हाल ही में ‘ऑक्सफैम (Oxfam) औरडेवलपमेंट फाइनेंस इंटरनेशनल’ (Development Finance International) की एक रिपोर्ट जारी की गई।
संबंधित तथ्य
एक हालिया सर्वेक्षण से पता चला है कि 90% देश असमानता कम करने की अपनी प्रतिबद्धताओं से पीछे हट गए हैं।
164 देशों का आकलन करने वाली रिपोर्ट में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सामाजिक सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण कटौती के साथ-साथ कमजोर कर प्रणाली तथा श्रम अधिकारों पर प्रकाश डाला गया है।
आर्थिक असमानता क्या है?
परिभाषा: आर्थिक असमानता धन, आय एवं संसाधनों का असमान बँटवारा है, जिससे जीवन की गुणवत्ता तथा अवसरों में अंतर उत्पन्न होता है।
प्रकार: असमानता आय, धन, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल एवं रोजगार तक पहुँच जैसे क्षेत्रों में दिखाई दे सकती है।
ऑक्सफैम
यह एक गैर सरकारी संगठन (NGO) है।
स्थापना: वर्ष 1942 में।
इसेअसमानता, आर्थिक अन्याय एवं मानवाधिकार मुद्दों पर अनुसंधान तथा रिपोर्ट करने के लिए मान्यता प्राप्त है।
डेवलपमेंट फाइनेंस इंटरनेशनल
यह एक अंतरराष्ट्रीय सलाहकार संगठन है।
यह विशेष रूप से निम्न-मध्यम आय वाले देशों के लिए वित्त रणनीतियों के विकास का समर्थन करने हेतु कार्य करता है।
स्थापित: वर्ष2002 में।
DFI सरकार को सतत् विकास वित्तपोषण, कर नीतियों एवं गरीबी-घटाने की रणनीतियों पर सलाह देता है।
आर्थिक असमानता के कारण
आय में अंतर: वेतन एवं नौकरी के अवसरों में अंतर एक विभाजन उत्पन्न करता है, जिससे अधिक धन अर्जित करने वालों की संपत्ति में तेजी से वृद्धि होती है।
धन संकेंद्रण: अमीर लोग अक्सर संपत्ति (जैसे- संपत्ति या स्टॉक) में निवेश करते हैं, जिससे समय के साथ उनकी संपत्ति बढ़ती है।
सीमित शिक्षा एवंस्वास्थ्य देखभाल पहुँच: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच का अभाव व्यक्तियों को गरीबी के दुश्चक्र में फँसाता है।
नीति विकल्प: श्रमिकों की अपेक्षा व्यापार मालिकों को लाभ पहुँचाने वाली या सामाजिक कार्यक्रमों में कटौती करने वाली नीतियाँ असमानता को और खराब कर सकती हैं।
आर्थिक असमानता के प्रभाव
सामाजिक अशांति: अमीर एवं गरीब के बीच का अंतर सामाजिक तनाव तथा अनुचितता की भावनाओं को जन्म दे सकता है।
आर्थिक विकास का धीमा होना: उच्च असमानता खर्च एवं उत्पादकता को कम करती है, जिससे विकास धीमा हो जाता है।
स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे: स्वास्थ्य देखभाल एवं पौष्टिक भोजन तक सीमित पहुँच के कारण कम आय वाले समूहों का स्वास्थ्य अक्सर खराब होता है।
राजनीतिक प्रभाव: धन, राजनीतिक शक्ति को जन्म दे सकता है, अमीरों के पक्ष में नीतियों को आकार दे सकता है एवं असमानता को बढ़ा सकता है।
भारत में आय एवं धन वितरण अंतर्दृष्टि
शीर्ष 1% लोगों का संपत्ति पर नियंत्रण: आय खातों, धन सर्वेक्षण एवं कर रिकॉर्ड के संयुक्त आँकड़ों के अनुसार, भारत में सबसे अमीर 1% के पास अब राष्ट्रीय आय का 22.6% तथा राष्ट्रीय संपत्ति का 40.1% है।
वर्ष 1991 के बाद से बढ़ता संपत्ति संकेंद्रण: वर्ष 1991 से 2022 तक, भारत की अरबपतियों की संपत्ति देश की शुद्ध आय के 1% से बढ़कर 25% हो गई।
ऐतिहासिक संदर्भ: भारत में आय असमानता अब ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान की तुलना में बदतर है।
वैश्विक तुलना: भारत वैश्विक स्तर पर सबसे असमान देशों में से एक है, जहाँ करोड़पति इसकी 54% संपत्ति को नियंत्रित करते हैं।
लैंगिक असमानता: महिला श्रम आय का हिस्सा एशिया में औसत से काफी कम है।
आर्थिक असमानता को कम करने के लिए किए गए उपाय
समावेशी विकास को बढ़ावा देना
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA); यह पहल गारंटीशुदा रोजगार प्रदान करती है एवं ग्रामीण क्षेत्रों में आय स्थिरता का समर्थन करती है।
कौशल विकास: कौशल भारत एवं प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) जैसी विभिन्न सरकारी पहल युवाओं को अपने कौशल को निखारने में मदद करती हैं।
वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाना
प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY); यह पहल बैंक रहित व्यक्तियों को बैंक खाते प्रदान करती है, जो बचत एवं वित्तीय सेवाओं तक पहुँच को बढ़ावा देती है।
माइक्रोफाइनेंस एवं स्वयं सहायता समूह (SHGs): यह समूह ग्रामीण लोगों के बीच ऋण पहुँच को प्रोत्साहित करता है तथा उद्यमिता एवं आर्थिक गतिशीलता को बढ़ावा देता है।
लैंगिक समानता का समर्थन
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना: इस योजना का उद्देश्य शिक्षा को बढ़ावा देने, कन्या भ्रूण हत्या के मुद्दों को संबोधित करने तथा शिक्षा एवं रोजगार में लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करने के माध्यम से लड़कियों की स्थिति में सुधार करना है।
ऑक्सफैम एवं DFI रिपोर्ट (2024) से मुख्य निष्कर्ष
164 देशों का मूल्यांकन: रिपोर्ट में असमानता कम करने के वैश्विक प्रयासों का मूल्यांकन किया गया है।
मूल्यांकन के तीन स्तंभ
शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सामाजिक सुरक्षा।
प्रगतिशील कराधान।
श्रम अधिकार एवं मजदूरी।
प्रतिबद्धताओं से बड़े पैमाने पर पीछे हटना
10 में से 9 देश: अधिकांश देश असमानता कम करने की प्रगति से पीछे हट रहे हैं।
वर्ष 2017 के बाद से पहली बड़ी गिरावट: ‘कमिटमेंट टू रिड्यूसिंग इनइक्वलिटी’ (Commitment to Reducing Inequality- CRI) इंडेक्स शुरू होने के बाद से कई देश मूल्यांकन के सभी तीन क्षेत्रों में पिछड़ गए हैं।
प्रमुख कटौतियाँ एवं प्रणालियों का कमजोर होना
शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सामाजिक सुरक्षा: 84% देशों ने इन क्षेत्रों में खर्च कम कर दिया है।
कर प्रणालियाँ: 81% देशों ने असमानता को कम करने के लिए अपनी कर प्रणालियों की क्षमता को कमजोर कर दिया है।
श्रम अधिकार: 90% देशों में, श्रम अधिकार एवं न्यूनतम वेतन की स्थिति खराब हो गई है।
शीर्ष प्रदर्शक
उच्च आय वाले देश
शीर्ष देशों में नॉर्वे, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी एवं फिनलैंड शामिल हैं।
इन देशों में कम वेतन असमानता, उच्च सामाजिक व्यय एवं उच्च कर राजस्व है।
उच्च प्रदर्शन के बावजूद, उनकी 5% आबादी को विनाशकारी स्वास्थ्य देखभाल लागत का सामना करना पड़ता है।
सर्वोत्तम प्रदर्शन करने वाले निम्न एवं मध्यम आय वाले देश
बेलारूस, कोस्टा रिका, दक्षिण अफ्रीका: इन देशों में सामाजिक व्यय एवं कर संग्रह अधिक है, लेकिन अन्य संकेतकों में पीछे हैं।
सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले
निम्न एवं निम्न-मध्यम आय वाले देश
दक्षिण सूडान, नाइजीरिया, जिम्बाब्वे, हैती एवं वानुअतु जैसे देश सबसे निचले स्थान पर हैं।
कम कर राजस्व के परिणामस्वरूप खराब सेवा कवरेज एवं उच्च असमानता होती है।
प्रतिगामी कर प्रणाली (VAT) सबसे गरीब लोगों पर सबसे अधिक बोझ डालती है।
इन देशों में 80% लोग श्रम अधिकारों के बिना असुरक्षित नौकरियों में हैं।
ऋण, संघर्ष एवं जलवायु संकट
ऋण संकट: कम आय वाले देशों में औसतन 48% बजट ऋण सेवा पर खर्च किया जाता है, जिससे आवश्यक सेवाओं में निवेश सीमित हो जाता है।
आवश्यक सेवाओं तक पहुँच
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज: वैश्विक आबादी के केवल 65% के पास स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच है, जो वर्ष 2022 से न्यूनतम सुधार दर्शाता है।
SDG लक्ष्य: संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों (SGDs) के लिए वर्ष 2030 की समय सीमा तक छह वर्ष शेष रहने के कारण, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल एवं सामाजिक सुरक्षा तक पहुँच स्थिर बनी हुई है।
आर्थिक असमानता कम करने के उपाय
प्रगतिशील कर: अमीरों पर अधिक कर सार्वजनिक सेवाओं का समर्थन करने के लिए धन का पुनर्वितरण कर सकते हैं।
शिक्षा एवं स्वास्थ्य देखभाल में निवेश: इन सेवाओं का विस्तार करने से अवसरों एवं गतिशीलता को बढ़ावा मिलता है।
उचित श्रम अधिकार एवं वेतन: श्रम कानूनों एवं उचित वेतन को मजबूत करने से कम आय वाले श्रमिकों के लिए स्थितियों में सुधार होता है।
समावेशी आर्थिक नीतियाँ: छोटे व्यवसायों को समर्थन देना, नौकरियाँ उत्पन्न करना एवं किफायती आवास धन अंतर को कम कर सकते हैं।
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