रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा परमाणु हथियार नीति (Nuclear Weapons Policy) को अद्यतन किया गया है।
नया परमाणु सिद्धांत
पृष्ठभूमि: रूस का अद्यतित परमाणु सिद्धांत यूक्रेन के साथ उसके संघर्ष की पृष्ठभूमि में लाया गया है, जहाँ हाल ही में यूक्रेन ने संघर्ष में पहली बार अमेरिका द्वारा आपूर्ति की गई ATACMS मिसाइलों को रूस में दागा है।
संयुक्त राज्य अमेरिका के बाइडन प्रशासन ने यूक्रेन को रूस के विरुद्ध सीमित हमलों के लिए लंबी दूरी के अमेरिकी हथियारों का उपयोग करने की अनुमति दी है।
उद्देश्य: इन अद्यतित नियमों में संभावित परमाणु प्रतिक्रिया के अधीन देशों और गठबंधनों की संख्या, तथा सैन्य खतरों के प्रकार का विस्तार किया गया है।
परिदृश्य, जिसके तहत मास्को परमाणु प्रतिक्रिया पर विचार किया गया
परमाणु निरोध: किसी गैर-परमाणु राष्ट्र द्वारा रूस के खिलाफ कोई भी आक्रामकता जो परमाणु राष्ट्र की भागीदारी या समर्थन के साथ की जाती है, उसे संयुक्त हमला माना जाएगा।
बड़े पैमाने पर हमला: यदि रूस को लगता है तो वह विमानों, मिसाइलों एवं ड्रोन का उपयोग करके उस पर बड़े पैमाने पर हवाई हमला करेगा।
परमाणु दायरे का विस्तार: रूस ने आधिकारिक तौर पर अपने करीबी सहयोगी बेलारूस को अपने परमाणु दायरे के अंतर्गत रखा है।
पारंपरिक हमले के जवाब में: परमाणु हथियारों का इस्तेमाल पारंपरिक हमले की स्थिति में भी किया जा सकता है जो ‘संप्रभुता या क्षेत्रीय अखंडता के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करता है’।
रूस के विरुद्ध सैन्य गठबंधन: यदि सैन्य गठबंधन (नए या मौजूदा) दुश्मन के सैन्य बुनियादी ढाँचे को रूस की सीमाओं के निकट ले जाते हैं एवं रूस की सीमाओं के पास बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास करने की योजना बनाते हैं।
परमाणु सिद्धांत
परमाणु सिद्धांत, उन लक्ष्यों एवं मिशनों को स्पष्ट करते हैं जो प्रत्येक परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्रों (Nuclear Weapon States-NWS) की बल संरचना, घोषणात्मक नीति तथा कूटनीति का निर्धारण करके शांति एवं युद्ध दोनों के दौरान किसी देश द्वारा परमाणु हथियारों की तैनाती तथा उपयोग का मार्गदर्शन करेंगे।
परमाणु सिद्धांत के लक्ष्य: इसमें मुख्य रूप से निवारण, लक्ष्य विनाश, सहयोगियों का आश्वासन तथा अनिश्चित भविष्य के विरुद्ध बचाव शामिल है।
भारत का परमाणु सिद्धांत
भारत ने वर्ष 1998 में आधिकारिक तौर पर स्वयं के पास परमाणु हथियार होने की घोषणा की जब उसने राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण की एक श्रृंखला आयोजित की।
स्थापना: भारत ने परमाणु रणनीतिकार के. सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड की वर्ष 1999 की मसौदा रिपोर्ट के आधार पर वर्ष 2003 में अपना आधिकारिक परमाणु सिद्धांत जारी किया।
प्राधिकरण: परमाणु जवाबी हमलों को केवल परमाणु कमान प्राधिकरण के माध्यम से नागरिक राजनीतिक नेतृत्व द्वारा अधिकृत किया जा सकता है।
परमाणु कमान प्राधिकरण: इसमें एक राजनीतिक परिषद एवं एक कार्यकारी परिषद शामिल है।
राजनीतिक परिषद: इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं एवं यह परमाणु हथियारों के उपयोग को अधिकृत करने वाली एकमात्र संस्था है।
कार्यकारी परिषद: इसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार करते हैं एवं यह राजनीतिक परिषद द्वारा दिए गए निर्देशों को क्रियान्वित करती है।
स्तंभ
विश्वसनीय निरोध: परमाणु हथियारों का भंडार बनाए रखना केवल विश्वसनीय न्यूनतम निरोध के निर्माण एवं रखरखाव के संबंध में है।
पहले प्रयोग न करने का सिद्धांत: परमाणु हथियारों का उपयोग केवल भारतीय क्षेत्र या भारतीय बलों पर कहीं भी परमाणु हमले के विरुद्ध, जवाबी कार्रवाई में किया जाएगा एवं गैर-परमाणु हथियार वाले राज्यों के विरुद्ध परमाणु हथियारों का उपयोग नहीं किया जाएगा।
अपवाद: भारत या भारतीय सेनाओं के विरुद्ध कहीं भी जैविक या रासायनिक हथियारों से बड़े हमले की स्थिति में, भारत परमाणु हथियारों से जवाबी कार्रवाई करने का विकल्प बरकरार रखेगा।
परमाणु प्रतिशोध: एक परमाणु प्रतिशोध, पहले हमले के लिए बड़े पैमाने पर होगा एवं असहनीय तथा अस्वीकार्य क्षति पहुँचाने के लिए डिजाइन किया गया होगा।
परमाणु निरस्त्रीकरण: भारत वैश्विक, सत्यापन योग्य एवं गैर-भेदभावपूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण के माध्यम से परमाणु हथियार मुक्त विश्व के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध है।
परमाणु अप्रसार के लिए प्रतिबद्ध: परमाणु परीक्षणों पर रोक, परमाणु एवं मिसाइल संबंधी सामग्रियों एवं प्रौद्योगिकियों के निर्यात पर सख्त नियंत्रण जारी रखना तथा विखंडनीय पदार्थ कटौती संधि वार्ता में भागीदारी।
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