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भारतीय कृषि तथा उससे संबंधित राजनीतिक अवधारणाएँ

Lokesh Pal November 04, 2024 06:00 31 0

संदर्भ :

किसानों के विरोध के बावजूद हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ दल की जीत भारत की जटिल कृषि प्रणाली में परिवर्तन को उजागर करती है, जहाँ आर्थिक शक्ति अब पारंपरिक किसानों से परे विभिन्न हितधारकों के बीच साझा की जाती है।

विपक्ष की हार के कारण

  • सीमित पहुँच :
    • हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों में कृषि एक जटिल तंत्र बन गया है, जिसे प्रौद्योगिकी एवं एक विविध कृषि-खाद्य मूल्य शृंखला द्वारा आकार प्रदान किया गया है।
    • किसानों के अलावा व्यापारी, रसद आपूर्तिकर्ता, ट्रांसपोर्टर, प्रसंस्करणकर्ता  और खुदरा विक्रेताओं के प्रभाव में व्यापक वृद्धि हुई है। 
    • विपक्ष द्वारा केवल किसानों पर ध्यान केन्द्रित किए जाने के कारण अन्य प्रमुख हितधारक उनसे दूर हो गए, जो वर्तमान अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • किसानों के विरोध प्रदर्शन पर अत्यधिक निर्भरता : 
    • विपक्ष ने मतदाताओं की व्यापक चिंताओं को गलत ठहराते हुए किसानों के विरोध प्रदर्शन पर अत्यधिक भरोसा किया। 
    • जबकि विरोध प्रदर्शनों के प्रति सहानुभूति रखने वाले कई मतदाताओं द्वारा स्थानीय शासन और विकास जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दी गई, जिन पर विपक्ष द्वारा ध्यान नहीं दिए जाने के कारण कम महत्त्व दिया गया।
  • जाति-केंद्रित रणनीति :
    • विपक्ष मुख्य रूप से जाट समुदाय पर ध्यान केंद्रित करता रहा, जबकि अन्य प्रभावशाली समूहों, यथा- व्यापारियों आदि के साथ तालमेल बिठाने में विफल रहा। 
    • इसके कारण सत्तारूढ़ दल को इस चुनाव को ‘जाट बनाम अन्य जातियों’ के रूप में प्रस्तुत करने का अवसर मिला, जिससे किसानों और गैर-किसानों के बीच विभाजन और गहरा हो गया।

निष्कर्ष

स्पष्टतः जिस प्रकार भारत अपनी कृषि प्रणाली की जटिलताओं से जूझ रहा है, ऐसी स्थिति में राजनीतिक दलों को बदलती वास्तविकताओं के अनुरूप ढलना और विभिन्न हितधारकों के साथ सार्थक रूप से जुड़ना चाहिए। ऐसी रणनीति को अपनाकर एक अधिक समावेशी और सतत कृषि नीति ढाँचे को बढ़ावा दिया जा सकता हैं, जिससे इसमें शामिल सभी पक्षों को लाभ होगा और अंततः एक अधिक स्थायी सामाजिक-राजनीतिक वातावरण निर्मित हो सकेगा ।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न 

कृषि को आर्थिक उदारीकरण और तकनीकी प्रगति द्वारा तीव्र गति से आकार प्राप्त होने के साथ, एक समावेशी नीतिगत ढाँचा निर्माण की संभावनाओं और चुनौतियों पर चर्चा कीजिए, जो किसानों और संबद्ध क्षेत्रों की आवश्यकताओं को पूर्ण करती है।

(15 अंक, 250 शब्द)

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