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भारत की 6 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम संबंधी दुविधा

Lokesh Pal November 27, 2024 04:11 11 0

संदर्भ

सोनी के PS5 प्रो को भारत में लॉन्च नहीं किया जा रहा है क्योंकि भारत ने अभी तक IEEE 802.11be (वाई-फाई 7) में प्रयोग  होने वाले 6GHz वायरलेस बैंड को अनुमति नहीं दी है।

6GHz वायरलेस बैंड (6GHz WiFi Spectrum)

  • 6 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम, रेडियो तरंगों का 1200 मेगाहर्ट्ज आवृत्ति युक्त बैंड है, जिसका उपयोग वाई-फाई 6ई और वाई-फाई 7 के लिए किया जाता है।
    • वाईफाई 6 प्रौद्योगिकी 2.4GHz और 5GHz दोनों आवृत्तियों का एक साथ उपयोग करती है, जिससे अधिक दक्षता प्राप्त होती है, जिसके परिणामस्वरूप बेहतर गति प्राप्त होती है।
  • स्पेक्ट्रम: स्पेक्ट्रम, 5,925 मेगाहर्ट्ज और 7,125 मेगाहर्ट्ज के बैंड आकार के बीच स्थित है। 
  • अधिकतम गति: सैद्धांतिक रूप से यह तकनीक 9.6 जीबीपीएस तक की अधिकतम गति का समर्थन कर सकती है। 
  • कनेक्शन: वाई-फाई 6GHz तक पहुँचने के लिए डिवाइस को 6.0 गीगाहर्ट्ज बैंड का समर्थन करने वाले वायरलेस ‘एक्सेस पॉइंट’ (AP) से कनेक्ट होना चाहिए।
    • ‘एक्सेस पॉइंट वायरलेस नेटवर्क’ का केंद्रीय केंद्र होता है, जो उपकरणों को एक दूसरे से जुड़ने और संचार करने में सक्षम बनाता है।
  • परिचय: वाई-फाई 6E स्पेक्ट्रम को दुनिया भर के कई नियामक प्राधिकरणों द्वारा वर्ष 2021 तक उपयोग के लिए लाइसेंस मुक्त कर दिया गया था।
    • जापान, मैक्सिको, दक्षिण कोरिया, ताइवान, संयुक्त अरब अमीरात, यू.के. और यू.एस. ने वाई-फाई के लिए स्पेक्ट्रम के तीसरे बैंड का लाइसेंस समाप्त करना शुरू कर दिया है।
  • विशेषताएँ 
    • विस्तारित बैंडविड्थ: 6GHz बैंड संयुक्त 2.4GHz और 5GHz बैंड की तुलना में दोगुनी से अधिक बैंडविड्थ प्रदान करता है, जिससे तीव्र डेटा ट्रांसमिशन और बेहतर प्रदर्शन संभव होता है।
    • कम विलंबता: वाई-फाई 6E और वाई-फाई 7 दोनों ही कम विलंबता प्रदान करते हैं, जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, ऑनलाइन गेमिंग और वर्चुअल रियलिटी जैसे रियल-टाइम अनुप्रयोगों के लिए महत्त्वपूर्ण है।
    • कम नेटवर्क व्यस्तता: 6GHz बैंड, 2.4GHz और 5GHz बैंड की तुलना में कम व्यस्त होता है, जिससे कम हस्तक्षेप और बेहतर प्रदर्शन होता है।
    • वाइड चैनल: वाई-फाई 6E और वाई-फाई 7 उच्च बैंडविड्थ के साथ डेटा ट्रांसमिशन के लिए अधिक मार्ग प्रदान करते हैं, जिससे ओवरलैपिंग और हस्तक्षेप का जोखिम कम होता है तथा समग्र नेटवर्क प्रदर्शन में सुधार होता है।
    • तीव्र गति: यह 1200 मेगाहर्ट्ज का लाइसेंसरहित स्पेक्ट्रम प्रदान करता है, जिससे तीव्र गति, कम विलंबता और कम भीड़भाड़ संभव होती है।
    • उन्नत प्रौद्योगिकी को शामिल करता है: यह OFDMA और MU-MIMO जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों का समर्थन करता है, जिससे नेटवर्क क्षमता और दक्षता में वृद्धि होती है, जिसके परिणामस्वरूप बेहतर, अधिक विश्वसनीय वायरलेस अनुभव प्राप्त होता है।
    • भविष्य-सुरक्षा: वाई-फाई 6E में अपग्रेड करना और वाई-फाई 7 की तैयारी करना, नेटवर्क को भविष्य की तकनीकी प्रगति में सुधार करने का सूचक है।
    • उच्च घनत्व वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त: 6GHz बैंड कम आवृत्ति बैंड, जैसे 2.4 GHz की तुलना में कम दूरी पर संचालित होता है, जो उच्च घनत्व वाले क्षेत्रों में उपयुक्त है, जहाँ नेटवर्क व्यस्तता एक चिंता का विषय है।
      • कम दूरी पर कार्य करके, 6GHz वाई-फाई एक्सेस पॉइंट उपयोगकर्ताओं के लिए एक विश्वसनीय कनेक्शन सुनिश्चित करते हुए, घर के अंदर बेहतर कवरेज प्रदान कर सकते हैं।

वाई-फाई 6E

  • यह 6 गीगाहर्ट्ज रेडियो-फ्रीक्वेंसी बैंड में वाई-फाई 6 (802.11ax) वायरलेस मानक का विस्तार है।
  • वाई-फाई 6E वाई-फाई 6 (वाई-फाई मानक की नवीनतम पीढ़ी) पर आधारित है, लेकिन केवल वाई-फाई 6E डिवाइस और एप्लिकेशन ही 6-गीगाहर्ट्ज बैंड में काम कर सकते हैं।
  • परिचय: वाई-फाई 6E को सबसे पहले वर्ष 2021 में यू.एस. फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन (FCC) द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका में बिना लाइसेंस के उपयोग के लिए मंजूरी दी गई थी
  • विशेषताएँ
    • फास्ट लेन: वाई-फाई 6E संगत डिवाइस और एप्लिकेशन के लिए “फास्ट लेन” का निर्माण करता है क्योंकि केवल वाई-फाई 6E डिवाइस ही नेटवर्क के साथ संगत हैं, जिसके परिणामस्वरूप तीव्र वायरलेस गति और कम विलंबता होती है।
    • वाई-फाई 6ई वाई-फाई 6 के विपरीत पहले के वाई-फाई मानकों के साथ पिछड़ा-संगत नहीं है। 
    • नया इन्फ्रास्ट्रक्चर: वाई-फाई 6E के लिए उपयोगकर्ताओं को अपने मौजूदा वायरलेस इन्फ्रास्ट्रक्चर का आकलन करने और राउटर, स्विच, एक्सेस पॉइंट तथा अन्य महत्त्वपूर्ण तत्त्वों को अपग्रेड करने की आवश्यकता होती है।

वाई-फाई के लिए 6GHz स्पेक्ट्रम के आवंटन पर भारत का दृष्टिकोण

  • उपग्रह उपयोग के मामलों के लिए 6GHz बैंड वर्तमान में पूरी तरह से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पास है। 
  • दूरसंचार विभाग (DoT) ने दूरसंचार ऑपरेटरों और प्रौद्योगिकी फर्मों के बीच बढ़ते विवाद के बीच 6GHz स्पेक्ट्रम के आवंटन को स्थगित कर दिया है क्योंकि स्पेक्ट्रम को 5G और वाई-फाई सेवाओं दोनों के लिए आदर्श माना जाता है। 
  • विवाद
    • दूरसंचार ऑपरेटर: वे स्पेक्ट्रम को केवल 5G सेवाओं के विस्तार के लिए आवंटित करने की वकालत करते हैं। 
    • प्रौद्योगिकी कंपनियाँ: ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (गूगल, मेटा, अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट) द्वारा प्रतिनिधित्व की जाने वाली कंपनियाँ स्पेक्ट्रम को विशेष रूप से वाई-फाई सेवाओं के लिए नामित करने पर जोर दे रही हैं।
  • कार्यसमूह: दूरसंचार विभाग ने संशोधित आवृत्ति आवंटन योजना विकसित करने के लिए तीन कार्य समूहों का गठन किया है, जिसके परिणाम राष्ट्रीय आवृत्ति आवंटन योजना (NFAP) समिति द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में शामिल किए जाएँगे, जिसका नेतृत्व सरकार के ‘वायरलेस’ संबंधी सलाहकार करेंगे।
  • भारत के पास विश्व रेडियो संचार सम्मेलन से 6 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के आवंटन पर अंतिम निर्णय लेने के लिए वर्ष 2027 तक का समय है।
  • आवंटन से जुड़ी समस्याएँ
    • इसरो सैटेलाइट संचालन में हस्तक्षेप: इसरो के सैटेलाइट संचालन में संभावित हस्तक्षेप की चिंता है, क्योंकि इसरो स्वयं दूरसंचार सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम के आवंटन के विरुद्ध है। 
      • हालाँकि, वाई-फाई की कम शक्ति के कारण, सैटेलाइट संचालन में हस्तक्षेप करने की संभावना नहीं है। 
    • आयात में वृद्धि: दूरसंचार सेवाओं को बैंड आवंटित करने से राउटर आदि जैसे वाई-फाई 6 सहायक उपकरणों के गैर-विश्वसनीय स्रोतों से आयात में वृद्धि हो सकती है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिम पैदा कर सकता है। 
    • नीलामी के बिना वाई-फाई के लिए 6 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम आवंटित करने से राष्ट्रीय कोष को काफी वित्तीय नुकसान हो सकता है।

वाई-फाई

  • यह एक वायरलेस नेटवर्किंग तकनीक है, जो कंप्यूटर, मोबाइल डिवाइस और अन्य उपकरणों जैसे उपकरणों को सूचनाओं का आदान-प्रदान करके तथा एक नेटवर्क का निर्माण कर वायरलेस राउटर के माध्यम से इंटरनेट के साथ इंटरफेस करने की अनुमति देती है।
  • मानक: वायरलेस एक्सेस पॉइंट अलग-अलग आवृत्तियों पर काम करने वाले विभिन्न IEEE मानकों का समर्थन करते हैं, भिन्न-भिन्न बैंडविड्थ प्रदान करते हैं और विभिन्न चैनलों का समर्थन करते हैं।
    • IEEE 802.11 मानक: यह उन प्रोटोकॉल को परिभाषित करता है, जो वायरलेस राउटर और वायरलेस एक्सेस पॉइंट सहित वर्तमान वाई-फाई-सक्षम वायरलेस उपकरणों के साथ संचार को सक्षम करते हैं।
  • घटक 
    • वायरलेस एक्सेस पॉइंट: एक एक्सेस पॉइंट राउटर से आने वाली बैंडविड्थ प्राप्त करता है और आस-पास के डिवाइस को नेटवर्क पर जाने के लिए उसे फैलाता है। एक एक्सेस पॉइंट नेटवर्क पर डिवाइस के बारे में उपयोगी डेटा भी प्रदान कर सक्रिय सुरक्षा प्रदान कर सकता है।
    • वायरलेस राउटर: आमतौर पर वायरलेस लोकल एरिया नेटवर्क (WLAN) डिवाइस के रूप में संदर्भित, ये हार्डवेयर डिवाइस हैं, जिनका उपयोग इंटरनेट सेवा प्रदाता केबल या xDSL इंटरनेट नेटवर्क से कनेक्ट करने के लिए करते हैं।
  • आवृत्ति बैंड: वाई-फाई मुख्य रूप से आवृत्ति के दो प्रमुख बैंडों अर्थात् 2.4GHz और 5GHz का उपयोग करता है, जबकि तीसरा बैंड अर्थात् 6GHz कई देशों में संचालन की प्रारंभिक अवस्था में है। 

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