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भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का लोकतंत्रीकरण

Lokesh Pal November 23, 2024 05:30 8 0

संदर्भ :

कृत्रिम बुद्धिमत्ता में बिग टेक के प्रभुत्व को लेकर वैश्विक चिंताओं ने भारत को एक व्यापक कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है। सॉवरेन क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश, ओपन डेटा प्लेटफॉर्म विकास और स्थानीय स्टार्ट-अप का समर्थन करके, भारत का लक्ष्य अधिक सुलभ और न्यायसंगत AI पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।

AI कैसे कार्य करता है?

  • आज AI डेटा से सीखने के लिए डीप न्यूरल नेटवर्क का उपयोग करता है। इन नेटवर्क में परस्पर जुड़े नोड्स (न्यूरॉन्स) की परतें होती हैं।
  • प्रशिक्षण के दौरान, मॉडल पूर्वानुमान लगाता है, उनकी तुलना वास्तविक परिणामों से करता है, और बैक प्रोपेगेशन का उपयोग करके त्रुटियों को कम करने के लिए अपने मापदंडों (भार) को समायोजित करता है।
  • यह प्रक्रिया कई पुनरावृत्तियों में दोहराई जाती है, जिससे मॉडल में सुधार होता है
  • डीप लर्निंग में कई परतों वाले नेटवर्क शामिल होते हैं, जिससे AI जटिल पैटर्न को स्वचालित रूप से सीख सकता है।
  • एक बार प्रशिक्षित होने के बाद, मॉडल का उपयोग छवि पहचान या भाषा प्रसंस्करण जैसे कार्यों के लिए किया जा सकता है।

एआई में बड़ी टेक कंपनियों के प्रभुत्व से उत्पन्न चुनौतियाँ

  1. डीप लर्निंग की उच्च कम्प्यूटेशनल लागत
    • महंगे मॉडल : जेमिनी अल्ट्रा मॉडल (जिसकी लागत 2023 में $200 मिलियन होगी) जैसे उन्नत डीप लर्निंग मॉडल का प्रशिक्षण बहुत महंगा है, जिससे छोटे उपयोगकर्ताओं के लिए प्रतिस्पर्द्धा मुश्किल हो जाती है।
      • ये सामान्यीकृत क्षमताएँ उच्च कम्प्यूटेशनल संसाधनों की मांग करती हैं, जिससे नए प्रवेशकों को कम्प्यूट क्रेडिट के लिए बिग टेक पर निर्भर रहना पड़ता है।
    • लॉक-इन प्रभाव : बिग टेक बड़े मॉडल के विकास को बढ़ावा देता है, जिससे उनका प्रभुत्व मजबूत होता है।
      • इससे एक ऐसा चक्र निर्मित होता है, जिसमें केवल ये कम्पनियाँ ही अत्याधुनिक प्रगति का खर्च उठा सकती हैं तथा नए प्रवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
  2. प्रतिस्पर्द्धी बुनियादी ढाँचे तक पहुँचने में बाधाएँ
    • डेवलपर उपकरण और क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर : बड़ी टेक कंपनियाँ व्यापक डेवलपर उपकरण, क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर और अत्याधुनिक एल्गोरिदम मॉडल प्रदान करती हैं, जिससे AI विकास अधिक सुलभ और लागत प्रभावी हो जाता है।
      • उनकी ऑल-इन-वन सेवा पेशकशों को दोहराना मुश्किल है, जिससे छोटे खिलाड़ियों के लिए अन्य प्रदाताओं पर स्विच करना महंगा और अक्षम हो जाता है।
  3. डेटा एकाधिकार और प्रतिस्पर्द्धात्मक बढ़त
    • डेटा इंटेलिजेंस : बड़ी टेक कंपनियों के पास विभिन्न डोमेन में विशाल मात्रा में डेटा होता है, जिसका लाभ वे अधिक परिष्कृत AI मॉडल विकसित करने के लिए उठा सकते हैं।
      • सामाजिक, आर्थिक और भौगोलिक संदर्भों में डेटा तक उनकी निरंतर पहुँच उन्हें एक प्रतिस्पर्द्धात्मक बढ़त प्रदान करती है, जिसका मुकाबला करने के लिए छोटे खिलाड़ी संघर्ष करते हैं।
    • सार्वजनिक डेटा पहल की चुनौतियाँ : जबकि खुले डेटा पहल का उद्देश्य डेटा तक पहुँच को लोकतांत्रिक बनाना है, वे अक्सर वाणिज्यिक कब्ज़े के अधीन होते हैं और बेहतर संसाधन वाले अभिनेता (जैसे कि बड़ी टेक कम्पनियाँ) उनसे अनुपातहीन रूप से लाभान्वित होते हैं।
  4. एआई अनुसंधान में अकादमिक जगत की घटती भूमिका
    • उद्योग जगत के प्रभुत्व की ओर बदलाव : जैसे-जैसे बड़ी टेक कंपनियाँ एआई विकास पर हावी होती जा रही हैं, शैक्षणिक संस्थान एआई शोध को आकार देने में कम भूमिका निभा रहे हैं।
      • उद्योग जगत के खिलाड़ी अब एआई प्रकाशनों और उद्धरणों में अग्रणी हैं, जिससे एआई शोध की दिशा सार्वजनिक हित के बजाय व्यावसायिक हितों की ओर बढ़ रही है। 

       

नोट :

  • हाल ही में हस्ताक्षरित वैश्विक विकास समझौता, एआई को लोकतांत्रिक बनाने की आवश्यकता को संबोधित करते हुए अंततः वर्तमान प्रतिमान को मजबूत करता है।
  • यह समझौता मानता है कि बड़े डेटा सेट का निर्माण और कम्प्यूटेशनल शक्ति तक पहुँच प्रदान करने से जादुई रूप से सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्राप्ति होगी और बिग टेक एकाधिकार को संबोधित किया जाएगा।
  • यह दृष्टिकोण उस अंतर्निहित मॉडल पर सवाल उठाने में विफल रहता है जो बिग टेक के प्रभुत्व को बढ़ावा देता है।

अन्य संभावित उपाय

  • नीति-स्तरीय हस्तक्षेप
    • डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना : सरकारों को सभी के लिए सुलभ सार्वजनिक डिजिटल अवसंरचना का निर्माण और प्रचार करना चाहिए।
    • ओपन एक्सेस : एआई उपकरणों और डेटा तक समान पहुँच सुनिश्चित करें, बिग टेक पर निर्भरता को कम करें।
    • ग्लोबल डेवलपमेंट कॉम्पैक्ट पर पुनर्विचार करें : केवल डेटा और कंप्यूटर एक्सेस पर नहीं, बल्कि संरचनात्मक परिवर्तनों पर ध्यान दें।
  • सिद्धांत-संचालित AI विकास
    • उद्देश्य-संचालित मॉडल : कारण-संबंधी समझ और परिकल्पना-संचालित विकास पर ध्यान केंद्रित करें।
    • छोटे, लक्षित AI : सामाजिक आवश्यकताओं के बजाय पैमाने पर लक्षित कॉम्पैक्ट, उद्देश्य-विशिष्ट सिस्टम डिज़ाइन करें।
  • डोमेन विशेषज्ञता को शामिल करना
    • वास्तविक अनुभव : सामाजिक प्रगति के साथ संरेखित AI बनाने के लिए विशेषज्ञता और वास्तविक दुनिया की अंतर्दृष्टि का उपयोग करें।
    • स्थानीयकृत समाधान : विशिष्ट समुदायों और संदर्भों के अनुरूप AI सिस्टम विकसित करें।
  • छोटे AI को बढ़ावा देना
    • प्रगतिशील परिवर्तन : वाणिज्यिक निगरानी मॉडल पर लोकतांत्रिक, उद्देश्य-संचालित AI पर बल दें।
    • समान परिणाम : छोटे, सार्थक अनुप्रयोगों को प्राथमिकता देकर बिग टेक के डेटा एकाधिकार पर निर्भरता कम करें।
  • अन्य क्षेत्रों से सीखना
    • ऐतिहासिक सबक : चिकित्सा और विमानन जैसे क्षेत्रों से सिद्धांत-संचालित प्रगति का अनुकरण करें, जो डेटा वॉल्यूम पर कठोर जाँच को प्राथमिकता देते हैं।
    • प्रभाव पर ध्यान दें : “बड़ा बेहतर है” से हटकर ऐसे दृष्टिकोण अपनाएँ जो गुणवत्ता, प्रासंगिकता और सामाजिक मूल्य पर जोर देते हैं।

निष्कर्ष 

AI का लोकतंत्रीकरण समय की मांग है। इसलिए भारत जैसे राष्ट्रों को सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढाँचे में निवेश करते हुए स्थानीय नवाचार का समर्थन और बिग टेक पर निर्भरता कम करके समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए न्यायसंगत AI प्रणालियों को बढ़ावा देने संबंधी सक्रिय कदम उठाने चाहिए।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न 

“एआई विकास में बड़ी टेक कंपनियों का बढ़ता प्रभुत्व छोटी कंपनियों के लिए गंभीर चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है।” एआई में बड़ी टेक कंपनियों के प्रभुत्व में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों का विश्लेषण कीजिए तथा इस प्रवृत्ति से निपटने के लिए आवश्यक उपायों का सुझाइए ।

(15 अंक, 250 शब्द)

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