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प्रदूषण मुक्त वातावरण और पटाखों पर प्रतिबंध पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला

Lokesh Pal November 15, 2024 12:39 24 0

संदर्भ

सर्वोच्च न्यायालय ने दिवाली के दौरान पटाखों के इस्तेमाल को उल्लेखित करते हुए कहा कि कोई भी धर्म प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों का समर्थन नहीं करता है। 

संबंधित तथ्य 

  • कार्यान्वयन में विफलता: न्यायालय ने दिल्ली सरकार द्वारा 14 अक्टूबर को लगाए गए पटाखों पर प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने में विफल रहने के लिए दिल्ली पुलिस की आलोचना की।
  • वर्ष भर प्रतिबंध की माँग: दिल्ली सरकार पूरे वर्ष पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के बारे में निर्णय लेने के लिए हितधारकों से परामर्श करेगी तथा 25 नवंबर तक इस पर निर्णय होने की उम्मीद है।
  • विशेष प्रवर्तन उपायों के लिए आदेश: दिल्ली पुलिस आयुक्त को पटाखों पर प्रतिबंध लागू करने के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ गठित करने का निर्देश दिया गया है।
  • NCR राज्यों की जवाबदेही: सभी NCR राज्यों से प्रदूषण को कम करने के लिए उठाए गए कदमों, विशेषकर दिवाली के दौरान, के बारे में रिपोर्ट देने को कहा गया है।

अर्जुन गोपाल बनाम भारत संघ (वर्ष 2017) 

  • दिवाली के दौरान पटाखे जलाने से होने वाले गंभीर वायु प्रदूषण को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली-NCR क्षेत्र में पटाखों की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया है।
  • न्यायालय ने कहा कि दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लोगों के स्वास्थ्य को आवेदक या किसी भी स्थायी लाइसेंसधारी के किसी भी वाणिज्यिक या अन्य हित से अधिक प्राथमिकता दी जानी चाहिए, इसलिए एक क्रमबद्ध विनियमन आवश्यक है, जिसके परिणामस्वरूप अंततः निषेध होगा।
  • न्यायालय ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को वायु गुणवत्ता पर पटाखों के प्रभाव का अध्ययन करने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया।

  • पराली जलाने के मुद्दे: न्यायालय ने पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने में शामिल किसानों के विरुद्ध कार्रवाई की कमी पर गौर किया, जिससे NCR में प्रदूषण बढ़ रहा है।
    • राज्यों को निर्देश दिया गया कि वे किसानों पर मुकदमा न चलाने के कारणों की व्याख्या करें तथा पराली जलाने के विरुद्ध मौजूदा नियमों को लागू करना चाहिए।
  • वित्तपोषण पर केंद्र की स्थिति: केंद्र ने बताया कि उसने पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए किसानों को ट्रैक्टर और उपकरण उपलब्ध कराने के लिए पंजाब के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है।
  • स्वच्छ वायु मौलिक अधिकार: सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का प्रत्येक नागरिक का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत संरक्षित है।

प्रदूषण मुक्त पर्यावरण का अधिकार 

  • जीवन के अधिकार की विस्तारित परिभाषा: अनुच्छेद-21 में न केवल अस्तित्व बल्कि सार्थक और सम्मानजनक जीवन के लिए आवश्यक सभी अधिकार भी शामिल हैं।
    • 1980 के दशक में सर्वोच्च न्यायालय ने स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार को अनुच्छेद-21 के भाग के रूप में मान्यता दी।
  • ऐतिहासिक मामले
    • एम. सी. मेहता बनाम भारत संघ (1987): सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार अनुच्छेद-21 के तहत एक मौलिक अधिकार है।
    • एम. के. रंजीतसिंह एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य (2024): न्यायालय ने जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से मुक्त होने के अधिकार को मान्यता देने के लिए अनुच्छेद-21 की विस्तार से व्याख्या की तथा इस बात की पुष्टि की कि अनुच्छेद-14 (समानता का अधिकार) भी प्रासंगिक है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन विभिन्न समूहों पर असमान रूप से प्रभाव डालता है।
  • 42वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1976: भारत का संविधान दो अनुच्छेदों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण को संवैधानिक दर्जा देने वाला विश्व का पहला संविधान बन गया-
    • अनुच्छेद-48-A (राज्य नीति के निदेशक सिद्धांत): राज्य को पर्यावरण की रक्षा और सुधार करने तथा वनों एवं वन्यजीवों की सुरक्षा करने का अधिकार दिया गया है।
    • अनुच्छेद-51A (g) (मौलिक कर्तव्य): पर्यावरण की सुरक्षा एवं संरक्षण करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।
  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता: भारत, मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा, 1948 का हस्ताक्षरकर्ता होने के नाते, स्वास्थ्य और कल्याण के लिए पर्याप्त जीवन स्तर के अधिकार को मान्यता देता है, जिसमें भोजन, कपड़े, आवास, चिकित्सा देखभाल और आवश्यक सामाजिक सेवाओं तक पहुँच शामिल है।

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