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UNFCCC और बाकू में जलवायु सम्मेलन

Lokesh Pal November 05, 2024 05:45 42 0

संदर्भ :

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के तहत 29वाँ वार्षिक जलवायु सम्मेलन 11-12 नवंबर, 2024 को बाकू, अज़रबैजान में आयोजित होने वाला है। इस महत्त्वपूर्ण सम्मलेन का उद्देश्य मानव-जनित वैश्विक तापमान वृद्धि से निपटने के लिए वैश्विक रणनीतियों को परिष्कृत करना तथा जलवायु कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता को पूरा करना है |

महत्त्वपूर्ण उत्सर्जन लक्ष्य

  • वैज्ञानिक आकलन से संकेत मिलता है, कि वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए  ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 2025 से पहले चरम पर पहुँचना होगा और 2030 तक कम-से-कम 43% तक कम करना होगा। 
  • हालाँकि, यह लक्ष्य प्राप्त करना असंभव प्रतीत होता है। वर्तमान अनुमानों से पता चलता है कि विभिन्न देशों की सामूहिक प्रतिबद्धताओं के बावजूद, वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 2019 के स्तर की तुलना में 2030 तक केवल 2.6% की कमी आने की उम्मीद है। 
  • यह सीमित कमी चिंताजनक है, विशेष रूप से यह देखते हुए कि वैश्विक उत्सर्जन में वृद्धि जारी है, जो कोविड-19 महामारी को छोड़कर 2023 में लगभग 53 बिलियन मीट्रिक टन तक पहुँच जाएगा।

सम्मेलन का महत्त्व

  • वित्त COP : बाकू में होने वाले आगामी सम्मेलन को एक महत्त्वपूर्ण “वित्त COP (सी.ओ.पी.)” के रूप में वर्णित किया जा रहा है, जिसमें जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए मजबूत वित्तीय प्रतिबद्धताओं की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया जाएगा। 
    • यह महत्त्वपूर्ण है कि विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए, निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्थाओं में परिवर्तन को सुगम बनाने के लिए वित्तीय तंत्र स्थापित किए जाएँ ।
  • NCQG : वर्ष 2016 में स्थापित पेरिस समझौते में यह अनिवार्य किया गया है कि सभी भागीदार राष्ट्र 2025 तक एक नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NSQG) निर्धारित करें, जिसमें जलवायु वित्त के लिए पूर्व में प्रतिज्ञा किए गए $100 बिलियन को आधार रेखा के रूप में रखा जाएगा। 
    • NCQG संबंधी बिंदु बाकू सम्मेलन में चर्चा का केन्द्रीय विषय होंगें, जिनमें ठोस प्रतिबद्धताओं और जवाबदेही की आवश्यकता पर प्रकाश डाला जाएगा।

प्रमुख मुद्दे और चुनौतियाँ

  • उत्तरदायित्व विभेद
    • वार्ता में एक विवादास्पद बिन्दु यह अपेक्षा है कि विकासशील देश, जिनमें चीन और भारत जैसे प्रमुख उत्सर्जक देश भी शामिल हैं, जलवायु वित्त में योगदान देंगे। 
    • इससे तनाव बढ़ा है, क्योंकि विकसित देश अक्सर अपनी जीवनशैली से समझौता करने से बचते हैं, जबकि गरीब देशों से अपेक्षा करते हैं कि वे बिना किसी वित्तीय सहायता के स्वच्छ ऊर्जा के रास्ते अपनाएँ । 
    • स्वच्छ, भूमि-प्रधान तथा अपेक्षाकृत महंगे नवीकरणीय स्रोतों की ओर संक्रमण की उच्च लागत एक महत्त्वपूर्ण बाधा बनी हुई है।
  • $100 बिलियन की प्रतिज्ञा
    • वर्ष 2009 में कोपेनहेगन जलवायु शिखर सम्मेलन के दौरान, विकसित देशों ने विकासशील देशों को निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्थाओं में परिवर्तन में सहायता देने के लिए जलवायु वित्त के रूप में 2020 तक प्रतिवर्ष $100 बिलियन उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। 
    • हालाँकि यह लक्ष्य पूरा नहीं हुआ है, जिससे विकासशील देशों में निराशा पैदा हो रही है। 
    • “जलवायु वित्त” को परिभाषित करने में स्पष्टता की कमी और वित्तीय संवितरण तंत्र में देरी ने इन चिंताओं को बढ़ा दिया है।
  • कार्बन बाज़ार
    • विकसित राष्ट्र या कम्पनियाँ व्यापार योग्य कार्बन क्रेडिट के बदले में विकासशील देशों में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को वित्तपोषित कर सकती हैं। 
    • हालाँकि, इन बाजारों को नियंत्रित करने वाले अनसुलझे नियम प्रभावी कार्यान्वयन में बाधा डालते हैं और वर्तमान चर्चाओं से अभी तक कार्यान्वयन योग्य रूपरेखा तैयार नहीं हो पाई है।

आगे की राह

वर्तमान में विश्व बाकू में बैठक की तैयारी कर रहा है, जिसमें स्पष्ट कार्रवाई योग्य कदमों पर ध्यान केंद्रित करना महत्त्वपूर्ण है, जिसमें प्रमुख हैं –

  • वित्तपोषण और कार्यान्वयन पर आम सहमति बनाना
    • वास्तविक प्रगति के लिए विकसित और विकासशील दोनों देशों को मिलकर कार्य करना होगा। 
    • वित्तीय सहायता प्रदान करने तथा उत्सर्जन कम करने की जिम्मेदारी साझा करने हेतु मजबूत, स्पष्ट प्रतिबद्धताओं की आवश्यकता है | 
  • पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना
    • विकासशील देशों को स्पष्ट रूप से समझना चाहिए कि जलवायु वित्त कैसे कार्य करता है और विकसित देशों को अपने वित्तीय वादों को पूरा करने के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। 
    • मजबूत निरीक्षण तंत्र स्थापित करने से यह सुनिश्चित होगा कि निधियों को परिभाषित, वितरित और प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाए।

निष्कर्ष

UNFCCC का यह सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए जलवायु कार्रवाई हेतु पुनः  प्रतिबद्ध होने का एक महत्त्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। पहले से कहीं अधिक जोखिम के साथ, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिए ठोस कार्रवाई और पारदर्शी तंत्र आवश्यक हैं। इसलिए आवश्यक है कि विश्व के सभी राष्ट्र एक साथ मिलकर आगे बढ़ने का मार्ग निर्मित करें, जो स्थिरता, समानता और जवाबदेही को प्राथमिकता दे।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

UNFCCC के प्रमुख COP सम्मेलनों की चर्चा करते हुए COP 29 की आवश्यकता तथा प्रमुख संभावित चर्चा के विषयों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए |

(10 अंक, 150 शब्द)

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