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भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)

Lokesh Pal November 20, 2024 02:28 18 0

संदर्भ

वर्ष 1989 बैच के IAS अधिकारी के. संजय मूर्ति को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गिरीश चंद्र मुर्मू के स्थान पर भारत का नया नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India- CAG) नियुक्त किया है।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के बारे में

  • भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) केंद्र एवं राज्य सरकारों के खातों की लेखापरीक्षा के लिए जिम्मेदार सर्वोच्च प्राधिकरण है।
  • यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद-148 के तहत स्थापित एक संवैधानिक प्राधिकरण है।
  • नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) को अक्सर ‘सार्वजनिक वित्त का संरक्षक’ (Guardian of Public Finance) कहा जाता है, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) सरकारी व्यय एवं राजस्व का लेखा-परीक्षण करके जवाबदेही एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।
  • डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने सार्वजनिक धन के प्रहरी के रूप में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के महत्त्व को पहचाना।
    • उन्होंने सरकारी खर्च में पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक स्वतंत्र लेखा परीक्षक की आवश्यकता पर बल दिया। 
  • भारत में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की उत्पत्ति: इसकी शुरुआत वर्ष 1860 में हुई थी, जब भारत सरकार के महालेखाकार (Accountant General) को महालेखा परीक्षक (Auditor General) के रूप में पुनः नामित किया गया था।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के लिए संवैधानिक प्रावधान

  • संविधान का अनुच्छेद-148: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति, निष्कासन और सेवा शर्तों से संबंधित है।
  • संविधान का अनुच्छेद-149: सरकारी वित्त की लेखापरीक्षा से संबंधित कर्तव्यों और शक्तियों को निर्दिष्ट करता है।
  • संविधान का अनुच्छेद-150: सरकारी खातों के प्रारूप पर राष्ट्रपति को सलाह देता है।
  • संविधान का अनुच्छेद-151: राष्ट्रपति या राज्यपाल को लेखापरीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करने की प्रक्रिया निर्धारित करता है।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के लिए कानूनी प्रावधान [CAG  (कर्तव्य, शक्तियाँ और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1971 के अनुसार]

  • कार्यकाल: 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, पद पर बने रहते हैं।
  • त्याग-पत्र: भारत के राष्ट्रपति को पत्र प्रस्तुत करके त्याग-पत्र दे सकते हैं।
  • निष्कासन: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश (महाभियोग) के समान प्रक्रिया का पालन करते हुए केवल राष्ट्रपति द्वारा ही हटाया जा सकता है।
  • सेवा की शर्तें: वेतन, भत्ते और सेवा शर्तें संसद द्वारा निर्धारित की जाती हैं।
    • नियुक्ति के बाद इनमें नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के लिए अहितकर परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। 
  • प्रशासनिक व्यय: भारत की समेकित निधि (Consolidated Fund of India) से लिया जाता है, जिससे स्वतंत्रता सुनिश्चित होती है।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की शक्तियाँ और कार्य

  • सरकारी खातों की लेखापरीक्षा: इसमें केंद्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर समेकित निधि, आकस्मिकता निधि और सार्वजनिक लेखा शामिल हैं।
  • राजस्व और व्यय की लेखापरीक्षा: नियमों के अनुपालन और धन के उचित आवंटन को सुनिश्चित करता है।
  • सार्वजनिक संस्थाओं की लेखापरीक्षा: इसमें सरकारी निगम एवं निकाय शामिल हैं, जो सार्वजनिक निधियों द्वारा वित्तपोषित हैं।
  • सलाहकार की भूमिका: सार्वजनिक खातों के प्रारूप पर सलाह देता है और वित्त आयोग की सहायता करता है।
  • रिपोर्ट प्रस्तुत करना: संसद या राज्य विधानसभाओं को अनियमितताओं को उजागर करते हुए लेखापरीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।
  • अंतरराष्ट्रीय भूमिका: WHO और FAO जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लिए बाहरी लेखा परीक्षक के रूप में कार्य करता है।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ऑडिट रिपोर्ट के प्रकार

  • अनुपालन ऑडिट: कानूनों, नियमों और विनियमों के अनुपालन की पुष्टि करना।
    • प्रक्रियात्मक शुद्धता और वैध व्यय पर ध्यान देना।
  • निष्पादन लेखापरीक्षा: सरकारी कार्यक्रमों की दक्षता, प्रभावशीलता और मितव्ययिता का आकलन करना।
    • उद्देश्यों एवं परिणामों के बीच अंतर को उजागर करना।
  • वित्तीय लेखा परीक्षा: वित्तीय विवरणों की सटीकता और विश्वसनीयता की जाँच करना।
    • सार्वजनिक निधियों का उचित प्रकटीकरण सुनिश्चित करना।
  • रिपोर्ट प्रस्तुत करना: रिपोर्ट राष्ट्रपति (केंद्रीय खातों के लिए) या राज्यपाल (राज्य खातों के लिए) को प्रस्तुत की जाती है।
    • इन्हें संसद या राज्य विधानसभाओं में प्रस्तुत किया जाता है तथा कार्रवाई और सिफारिशों के लिए लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee- PAC) द्वारा जाँच की जाती है।

भारत के CAG और यूनाइटेड किंगडम के CAG की तुलना

मापक (Parameter)

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)

यूनाइटेड किंगडम के CAG

शक्ति एवं भूमिका केवल महालेखा परीक्षक के रूप में कार्य करता है, नियंत्रक के रूप में नहीं। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक दोनों के रूप में कार्य करता है।
लेखापरीक्षा दृष्टिकोण पूर्वव्यापी: व्यय होने के बाद खातों का लेखा-परीक्षण किया जाता है। पूर्व-लेखापरीक्षा: यह सुनिश्चित करता है कि अनुमोदन के बिना राजकोष से कोई धनराशि न निकाली जाए।
संसद सदस्यता संसद का सदस्य नहीं ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ के सदस्य
स्वायत्तता सीमित स्वायत्तता; संसाधनों के लिए कार्यपालिका पर निर्भरता। उच्च परिचालन एवं वित्तीय स्वतंत्रता।
कार्य का दायरा केंद्र एवं राज्य दोनों स्तरों पर सार्वजनिक निधियों का लेखा-परीक्षण करता है। राष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक निधियों और अनुपालन पर ध्यान केंद्रित करता है।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की सीमाएँ

  • प्रवर्तन शक्तियों का अभाव: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) केवल अनियमितताओं की रिपोर्ट कर सकता है; यह सुधारात्मक कार्रवाई लागू नहीं कर सकता है।
  • कार्यपालिका पर निर्भरता: सिफारिशें कार्यान्वयन के लिए विधायी एवं कार्यकारी कार्रवाइयों पर निर्भर करती हैं।
  • संसाधनों की कमी: कुशल कर्मियों की कमी लेखापरीक्षा की गुणवत्ता और दायरे को प्रभावित करती है।
  • नीतिगत पक्षाघात का जोखिम: अति उत्साही ऑडिट कभी-कभी नीति निर्माण में अत्यधिक सावधानी का कारण बन सकते हैं।

आगे की राह

  • स्वतंत्रता: यूनाइटेड किंगडम (UK) का राष्ट्रीय लेखा परीक्षा कार्यालय (National Audit Office- NAO) अधिक वित्तीय और परिचालन स्वायत्तता के साथ कार्य करता है।
  • प्रदर्शन लेखा परीक्षा: न केवल वित्तीय औचित्य पर बल्कि मूल्य-के-लिए-पैसा लेखा परीक्षा पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
  • क्षमता निर्माण: लेखा परीक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए तकनीकी कौशल और संसाधनों को मजबूत करना।
  • विधानसभा के साथ सहयोग: लेखा परीक्षा निष्कर्षों के अधिक प्रभावी कार्यान्वयन के लिए संसदीय समितियों के साथ सक्रिय जुड़ाव।

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