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वैश्विक प्रकृति संरक्षण सूचकांक

Lokesh Pal October 29, 2024 01:59 60 0

संदर्भ

वर्ष 2024 के वैश्विक प्रकृति संरक्षण सूचकांक (Global Nature Conservation Index-NCI) में भारत 180 देशों में से 176वें स्थान पर है, जिसका स्कोर 45.5/100 है तथा किरिबाती, तुर्किए, इराक और माइक्रोनेशिया जैसे निम्न रैंक वाले देश भी भारत के बराबर हैं। 

भारत के संदर्भ में मुख्य निष्कर्ष

  • पर्यावरण प्रदर्शन में गिरावट: भारत का पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (Environmental Performance Index- EPI) स्कोर पिछले दशक में खराब हुआ है, जिससे पर्यावरण नीतियों और संरक्षण प्रथाओं को बेहतर बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
  • भारत की खराब रैंकिंग का कारण: इस सूचकांक में भारत की निम्न रैंकिंग का मुख्य कारण जैव विविधता के लिए बढ़ते खतरे और भूमि के अकुशल प्रबंधन को बताया गया है।

  • संरक्षण परियोजना की चिंताएँ: ग्रेट निकोबार द्वीप विकास परियोजना की स्थानीय पारिस्थितिकी प्रणालियों पर संभावित प्रतिकूल प्रभावों के लिए आलोचना की गई है, जिसमें 96 वन्यजीव अभयारण्य, 9 राष्ट्रीय उद्यान और 1 बायोस्फीयर रिजर्व शामिल हैं।

वैश्विक प्रकृति संरक्षण सूचकांक (Global Nature Conservation Index- NCI) के बारे में

  • अक्टूबर 2024 में शुरू की गई NCI चार स्तंभों के आधार पर 180 देशों में पर्यावरण संरक्षण का आकलन करती है:-
    • भूमि प्रबंधन (Land Management)
    • जैव विविधता के लिए खतरा (Threats to Biodiversity)
    • क्षमता और शासन (Capacity and Governance)
    • भविष्य के रुझान (Future Trends)
  • यह 25 प्रदर्शन संकेतकों का उपयोग करके इन स्तंभों का मूल्यांकन करता है।
  • विकसित किया गया: यह सूचकांक बेन-गुरियन विश्वविद्यालय (Ben-Gurion University) के ‘गोल्डमैन सोनेनफेल्डट स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी एंड क्लाइमेट चेंज’ (Goldman Sonnenfeldt School of Sustainability and Climate Change) द्वारा जैव विविधता डेटा के लिए एक गैर-लाभकारी संस्था BioDB.com के सहयोग से विकसित किया गया है। 

भारत में प्रमुख संरक्षण संबंधी मुद्दे

  • मत्स्यपालन का अत्यधिक दोहन किया जाना: भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone- EEZ) में 34.5% मत्स्यपालन का अत्यधिक दोहन किया जाता है।
  • कमजोर कानून: प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और जैव विविधता के लिए कानूनों तथा विनियमों की प्रभावशीलता में भारत 122वें स्थान पर है।
  • वन संरक्षण संबंधी चिंताएँ: वन संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 (FCAA), वन क्षेत्रों में वाणिज्यिक गतिविधियों को सुगम बनाता है और कुछ बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को पर्यावरणीय आकलन से छूट देता है।
    • वर्ष 2001 से 2019 तक 23,300 वर्ग किमी. वृक्ष क्षेत्र का नुकसान हुआ है।
  • जैव विविधता के लिए जोखिम: जैव विविधता के लिए बढ़ते खतरे, 15.9% समुद्री प्रजातियाँ और 13.4% स्थलीय प्रजातियाँ खतरे (IUCN की रेड लिस्ट में) में हैं।

सुधार के लिए सिफारिशें

  • बाघ अभयारण्यों और स्थानीय समुदायों के लिए मुआवजा कार्यक्रमों के लिए सरकारी निधि में वृद्धि करना।
  • सतत्, दीर्घकालिक परिणामों के लिए संरक्षण प्रयासों में बफर जोन प्रबंधन और कनेक्टिविटी को संबोधित करना।
  • उद्योगों और बुनियादी ढाँचे में नवीकरणीय ऊर्जा तथा बढ़ी हुई ऊर्जा दक्षता की ओर संक्रमण करना।
  • कार्बन मूल्य निर्धारण और सतत् भूमि उपयोग प्रथाओं का कार्यान्वयन।
  • कार्बन सिंक (वन एवं आर्द्रभूमि) का रखरखाव एवं विस्तार।

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