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पाकिस्तान में भारतीय क्रिकेट टीम की सुरक्षा और संरक्षा संबंधी चिंताएँ

Lokesh Pal November 15, 2024 06:00 41 0

संदर्भ: 

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने आधिकारिक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) को बताया है कि वह पाकिस्तान में 2025 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के लिए भारतीय टीम नहीं भेजेगा, जो 19 फरवरी से 9 मार्च तक निर्धारित है।

बहिष्कार के पक्ष में तर्क

सुरक्षा और संरक्षा संबंधी चिंताएँ

  • 26/11 हमले : वर्ष 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों (26/11) ने सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया तथा भारत और पाकिस्तान के बीच विश्वास में महत्वपूर्ण कमी पैदा कर दी।
  • सुरक्षा संबंधी ऐतिहासिक घटनाएँ : खिलाड़ियों की सुरक्षा से सम्बन्धित घटनाएँ जैसे 2009 में लाहौर में श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर हमला, जिसके कारण 2009-2019 तक पाकिस्तान में खेल पर प्रतिबंध लगा दिया गया, अंतर्राष्ट्रीय खेल टीमों के लिए वास्तविक जोखिमों को रेखांकित करती हैं।
  • भू-राजनीतिक तनाव: चल रहे भू-राजनीतिक तनाव और सीमा पार आतंकवाद ने सुरक्षा गारंटी की विश्वसनीयता पर संदेह पैदा किया है।
  • बड़ी टुकड़ियों की सुरक्षा: पाकिस्तान में भारतीय खिलाड़ियों, सहयोगी स्टाफ, मीडिया और प्रशंसकों सहित बड़ी टुकड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना, खासकर हाई-प्रोफाइल मैचों में, एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
  • अव्यवस्था की पिछली घटनाएँ: भीड़ की दुश्मनी और पिच पर तोड़फोड़, खासकर हाई-स्टेक भारत-पाकिस्तान मैचों के दौरान, प्रशंसकों की भावनाओं की अस्थिरता और तीव्र प्रतिद्वंद्विता के दौरान व्यवधान के जोखिम को उजागर करती है।

राजनीतिक विचार

  • बहिष्कार और कूटनीतिक रुख: खासकर सीमा पार आतंकवाद के मामले में, पाकिस्तान के खिलाफ़ बहिष्कार, व्यापक कूटनीतिक रुख़ के साथ संरेखित होते हैं।
  • खेलों को राजनीतिक हथियार के रूप में अलग-थलग करना: रंगभेद व्यवहार के दौरान दक्षिण अफ्रीका के खेलों को अलग-थलग करने या प्रतियोगिताओं में इज़रायली टीमों के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया के समान, यह दर्शाता है कि राजनीति और खेल अक्सर एक-दूसरे से जुड़े होते हैं।

सार्वजनिक भावना और भावनात्मक कारक

  • 26/11 हमलों के भावनात्मक चिन्ह : 2008 के मुंबई हमलों ने, खास तौर पर नागरिकों को निशाना बनाए जाने के कारण अपने स्थायी भावनात्मक घाव छोड़े हैं ।
  • पीड़ितों के परिवार और क्रिकेट संबंध: 26/11 के पीड़ितों के परिवार पाकिस्तान के साथ क्रिकेट संबंधों की बहाली का कड़ा विरोध करते हैं।
  • व्यापक सार्वजनिक अस्वीकृति: मीडिया और सार्वजनिक भावना दोनों ही “पाकिस्तान के साथ क्रिकेट” की कहानी के सख्त खिलाफ हैं।
  • सार्वजनिक आक्रोश: पाकिस्तानी क्रिकेटरों के साथ अपनी करीबी बढ़ाने वाले खिलाड़ियों को सोशल मीडिया पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है।
  • कड़ा राजनीतिक प्रतिरोध: विभिन्न राजनीतिक दल व अन्य समूह भी पाकिस्तान के साथ क्रिकेट संबंधों की बहाली का विरोध करते हैं।

बहिष्कार के विपक्ष में तर्क

खेल कूटनीति के लाभ

  • 1987 शारजाह मैच: शारजाह में जावेद मियांदाद द्वारा आखिरी गेंद पर लगाया गया छक्का न केवल क्रिकेट के प्रति उत्साह के लिए बल्कि भारत-पाकिस्तान संबंधों को बेहतर बनाने के लिए भी याद किया जाता है।
  • क्रिकेट कूटनीति (2004-07): 2004-07 की अवधि में भारत और पाकिस्तान के बीच कई द्विपक्षीय श्रृंखलाओं के साथ सफल क्रिकेट कूटनीति देखी गई, जिससे दोनों देशों के मध्य तनाव कम करने में मदद मिली।
  • पिंग पोंग कूटनीति: 1970 के दशक में अमेरिका और चीन के बीच “पिंग पोंग कूटनीति” ने खेलों को कूटनीतिक सफलताओं के लिए एक उपकरण के रूप में रेखांकित किया।
  • सांस्कृतिक कूटनीति के रूप में क्रिकेट: क्रिकेट मैच अक्सर अनौपचारिक कूटनीतिक बातचीत के लिए एक मंच प्रदान करते हैं, जहाँ नेता और अधिकारी आधिकारिक चैनलों के बाहर मामलों पर मिल सकते हैं और चर्चा कर सकते हैं।
  • तटस्थ खेल स्थलों की सफलता: यूएई और बांग्लादेश जैसे तटस्थ स्थानों पर आयोजित मैचों ने भारत और पाकिस्तान के बीच शांतिपूर्ण खेल प्रतियोगिता की क्षमता का प्रदर्शन किया है।
  • अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद इवेंट और शांतिपूर्ण प्रतियोगिता: अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) इवेंट यह दिखाते रहते हैं कि खेल प्रतियोगिताएँ भू-राजनीतिक तनावों के बीच भी राष्ट्रों के बीच शांतिपूर्ण आदान-प्रदान के लिए एक रूपरेखा प्रदान कर सकती हैं।

क्रिकेट के विकास का प्रभाव

  • क्रिकेट और रैंकिंग पर प्रभाव: भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय श्रृंखलाओं की कमी से दोनों टीमों के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद टेस्ट चैम्पियनशिप अंक और समग्र रैंकिंग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्विता के अनुभव का ह्रास : युवा खिलाड़ी ऐतिहासिक भारत-पाक प्रतिद्वंद्विता में प्रतिस्पर्धा करने के अमूल्य अनुभव से वंचित रह जाते हैं, जो करियर को आकार देता है और कौशल को बढ़ाता है।
  • प्रतिस्पर्धा की वंचना से प्रदर्शन प्रभावित : एक-दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धी मैचों की अनुपस्थिति टीम के प्रदर्शन को प्रभावित करती है, जिससे खिलाड़ियों के लिए उच्च दबाव की स्थितियों में खुद को परखने के अवसर कम हो जाते हैं।
  • क्रिकेट परिषद के आयोजनों को प्रभावित करना: द्विपक्षीय श्रृंखलाओं के व्यवधान से एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) और अन्य निकायों द्वारा आयोजित क्षेत्रीय टूर्नामेंटों की योजना और निष्पादन प्रभावित होता है।

मानवीय संबंधों पर प्रभाव

  • खेल भावना के ऐतिहासिक उदाहरण : 1989 में चेन्नई में पाकिस्तानी टीम मामूली अंतर से विजयी हुई और दर्शकों ने तालियाँ बजाकर उनका उत्साहवर्धन किया जो खेल भावना को स्पष्ट करता है।
  • प्रतिष्ठित खिलाड़ी प्रतिद्वंद्विता: सचिन तेंदुलकर और वसीम अकरम जैसे क्रिकेट के दिग्गजों के बीच सम्मान और विराट कोहली और बाबर आज़म के बीच दोस्ती, साझा क्रिकेट विरासत और आपसी संबंधों को उजागर करती है।
  • प्रदर्शनी मैचों में प्रतिभागिता : संयुक्त भारत-पाक टीमों ने खेल के माध्यम से सहयोग और एकता की क्षमता का प्रदर्शन करते हुए प्रदर्शनी मैचों में भाग लिया है।
  • साझा सांस्कृतिक संबंध : भारत और पाकिस्तान दोनों ही गहरी सांस्कृतिक समानताएँ और क्रिकेट के प्रति अत्यधिक लगाव साझा करते हैं, जिससे यह खेल अन्य की तुलना में, एक शक्तिशाली एकीकरणकर्ता बन जाता है।
  • सोशल मीडिया पर खिलाड़ियों का आपसी संवाद : सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म अक्सर दोनों देशों के खिलाड़ियों के बीच सकारात्मक बातचीत को प्रदर्शित करते हैं, खासकर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद  के आयोजनों के दौरान, जिससे सद्भावना को बढ़ावा मिलता है।
  • अन्य खेलों के आदान-प्रदान की सफलता: कबड्डी और कुश्ती जैसे खेलों में आदान-प्रदान ने भी दोनों देशों के बीच सकारात्मक संबंधों और आपसी सम्मान को बढ़ावा देने में योगदान दिया है।

आर्थिक निहितार्थ

  • प्रसारण और निधियों पर प्रभाव: भारत-पाक मैचों की अनुपस्थिति से प्रसारक प्रतिबद्धताओं और विकास निधियों पर असर पड़ता है, जिससे क्रिकेट बोर्ड और क्षेत्रीय विकास पहलों को वित्तीय नुकसान होता है।
    • भारत और पाकिस्तान के बीच प्रत्येक द्विपक्षीय श्रृंखला की अनुपस्थिति से अनुमानित रूप से $100-150 मिलियन तक का आर्थिक नुकसान हो सकता है।
  • पर्यटन राजस्व में कमी: दोनों देशों के बीच प्रमुख मैचों से पर्यटन और आतिथ्य राजस्व में महत्वपूर्ण वृद्धि होती है, जो मैच न होने पर कम हो जाती है।
  • प्रायोजनों पर प्रभाव: हाई-प्रोफाइल मैचों की अनुपस्थिति से प्रायोजन सौदे और ब्रांड भागीदारी प्रभावित होती है, जिससे दोनों टीमों और आयोजनों के लिए वित्तीय सहायता कम हो जाती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के आयोजनों का मूल्य व उत्साह प्रभावित : अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद आयोजनों के दौरान भारत-पाक मुकाबलों की अनुपस्थिति इन टूर्नामेंटों के वाणिज्यिक मूल्य और उत्साह को कम करती है।
  • लघु क्रिकेट व्यवसायों पर आर्थिक प्रभाव: भारत-पाक श्रृंखला के रद्द होने से छोटे क्रिकेट से संबंधित व्यवसाय और स्थानीय विक्रेता आर्थिक रूप से पीड़ित होते हैं, जिससे मैच-डे की बिक्री और संबंधित सेवाओं से वंचित रह जाते हैं।

अन्य खेलों के उदाहरण

  • सफल डेविस कप मुकाबले: देशों के बीच डेविस कप टेनिस मुकाबले सफलतापूर्वक जारी रहे हैं, जो दर्शाता है कि खेल कूटनीतिक अंतर को समाप्त कर सकता है।
  • नियमित हॉकी प्रतियोगिताएं: दोनों देशों ने हॉकी में नियमित प्रतियोगिता कार्यक्रम बनाए रखा है, राजनीतिक तनावों के बावजूद भी सफलता जारी रखी है।
  • शतरंज में निरंतर भागीदारी: शतरंज और अन्य इनडोर खेल लगातार आगे बढ़ रहे हैं, दोनों देशों के खिलाड़ी नियमित रूप से अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में भाग ले रहे हैं।
  • ओलंपिक खेलों में भागीदारी: तनावों के बावजूद, दोनों देश ओलंपिक खेलों में बढ-चढ़कर भाग लेना जारी रखते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनीति को खेलों से अलग करने की क्षमता दिखाता है।
  • तटस्थ स्थलों की सफलता: यूएई और बांग्लादेश जैसे तटस्थ स्थल मॉडलों ने अन्य खेलों में सफलतापूर्वक काम किया है, जो राजनीतिक रूप से तटस्थ वातावरण में प्रतिस्पर्धा के लिए एक मंच प्रदान करता है।
  • पाकिस्तान द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों की मेजबानी करना : पाकिस्तान ने वैश्विक खेल प्रतियोगिताओं का प्रबंधन करने की अपनी क्षमता साबित करते हुए, पाकिस्तान सुपर लीग (PSL) जैसे अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों की सफलतापूर्वक मेजबानी की है।

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