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भारत में सिविल सेवकों के अधिकार तथा उनका निलंबन

Lokesh Pal November 19, 2024 05:15 11 0

संदर्भ :

हाल ही में केरल राज्य में दो आईएएस अधिकारियों- एन. प्रशांत और के. गोपालकृष्णन के निलंबन की घटना ने सिविल सेवकों के मध्य अनुशासन, नैतिकता और सोशल मीडिया के उपयोग संबंधी मुद्दों की ओर पुनः ध्यान आकर्षित किया है।

निलंबन संबंधी हालिया घटनाएँ 

1. एन. प्रशांत का मामला

  • आरोप : मुख्य सचिव ए. जयतिलक के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक बयान दिया, जो गंभीर अनुशासनहीनता को प्रदर्शित करता है।
    • इन आरोपों को राज्य की प्रशासनिक मशीनरी की सार्वजनिक छवि को धूमिल करने वाला माना गया तथा भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की आचार संहिता के अनुसार इन्हें “एक अधिकारी के लिए अनुचित” माना गया।
  • एन. प्रशांत का जवाब : उन्होंने दावा किया कि ए. जयतिलक ने उनके खिलाफ निराधार खबरें तैयार कीं और उन्होंने आरोपों का खंडन किया।

2. के. गोपालकृष्णन का मामला

  • आरोप : उन पर ‘मल्लू हिंदू ऑफिसर्स’ नामक एक धर्म-आधारित व्हाट्सएप ग्रुप बनाने का आरोप लगाया गया था, जो आईएएस कैडर के भीतर फूट और सांप्रदायिक संरचनाओं को बढ़ावा दे रहा था।
  • के. गोपालकृष्णन का जवाब : उन्होंने दावा किया कि उनका मोबाइल फोन हैक कर लिया गया था और उनकी जानकारी के बिना यह ग्रुप बनाया गया था।
    • पुलिस को सौंपने से पहले उन्होंने फोन को फैक्ट्री रीसेट भी किया। 
    • हालाँकि, पुलिस जाँच में हैकिंग का कोई सबूत नहीं मिला। फोन के फैक्ट्री रीसेट ने हैकिंग के दावे पर संदेह पैदा कर दिया।

 वर्तमान नियम और विनियम

वर्तमान में अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 (एआईएस नियम) सिविल सेवा अधिकारियों के लिए नैतिक और व्यवहारिक रूपरेखा निर्धारित करते हैं, जो निम्नलिखित पर केंद्रित हैं :

  • नैतिक मानदंड :
    • नैतिकता, निष्ठा और ईमानदारी के उच्च मानक। 
    • संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखना।
  • राजनीतिक तटस्थता : अधिकारियों को निष्पक्षता और जवाबदेही बनाए रखनी चाहिए।
  • सार्वजनिक मीडिया आचरण :
    • अधिकारी आधिकारिक कर्तव्यों के लिए सार्वजनिक मीडिया से जुड़ सकते हैं।
    • पूर्व अनुमति के बिना सार्वजनिक रूप से सरकारी नीतियों की आलोचना नहीं कर सकते।
    • “सेवा के सदस्य के लिए अनुचित” माने जाने वाले व्यवहार से बचना चाहिए।
  • न्यायिक या मीडिया का सहारा : अधिकारियों को आलोचना के अंतर्गत आने वाले आधिकारिक कार्यों के संबंध में अदालतों या प्रेस से संपर्क करने के लिए सरकारी मंजूरी की आवश्यकता होती है।

वर्तमान नियमों से जुड़ी चुनौतियाँ

  • दिशा-निर्देशों में अस्पष्टता : मौजूदा नियमों में सोशल मीडिया पर संचार और व्यवहार के संबंध में स्पष्ट प्रावधानों का अभाव है।
    • “सेवा के सदस्य के लिए अनुचित” शब्द अस्पष्ट है तथा व्यक्तिपरक व्याख्या के लिए खुला है।
  • असंगत प्रवर्तन : नियमों को अक्सर असमान रूप से लागू किया जाता है, जिससे कनिष्ठ अधिकारियों को अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करने की अधिक संभावना होती है।
    • वरिष्ठ अधिकारी या सरकार विशिष्ट व्यक्तियों को लक्षित करने के लिए इन नियमों का दुरुपयोग कर सकते हैं।
  • दुरुपयोग की संभावना : विशिष्ट परिभाषाओं या मानदंडों की कमी अधिकारियों के खिलाफ मनमानी कार्रवाई के लिए जगह देती है।
    • “सर्वव्यापी नियम” जैसे व्यापक प्रावधानों को असहमति या व्यक्तिगत शिकायतों को दबाने के लिए चुनिंदा रूप से लागू किया जा सकता है।
  • सुरक्षा तंत्रों का अभाव : अधिकारियों को अनुचित या राजनीतिक रूप से प्रेरित अनुशासनात्मक कार्रवाइयों से बचाने के लिए कोई मजबूत सुरक्षा उपाय मौजूद नहीं हैं।
  • परिवर्तित गतिशीलता : सोशल मीडिया की उभरती भूमिका के लिए सिविल सेवकों हेतु पारदर्शिता और अनामिता को संतुलित करने के लिए आधुनिक दिशा-निर्देशों की आवश्यकता है।

प्रमुख सुधार तथा सिफारिशें

  • सोशल मीडिया दिशा-निर्देश :
    • सोशल मीडिया के स्वीकार्य उपयोग को परिभाषित करने वाले विशिष्ट नियम निर्मित करें ।
    • आधिकारिक कार्य से संबंधित अपमानजनक अभियानों को संबोधित करने के लिए स्वीकार्य सामग्री और प्रोटोकॉल की रूपरेखा तैयार करें।
  • “अनुचित आचरण” को स्पष्ट करना : दुरुपयोग को कम करने के लिए “अनुचित” के रूप में वर्गीकृत कार्यों या व्यवहारों की एक उदाहरणात्मक सूची प्रदान करें।
  • अनामिता को बढ़ावा देना : अधिकारियों को संचार करते समय या सरकारी पहलों को बढ़ावा देते समय अनामिता के मूल्य को बनाए रखने के महत्त्व पर प्रशिक्षित करें।
  • कनिष्ठ अधिकारियों को सशक्त बनाना : वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की जाने वाली मनमानी कार्रवाइयों से कनिष्ठ अधिकारियों की रक्षा करने के लिए एक सुरक्षा तंत्र विकसित करें।

निष्कर्ष 

एन. प्रशांत और के. गोपालकृष्णन के निलंबन ने सिविल सेवकों के आचरण, विशेष रूप से सोशल मीडिया के उपयोग के संबंध में स्पष्ट, अद्यतन दिशा-निर्देशों की आवश्यकता पर बल दिया है। स्पष्ट है कि अनुशासन और ईमानदारी सर्वोपरि है, नियमों का निष्पक्ष और सुसंगत अनुप्रयोग सुनिश्चित करने से प्रशासनिक प्रणालियों में जनता का विश्वास बना रहेगा और एक बेहतर सिविल सेवकों का निर्माण हो सकेगा।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न 

केरल के सिविल सेवकों (आइएएस) का हाल ही में निलंबन सिविल सेवाओं में सोशल मीडिया आचरण की उभरती चुनौतियों को उजागर करता है। डिजिटल युग में प्रशासनिक अनुशासन और सिविल सेवकों के व्यक्तिगत अधिकारों के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता की आलोचनात्मक जाँच कीजिए तथा सुधार के आवश्यक उपाय भी सुझाइए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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