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प्रथम बोडोलैंड महोत्सव

Lokesh Pal November 18, 2024 03:10 34 0

संदर्भ 

प्रधानमंत्री ने बोडो समुदाय की भाषा, साहित्य और संस्कृति का जश्न मनाने के लिए नई दिल्ली में प्रथम बोडोलैंड महोत्सव (First Bodoland Mahotsav) का उद्घाटन किया।

संबंधित तथ्य

  • प्रधानमंत्री ने बोडोलैंड समेत पूर्वोत्तर क्षेत्र को भारत की अष्टलक्ष्मी (Ashtalakshmi) यानी समृद्धि का क्षेत्र घोषित किया।
    • उन्होंने आपसी विश्वास और पूर्व में संघर्षरत क्षेत्रों को मुख्यधारा में शामिल करने के प्रयासों पर भी जोर दिया।

बोडोलैंड महोत्सव (Bodoland Festival) के बारे में 

  • बोडोलैंड महोत्सव बोडो समुदाय की भाषा, साहित्य और संस्कृति का जश्न मनाने वाला एक सांस्कृतिक उत्सव है।
  • महोत्सव का उद्देश्य: बोडो समुदाय के भीतर शांति एवं एकता को मजबूत करना और एक जीवंत बोडो समाज का निर्माण करना।
  • थीम: ‘समृद्ध भारत के लिए शांति एवं सद्भाव’ (Peace and Harmony for Prosperous Bharat)।
    • यह वर्ष 2020 के बोडो शांति समझौते (Bodo Peace Accord) के बाद एकता स्थापित करने का पहला त्योहार है, जिसने 50 वर्ष के आपसी संघर्ष को समाप्त कर दिया।
  • सांस्कृतिक योगदान: डोखोना (Dokhona), गमसा (Gamsa) और कराई-दखिनी (Karai-Dakhini) जैसे GI-टैग वाले उत्पादों का प्रदर्शन किया गया।
    • यह बोडोलैंड सेरीकल्चर मिशन (Bodoland Sericulture Mission) के माध्यम से बुनाई और रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने में भी सहायता करेगा।
  • पर्यटन को बढ़ावा: रोजगार सृजन के लिए मानस राष्ट्रीय उद्यान (Manas National Park) और अन्य प्राकृतिक आकर्षणों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • महोत्सव में चर्चा किए जाने वाले सत्र और विषय
    • भारतीय विरासत में योगदान देने वाली समृद्ध बोडो संस्कृति, परंपरा और साहित्य।
    • नई शिक्षा नीति- 2020 के तहत मातृभाषा में शिक्षण की चुनौतियाँ और अवसर।
    • सांस्कृतिक पर्यटन और ‘वाइब्रेंट बोडोलैंड’ के निर्माण पर चर्चा।

बोडो जनजाति (Bodo Tribe) के बारे में

  • उत्पत्ति: बोडो (Bodos) [या बोरोस (Boros)] असम का एक नृवंशविज्ञान समूह है।
  • भौगोलिक विस्तार: मुख्य रूप से असम के बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (Bodoland Territorial Region- BTR) में रहते हैं।
    • यह जनजाति बांग्लादेश, नेपाल और अन्य पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों में भी पाई जाती है।
  • अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe- ST) की स्थिति: संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 के तहत ‘बोरो’ (Boro) और ‘बोरोकाचारी’ (Borokachari) के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • भाषा: बोडो भाषा तिब्बती-बर्मी परिवार से संबंधित है। इसे भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किया गया है, जिससे इसे आधिकारिक मान्यता प्राप्त है।
  • बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (BTR) में शासन: भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत स्थापित बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद (Bodoland Territorial Council- BTC) द्वारा प्रशासित।
  • बोडो शांति समझौता (वर्ष 2020): केंद्र सरकार, असम राज्य सरकार और विभिन्न बोडो समूहों के बीच एक ऐतिहासिक समझौता।
    • इसने दशकों से चली आ रही हिंसा एवं संघर्ष को समाप्त कर दिया।
    • इसने क्षेत्र में शांति, विकास और एकीकरण के लिए एक रूपरेखा भी स्थापित की।
  • बोडोलैंड में उपलब्धियाँ (वर्ष 2020 के समझौते के बाद की स्थिति)
    • शिक्षा, स्वास्थ्य और संस्कृति के लिए बुनियादी ढाँचे का विकास।
    • बोडोलैंड के राष्ट्रीय लोकतांत्रिक मोर्चे के 4,000 से अधिक पूर्व कार्यकर्ताओं का पुनर्वास। विकास परियोजनाओं पर 700 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए, जिसमें केंद्र सरकार से प्रदत्त  1500 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज शामिल हैं।

भारतीय संविधान की छठी अनुसूची

  • भारतीय संविधान की छठी अनुसूची कुछ जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त जिला परिषदों (Autonomous District Councils- ADC) की स्थापना का प्रावधान करती है।
  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद-244A: असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के भीतर स्वायत्त जिलों और परिषदों की स्थापना की रूपरेखा तैयार करता है।
  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद-244B: यह स्वायत्त जिला परिषदों (ADCs) की शक्तियों, कार्यों और संरचना को परिभाषित करता है।
  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद-244C: यह स्वायत्त जिला परिषदों (ADCs) की प्रशासनिक, न्यायिक और वित्तीय शक्तियों पर चर्चा करता है।
  • यह आदिवासी समुदायों को स्वयं पर शासन करने और अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान की रक्षा करने का अधिकार देता है।
  • ये स्वायत्त जिला परिषदों (ADCs) आदिवासी समुदायों के अधिकारों एवं सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए बनाए गए हैं।

स्वायत्त जिला परिषदों (ADCs) के प्रमुख कार्य

  • विधायी शक्तियाँ: स्वायत्त जिला परिषदों (ADCs) के पास भूमि, वन, जल संसाधन, कृषि और सामाजिक रीति-रिवाजों जैसे विभिन्न मामलों पर कानून बनाने का अधिकार है।
  • कार्यकारी शक्तियाँ: वे विकास योजनाओं, कल्याण कार्यक्रमों को क्रियान्वित करते हैं और स्थानीय शासन का प्रशासन करते हैं।
  • न्यायिक शक्तियाँ: स्वायत्त जिला परिषदों (ADCs) प्रथागत कानूनों और प्रथाओं के आधार पर विवादों को सुलझाने के लिए स्थानीय अदालतें स्थापित कर सकते हैं।
  • वित्तीय शक्तियाँ: स्वायत्त जिला परिषदों (ADCs) के पास वित्तीय स्वायत्तता होती है, जिससे वे कर एकत्र कर सकते हैं और अपने स्वयं के वित्त का प्रबंधन कर सकते हैं।
  • सांस्कृतिक संरक्षण: वे आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देते हैं और संरक्षित करते हैं।
  • विकास: स्वायत्त जिला परिषदें (ADCs) अपने-अपने क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

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