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गोट्टी कोया जनजातियाँ

Lokesh Pal November 12, 2024 03:20 42 0

संदर्भ

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes) ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और ओडिशा की सरकारों से गोट्टी कोया जनजातियों (Gotti Koya Tribals) की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।

  • गौरतलब है कि यह जनजाति माओवादी हिंसा के कारण छत्तीसगढ़ से विस्थापित हो गई थी और अब कथित तौर पर पड़ोसी राज्यों में कठिन परिस्थितियों में रह रही है तथा सामाजिक सुरक्षा लाभों से वंचित हैं।

गोट्टी कोया जनजाति के बारे में (Gotti Koya Tribes)

  • उत्पत्ति: गोट्टी कोया, जिन्हें गोट्टी या गोट्टे कोया के नाम से भी जाना जाता है, छत्तीसगढ़ की एक देशज जनजाति है।
  • विस्थापन: माओवादी विद्रोहियों और सलवा जुडूम (Salwa Judum) जो एक सरकार समर्थित मिलिशिया था, जिसे बाद में प्रतिबंधित कर दिया गया था, के बीच हिंसक संघर्ष के कारण 2000 के दशक के मध्य में कई लोग आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) चले गए।

सलवा जुडूम (Salwa Judum)

  • सलवा जुडूम आदिवासी लोगों का एक समूह है, जो सशस्त्र नक्सलियों के विरुद्ध प्रतिरोध के लिए संगठित होता था।
  • इस समूह को कथित तौर पर छत्तीसगढ़ में सरकारी मशीनरी का समर्थन प्राप्त था।
  • वर्ष 2011 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इस तरह से नागरिकों को हथियार देने के विरुद्ध निर्णय दिया तथा सलवा जुडूम पर प्रतिबंध लगा दिया एवं छत्तीसगढ़ सरकार को माओवादी गुरिल्लाओं से लड़ने के लिए स्थापित किसी भी मिलिशिया बल को भंग करने का निर्देश दिया।


  • प्रवासन पैमाना (Migration Scale): शुरुआत में आंध्र प्रदेश में बसे लगभग 30,000 गोट्टी कोया सदस्य मुख्य रूप से तेलंगाना के जंगलों में रहते हैं, विशेषकर भद्राद्रि कोठागुडेम (Bhadradri Kothagudem), मुलुगु (Mulugu) और जयशंकर भूपालपल्ली (Jayashankar Bhupalpally) जिलों में।
  • भाषा: कोया, द्रविड़ भाषा।
  • आजीविका: मुख्य रूप से स्थानांतरित खेती, पशुपालन और लघु वनोपज का ‘पोडु’ रूप।
  • अनुष्ठान: कोया जनजाति द्वारा आयोजित किया जाने वाला सबसे महत्त्वपूर्ण मेला सम्मक्का सरलम्मा जात्रा (Sammakka Saralamma Jatara) है।

गोट्टी कोया जनजातियों के समक्ष समस्याएँ 

  • सामाजिक सुरक्षा लाभों का अभाव: कई गोटी कोया प्रवासियों को कथित तौर पर उनकी गैर-मूल निवासी स्थिति के कारण राज्य के कल्याणकारी कार्यक्रमों और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से बाहर रखा गया है।
  • भूमि एवं आजीविका की भेद्यता (Land and Livelihood Vulnerability): तेलंगाना में, राज्य ने कथित तौर पर कम-से-कम 75 गोटी कोया बस्तियों में भूमि का पुनर्ग्रहण किया, जिससे इन विस्थापित व्यक्तियों की आजीविका को खतरा उत्पन्न हो गया। अतिरिक्त रिपोर्टों में आरोप लगाया गया है कि वन विभाग के अधिकारियों ने इन बस्तियों में घरों को ध्वस्त कर दिया एवं फसलों को नष्ट कर दिया।

  • वन अधिकार एवं मान्यता (Forest Rights and Recognition): तेलंगाना सरकार का कहना है कि चूँकि गोट्टी कोया जनजाति छत्तीसगढ़ से आई थी, इसलिए उस जनजाति के व्यक्तियों को तेलंगाना में अनुसूचित जनजाति के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता है, जिससे वे राज्य के कानूनों के तहत वन भूमि अधिकारों के लिए अपात्र हो जाते हैं।
    • प्राधिकारियों के साथ संघर्ष (Conflicts with Authorities): इससे स्थानीय प्राधिकारियों के साथ तनाव बढ़ गया है, जिनका तर्क है कि गोट्टी कोया जनजाति के लोग वन भूमि पर अतिक्रमण कर रहे हैं और पारिस्थितिकी संतुलन को बिगाड़ रहे हैं।

सरकार तथा आयोग की कार्रवाइयाँ (Government and Commission Actions)

  • राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की भागीदारी (National Commission for Scheduled Tribes Involvement): आयोग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और संबंधित राज्यों (छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और ओडिशा) से गोट्टी कोया स्थिति पर एक व्यापक रिपोर्ट माँगी है।
    • संभावित नीतिगत हस्तक्षेपों पर चर्चा के लिए 9 दिसंबर को एक बैठक निर्धारित है।
  • पिछली रिपोर्टें और कार्रवाइयाँ: वर्ष 2022 की एक याचिका के जवाब में, आयोग ने पहले तेलंगाना के भद्राद्री कोठागुडेम के जिला मजिस्ट्रेट से कार्रवाई का अनुरोध किया था।
    • मजिस्ट्रेट की वर्ष 2023 की रिपोर्ट ने वन अधिकारियों के विरुद्ध आरोपों को खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि गुट्टी कोया की गतिविधियों से पारिस्थितिकी जोखिम उत्पन्न हुआ है।
  • चल रहे सर्वेक्षण और संसदीय अपडेट (Ongoing Surveys and Parliamentary Updates): भारत सरकार ने संसद को बताया कि पुनर्वास प्रयासों के बावजूद विस्थापित आदिवासी परिवार आम तौर पर छत्तीसगढ़ लौटने को तैयार नहीं हैं। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में विस्थापित परिवारों की पहचान के लिए सर्वेक्षण जारी है, जिसमें छत्तीसगढ़ के सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा जिलों से 10,489 लोगों को वामपंथी उग्रवाद के कारण विस्थापित के रूप में पहचाना गया है।

आगे की राह और नीतिगत सिफारिशें

  • अनुसूचित जनजाति की मान्यता: अधिवक्ताओं का तर्क है कि गुट्टी कोया को तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलना चाहिए, जिससे उनके अधिकारों की रक्षा होगी।
  • पुनर्वास योजना: छत्तीसगढ़ और तेलंगाना सरकार के बीच एक सहयोगात्मक पुनर्वास और पुनर्वास कार्यक्रम एक स्थिर समाधान प्रदान कर सकता है। वन विभाग के दबाव में तेलंगाना सरकार ने अभी तक एक ठोस पुनर्वास योजना की पुष्टि नहीं की है।
  • संघीय हस्तक्षेप: कुछ लोग तेलंगाना में गुट्टी कोया को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार के निर्देश की वकालत करते हैं या नृजातीय संघर्ष से विस्थापित ब्रू-रियांग (Bru-Reang) जनजातियों के लिए त्रिपुरा के वर्ष 2020 पैकेज के समान एक औपचारिक पुनर्वास पैकेज विकसित करने की वकालत करते हैं।

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