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स्टेट ऑफ क्लाइमेट 2024 रिपोर्ट: WMO

Lokesh Pal November 13, 2024 03:56 62 0

संदर्भ

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization- WMO) ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP29) में जारी अपनी ‘स्टेट ऑफ क्लाइमेट 2024’ रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि अल नीनो (El Nino) के कारण वर्ष 2024 रिकॉर्ड स्तर पर सबसे गर्म वर्ष होने वाला है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • रिकॉर्ड वैश्विक तापमान (Record Global Temperatures): जनवरी-सितंबर 2024 में वैश्विक औसत सतही वायु तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.54°C अधिक था, जो कि आंशिक रूप से मजबूत अल नीनो घटना के कारण था।
    • 2015-2024 का दशक अब तक का सबसे गर्म दशक बनने की संभावना है।
    • इन उच्च अल्पकालिक तापमानों के बावजूद, दीर्घकालिक औसत पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित 1.5 डिग्री सेल्सियस सीमा से थोड़ा नीचे रहता है।
  • लगातार अल नीनो प्रभाव: एक मजबूत अल नीनो घटना ने जून 2023 से सितंबर 2024 तक लगातार 16 महीनों तक वैश्विक तापमान को औसत से ऊपर बनाए रखा।
    • विशेषज्ञ आगाह करते हैं कि इस तरह के तापमान वृद्धि पैटर्न महत्त्वपूर्ण तापमान सीमा को पार करने की संभावना में प्रमुख योगदान देते हैं।
  • महासागरीय तापमान में वृद्धि: महासागरीय तापमान में वृद्धि के रुझान, जो वर्ष 2023 में देखे जाने वाले रुझानों के अनुरूप हैं, यह संकेत देते हैं कि महासागरीय तापमान में वृद्धि से जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और भी अधिक गंभीर हो सकते हैं, जिसमें समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में परिवर्तन तथा अधिक तीव्र मौसम पैटर्न शामिल हैं।

  • समुद्री बर्फ की हानि
    • अंटार्कटिक समुद्री बर्फ (Antarctic Sea Ice): वार्षिक न्यूनतम समुद्री बर्फ सीमा घटकर 2 मिलियन वर्ग किमी. रह गई, जो वर्ष 1979 में उपग्रह निगरानी शुरू होने के बाद से दूसरी सबसे कम सीमा है। अधिकतम समुद्री बर्फ सीमा भी 17.2 मिलियन वर्ग किमी. पर दूसरी सबसे कम सीमा थी।
    • आर्कटिक समुद्री बर्फ (Arctic Sea Ice): हालाँकि वर्ष 2024 में स्थितियाँ अपेक्षाकृत बेहतर थीं, लेकिन वार्षिक न्यूनतम सीमा 4.3 मिलियन वर्ग किमी. थी और अधिकतम सीमा 15.2 मिलियन वर्ग किमी. थी, जो दीर्घकालिक गिरावट का संकेत है।

अल-नीनो के बारे में

  • अल नीनो, अल नीनो-दक्षिणी दोलन (El Niño Southern Oscillation- ENSO) के सामान्य से अधिक गर्म चरण का प्रतिनिधित्व करता है, जिसके कारण दुनिया भर में तापमान और वर्षा में बदलाव होता है।
  • दक्षिणी दोलन: उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर पर वायुदाब में परिवर्तन को संदर्भित करता है, जो वायु के पैटर्न और महासागर के तापमान को प्रभावित करता है।
  • समुद्र सतह का तापमान (Sea Surface Temperatures- SST): अल नीनो घटना के दौरान, दक्षिण अमेरिका के पास भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में SST दीर्घकालिक औसत से अधिक गर्म हो जाता है।
  • अनियमित घटना (Irregular Occurrence): अल नीनो घटनाएँ एक नियमित चक्र का हिस्सा नहीं हैं, प्रत्येक दो से सात वर्ष में अनियमित रूप से होती हैं और भविष्यवाणी करना चुनौतीपूर्ण होता है।

अल नीनो के वैश्विक और क्षेत्रीय प्रभाव (Global and Regional Impacts of El Niño)

वैश्विक प्रभाव

  • वैश्विक तापमान में वृद्धि: अल नीनो वैश्विक तापमान में वृद्धि में योगदान दे सकता है, जिसके परिणामस्वरूप हीट वेव और अन्य चरम मौसम की घटनाएँ हो सकती हैं।
    • व्यापारिक हवाओं के कमजोर होने या परिवर्तित हो जाने से ठंडे जल का ऊपर उठना कम हो जाता है, जिससे गर्म जल प्रशांत महासागर में पूर्व की ओर बढ़ जाता है।
    • गर्म जल की सतह का यह बढ़ा हुआ क्षेत्र वैश्विक औसत तापमान को और बढ़ा देता है, जिससे प्रशांत महासागर और दुनिया भर में हवा गर्म हो जाती है।
  • मौसम के पैटर्न में व्यवधान: यह वैश्विक मौसम के पैटर्न को बदल सकता है, जिससे कुछ क्षेत्रों में सूखा पड़ सकता है और अन्य में भारी वर्षा और बाढ़ आ सकती है।
  • महासागर का गर्म होना: अल नीनो समुद्र के जल को गर्म कर सकता है, जिससे प्रवाल विरंजन और ‘ओशन हीट वेव’ हो सकती हैं, जो समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचा सकती हैं।

क्षेत्रीय प्रभाव

  • भारत: कमजोर मानसून की वजह से, गर्मी और सूखे का खतरा बढ़ जाता है, जिससे मानसून के मौसम में वर्षा कम हो जाती है परिणामस्वरूप कृषि और जल की उपलब्धता प्रभावित होती है।
  • दक्षिण अमेरिका (पेरू तट): समुद्री धाराओं और पोषक तत्त्वों के ऊपर उठने के कारण मछलियों की आबादी में कमी आती है। तटीय क्षेत्रों में भारी वर्षा और बाढ़ भी आती है।
  • दक्षिण-पूर्व एशिया: वर्षा कम होती है और कुछ क्षेत्रों, विशेषकर इंडोनेशिया और मलेशिया में बाढ़ के साथ सूखे और वनाग्नि का खतरा बढ़ जाता है।
  • ऑस्ट्रेलिया: सूखे का खतरा बढ़ जाता है, विशेषकर पूर्वी और दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया में, जिससे जंगल में आग लगने की घटनाएँ और भी बढ़ जाती हैं।
  • उत्तरी अमेरिका: कैलिफोर्निया और अन्य पश्चिमी राज्यों में भारी वर्षा और बाढ़ आती है तथा  दक्षिण-पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका में हीट वेव बढ़ जाती हैं।

अल नीनो (El Nino) और ला नीना (La Nina) के बीच अंतर

एल नीनो (El Nino)

ला नीना (La Nina)

प्रशांत महासागर में व्यापारिक हवाएँ कमजोर हो जाती हैं। व्यापारिक हवाएँ सामान्य से अधिक तेज हो जाती हैं।
प्रशांत महासागर के पूर्वी भाग में गर्म जल जमा हो जाता है। प्रशांत महासागर के पश्चिमी भाग में ठंडा जल जमा हो जाता है।
पोषक तत्त्वों से भरपूर जल के कम ऊपर उठने से मछलियों की संख्या में कमीहो जाती हैं। पोषक तत्त्वों से भरपूर जल के ऊपर उठने से मछलियों की संख्या में वृद्धि  हो जाती हैं। 
भारतीय मानसून कमजोर होता है और उत्तरी अमेरिका में वर्षा में वृद्धि होती है। भारत में सामान्य से बेहतर मानसून की स्थिति उत्पन्न होती है।
अल-नीनो अधिक बार आता है। ला-नीनो की आवृत्ति कम होती है।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization- WMO) के बारे में

  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसके 192 सदस्य देश शामिल हैं।
  • यह मौसम विज्ञान (मौसम एवं जलवायु), परिचालन जल विज्ञान और संबंधित भू-भौतिकीय विज्ञान के लिए संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है।
  • उत्पत्ति और स्थापना: WMO की उत्पत्ति अंतरराष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO) से हुई, जिसकी स्थापना वर्ष 1873 में हुई थी। 
    • WMO की स्थापना 23 मार्च, 1950 को WMO कन्वेंशन के अनुसमर्थन के साथ हुई थी।
  • WMO का मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड।

WMO की शासन संरचना

  • विश्व मौसम विज्ञान कांग्रेस: ​​WMO का सर्वोच्च निकाय, जिसमें सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। यह सामान्य नीति निर्धारित करने और विनियमन अपनाने के लिए कम-से-कम प्रत्येक चार वर्ष में बैठक करता है।
  • कार्यकारी परिषद: 36 सदस्यों वाला निकाय, जो कांग्रेस द्वारा निर्धारित नीतियों को लागू करने के लिए सालाना बैठक करता है।
  • सचिवालय: कांग्रेस द्वारा चार वर्ष के कार्यकाल के लिए नियुक्त महासचिव की अध्यक्षता में। यह संगठन के प्रशासनिक केंद्र के रूप में कार्य करता है।

WMO द्वारा प्रकाशित रिपोर्टें

  • ‘स्टेट ऑफ क्लाइमेट’ रिपोर्ट: ये वार्षिक रिपोर्ट वैश्विक जलवायु का व्यापक अवलोकन प्रदान करती हैं, जिसमें तापमान, वर्षा और चरम मौसम की घटनाएँ शामिल हैं।
  • वैश्विक जलवायु रिपोर्ट: ये रिपोर्ट वैश्विक जलवायु की स्थिति और इसके दीर्घकालिक रुझानों का आकलन प्रदान करती हैं।
  • मौसम, जलवायु और जल चरम से मृत्यु दर और आर्थिक नुकसान का एटलस: यह एटलस मानव जीवन और आर्थिक गतिविधियों पर चरम मौसम की घटनाओं के प्रभाव के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
  • यूनाइटेड इन साइंस रिपोर्ट: ये रिपोर्ट नवीनतम जलवायु विज्ञान और भविष्य के लिए इसके निहितार्थों का वैज्ञानिक मूल्यांकन प्रदान करती हैं।
  • वैश्विक जलवायु अवलोकन प्रणाली (Global Climate Observing System- GCOS) रिपोर्ट: ये रिपोर्ट वैश्विक जलवायु अवलोकन प्रणाली और इसके डेटा उत्पादों की स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करती हैं।

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