अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA) का वैश्विक सम्मेलन 25 से 30 नवंबर, 2024 तक नई दिल्ली, भारत में आयोजित किया जाएगा।
संबंधित तथ्य
सम्मेलन में भूटान के प्रधानमंत्री ने गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी को भूटान की सबसे बड़ी ‘सहकारी परियोजना’ के रूप में भारत के समर्थन के लिए अपना आभार व्यक्त किया।
थीम: ‘सहकारिता सभी के लिए समृद्धि का निर्माण करती है’ (Cooperatives Build Prosperity for All)
दिल्ली में आयोजित ICA वैश्विक सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ
भारत सरकार का लक्ष्य अगले तीन वर्षों में 2 लाख नई प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (PACS) स्थापित करना है।
इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत की प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक सहकारी समिति हो, जिससे ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिले।
सहकारिता का अंतरराष्ट्रीय वर्ष 2025 भी “सहकारिता सभी के लिए समृद्धि का निर्माण करती है” (Cooperatives Build Prosperity for All) थीम के साथ प्रारंभ किया जाएगा।
गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी प्रोजेक्ट
स्थान: गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी असम की सीमा से लगे दक्षिणी भूटान में स्थित है और 2,500 वर्ग किलोमीटर में विस्तृत है।
विजन: शहर का लक्ष्य एक ‘शून्य कार्बन’ स्मार्ट शहर बनना है, जिसमें माइंडफुलनेस, स्थिरता और सद्भाव पर जोर दिया जाएगा।
मुख्य विशेषताएँ: शहर को ज्ञान, प्रौद्योगिकी और वित्त के केंद्र के रूप में देखा जाता है, जिसमें प्रत्येक भूटानी नागरिक शेयरधारक और हितधारक दोनों के रूप में भाग लेता है।
परियोजना में भारत की भूमिका
निवेश के लिए प्रमुख क्षेत्र
भारत के समर्थन में होटल, आतिथ्य, IT, शैक्षणिक संस्थान और वेलनेस सेंटर जैसे क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे के विकास में निवेश शामिल है।
सौर और जलविद्युत सहित नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के बारे में चर्चा चल रही है, जिसमें अडानी समूह जैसी भारतीय कंपनियाँ शामिल हैं।
अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA)
अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA) एक वैश्विक संगठन है, जो विश्व भर में सहकारी समितियों को एकजुट करता है, उनका प्रतिनिधित्व करता है और उनकी सेवा करता है।
ICA की स्थापना वर्ष 1895 में लंदन, इंग्लैंड में पहली सहकारी कांग्रेस के दौरान की गई थी।
यह विश्व भर में सबसे पुराने और सबसे बड़े गैर-सरकारी संगठनों में से एक है।
ICA विश्व भर में 1 बिलियन से अधिक सहकारी सदस्यों और लगभग 3 मिलियन सहकारी समितियों का प्रतिनिधित्व करता है।
उद्देश्य: सहकारी विचार को बढ़ावा देना और विश्व भर में सहकारी समितियों के विकास का समर्थन करना।
सदस्यता: इसमें राष्ट्रीय सहकारी संगठन, अंतरराष्ट्रीय सहकारी संगठन और व्यक्तिगत सहकारी समितियाँ शामिल हैं।
ICA में 105 देशों के 306 से अधिक सदस्य संगठन हैं, जो कृषि, बैंकिंग, उपभोक्ता वस्तुओं, स्वास्थ्य, आवास, मत्स्यपालन, बीमा और उद्योग सहित विविध आर्थिक क्षेत्रों में फैले हुए हैं।
ICA के कुछ उल्लेखनीय सदस्य हैं इफको-IFFCO (इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड), कृभको-KRIBHCO (कृषक भारती कोऑपरेटिव लिमिटेड), अमूल डेयरी कोऑपरेटिव, द कोऑपरेटिव ग्रुप (UK), ग्रुप क्रेडिट म्यूचुअल (फ्राँस), कॉप इटालिया, WOCCU (वर्ल्ड काउंसिल ऑफ क्रेडिट यूनियन्स), आदि।
मुख्यालय: ब्रुसेल्स, बेल्जियम।
अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन एशिया-प्रशांत (ICA-AP) और भारत की भूमिका
वर्ष 1960 में भारत के नई दिल्ली में क्षेत्रीय कार्यालय और शिक्षा केंद्र (ROEC) की स्थापना के साथ ICA ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में विस्तार किया।
वर्ष 1957 में, स्वीडिश सहकारी विशेषज्ञ डॉ. जी. केलर ने सहकारी विकास की संभावनाओं का मूल्यांकन करने के लिए भारत सहित पूरे एशिया में एक खोजपूर्ण दौरा किया।
अपने निष्कर्षों के आधार पर, ICA ने नई दिल्ली में अपना क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया। इस निर्णय को वर्ष 1958 में कुआलालंपुर सम्मेलन में अंतिम रूप दिया गया।
कार्यालय का आधिकारिक उद्घाटन 14 नवंबर, 1960 को जवाहरलाल नेहरू द्वारा किया गया था, जिन्होंने ग्रामीण विकास, आत्मनिर्भरता और सामाजिक समानता प्राप्त करने में सहकारी समितियों की भूमिका पर जोर दिया था।
ICA-AP का विकास
प्रारंभ में, कार्यालय दो अलग-अलग संस्थाओं के रूप में कार्य करता था: क्षेत्रीय कार्यालय और शिक्षा केंद्र।
वर्ष 1963 में, इन संस्थाओं का विलय करके एक संस्था बनाई गई।
वर्ष 1990 तक, संगठन का नाम बदलकर अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन एशिया-प्रशांत (ICA-AP) कर दिया गया, ताकि इसके विस्तारित दायरे को दर्शाया जा सके, जिसमें पूरे एशिया और प्रशांत क्षेत्र शामिल हैं।
नई दिल्ली में ICA-AP कार्यालय क्षेत्र में सहकारी गतिविधियों के लिए एक केंद्रीय केंद्र बना हुआ है, जो क्षमता निर्माण, तकनीकी सहायता और नीति सिफारिश पर ध्यान केंद्रित करता है।
ICA-AP और सहकारी आंदोलन में भारत का योगदान
भारत सरकार सहकारिता मॉडल का सक्रिय रूप से समर्थन करती है।
वर्ष 2021 में, इस क्षेत्र को और मजबूत करने के लिए सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की गई।
भारत में सहकारिताएँ कृषि, बैंकिंग, आवास और ग्रामीण विकास जैसे विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देती हैं।
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