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भारत में ‘टॉक्सिक’ कार्य संस्कृति का आयात

Lokesh Pal November 01, 2024 05:45 47 0

संदर्भ: 

1990 के दशक के दौरान, भारत में उदारीकरण , निजीकरण व वैश्वीकरण (LPG) सुधारों ने कई पश्चिमी कंपनियों को निवेश हेतु आकर्षित किया, जो पर्याप्त पूंजी, उन्नत प्रौद्योगिकी और अपनी कार्य संस्कृति को भारत लेकर आए ।

  • हालांकि यह निवेश आकर्षित करने हेतु महत्त्वपूर्ण कदम था परंतु पश्चिमी कॉर्पोरेट प्रथाओं से अपनाई गई इस कार्यस्थल संस्कृति का भारत में नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

विषाक्त ‘कार्य संस्कृति’ से संबंधित हालिया समाचार

  • पुणे में अर्न्स्ट एंड यंग (EY) के एक 26 वर्षीय कर्मचारी की कथित तौर पर “अत्यधिक कार्यभार” के कारण मृत्यु हो गई, जिससे कंपनी की कार्य संस्कृति के संबंध में चिंताएँ बढ़ गई हैं। 
  • एक पूर्व कर्मचारी ने उन अनुभवों को साझा किया, जिन्होंने फर्म छोड़ने के उनके निर्णय में योगदान दिया, जिसमें ‘टॉक्सिक’ वातावरण पर प्रकाश डाला गया।

मैक्स वेबर की ‘प्रोटेस्टेंटवाद ’ नैतिकता

  • मैक्स वेबर ने उत्तरी यूरोप में सुधार को कार्य के दृष्टिकोण में परिवर्तन से जोड़ा, तथा सुझाव दिया कि प्रोटेस्टेंटवाद ने आर्थिक लाभ के लिए सांसारिक गतिविधियों को नैतिक रूप से महत्त्वपूर्ण माना, जिसने प्रारंभिक चरण में पूंजीवाद को प्रभावी बनाने में योगदान दिया।

भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ (MNCs) 

  • यद्यपि भारत में स्थापित बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) के पास निर्णय लेने के लिए महत्त्वपूर्ण शक्ति या अधिकार नहीं हैं। यहाँ पर उनके अधिकांश महत्त्वपूर्ण निर्णय मुख्य कार्यालय द्वारा लिए जाते हैं। 
  • उदाहरण के लिए, यदि कोई यूएस-आधारित बहुराष्ट्रीय कंपनी भारत में अपना कार्यालय खोलती है, तो अमेरिकी कार्यालय के पास बड़े निर्णय लेने का अधिकार होता है। 
  • अतः ऐसी कंपनी स्थानीय संस्कृति को अपनाने के बजाय अमेरिकी कार्य संस्कृति को लागू करने को प्राथमिकता देगी । 
  • इससे स्पष्ट रूप से पता चलता है कि ‘बहुराष्ट्रीय’ शब्द भ्रामक हो सकता है। 
  • वास्तव में, प्रत्येक बहुराष्ट्रीय कंपनी एक विशिष्ट देश से जुड़ी होती है, और राष्ट्रीय सरकारें अपनी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हितों का सक्रिय रूप से समर्थन करती हैं।

अमेरिकी कार्य संस्कृति के अलावा अन्य उपलब्ध मॉडल 

  • पश्चिमी यूरोपीय देश : कई पश्चिमी यूरोपीय देश अधिक अनुकूल कार्य घंटे और अवकाश समय प्रदान करते हैं, जो दर्शाता है कि केवल अमेरिकी कार्य संस्कृति को अपनाना किसी देश के लिए प्रगति का एकमात्र मार्ग नहीं है। 
  • इसके अलावा अन्य देशों के मॉडल व दृष्टिकोण भी एक स्वस्थ और अधिक उत्पादक कार्यबल में योगदान कर सकते हैं।

अनुच्छेद 21 : सुरक्षित और सम्मानजनक कार्यस्थल

  • अनुच्छेद 21 में कहा गया है कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन से वंचित नहीं किया जाएगा।
  • अनुच्छेद में जीवन के अधिकार के हिस्से के रूप में सुरक्षित और सम्मानजनक कार्यस्थल के महत्त्व पर भी जोर दिया गया है।
  • हालाँकि, पुणे सहित अन्य कार्यस्थलों की घटनाएँ दर्शाती हैं कि पूरे देश में संवैधानिक अधिकारों का लगातार उलँघन किया  जा रहा है।

सरकार की दुविधा

  • कार्य संस्कृति को विनियमित करने में सरकार की दुविधा विदेशी निवेश को आकर्षित करने की आवश्यकता में निहित है, जो प्रायः भारत में परिचालन स्थापित करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर निर्भर करता है। 
  • भारत को आर्थिक विकास के लिए इन निवेशों की आवश्यकता है; हालाँकि, मजबूत श्रम कानूनों को लागू करने से बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ परिचालन स्थापित करने से हतोत्साहित हो सकती हैं। 
  • यह एक सहायक कार्य वातावरण को बढ़ावा देने और एक प्रतिस्पर्द्धी आर्थिक परिदृश्य को बनाए रखने के बीच संघर्ष पैदा कर सकता है।

भारत की आर्थिक संप्रभुता और संघवाद पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का प्रभाव

  • बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ (MNCs) स्थानीय बाजारों और श्रम प्रथाओं पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालकर भारत की आर्थिक संप्रभुता को प्रभावित करती हैं तथा प्रायः अपनी कार्य संस्कृति को लागू करती हैं अर्थात स्थानीय हितों पर लाभ को प्राथमिकता देती हैं। 
  • “बिग फोर” अकाउंटिंग फर्म को प्रायः केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों से भी बड़े कार्य प्राप्त होते हैं। 
  • उदाहरण के लिए, कुछ दक्षिणी राज्यों की सरकारें स्थानीय विशेषज्ञों की तुलना में बाहरी सलाहकारों को तरजीह देती हैं, जो आर्थिक मामलों पर अधिक प्रभावी सुझाव पेश करते हैं।

आगे की राह

  • कर्मचारियों को उत्पीड़न से बचाने के लिए एक सशक्त विनियामक तंत्र होना चाहिए। 
  • भारत में कार्य करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम के घंटे और कार्यप्रणाली को सरकार द्वारा विनियमित किया जाना चाहिए। 
  • मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए विभिन्न कार्यशालाओं के माध्यम से प्रावधान प्रस्तुत किए जाने चाहिए। 
  • स्थानीय संप्रभुता की रक्षा की जानी चाहिए और स्थानीय विशेषज्ञता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

सबसे बड़ी चार वैश्विक लेखा फर्म

चार बड़ी वैश्विक लेखा फर्मों में डेलॉइट, अर्न्स्ट एंड यंग (EY), प्राइसवाटरहाउस कूपर्स (PwC) और ‘क्लिनवेल्ड पीट मार्विक गोएर्डेलर’ (KPMG) शामिल हैं।

निष्कर्ष

भारत को ‘टॉक्सिक’ कार्यस्थल संस्कृतियों के प्रभाव का गंभीरता से आकलन करना चाहिए और सक्रिय रूप से ऐसे वातावरण को विकसित करना चाहिए जो कर्मचारी कल्याण और समावेशिता को महत्त्व देता हो। एक सहायक वातावरण को प्राथमिकता देकर, संगठनात्मक तरीके से उत्पादकता बढ़ाया जा सकता है और स्थायी विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास  प्रश्न 

प्रश्न. भारत में कार्यरत बहुराष्ट्रीय निगमों में कार्य-संस्कृति से संबंधित हाल की घटनाएँ वैश्विक व्यापार प्रथाओं और स्थानीय सामाजिक वास्तविकताओं के बीच संघर्ष को उजागर करती हैं। वैश्वीकरण के युग में श्रम कल्याण के साथ आर्थिक विकास को संतुलित करने में राज्य की भूमिका पर चर्चा कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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