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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से शासन को पुनर्परिभाषित करना

Lokesh Pal November 22, 2024 02:08 9 0

संदर्भ

शासन प्रणालियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का एकीकरण, लोक प्रशासन में एक परिवर्तनकारी युग का प्रतीक है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बारे में

  • परिभाषा: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीनों में मानव बुद्धि के अनुकरण को संदर्भित करता है, जो स्वायत्त रूप से सोचने, सीखने तथा समस्याओं को हल करने के लिए डिजाइन किए गए हैं।

भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विकास

  • प्रारंभिक दिन (1960-1980): IIT कानपुर तथा IISc बंगलूरू जैसे संस्थानों ने AI अनुसंधान के लिए आधार तैयार किया था।
    • वर्ष 1986 में शुरू की गई ज्ञान आधारित कंप्यूटर प्रणाली (Knowledge Based Computer Systems- KBCS) परियोजना भारत का पहला महत्त्वपूर्ण AI कार्यक्रम था।
  • नींव (1990 के दशक): वर्ष 1988 में सी-डैक की स्थापना ने सुपरकंप्यूटिंग को बढ़ावा दिया, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से AI अनुसंधान को समर्थन मिला।
    • भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियों ने व्यवसाय स्वचालन के लिए AI की खोज शुरू कर दी है।

विकास चरण (2000 का दशक)

  • TCS, इन्फोसिस तथा विप्रो जैसी IT दिग्गज कंपनियों ने AI शोध में निवेश किया तथा शैक्षणिक संस्थानों ने AI और मशीन लर्निंग कार्यक्रमों का विस्तार किया।
  • संक्रमण काल (2010 का दशक): ‘डिजिटल इंडिया’ पहल (वर्ष 2014- वर्ष 2015) ने AI सहित उभरती प्रौद्योगिकियों पर जोर दिया गया था।
    • वर्ष 2018 में, नीति आयोग ने आर्थिक विकास तथा सामाजिक समावेशन पर ध्यान केंद्रित करते हुए AI के लिए राष्ट्रीय रणनीति जारी की, जिससे AI स्टार्टअप्स में वृद्धि हुई।
  • वर्तमान युग (वर्ष 2020): AI अब सरकार और उद्योग दोनों के लिए प्राथमिकता है, भारत का लक्ष्य ‘AI for All’ जैसी पहलों के माध्यम से वैश्विक AI केंद्र बनना है, जिसमें स्वास्थ्य सेवा, कृषि तथा शिक्षा जैसे क्षेत्रों में AI को एकीकृत किया जाएगा।


  • शब्द की उत्पत्ति: ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ शब्द वर्ष  1956 में अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक जॉन मैकार्थी द्वारा गढ़ा गया था।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रकार: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को वर्गीकृत किया जा सकता है
    • क्षमता के आधार पर
      • प्रारंभिक AI (कमजोर AI): विशिष्ट कार्यों (जैसे, सिरी, गूगल ट्रांसलेट) के लिए डिजाइन किया गया।
      • सैद्धांतिक AI (मजबूत AI): सैद्धांतिक AI, जो किसी भी बौद्धिक कार्य को मनुष्य की तरह कर सकता है।
    • कार्यक्षमता के आधार पर 
      • प्रतिक्रियाशील मशीनें: कोई स्मृति नहीं, विशिष्ट कार्यों पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
        • उदाहरण के लिए, डीप ब्लू शतरंज कार्यक्रम।
      • सीमित ‘मेमोरी’: जटिल वर्गीकरण कार्यों को सँभाल सकती हैं, निर्णयों के लिए पिछले डेटा का उपयोग करती हैं।
        • उदाहरण के लिए, स्व-चालित कारें।
      • मन का सिद्धांत (Theory of Mind): भावनाओं तथा अंतःक्रियाओं  (विकास के अधीन) को समझती हैं।
      • स्व-जागरूक AI (Self-Aware AI): चेतना तथा आत्म-जागरूकता के साथ काल्पनिक AI, जिसे एक दीर्घकालिक लक्ष्य माना जाता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के कारण भारत में शासन में परिवर्तन

  • पिछले दशक में भारत विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है तथा सरकारी बजट का आकार तीन गुना बढ़ गया है।
  • प्रौद्योगिकी-संचालित शासन ने अकुशलताओं के स्थान पर नागरिक केंद्रित, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) को स्थापित कर दिया है।

डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI)

  • ‘डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर’ न्यूनतम प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप, सार्वजनिक-निजी शासन तथा जीवंत बाजार नवाचार को मिलाकर, बड़े पैमाने पर सामाजिक-आर्थिक समस्याओं को हल करने का एक तरीका है।
  • आम उदाहरणों में इंटरनेट, मोबाइल नेटवर्क, GPS, सत्यापन योग्य पहचान प्रणाली, अंतर-संचालन योग्य भुगतान नेटवर्क, सहमति डेटा साझाकरण, ओपन लूप डिस्कवरी और पूर्ति नेटवर्क, डिजिटल हस्ताक्षर आदि शामिल हैं।

शासन में AI  (GovAI) के प्रमुख अनुप्रयोग

  • डेटा संचालित निर्णय-निर्माण: सूचित नीति-निर्माण, संसाधन आवंटन तथा सामाजिक आवश्यकताओं की पहचान के लिए बड़े डेटा विश्लेषण का लाभ उठाना है।
    • उदाहरण: भारत में आधार-लिंक्ड कल्याण कार्यक्रम सब्सिडी तथा लाभों की लक्षित डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए बड़े डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करते हैं, जिससे रिसाव और दोहराव कम होता है।
  • प्रक्रियाओं का स्वचालन: स्वचालन के माध्यम से सार्वजनिक सेवा वितरण में मैनुअल प्रयास तथा मानवीय त्रुटि को कम करना है।
    • उदाहरण: भारत में पासपोर्ट सेवा केंद्रों में अपॉइंटमेंट शेड्यूलिंग स्वचालित हो गई है, जिससे कार्यकुशलता में सुधार हुआ है।
      • वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (GSTN) लेन-देन डेटा का विश्लेषण करने, धोखाधड़ी का पता लगाने तथा कर संग्रह को अनुकूलित करने के लिए AI का उपयोग करता है।
  • व्यक्तिगत नागरिक सेवाएँ: AI-संचालित चैटबॉट तथा प्लेटफॉर्म जो विविध आबादी को अनुरूप सेवाएँ प्रदान करते हैं।
    • उदाहरण: MyGov पोर्टल में AI-संचालित सुविधाएँ हैं, जो नागरिकों की सहभागिता तथा सार्वजनिक योजनाओं के लिए सुझावों को व्यक्तिगत बनाती हैं।
  • पूर्वानुमानित विश्लेषण: प्राकृतिक आपदाओं, बीमारी के प्रकोप या आर्थिक रुझानों जैसी चुनौतियों का पूर्वानुमान लगाना।
    • उदाहरण: भारतीय मौसम विभाग (IMD), चक्रवातों की भविष्यवाणी करने तथा आपदा की तैयारी में सुधार करने के लिए AI का उपयोग करता है।
  • बेहतर निगरानी और मूल्यांकन: नीति कार्यान्वयन तथा फीडबैक तंत्र का वास्तविक समय पर मूल्यांकन करता है।
    • उदाहरण: प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) में आवास योजना की प्रगति की निगरानी तथा संसाधनों को कुशलतापूर्वक आवंटित करने के लिए ‘रीयल टाइम डैशबोर्ड’ की सुविधा है।
  • नीति तथा योजना प्रदर्शन: सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के डिजाइन तथा प्रभावशीलता को बढ़ाना। 
    • उदाहरण: भारत में आरोग्य सेतु तथा उमंग जैसे AI-संचालित प्लेटफॉर्म।
  • आर्थिक क्षेत्र: कृषि, मत्स्यपालन और पशुपालन में आजीविका में सुधार हुआ है।
  • भाषा अनुवाद: बेहतर सेवा वितरण के लिए भाषायी बाधाओं को दूर करना।
    • उदाहरण: ई-संजीवनी ऐप देश भर में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों (Ayushman Bharat Health & Wellness Centres- AB-HWC) में सहायक टेली-परामर्श (डॉक्टर-से-डॉक्टर) को सक्षम करने के लिए बहुभाषी इंटरफेस प्रदान करता है।

भारत में GovAI के तीन संचालक

  • तीव्र डिजिटलीकरण
    • भारत सबसे ज्यादा कनेक्टेड तथा डिजिटल देश बनने जा रहा है, जहाँ वर्ष 2026 तक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 90 करोड़ से बढ़कर 120 करोड़ हो जाएगी।
    • सरकार के नेतृत्व वाली डिजिटल पहलों ने विशेष रूप से फिनटेक क्षेत्र में 1,00,000 से अधिक स्टार्टअप को प्रेरित किया है।
    • GovAI, AI आधारित मॉडलों, उत्पादों और प्लेटफॉर्मों में नवाचार को प्रोत्साहित करते हुए IndiaAI पारिस्थितिकी तंत्र को और अधिक बढ़ा सकता है।
  • AI के आधार के रूप में डेटा
    • डिजिटलीकरण तथा DPI पहलों के कारण भारत सबसे बड़े डेटा रिपॉजिटरी में से एक बन गया है।
    • बड़ी मात्रा में व्यक्तिगत एवं गैर-व्यक्तिगत डेटा के संरक्षक के रूप में सरकारें उच्च गुणवत्ता वाले AI मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए डेटा का लाभ उठा सकती हैं।
      • भारत डेटासेट कार्यक्रम व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा कानूनों का पालन करते हुए सरकार के नेतृत्व वाले AI मॉडल के लिए आधार प्रदान करेगा।
      • ‘स्माल लैंग्वेज मॉडल’ (SLM),लार्ज लैंग्वेज मॉडल’ (LLM) के साथ संयुक्त रूप से शासन के लिए एक अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र बना सकते हैं।
  • राजनीतिक लक्ष्य के रूप में दक्षता
    • कोविड-19 के बाद, वैश्विक स्तर पर सरकारें सीमित संसाधनों के साथ दक्षता के लिए प्रयास कर रही हैं।
    • भारत के डिजिटल सरकारी परिवर्तन ने दिखाया है कि कैसे DPI तथा AI सार्वजनिक व्यय के प्रभाव को बढ़ा सकते हैं, शासन को ‘न्यूनतम संसाधनों के साथ अधिकतम शासन’ प्राप्त करने के लिए फिर से परिभाषित कर सकते हैं।

शासन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लागू करने में चुनौतियाँ

  • डेटा गोपनीयता तथा सुरक्षा: AI सिस्टम को प्रभावी ढंग से काम करने के लिए व्यक्तिगत डेटा सहित बड़े डेटासेट की आवश्यकता होती है। इससे गोपनीयता, डेटा सुरक्षा तथा  निगरानी के बारे में चिंताएँ पैदा होती हैं।
    • उदाहरण: आधार डेटा उल्लंघन नागरिक डेटा तक अनधिकृत पहुँच के जोखिम को उजागर करता है।
  • डिजिटल डिवाइड: डिजिटल सेवाओं तक पहुँच में अंतर है, खास तौर पर हाशिए पर पड़े समुदायों में, जो AI संचालित शासन की पहुँच को सीमित करता है।
    • उदाहरण: ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे में अंतर के कारण AI संचालित सरकारी सेवाओं तक सीमित पहुँच है।
  • कौशल में अंतर: सरकारी कर्मियों के बीच तकनीकी विशेषज्ञता की कमी AI सिस्टम की प्रभावी तैनाती और प्रबंधन में बाधा डालती है।
    • उदाहरण: सरकारी कर्मचारियों के पास AI प्रौद्योगिकियों का प्रबंधन करने या उनके आउटपुट की व्याख्या करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण नहीं हो सकता है।
  • कार्यान्वयन की लागत: AI सिस्टम विकसित करना, बनाए रखना और बढ़ाना महंगा है, जो सीमित बजट वाली सरकारों के लिए एक बाधा हो सकती है।
    • उदाहरण: स्मार्ट सिटीज मिशन में AI-संचालित बुनियादी ढाँचे का निर्माण तथा उसे बनाए रखने के लिए उच्च लागत शामिल है।

शासन में AI के कार्यान्वयन में नैतिक मुद्दे

  • पूर्वाग्रह और निष्पक्षता: AI मॉडल को ऐसे डेटा पर प्रशिक्षित किया जाता है, जो सामाजिक पूर्वाग्रहों को दर्शा सकता है और यदि ठीक से प्रबंधित नहीं किया जाता है, तो ये सिस्टम मौजूदा असमानताओं को बनाए रख सकते हैं या उन्हें खराब कर सकते हैं।
    • उदाहरण: AI भर्ती उपकरण और फेस रिकग्नीशन प्रणालियाँ प्रशिक्षण डेटा में अंतर्निहित पूर्वाग्रहों के कारण भेदभाव को कायम रख सकती हैं।
  • नागरिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की चिंताएँ: विशेष रूप से निगरानी में AI सिस्टम, यदि उचित निगरानी के बिना उपयोग किए जाते हैं, तो व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन कर सकते हैं, जिससे गोपनीयता एवं नागरिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।
    • उदाहरण: सरकारों या निगमों द्वारा बड़े पैमाने पर निगरानी से नागरिक स्वतंत्रताएँ बाधित हो सकती हैं तथा नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।
  • जवाबदेही और पारदर्शिता: कई AI सिस्टम ‘ब्लैक बॉक्स’ के रूप में कार्य करते हैं, जिससे यह समझना मुश्किल हो जाता है कि निर्णय कैसे लिए जाते हैं। पारदर्शिता की यह कमी जवाबदेही के बारे में चिंताएँ उत्पन्न करती है, विशेषकर उच्च लागत वाले अनुप्रयोगों में।
    • उदाहरण: स्वायत्त वाहनों में, AI निर्णय-प्रक्रिया के कारण होने वाली दुर्घटनाओं से यह प्रश्न उठता है कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है: निर्माता, डेवलपर, या स्वयं AI।
  • नौकरी का विस्थापन: AI द्वारा संचालित स्वचालन में विभिन्न क्षेत्रों में श्रमिकों को विस्थापित करने की क्षमता है, जिससे आर्थिक असमानता एवं सामाजिक अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है।
    • उदाहरण: विनिर्माण या सेवा उद्योगों में AI-संचालित स्वचालन से बड़ी संख्या में नौकरियाँ समाप्त हो सकती हैं, जिससे बेरोजगारी दर और भी विकराल हो सकती है।
  • सूचित सहमति: नागरिकों को यह पूरी तरह से समझ में नहीं आ सकता है कि उनके डेटा का उपयोग AI सिस्टम द्वारा किस तरह किया जा रहा है, न ही उन्हें यह पता है कि शासन में AI निर्णयों का क्या प्रभाव होगा।

वैश्विक डिजिटल समझौता (Global Digital Pact)

  • ‘ग्लोबल डिजिटल कॉम्पैक्ट’ डिजिटल सहयोग और AI गवर्नेंस के लिए पहला व्यापक वैश्विक ढाँचा है।
  • यह डिजिटल प्रौद्योगिकी की अपार संभावनाओं का दोहन करने और डिजिटल विभाजन को कम करने के लिए वैश्विक डिजिटल सहयोग हेतु एक रोडमैप तैयार करता है।
  • ‘ग्लोबल डिजिटल कॉम्पैक्ट’ भविष्य के लिए समझौते का हिस्सा है, जिस पर सितंबर 2024 में भविष्य के संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन में चर्चा की गई और उसे अपनाया गया।

शासन में AI को एकीकृत करने के लिए सरकारी पहल

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी (Global Partnership on Artificial Intelligence- GPAI): वर्ष 2020 में, भारत ने उभरती प्रौद्योगिकियों के जिम्मेदार उपयोग के लिए रूपरेखा स्थापित करने के लिए GPAI बनाने के लिए 15 अन्य देशों के साथ मिलकर कार्य किया।
    • भारत GPAI (AI की वैश्विक भागीदारी) का वर्तमान अध्यक्ष है। 
  • डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, AI और शासन के लिए डेटा पर घोषणा: यह G20 ट्रोइका (भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका) द्वारा एक संयुक्त विज्ञप्ति है, जिसका समर्थन कई G20 देशों, अतिथि देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा किया गया है।
  • इंडियाएआई मिशन (IndiaAI Mission): भारत सरकार ने अगले पाँच वर्षों के लिए 10,372 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसके तहत सरकार देश में AI कंप्यूटिंग क्षमता स्थापित करने की इच्छुक निजी कंपनियों को सब्सिडी देने के लिए धन आवंटित करेगी।
  • ‘एआई फॉर ऑल’ (AI for All): यह एक स्व-शिक्षण ऑनलाइन कार्यक्रम है, जिसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • इंडियाएआई इनोवेशन सेंटर (IndiaAI Innovation Centre): इंडियाएआई इनोवेशन सेंटर महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में स्वदेशी लार्ज मल्टीमॉडल मॉडल (LMMs) और डोमेन-विशिष्ट आधारभूत मॉडल के विकास एवं तैनाती का कार्य करेगा।
  • स्मार्ट सिटी मिशन (Smart Cities Mission): स्मार्ट सिटी मिशन के तहत, स्मार्ट ट्रैफिक प्रबंधन, अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली और निगरानी के माध्यम से शहरी शासन को बढ़ाने के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए AI का उपयोग किया जा रहा है।

आगे की राह

  • डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुरक्षा को मजबूत करना: सरकारों को मजबूत डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने को प्राथमिकता देनी चाहिए, जो व्यक्तिगत और गैर-व्यक्तिगत डेटा को सुरक्षित रूप से संगृहीत एवं प्रबंधित कर सके।
    • मजबूत एन्क्रिप्शन, एक्सेस कंट्रोल और वैश्विक डेटा सुरक्षा कानूनों के अनुपालन के माध्यम से डेटा गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करने से AI-संचालित शासन में जनता का विश्वास बढ़ेगा।
  • कार्यबल को पुनः कौशल प्रदान करना और उसे उन्नत बनाना: AI संचालित युग में सफल होने के लिए, कार्यबल को पुनः कौशल प्रदान करने और उसे उन्नत बनाने पर ध्यान देना आवश्यक है।
    • केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के FutureSkills PRIME जैसे कार्यक्रम व्यक्तियों को AI अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक कौशल से लैस कर सकते हैं।
    • केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों के लिए ऐच्छिक विषय के रूप में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत की है।
  • साइबर विनियमन को मजबूत करना: जैसे-जैसे AI तकनीक विकसित होती है, सरकारों को AI द्वारा उत्पन्न नए जोखिमों एवं चुनौतियों, जैसे डेटा सुरक्षा, गोपनीयता संबंधी चिंताओं और AI के नैतिक उपयोग को संबोधित करने के लिए साइबर विनियमन को कठोर करना चाहिए।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना: सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शासन में AI सिस्टम पारदर्शी हों, जिसमें जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में निर्णय लेने की स्पष्ट रूपरेखा हो।
  • समावेशी पहुँच को बढ़ावा देना: समावेशी शासन सुनिश्चित करने के लिए, यह महत्त्वपूर्ण है कि AI-संचालित सार्वजनिक सेवाएँ हाशिए पर पड़े और ग्रामीण समुदायों सहित सभी नागरिकों के लिए सुलभ हों।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना: सरकारों को सार्वजनिक सेवा आवश्यकताओं के अनुरूप AI अनुप्रयोगों को विकसित करने में उनकी विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए निजी क्षेत्र, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए।

निष्कर्ष

GovAI दक्षता, पारदर्शिता तथा सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार करके शासन को बदल सकता है। हालाँकि, इसकी सफलता नैतिक दृष्टिकोण, डेटा गोपनीयता और जवाबदेही, सामाजिक न्याय और मानवीय मूल्यों के साथ AI की परिवर्तनकारी शक्ति को संतुलित करने पर निर्भर करती है।

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