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असन्तुष्ट मिलर्स : पंजाब में धान की खरीद में अनावश्यक विलंब

Lokesh Pal October 26, 2024 05:00 92 0

संदर्भ: 

पंजाब में धान की खरीद में अनावश्यक विलंब का प्रमुख कारण गोदामों में भीड़भाड़ और भंडारण क्षमता का अपर्याप्त होना है। इस अव्यवस्था के कारण मिल मालिकों में असंतोष है, जिसका सीधा प्रभाव स्थानीय कृषि अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है।

पंजाब की स्थिति

  • फसल हेतु अनुकूल परिस्थितियाँ: धान की खेती के लिए मौसम अनुकूल रहा है। अतः स्थानीय  किसान बिना किसी बड़ी समस्या के अपनी फसल की कटाई और एकत्रीकरण समय से कर पाए हैं।
  • कटाई की धीमी गति : भले ही परिस्थितियाँ अच्छी थीं, लेकिन धान की कटाई और बिक्री की गति धीमी होने से किसान प्रभावित हुए हैं।
  • मंडियों में भीड़: इसका मुख्य कारण यह है कि लगभग 90% कटी हुई फसल मंडियों (स्थानीय बाजार जहाँ किसान अपनी उपज बेचते हैं) में फंसी हुई है। जहाँ किसान उसके खरीदे जाने और भंडारण के इंतज़ार में आशा लगाए हुए हैं।
  • निजी मिलर्स का इनकार: निजी चावल मिलर्स, जो आमतौर पर सरकार के लिए धान का भंडारण करते हैं, इस बार उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया है , जिससे किसानों की समस्या बढ़ रही है।
  • अंतर्निहित मुद्दे: देरी रसद संबंधी मुद्दों (फसल का परिवहन और भंडारण), नौकरशाही मुद्दों (प्रशासनिक देरी और कुप्रबंधन) और राजनीतिक कारकों के मिश्रण के कारण भी हो रही है।

धान की खरीद की प्रक्रिया 

  • धान की कटाई के उपरांत, किसान इससे चावल निकालने के लिए मिलर्स को देते हैं, मिलिंग के दौरान बाहरी भूसी को अलग कर दिया जाता है। पॉलिश किए गए चावल को पैक करके भंडारण और वितरण के लिए भारतीय खाद्य निगम (FCI) के गोदामों में भेज दिया जाता है।
  • केंद्र, राज्य और एफसीआई की भूमिका: प्रत्येक वर्ष, केंद्र खरीफ विपणन सत्र (अक्टूबर से सितंबर) से पहले धान खरीद अनुमानों को अंतिम रूप देने के लिए राज्य सरकारों और भारतीय खाद्य निगम (FCI) के साथ सहयोग करता है, जिसके बाद रबी फसल के लिए गेहूं की खेती पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) : राज्य सरकार की एजेंसियां ​​और भारतीय खाद्य निगम (FCI) एक निर्धारित अवधि के दौरान किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान खरीदते हैं।
  • बफर स्टॉक और कल्याण कार्यक्रमों के तहत वितरण : मिलिंग के बाद, चावल को सरकारी भंडारण सुविधाओं (गोदामों) में ले जाया जाता है, जहां इसे आपातकालीन स्थितियों के लिए बफर स्टॉक बनाए रखने के लिए रखा जाता है या राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) या सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और अन्य कल्याण कार्यक्रमों के तहत वितरित किया जाता है।

कम खरीद के कारण:

पूरे सीजन में 185 लाख टन धान की खरीद की जाती है। लेकिन 23 अक्टूबर 2024 तक केवल 37.68 लाख टन धान की खरीद हुई है। यह 2023 में इसी समयावधि में की गई 49 लाख टन खरीद की तुलना में कम है।

1. भंडारण स्थान की कमी :

  • जब धान को प्रसंस्करण के लिए निजी मिलों में भेजा जाता है, तो भूसी अलग करने के बाद चावल के भंडारण के लिए अक्सर पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती है।
  • सरकारी गोदामों में सीमित जगह के कारण निजी मिल मालिक धान स्वीकार करने में हिचकिचाते हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि उन्हें इसे एक साल तक खुद ही स्टोर करना पड़ेगा।
    • परिणाम: मिल में तैयार चावल को स्टोर करने के लिए कम जगह के कारण, लगभग 124 लाख टन मिल में से केवल 7 लाख टन चावल ही सरकारी गोदामों तक पहुँच पाया है।

2. धान की संकर किस्म: 

  • इस साल, संकर धान की किस्मों ने बाजार में बाढ़ के आसार बना दिए हैं। सामान्य किस्मों के विपरीत, जिनका आउट-टर्न अनुपात (OTR) स्थिर होता है, संकर किस्मों में मिलिंग आउट-टर्न अनुपात कम होता है, जिससे अन्ततः मिलर्स को नुकसान होता है।
  • उन्हें सरकार को प्रति क्विंटल 67 प्रतिशत आउट-टर्न अनुपात देना होता है। हालांकि, संकर धान का आउट-टर्न अनुपात केवल 60 से 62 प्रतिशत है, जिससे लगभग 300 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान होता है।

आउट-टर्न अनुपात (ओटीआर) : 

चावल के उस अनुपात को संदर्भित करता है, जो मिलिंग प्रक्रिया के बाद धान से निकाला जाता है।

3. श्रमिक और आढ़तियों की ओर से अनुरोध :

  • आढ़ती (कमीशन एजेंट) अनाज खरीद प्रक्रिया में बिचौलियों के रूप में काम करते हैं। परन्तु अब वे फसल खरीद पर 46 रुपये प्रति क्विंटल के मौजूदा तय भुगतान के बजाय 2.5 प्रतिशत के मुआवजे की मांग कर रहे हैं। 
  • इसी तरह, मंडी मज़दूर भी ज़्यादा मज़दूरी की मांग कर रहे हैं। इन समूहों के विरोध प्रदर्शनों ने खरीद प्रक्रियाओं को और भी बाधित कर दिया है।

खरीद में देरी का प्रभाव

  • चावल की गुणवत्ता पर संभावित प्रभाव : किसान मौजूदा समस्याओं और अन्य कारणों से जानबूझकर कटाई की प्रक्रिया को धीमा कर रहे हैं।
    • हालांकि, धान जितना ज़्यादा समय तक खेतों में रहेगा, उसका वज़न कम होने और उसकी गुणवत्ता में गिरावट का जोखिम उतना ही ज़्यादा होगा, जिससे उसकी कीमतें भी कम हो सकती हैं।
  • गेहूँ पर प्रभाव: किसान आमतौर पर नवंबर में रबी फसल चक्र में, गेहूँ की फ़सल बोते हैं, धान की कटाई में देरी से राज्य के कृषि चक्र के बाधित होने का ख़तरा है। भारतीय खाद्य निगम (FCI)  पहले से ही सरकारी गोदामों में गेहूँ के स्टॉक को लेकर चिंतित है।

सरकारी गोदामों में गेहूं का मौजूदा स्टॉक 23.78 मिलियन टन (एमटी) है, जो 20.52 एमटी के न्यूनतम आवश्यक स्तर से थोड़ा ऊपर है। यह स्टॉक स्तर 2022 को छोड़कर 2008 के बाद से इस समय के लिए सबसे कम है। 


  • पराली जलाना एवं वायु प्रदूषण: इसके अतिरिक्त, धान की कटाई और गेहूं की बुवाई के बीच कम अंतराल से पराली में आग लगने की घटनाएं बढ़ सकती हैं, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ सकता है।

आगे की राह 

  • भंडारण समाधान: हम पहले से ही जानते हैं कि भारतीय खाद्य निगम (FCI) भंडारण सुविधाओं में जगह की कमी है, इसलिए सरकार को तत्काल अस्थायी भंडारण समाधान तलाशने की आवश्यकता है। 
    • पंजाब की लगभग 5,000 चावल मिलों का उपयोग धान के भंडारण के लिए करना एक आसानी से उपलब्ध विकल्प होगा।
  • आउट-टर्न अनुपात (ओटीआर) : सरकार को मिल मालिकों की चिंताओं को दूर करना चाहिए, जिसमें संकर किस्मों के लिए ओटीआर परीक्षण आयोजित करना और सख्त बीज प्रमाणन नियम लागू करना शामिल है।
  • समय पर भुगतान: आढ़तियों के कमीशन का समय पर भुगतान, और कीमतें तय करके श्रमिकों की मांगों पर त्वरित विचार करना चाहिए।
  • फसल विविधीकरण: अधिशेष मुद्दों को रोकने के लिए पंजाब को दीर्घ अवधि में अपनी फसलों में विविधता लाने की आवश्यकता है। 
    • किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के कारण मुख्य रूप से चावल और गेहूं उगाते हैं, लेकिन इन फसलों में बहुत अधिक बिजली और पानी का उपयोग होता है, जिससे भूजल स्तर में गिरावट आती है।
    •  इसके अतिरिक्त, इन फसलों पर निवेश पर प्रतिफल भी कम है।

निष्कर्ष 

पंजाब में धान की खरीद में हो रही देरी भंडारण के लिए बेहतर समाधान और कुशल लॉजिस्टिक प्रबंधन की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है। मिल मालिकों को सहायता प्रदान करने और एक सुचारू खरीद प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए इन चुनौतियों का त्वरित समाधान करना आवश्यक है, जिससे अंततः राज्य के फसल चक्र, कृषि अर्थव्यवस्था व किसानों को लाभ होगा।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न 

प्रश्न: भारत के बफर स्टॉक में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले पंजाब को अधिशेष भंडारण और प्रबंधन से संबंधित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन मुद्दों के पीछे के कारणों का विश्लेषण करें और उन्हें संबोधित करने के उपाय सुझाएँ। 

(10 अंक, 150 शब्द)

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