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भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन प्रणाली : आवश्यकता एवं विकास

Lokesh Pal November 05, 2024 06:00 77 0

संदर्भ :

मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) और अन्य निर्वाचन आयुक्तों (ECs) की नियुक्ति तथा कार्यप्रणाली से जुड़ी चिंताएँ भारतीय निर्वाचन प्रक्रिया में संभावित पूर्वाग्रह एवं निष्पक्षता संबंधी गंभीर प्रश्न और चिंताएँ उत्पन्न करती हैं, जो चर्चा का प्रमुख विषय है ।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति पर संविधान सभा में चर्चा

  • संविधान सभा के विचार-विमर्श के दौरान एक स्वतंत्र निर्वाचन निकाय की आवश्यकता को स्पष्टता के साथ व्यक्त किया गया। 
  • उल्लेखनीय रूप से, शिब्बन लाल सक्सेना ने प्रस्ताव दिया कि चुनाव आयोग में नियुक्तियाँ द्विदलीय आधार पर की जानी चाहिए, जिसके लिए संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी। 
  • इस प्रस्ताव का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था, कि नियुक्त किए गए लोगों में व्यापक विश्वास हो तथा निष्पक्ष निर्वाचन कराने के लिए आवश्यक स्वतंत्रता बनी रहे। 

नियुक्तियों में पक्षपात संबंधी चिंताएँ

1. संवैधानिक ढाँचा

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 324(2) राष्ट्रपति को संसद द्वारा पारित विधि के आधार पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति का अधिकार देता है।
  • हालाँकि, ऐसा कोई कानून नहीं बनाया गया है, जिसके कारण नियुक्तियाँ केवल कार्यपालिका की सलाह पर की जाती हैं।

2. सर्वोच्च न्यायालय का हस्तक्षेप 

  • मार्च 2023 में सर्वोच्च न्यायालय ने एक निर्देश जारी किया, जिसमें कहा गया कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश वाली समिति की सलाह पर आधारित होनी चाहिए। 
  • इस निर्णय का उद्देश्य निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता को बढ़ाना था, जब तक कि संसद नियुक्ति प्रक्रिया को परिभाषित करने वाला औपचारिक कानून नहीं बना लेती।
  • सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के विपरीत संसद ने दिसंबर 2023 में कानून पारित किया, जिसके तहत नियुक्ति समिति की संरचना में परिवर्तन कर दिया गया तथा इसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री को शामिल किया गया। 
  • यह समायोजन निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता की रक्षा करने के न्यायालय के उद्देश्य से अलग है तथा इससे नियुक्तियों में संभावित पक्षपात के बारे में चिंताएँ और बढ़ गयी हैं।

प्रस्तावित व्यापक नियुक्ति प्रणाली

निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता को सुदृढ़ करने तथा स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत एवं पारदर्शी नियुक्ति प्रणाली आवश्यक है :

  • संसदीय समिति की निगरानी : मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों के पदों के लिए योग्यताएँ निर्धारित करने तथा उम्मीदवारों की जाँच करने के लिए एक संसदीय समिति की स्थापना की जाएगी।
  • योग्यता अनुमोदन : उम्मीदवारों की योग्यता को संसद में दो-तिहाई बहुमत से अनुमोदित किया जाना आवश्यक है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं के लिए केवल उपयुक्त व्यक्तियों पर ही विचार किया जाए।
  • नामांकन और सार्वजनिक सुनवाई : समिति नामांकन आमंत्रित करेगी, उम्मीदवारों की सूची बनाएगी और नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता तथा सार्वजनिक विश्वास बढ़ाने के लिए सार्वजनिक सुनवाई आयोजित करेगी।
  • अंतिम अनुमोदन : औपचारिक नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति को भेजे जाने से पूर्व अंतिम चयन को संसद में दो-तिहाई बहुमत से अनुमोदन प्राप्त करना आवश्यक होगा।
  • कार्यकाल विनियमन : मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों के लिए छह वर्ष का कार्यकाल या 75 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो स्थापित किया जाए, साथ ही यह शर्त रखी जाए कि पूर्ण सेवा अवधि सुनिश्चित करने के लिए 69 वर्ष से अधिक आयु के किसी भी व्यक्ति को नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए।

यद्यपि उपर्युक्त प्रस्तावित प्रक्रिया के कार्यान्वयन से नियुक्तियों की समय-सीमा बढ़ सकती है, लेकिन लोकतंत्र को सुदृढ़ करने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए कि निर्वाचन आयोग अपेक्षित स्वतंत्रता के साथ कार्य करे, जैसा कि सर्वोच्च न्यायालय ने रेखांकित किया है, यह आवश्यक है ।

निष्कर्ष

भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचन प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन आयोग के लिए पारदर्शी तथा द्विदलीय नियुक्ति प्रक्रिया आवश्यक है। यह दृष्टिकोण स्वतंत्रता को बढ़ावा देगा, जनता का विश्वास बढ़ाएगा और संवैधानिक सिद्धांतों के साथ संरेखित होगा, जिससे राष्ट्र के लोकतांत्रिक ताने-बाने को मजबूती मिलेगी।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

भारतीय लोकतंत्र के लिए निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता महत्त्वपूर्ण है। निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में हाल ही में हुए परिवर्तनों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए तथा इसकी स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय सुझाइए ।

(15 अंक, 250 शब्द)

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