करने के अलावा, पटेल ने भारत की प्रशासनिक अखंडता को मजबूत करते हुए सभी क्षेत्रों में एक एकीकृत शासन संरचना सुनिश्चित की।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के बारे में
सरदार वल्लभभाई पटेल के सम्मान में बनाया गया।
सरदार पटेल की 143वीं जयंती के अवसर पर 31 अक्टूबर, 2018 को इसका उद्घाटन किया गया।
विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति (182 मीटर)।
वर्ष 2020 में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के ‘आठ अजूबों’ में जोड़ा गया।
वाइब्रेंट इंडिया के लिए पीएम यंग अचीवर्स स्कॉलरशिप अवार्ड योजना (PM YASASVI)
केंद्रीयसामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने वाइब्रेंट इंडिया के लिए पीएम यंग अचीवर्स स्कॉलरशिप अवार्ड योजना (PM-YASASVI) का क्रियान्वयन शुरू किया।
PM-YASASVI योजना के बारे में
उद्देश्य: वित्तीय बोझ को कम करके अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (EBC), एवं विमुक्त जनजाति (DNT) समुदायों के छात्रों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का समर्थन करना।
लॉन्च: डॉ. अंबेडकर पोस्ट-मैट्रिक एवं प्री/पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनाओं को विलय करके, वर्ष 2021-22 में शुरू किया गया।
उद्देश्य: वंचित समूहों को सशक्त बनाना एवं शैक्षिक निरंतरता को बढ़ावा देना।
छात्रवृत्ति विवरण
प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति: सरकारी स्कूलों में कक्षा 9-10 के छात्रों के लिए।
पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति: उच्च शिक्षा (कक्षा 10 के बाद) के छात्रों के लिए।
पात्रता: प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए पारिवारिक आय 2.5 लाख से कम होनी चाहिए।
कार्यान्वयन एजेंसी: सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, सामाजिक न्याय तथा अधिकारिता मंत्रालय।
कैबिनेट ने ₹1,000 करोड़ के उद्यम पूँजी कोष को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कंपनियों को समर्थन देने के लिए ₹1,000 करोड़ के उद्यम पूँजी कोष को मंजूरी दी।
कोष के बारे में
कोष का आकार: ₹1,000 करोड़
उद्देश्य: अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारतीय फर्मों की वृद्धि का समर्थन करना।
सहयोगी संस्था: अंतरिक्ष विभाग के तहत भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) के तत्त्वावधान में।
प्रमुख बिंदु
व्यावसायिक प्रबंधन
फंड को पेशेवर रूप से प्रबंधित किया जाएगा एवं उच्च व्यावसायीकरण क्षमता वाली कंपनियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
फंडिंग के लिए लगभग 40 फर्मों का चयन किया जाएगा।
फंडिंग समयरेखा एवं परिनियोजन
पाँच वर्षों के लिए नियोजित किया गया है:-
वर्ष 2025-26 में ₹150 करोड़।
वर्ष 2026-27, वर्ष 2027-28 एवं वर्ष 2028-29 प्रत्येक में ₹250 करोड़।
वर्ष 2029-30 में ₹100 करोड़।
निवेश सीमा
सांकेतिक निवेश: ₹10 करोड़ से ₹60 करोड़ प्रति फर्म, यह इस पर निर्भर करता है:
कंपनी के विकास का चरण।
विकास प्रक्षेपवक्र।
राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्षमताओं पर संभावित प्रभाव।
प्रारंभिक चरण के निवेश: फर्मों को ₹10 करोड़ – ₹30 करोड़ प्राप्त होंगे।
अंतिम चरण के निवेश: फर्मों को ₹30 करोड़ – ₹60 करोड़ प्राप्त होंगे।
उद्देश्य
स्थानांतरण रोकना: भारतीय अंतरिक्ष कंपनियों के विदेश में बसने की प्रवृत्ति पर ध्यान देना।
जोखिम पूँजी प्रदान करना: पारंपरिक ऋणदाता अंतरिक्ष जैसे उच्च-तकनीकी क्षेत्रों से बचते हैं, इसलिए यह फंड वित्तपोषण अंतर को कम करता है।
निजी निवेश का समर्थन करना: वित्तपोषित कंपनियों से निजी इक्विटी निवेश बढ़ाने की उम्मीद की जाती है।
भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
लक्ष्य: वर्ष 2033 तक भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को 8.4 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 44 बिलियन डॉलर करना।
सामरिक महत्त्व
अंतरिक्ष तकनीक एवं नवाचार में भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत करता है।
उच्च तकनीक एवं उभरते क्षेत्रों में घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने के भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप।
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