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19वाँ G20 रियो शिखर सम्मेलन 2024

Lokesh Pal November 23, 2024 12:48 77 0

संदर्भ 

हाल ही में ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में 19वाँ G20 शिखर सम्मेलन संपन्न हुआ।

रियो G20 के बारे में

  • थीम: ‘एक न्यायपूर्ण विश्व और एक सतत ग्रह का निर्माण’ (Building a Just World and a Sustainable Planet)
  • मेजबान देश: ब्राजील
  • स्थान: आधुनिक कला संग्रहालय (MAM), रियो डी जेनेरियो
  • प्रतिभागी: 19 सदस्य देश और दो क्षेत्रीय निकाय यानी यूरोपीय संघ, अफ्रीकी संघ।
  • मुख्य प्राथमिकताएँ: ब्राजील की G20 प्रेसीडेंसी ने इस वर्ष के कार्य को तीन प्राथमिकताओं पर केंद्रित किया है:
    • सामाजिक समावेशन और भूख और गरीबी के विरुद्ध लड़ाई।
    • सतत् विकास, ऊर्जा परिवर्तन और जलवायु कार्रवाई।
    • वैश्विक शासन संस्थानों में सुधार।
  • महत्त्व 
    • यह ब्राजील में आयोजित होने वाला पहला G20 शिखर सम्मेलन था।
    • रियो शिखर सम्मेलन में पहली बार अफ्रीकी संघ पूर्ण सदस्य के रूप में भाग लेगा, क्योंकि इसे पिछले साल ही नई दिल्ली में आयोजित सम्मेलन के दौरान शामिल किया गया था।

G20 रियो डी जेनेरियो नेताओं के घोषणा-पत्र की मुख्य बिंदु

  • भूख और गरीबी के विरुद्ध वैश्विक गठबंधन: यह ब्राजील द्वारा अपनी G20 प्रेसीडेंसी के दौरान शुरू की गई एक वैश्विक पहल है।
    • लक्ष्य: इसका प्राथमिक लक्ष्य वर्ष 2030 तक विश्व भर से भुखमरी और गरीबी को समाप्त करना है।
    • तीन स्तंभ: गठबंधन तीन स्तंभों पर कार्य करता है:
      • राष्ट्रीय समन्वय: भुखमरी और गरीबी को दूर करने के लिए राष्ट्रीय नीतियों और रणनीतियों को मजबूत करना।
      • वित्त जुटाना: भुखमरी और गरीबी को कम करने के उद्देश्य से पहल तथा कार्यक्रमों का समर्थन करने के लिए धन जुटाना।
      • ज्ञान एकीकरण: हस्तक्षेपों की प्रभावशीलता में सुधार के लिए ज्ञान और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना।
    • मुख्यालय: तकनीकी मुख्यालय खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) यानी रोम, इटली में होगा, लेकिन कार्यात्मक स्वायत्तता के साथ।
    • भारत की भूमिका: भारत वैश्विक गठबंधन का एक सक्रिय सदस्य है और इसके लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
  • रणनीतिक प्रतिबद्धताएँ
    • 500 मिलियन लोगों तक पहुँचने के लिए नकद हस्तांतरण कार्यक्रमों का विस्तार करना।
    • अतिरिक्त 150 मिलियन बच्चों को स्कूल भोजन उपलब्ध कराना।
    • स्वास्थ्य कार्यक्रमों के माध्यम से 6 वर्ष तक की आयु के 200 मिलियन बच्चों और गर्भवती महिलाओं की सहायता करना।
  • लेबनान और गाजा युद्ध विराम
    • फिलिस्तीनी अधिकारों की पुष्टि
      • फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार को मान्यता देता है और उसकी पुष्टि करता है (यह लोगों को स्वतंत्र रूप से अपनी राजनीतिक स्थिति निर्धारित करने और बाहरी हस्तक्षेप के बिना अपने आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास को आगे बढ़ाने की क्षमता प्रदान करता है)।
      • दो-राष्ट्र समाधान के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराता है, जिसमें इजरायल और फिलिस्तीनी राज्य के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की कल्पना की गई है।
    • गाजा में व्यापक युद्ध विराम के लिए समर्थन: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 2735 के अनुरूप गाजा में व्यापक युद्ध विराम।
      • लेबनान में: ब्लू लाइन के दोनों ओर नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिए व्यापक युद्ध विराम।
  • सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) की स्थिति: SDGs पर प्रगति में तेजी लाने के लिए G20 2023 कार्य योजना के शीघ्र कार्यान्वयन का आह्वान।
    • समय-सीमा: SDG के लिए वर्ष 2030 एजेंडा को प्राप्त करने के लिए केवल छह वर्ष शेष हैं।
    • ऑन-ट्रैक लक्ष्य: केवल 17% लक्ष्यों के लिए प्रगति ट्रैक पर है।
    • सीमित प्रगति: लगभग 50% लक्ष्य न्यूनतम या मध्यम प्रगति दिखाते हैं।
    • अवरोध: एक-तिहाई से अधिक लक्ष्य या तो रुके हुए हैं अथवा पीछे हटे हुए हैं।

डेक्कन उच्च-स्तरीय सिद्धांत (Deccan High-Level Principles)

  • तैयार किया गया: डेक्कन उच्च-स्तरीय सिद्धांत FAO, विश्व बैंक और WTO द्वारा तैयार की गई मैपिंग अभ्यास रिपोर्ट से विकसित किए गए थे।
  • अनुरोध: वर्ष 2022 में G20 कृषि और वित्त मंत्रियों द्वारा आरंभ किया गया।
  • उद्देश्य: वैश्विक खाद्य असुरक्षा को संबोधित करने में सामूहिक प्रयासों का मार्गदर्शन करना।

  • खाद्य सुरक्षा और पोषण के प्रति प्रतिबद्धता: G20 खाद्य सुरक्षा, पोषण और पर्याप्त भोजन के अधिकार की प्रगतिशील प्राप्ति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है, जैसा कि डेक्कन उच्च-स्तरीय सिद्धांतों, 2023 में उल्लिखित है।
  • नृजातीय-नस्लीय समानता पर SDG 18 (सतत् विकास लक्ष्य) को शामिल करना: नृजातीय-नस्लीय समानता पर ध्यान केंद्रित करने वाले एक नए SDG को आधिकारिक तौर पर G20 प्राथमिकताओं में एक प्रमुख तत्त्व के रूप में शामिल किया गया।
  • यूक्रेन युद्ध का प्रभाव: युद्ध ने मानवीय पीड़ा को और बढ़ा दिया है तथा वैश्विक खाद्य, ऊर्जा सुरक्षा, आपूर्ति शृंखला एवं वित्तीय स्थिरता को बाधित किया है। 
    • G20 शांतिपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर के साथ संरेखित रचनात्मक शांति प्रयासों का समर्थन करता है।
  • भ्रष्टाचार और संबंधित अवैध वित्तीय प्रवाह के खिलाफ प्रयास: GlobE नेटवर्क और अन्य अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी नेटवर्क का सर्वोत्तम उपयोग करके।
  • कराधान: अत्यधिक उच्च-निवल-मूल्य संपत्तियों वाले व्यक्तियों के प्रभावी कराधान को सुनिश्चित करने के लिए सहकारी रूप से संलग्न होने हेतु प्रतिबद्ध और प्रगतिशील कराधान का समर्थन किया।

GlobE नेटवर्क (GlobE Network)

  • भ्रष्टाचार विरोधी कानून प्रवर्तन प्राधिकरणों का वैश्विक परिचालन नेटवर्क (GlobE नेटवर्क) G20 की एक पहल थी।
  • इसके 121 सदस्य देश और 219 सदस्य प्राधिकरण हैं।
  • इस नेटवर्क का संचालन इसके सदस्यों द्वारा किया जाता है और इसे संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (United Nations Office against Drugs and Crime- UNODC) द्वारा समर्थन प्राप्त है।
  • भारत भी इस नेटवर्क का सदस्य है।
    • इसके केंद्रीय जाँच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation- CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) नेटवर्क का हिस्सा हैं।
    • गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs- MHA) भारत के लिए केंद्रीय प्राधिकारी के रूप में कार्य करता है।

  • जलवायु परिवर्तन: शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन के लिए वैश्विक कार्यबल की शुरुआत की गई, ताकि विशेष रूप से विकासशील देशों में जलवायु वित्तपोषण को मजबूत किया जा सके।
    • यह वर्ष 2040 तक भूमि क्षरण को 50% तक स्वैच्छिक रूप से कम करने की G20 की महत्त्वाकांक्षा की भी पुष्टि करता है।
    • देशों ने अत्यधिक सूखे और जंगल की आग के नकारात्मक प्रभावों को रोकने, प्रबंधित करने और संबोधित करने के लिए कदम उठाने की भी प्रतिज्ञा की है।
    • ट्रॉपिकल फॉरेस्ट फॉरएवर फैसिलिटी (TFFF) की स्थापना करने और इस सुविधा को वन संरक्षण के लिए एक अभिनव उपकरण के रूप में स्वीकार करने की योजना है।
  • प्रभावी बहुपक्षीय विकास बैंक (MDBs): G20 ने MDB की प्रभावशीलता, वित्तीय क्षमता और सतत् विकास लक्ष्यों के साथ संरेखण को बढ़ाने के लिए एक रोडमैप का समर्थन किया।

रियो G20 शिखर सम्मेलन में भारत की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया

  • भारत का G20 विषय ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य (One Earth, One Family, One Future) इस शिखर सम्मेलन में भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि पिछले वर्ष था।
  • गरीबी निर्मूलन
    • पिछले दशक में 250 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया।
    • 800 मिलियन नागरिकों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया।
    • विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना से 550 मिलियन लोगों को लाभ मिला।
  • खाद्य सुरक्षा
    • खाद्य सुरक्षा के लिए ‘बैक टू बेसिक्स एंड मार्च टू फ्यूचर’ दृष्टिकोण की वकालत की गई।
    • शिखर सम्मेलन में श्री अन्ना या बाजरा को बढ़ावा देने, डिजिटल कृषि मिशन और 2,000 से अधिक जलवायु-लचीली फसल किस्मों के विकास जैसी पहलों पर प्रकाश डाला गया।
  • वैश्विक दक्षिण के लिए समर्थन
    • अफ्रीका में खाद्य सुरक्षा को मजबूत किया गया, मलावी, जांबिया और जिम्बाब्वे को मानवीय सहायता प्रदान की गई।
  • भारत निम्नलिखित पहलों के माध्यम से खाद्य सुरक्षा तथा पोषण दोनों को प्राथमिकता दे रहा है।
    • सक्षम आंगनवाड़ी एवं पोषण 2.0 अभियान: यह एक एकीकृत पोषण सहायता कार्यक्रम है, जो विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं, 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों और किशोरियों के पोषण पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • मध्याह्न भोजन योजना में स्कूल जाने वाले बच्चों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
  • भारत के डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना ने सामाजिक और वित्तीय समावेशन को सक्षम बनाया: आकांक्षी जिलों और ब्लॉकों की परियोजना के साथ भारत ने समावेशी विकास के लिए एक नया मॉडल बनाया है, जो सबसे कमजोर कड़ी को मजबूत करता है।
  • महिलाओं और किसानों के लिए समर्थन
    • 300 मिलियन से अधिक महिला सूक्ष्म उद्यमियों को बैंकों से जोड़ा गया है तथा उन्हें ऋण तक पहुँच प्रदान की गई है। 
    • किसानों को 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर का संस्थागत ऋण दिया जा रहा है।

G20 समूह के समक्ष चुनौतियाँ

  • भिन्न-भिन्न आर्थिक हित: G20 में उन्नत देशों से लेकर उभरते बाजारों तक की अर्थव्यवस्थाओं का एक विविध समूह शामिल है।
    • आम सहमति तक पहुँचने के लिए इन भिन्न-भिन्न हितों को संतुलित करना एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
    • G20 आम सहमति मॉडल पर काम करता है, जो निर्णय लेने की प्रक्रिया को धीमा कर सकता है।
  • भू-राजनीतिक तनाव: भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता, जैसे कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे तनाव, साथ ही मध्य-पूर्व में मुद्दे, G20 विचार-विमर्श और आम सहमति निर्माण को बाधित करने की क्षमता रखते हैं।
    • ये भू-राजनीतिक संघर्ष खाद्य ईंधन तथा उर्वरक की कमी संबंधी समस्या को बढ़ाते हैं, विकासशील देशों पर प्रभाव डालते हैं और खाद्य सुरक्षा प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के प्रयासों में बाधा डालते हैं।
  • जलवायु परिवर्तन प्रतिबद्धताएँ: जबकि जलवायु परिवर्तन G20 के लिए एक केंद्रीय विषय है, जलवायु वित्त, जीवाश्म ईंधन सब्सिडी और उत्सर्जन में कमी पर बाध्यकारी समझौते हासिल करना चुनौतीपूर्ण है।
  • कोई बाध्यकारी प्रवर्तन तंत्र नहीं: G20 में कानूनी रूप से बाध्यकारी संरचना की कमी अक्सर अधूरी प्रतिबद्धताओं की ओर ले जाती है, क्योंकि समझौते स्वैच्छिक प्रतिज्ञाओं पर निर्भर करते हैं, कार्यान्वयन के लिए जवाबदेही का अभाव होता है।
  • वैश्विक दक्षिण का कम प्रतिनिधित्व: जबकि कुछ उभरती अर्थव्यवस्थाएँ शामिल हैं, छोटे और कम विकसित राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व कम है, जिससे G20 का ऋण राहत और न्यायसंगत विकास जैसे मुद्दों पर ध्यान सीमित हो जाता है।
  • राष्ट्रीय संप्रभुता बनाम वैश्विक सहयोग: G20, स्वभाव से, सदस्य देशों से वैश्विक मुद्दों पर बातचीत करने की अपेक्षा करता है, जो राष्ट्रीय संप्रभुता को चुनौती दे सकते हैं।
    • वैश्विक कराधान, जलवायु परिवर्तन और व्यापार समझौतों जैसे विषयों पर चर्चा करते समय यह विशेष रूप से विवादास्पद हो सकता है।

आगे की राह

  • भुखमरी, ईंधन तथा उर्वरक संकट का समाधान: विशेष रूप से विकासशील क्षेत्रों में कमी को दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय  संगठनों के साथ सहयोग बढ़ाना।
    • ग्लोबल हंगर एंड पॉवर्टी अलायंस तथा मिलेट इनिशिएटिव जैसी पहलों का विस्तार किया जाना चाहिए।
  • जवाबदेही सुनिश्चित करना: G20 प्रतिबद्धताओं के प्रभावी क्रियान्वयन की निगरानी सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट लक्ष्य तथा समय-सीमा के साथ तंत्र निर्माण।
  • प्रतिनिधित्व बढ़ाएँ: वैश्विक निर्णय-निर्माण और बहुपक्षीय संस्थाओं में विकासशील देशों के बेहतर प्रतिनिधित्व की वकालत करना।
  • उचित व्यापार को बढ़ावा देना: समावेशी वैश्विक आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए संरक्षणवाद पर ध्यान देना तथा व्यापार नियमों में सुधार करना।
  • राजनयिक संवाद को बढ़ावा: वैश्विक सहयोग में बाधा डाले बिना, यूक्रेन और मध्य-पूर्व जैसे चल रहे संघर्षों के लिए शांतिपूर्ण समाधान, संवाद और बातचीत को प्रोत्साहित करना।

निष्कर्ष

वर्ष 2026 तक, जब सभी G20 देश कम-से-कम एक बार अध्यक्षता कर चुके होंगे, यह मील का पत्थर वैश्विक प्रगति को आगे बढ़ाने तथा समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए समूह की सामूहिक प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करने का अवसर है।

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